हिंदी माध्यम नोट्स
विलोपन अभिक्रिया , धातुओ से , अपचयन , लिथियम से क्रिया , जिंक , नाभिक स्नेही प्रतिस्थापन अभिक्रिया
हैलाइड के भौतिक गुण :
- एल्किल हैलाइड शुद्ध अवस्था में रंगहीन होते है परन्तु ब्रोमाइड व आयोडाइड को खुला छोड़ने पर पीले पड़ जाते है।
- CH3F , C2H5F , CH3Cl , C2H5Cl , CH3Br गैसीय अवस्था में होते है . अन्य हैलाइड द्रव व ठोस अवस्था में पाए जाते है
- यह जल में अविलेय होते है परन्तु कार्बनिक विलायक एल्कोहल , बेंजीन , ईथर में विलेय होते है
- यह ध्रुवीय प्रकृति के होते है
- यह हरी ज्वाला के साथ जलते है
- इनके क्वथनांक के मान अणुभार बढ़ने के साथ बढ़ते है .
CH3F < CH3Cl < CH3Br < CH3I
- समान अणुभार वाले समावयवी एल्किल हैलाइड में शाखित की तुलना में अशाखित का क्वथनांक अधिक होता है क्योंकि अशाखित का पृष्ठीय क्षेत्रफल अधिक होता है .
- एल्किल आयोडाइड (R-I) को प्रकाश या हवा में खुला छोड़ने पर यह आयोडाइड गैस मुक्त करते है
2R-I → R-R + I2
हैलाइड के रासायनिक गुण :
इन्हें निम्न भागो में बांटा गया है –
(1) नाभिक स्नेही प्रतिस्थापन अभिक्रिया
(2) विलोपन अभिक्रिया
(3) धातुओ से क्रिया
(4) अपचयन अभिक्रिया
(1) नाभिक स्नेही प्रतिस्थापन अभिक्रिया (nucleophilic substitution reaction) : इन्हें निम्न भागो में बाँटा गया है –
(i) एकल अणुक नाभिक स्नेही प्रतिस्थापन अभिक्रिया (SN1)
(ii) द्वि-अणुक नाभिक स्नेही प्रतिस्थापन अभिक्रिया (SN2)
(i) एकल अणुक नाभिक स्नेही प्रतिस्थापन अभिक्रिया (SN1) : यह अभिक्रिया मुख्य रूप से tetra अल्काइल हैलाइड देते है
Features :
यह अभिक्रिया मुख्य रूप से टेट्रा अल्काइल हैलाइड देती है .
- इस अभिक्रिया में कार्बो कैटाइन बनते है
- यह अभिक्रिया दो पदों में संपन्न होती है
- इस अभिक्रिया में संक्रमण अवस्था नहीं बनती है
- इस अभिक्रिया में कोटि का मान एक होता है
- इस अभिक्रिया में रेसेमिकर पाया जाता है
- इस अभिक्रिया में धारण व प्रतिपन नहीं पाया जाता है परन्तु यौगिक प्रकाशिक सक्रीय है तो यह संभव है
- इस अभिक्रिया का वेग ध्रुवीय विलायक में बढ़ जाता है
- इस अभिक्रिया का वेग नाभिक स्नेही की सान्द्रता पर निर्भर नहीं करता
- इस अभिक्रिया में लुईस अम्लो के बने उत्प्रेरक जैसे – AlCl3 , ZnCl2 उत्प्रेरक द्वारा भी अभिक्रिया को संपन्न करवा सकते है
- इस अभिक्रिया में बेकसाइड व सामने साइड नाभिक स्नेही आक्रामक पाया जाता है परन्तु मुख्य पिछली साइड पर आक्रमण होता है
- इस अभिक्रिया का वेग क्रिया कारक के एक अणु की सान्द्रता पर ही निर्भर करता है इसलिए इसे एकल अणुक नाभिक स्नेही प्रतिस्थापन अभिक्रिया कहते है
- इस अभिक्रिया में एल्किल हैलाइड की क्रियाशीलता का बढ़ता क्रम निम्न होता है –
इस अभिक्रिया में कार्बो केटायन के बढ़ता क्रम निम्न है –
CH3+ < 10 < 20 < 30 < Allyl < benzyl
(ii) द्वि-अणुक नाभिक स्नेही प्रतिस्थापन अभिक्रिया (SN2)
CH3-Cl + KOH → CH3OH + KCl
