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नाभिकीय ऊर्जा की परिभाषा क्या होती है , महत्व , लाभ , नाभिकीय विखण्डन , श्रृंखला अभिक्रिया , पुनरुत्पादन गुणांक
nuclear energy in hindi , नाभिकीय ऊर्जा की परिभाषा क्या होती है , महत्व , लाभ , नाभिकीय विखण्डन , श्रृंखला अभिक्रिया , पुनरुत्पादन गुणांक :-
नाभिकीय ऊर्जा : जब कोई भारी नाभिक दो या दो से अधिक हल्के नाभिको में टूटते है अर्थात नाभिकीय विखण्डन होता है या दो या दो से अधिक हल्के नाभिक मिलकर भारी नाभिक का निर्माण करते है अर्थात नाभिकीय संलयन होता है , दोनों ही प्रक्रियाओं के दौरान प्रचुर मात्रा में ऊर्जा प्राप्त होती है जिसे नाभिकीय ऊर्जा कहते है।
नाभिकीय विखण्डन : जब कोई भारी नाभिक दो या दो से अधिक हल्के नाभिको में टूटते है तो इस प्रक्रिया को नाभिकीय विखंडन कहते है।
92U235 + 0n1 → [92U236 *] → 54Xe140 + 38Sr94 + 20n1
92U235 + 0n1 → [92U236 *] → 56Ba144 + 36Kr96 + 20n1
92U235 + 0n1 → [92U236 *] → 57La148 + 35Br85 + 20n1
प्रकृति में युरेनियम के दो समस्थानिक U-235 व U-238 पाए जाते है जिनकी प्रतिशत मात्रा क्रमशः 0.7% व 99.3% होती है तथा युरेनियम-235 का विखण्डन मंदगामी न्युट्रोन द्वारा होता है जिसकी ऊर्जा लगभग 1 इलेक्ट्रॉन वोल्ट होती है।
परन्तु U-238 का विखंडन तीव्रगामी न्युट्रोन द्वारा होता है जिसकी ऊर्जा लगभग 106 मेगा इलेक्ट्रॉन वोल्ट होती है।
एक ग्राम युरेनियम-235 के विखण्डन से 5 x 1023 Mev (मेगा इलेक्ट्रॉन वोल्ट) ऊर्जा प्राप्त होती है जो 20 टन TNT (ट्राई नाइट्रो टोलुइन) के विखंडन से प्राप्त ऊर्जा के तुल्य होती है।
नाभिकीय श्रृंखला अभिक्रिया : जब युरेनियम-235 का मंदगामी न्यूट्रोन द्वारा विखंडन होता है तो विखंडन के दौरान औसतन 2.5 न्यूट्रोन प्राप्त होते है। यह न्यूट्रोन नए नाभिको का विखंडन करते है जिसके कारण पीढ़ी दर पीढ़ी नाभिको के विखंडनो की संख्या से वृद्धि होती है जिसके कारण कुछ ही समय में अपार मात्रा में ऊर्जा उत्पन्न हो जाती है जिसके कारण विस्फोट हो जाता है , इस नाभिकीय विखण्डन की अभिक्रिया को नाभिकीय श्रृंखला अभिक्रिया कहते है।
नाभिकीय श्रृंखला अभिक्रिया पुन: उत्पादन गुणांक के आधार पर दो प्रकार की होती है।
- नियंत्रित श्रृंखला अभिक्रिया
- अनियंत्रित श्रृंखला अभिक्रिया
पुनरुत्पादन गुणांक (K) : किसी पीढ़ी में नाभिकीय विखण्डन से प्राप्त न्युट्रोनो की संख्या तथा इससे पिछली पीढ़ी में विखण्डन से प्राप्त न्यूट्रोनो की संख्या का अनुपात पुनरुत्पादन गुणांक कहलाता है।
अर्थात
K = किसी पीढ़ी में विखंडन से प्राप्त न्यूट्रोनो की संख्या / इससे पिछली पीढ़ी में विखंडन से प्राप्त न्यूट्रोनो की संख्या
पुनरुत्पादन गुणांक K का औसतन मान 2.5 होता है।
(i) यदि K > 1 हो अर्थात किसी पीढ़ी में विखण्डन से प्राप्त न्युट्रोनो की संख्या इससे पिछली पीढ़ी में विखण्डन से प्राप्त न्यूट्रोनो की संख्या से अधिक हो तो पीढ़ी दर पीढ़ी न्यूट्रोन उत्पादन की दर व ऊर्जा उत्पादन की दर बढती जाती है जिसके कारण कुछ ही समय में अपार मात्रा में ऊर्जा प्राप्त होती है जिसके कारण विस्फोट हो जाता है इसलिए इस श्रृंखला अभिक्रिया को अनियंत्रित श्रृंखला अभिक्रिया कहते है।