- यह अभिक्रिया मुख्य रूप से प्राथमिक एल्किल हैलाइड देते है
- यह अभिक्रिया एक पद में संपन्न होती है
- इस अभिक्रिया में कार्बोकेटाइन नहीं बनते है
- इस अभिक्रिया में संक्रमण अवस्था बनती है
- इस अभिक्रिया की कोटि का मान 2 होता है
- इस अभिक्रिया का वेग ध्रुवीय विलायक में घट जाता है
- इस अभिक्रिया में रेसेमिकरण पाया जाता है
- इस अभिक्रिया में धारण व प्रतिपन संभव है
- यह अभिक्रियाएँ लुईस अम्लो के बने उत्प्रेरक जैसे – AlCl3 , ZnCl2 की उपस्थिति में संपन्न नहीं करवाई जाती है
- इस अभिक्रिया में नाभिक स्नेही का बेक साइड आक्रमण पाया जाता है
- यह अभिक्रिया क्रियाकारक के साथ साथ नाभिक स्नेही की सांद्रता पर निर्भर करती है
- इस अभिक्रिया के वेग निर्धारक पद में दो अणु भाग लेते है इसलिए इसे द्वि-अणुक नाभिक स्नेही प्रतिस्थापन अभिक्रिया कहते है
- इस अभिक्रिया में एल्किल हैलाइड की क्रियाशीलता का बढ़ता क्रम निम्न है –
प्रश्न : एल्किल हैलाइड KCN के साथ क्रिया कर एल्किल साइनाइड बनाते है जबकि AgCN के साथ क्रिया कर एल्किल आइसो साइनाइड बनाते है .
उत्तर : R-X + KCN → R-C≡N + KX
R-X + AgCN → R-N=C + Ag-X
इसमें KCN एक आयनिक यौगिक होता है जिसमे CN नाभिक स्नेही , कार्बन द्वारा जुड़कर मुख्य उत्पाद एल्किल साइनाइड बनाता है |
जबकि AgCN एक सहसंयोजक यौगिक होता है जिसमे N के पास अयुग्मित e पाए जाने के कारण यह N द्वारा जुड़कर मुख्य उत्पाद एल्किल आइसो साइनाइड बनाता है |
प्रश्न : एल्किल हैलाइड KNO2 के साथ क्रिया कर एल्किल नाइट्राइट बनाता है जबकि AgNO2 के साथ क्रिया कर nitro एल्केन का निर्माण करता है , क्यों ?
उत्तर : R-X + K+O—N=O → R-O-N=O + KX
R-X + Ag-NO2 → R-NO2 + AgX
इसमें KNO2 एक आयनिक यौगिक है जो ऑक्सीजन द्वारा जुड़कर मुख्य उत्पाद एल्किल नाइट्राइट बनाता है जबकि Ag-NO2 एक सहसंयोजक यौगिक है जो N द्वारा जुड़कर मुख्य उत्पाद नाइट्रो एल्केन बनाता है |
(2) विलोपन अभिक्रिया
इन अभिक्रियाओ में दो सिग्मा बंध टूटकर एक पाई बंध का निर्माण होता है |
यह अभिक्रिया एल्कोहोलिक KOH (C2H5OH + KOH) की उपस्थिति में संपन्न करवाई जाती है |
इन अभिक्रिया को विहाइड्रोहैलोजनीकरण के नाम से भी जाना जाता है |
इन अभिक्रिया को बिटा-विलोपन अभिक्रिया के नाम से भी जाना जाता है |
उदाहरण : CH3-CH2-Cl → CH2=CH2 + HCl
CH3CH2Cl + KOH → CH2=CH2 + KCl + H2O
नोट : इस अभिक्रिया में 10 , 20 , 30 की क्रियाशीलता का बढ़ता क्रम निम्न है –
10 < 20 < 30
इस अभिक्रिया में एल्किल समूह समान हो तो हैलाइड की क्रियाशीलता का बढ़ता क्रम निम्न है –
R-F < R-Cl < R-Br < R-I
सेत्जेक नियम
इस नियम के अनुसार वह एल्किन मुख्य उत्पाद के रूप में प्राप्त होती है जिसमे द्विबंध वाले कार्बन पर एल्किल समूह की संख्या अधिक पायी जाती है , इसे सेत्जेफ़ का नियम कहते है |
प्रश्न : किस विधि द्वारा उत्पाद में अभिकारक की तुलना में कार्बन की संख्या दौगुनी होती है ?