(ii) यदि K = 1 हो अर्थात किसी पीढ़ी में विखण्डन से प्राप्त न्युट्रोनो की संख्या इससे पिछली पीढ़ी में विखण्डन से प्राप्त न्यूट्रोनो की संख्या के समान हो तो पीढ़ी दर पीढ़ी न्युट्रोन उत्पादन की दर व ऊर्जा उत्पादन की दर नियत रहती है जिसके कारण नियत दर से ऊर्जा प्राप्त होती है , इस श्रृंखला अभिक्रिया को नियंत्रित श्रृंखला अभिक्रिया कहते है।
(iii) यदि K < 1 हो अर्थात किसी पीढ़ी में विखण्डन से प्राप्त न्यूट्रोनो की संख्या इससे पिछली पीढ़ी में विखण्डन से प्राप्त न्यूट्रोनो की संख्या से कम हो तो पीढ़ी दर पीढ़ी न्युट्रोन उत्पादन की दर व ऊर्जा उत्पादन की दर कम होती जाती है जिसके कारण कुछ समय पश्चात् ही श्रृंखला अभिक्रिया बंद हो जाती है।
नियंत्रित श्रृंखला अभिक्रिया का उपयोग नाभिकीय भट्टी में किया जाता है जबकि अनियन्त्रित श्रृंखला अभिक्रिया का उपयोग परमाणु बम में किया जाता है।
समृद्ध U-235 : प्रकृति में उपस्थित युरेनियम पदार्थ में U-235 व U-238 की प्रतिशत मात्रा क्रमशः 0.7% व 99.3% होती है। U-235 की प्रतिशत मात्रा बहुत कम होने के कारण इसके विखण्डन की प्रायिकता बहुत कम होती है। U-235 के विखंडन की प्रायिकता को बढाने के लिए यूरेनियम पदार्थ में कृत्रिम उपायों द्वारा U-235 की प्रतिशत मात्रा 3% तक बढ़ा दी जाती है तो प्राप्त इस युरेनियम पदार्थ को समृद्ध U-235 कहते है।
समृद्ध U-235 के विखण्डन में उत्पन्न कुछ समस्याएँ एवं उनका निराकरण
- न्युट्रोन का क्षरण: न्यूट्रोन का क्षरण विखण्डनीय पदार्थ के क्षेत्रफल पर आधारित होता है अर्थात न्यूट्रोन के क्षरण की दर विखंडनीय पदार्थ के क्षेत्रफल के समानुपाती होती है। न्युट्रोन का उत्पादन विखण्डनीय पदार्थ के आयतन पर आधारित होता है अर्थात न्युट्रोन उत्पादन की दर विखण्डनीय पदार्थ के आयतन के समानुपाती होती है। विखण्डनीय पदार्थ का वह आकार जिस पर न्युट्रोन क्षरण की दर व न्युट्रोन उत्पादन की दर एक दुसरे के बराबर हो तो विखंडनीय पदार्थ के इस आकार को क्रांतिक आकार कहते है।
न्यूट्रोन क्षरण की समस्या का निराकरण विखण्डनीय पदार्थ का क्रांतिक आकार है।
- न्युट्रोन की ऊर्जा समस्या: समृद्ध U-235 के विखण्डन से प्राप्त न्युट्रोन तीव्रगामी न्युट्रोन होते है जिसके कारण समृद्ध U-235 के नाभिक का विखंडन नहीं हो पाता इस तीव्रगामी न्युट्रोन को मंदगामी न्यूट्रोन में परिवर्तित करने के लिए मंदको का उपयोग किया जाता है , लिए गए मंदक इस प्रकार होने चाहिए कि –
- मंदको के परमाणु का आकार लगभग न्युट्रोन के आकार के समान होना चाहिए जिसके कारण न्यूट्रॉन की ऊर्जा में अधिक से अधिक हानि होती है।
- मंदक न्युट्रोनो के अवशोषक नहीं होने चाहिए।
- न्युट्रोन प्रग्रहण: यूरेनियम पदार्थ में उपस्थित U-238 उन न्युट्रोनो का उत्तम अवशोषक होता है जिनकी ऊर्जा 1 इलेक्ट्रॉन वोल्ट से 100 ev तक होती है।
जब U-235 के विखण्डन से प्राप्त न्युट्रोन की ऊर्जा तीव्रगामी से मंदगामी में परिवर्तित करता है तो इस परास में उनकी ऊर्जा प्राप्त होती है। इस समस्या के निराकरण के लिए समृद्ध यूरेनियम -235 की छड़ो को मंदक में इतनी प्रयाप्त दूरी पर रखा जाता है कि जब न्युट्रोन दूसरी छड से टकराएँ तो उसकी ऊर्जा 1 ev से भी कम हो जाए।
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