उत्तर : बूटर्ज़ अभिक्रिया
(3) धातुओ से क्रिया या सोडियम से क्रिया या वुटर्ज अभिक्रिया
एल्किल हैलाइड ड्राई ईथर की उपस्थिति में Na (सोडियम) से अभिक्रिया कर एल्केन बनाते है इसे वुटर्ज अभिक्रिया कहते है |
2R-X + 2Na → R-R + 2NaX
उदाहरण : 2CH3-I + 2Na → CH3– CH3 + 2NaI
इस अभिक्रिया में भिन्न भिन्न एल्किल हैलाइड का मिश्रण प्रयुक्त करने पर एल्केन का मिश्रण प्राप्त होता है |
नोट : वुटर्ज अभिक्रिया द्वारा मीथेन एल्केन नहीं बना सकते है |
लिथियम से क्रिया : C2H5-Br + 2Li → C2H5Li + LiBr
जिंक से क्रिया : इसमें फ्रेंकलेंड अभिकर्मक बनता है |
2C2H5-Br + 2Zn → (C2H5)2Zn + ZnBr2
use as formation of higher Alkane
मैग्नीशियम से क्रिया :
प्रश्न : आप एक कार्बधात्विक यौगिक का निर्माण कैसे करेंगे ?
या ग्रिन्यार अभिकर्मक का निर्माण दीजिये |
उत्तर : R-X + Mg → R-MgX (ग्रिन्यार अभिकर्मक)
उदाहरण :
CH3-I + Mg → CH3-MgI
लैड सोडियम मिश्र धातु से क्रिया : 4C2H5-Br + 4Na.Pb → (C2H5)4Pb + 3Pb
यह गाडी मोटरों के तेल में अपस्फोटन रोधी एक ऋणात्मक उत्प्रेरक की तरह काम में आता है |
(4) अपचयन अभिक्रिया
R-X + 2[H] → R-H + HX
C2H5Cl + 2[H] → C2H5-H + HCl
उपयोग :
CH3-Cl व C2H5-Cl का उपयोग मैथिल सेल्युलोज एथिल , एथिल सेल्युलोज बनाते है |
- CH3-Cl व C2H5-Cl का उपयोग प्रशीतक व निश्चेतक के रूप में करते है |
- CH3-Cl व C2H5-Cl का उपयोग खाद्य पदार्थ व दवाईयो में किया जाता है |[विलायक के रूप में ]
- CH3-Cl व C2H5-Cl का उपयोग CCl4 बनाने में किया जाता है |
- CH3-Cl व C2H5-Cl का उपयोग TEL बनाने में किया जाता है |
Recent Posts
सती रासो किसकी रचना है , sati raso ke rachnakar kaun hai in hindi , सती रासो के लेखक कौन है
सती रासो के लेखक कौन है सती रासो किसकी रचना है , sati raso ke…
मारवाड़ रा परगना री विगत किसकी रचना है , marwar ra pargana ri vigat ke lekhak kaun the
marwar ra pargana ri vigat ke lekhak kaun the मारवाड़ रा परगना री विगत किसकी…
राजस्थान के इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों की विवेचना कीजिए sources of rajasthan history in hindi
sources of rajasthan history in hindi राजस्थान के इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों की विवेचना कीजिए…
गुर्जरात्रा प्रदेश राजस्थान कौनसा है , किसे कहते है ? gurjaratra pradesh in rajasthan in hindi
gurjaratra pradesh in rajasthan in hindi गुर्जरात्रा प्रदेश राजस्थान कौनसा है , किसे कहते है…
Weston Standard Cell in hindi वेस्टन मानक सेल क्या है इससे सेल विभव (वि.वा.बल) का मापन
वेस्टन मानक सेल क्या है इससे सेल विभव (वि.वा.बल) का मापन Weston Standard Cell in…
polity notes pdf in hindi for upsc prelims and mains exam , SSC , RAS political science hindi medium handwritten
get all types and chapters polity notes pdf in hindi for upsc , SSC ,…