हिंदी माध्यम नोट्स
होयल तथा लिटिलटन का नोवा तारा सिद्धांत क्या है , Nova Hypothesis of Prof- Hoyle and Lyttleton in hindi
Nova Hypothesis of Prof- Hoyle and Lyttleton in hindi होयल तथा लिटिलटन का नोवा तारा सिद्धांत क्या है ?
प्रो. होयल तथा लिटिलटन का नोवा तारा सिद्धान्त
(The Nova Hypothesis of Prof- Hoyle and Lyttleton)
संकल्पना के आधार:- पृथ्वी व सौरमण्डल की उत्पत्ति को स्पष्ट करने विद्वानों द्वारा प्रमाणित नये तथ्यों से पुनः परिकल्पनाये सफल नहीं हो सकी। यह प्रमाणिम हो चुका है कि ग्रहों का निर्माण भारी पदार्थों आक्सीजन, लोहा, सिलिका, एल्यूमीनियम आदि से हुआ है। 1ः से कम भाग हल्के पदार्थो जैसे हीलियम, हाइड्रोजन आदि से बना है। इसके विपरीत ब्रह्माण्ड में ही हाइड्रोजन की प्रधानता है। तारों की रचना भी इन्हीं हाइड्रोजन आदि से बना है। इसके विपरीत ब्रह्माण्ड में ही हाइड्रोजन की प्रधानता है। तारों की रचना भी इन्हीं तत्वों से हुई है। ब्रह्माण्ड में कुछ तारे चमकने लगते है और कुछ दिन पश्चात् इनकी दीप्ति समाप्त हो जाती है। 1572 में टाइको ब्राहे (Tycho Brahe), 1918 में नोवा एक्विले तारे (Nava Aquilae) देखे गये थे। इस प्रकार के प्रज्वलित तारों को नोवा (Nova) कहा जाता है। नोवा में सहसा प्रज्वलन न्यूक्लियर प्रतिक्रिया (Nuclar Reaction) के कारण होता है। इससे बड़ी मात्रा में गैसीय पदार्थ दूर तक फेंक दिया जाता है। तारे के विस्तार से उसकी ज्वलन शक्ति बढ़ती जाती है। कुछ समय प्श्चात् गैस ठंडी होने लगती है। तारे का प्रकाश कम होने लगता है तथा वह विलीन हो जाता है। ऐसवे कई तारे भूतकाल में प्रदर्शित हो चुके है। आज भी कई तारों में यह प्रक्रिया सक्रिय है जिसे तारे का प्रकाश सूर्य की अपेक्षा लगभग एक गुना अधिध्क हो जाता है वह अभिन तारा (Super Nova) कहलाता है। लिटिलटन के अनुसार अभिनव तारे से प्रारंभ में हल्के पदार्थ तथा बाद में भारी पदार्थ बाहर फेंके जाते हैं।
संकल्पना: इन्हीं नये तथ्यों को ध्यान में रखते हुए केम्ब्रिज विश्वविद्यालय के गणितज्ञ फ्रेड होयल तथा लिटिलटन ने अपनी पुस्तक “Nature of the Universe” में पृथ्वी की उत्पत्ति की परिकल्पना प्रस्तुत की। उन्होंने तीन बातों पर विशेष बल दिया –
(1) सभी तारे हाइड्रोजन द्वारा निर्मित हैं।
(2) हाइड्रोजन गैस हीलियम गैस में परिवर्तित होकर तारों में शक्ति उत्पन्न करती है।
(3) ब्रह्माण्ड में अधिकांश तारे युग्म तारे (Binarystars) के रूप में अपने केन्द्र के चारों ओर मानी
होयल के मतानुसार ब्रह्माण्ड में प्रारंभ में दो युग्म तारे थे। एक तारा सूर्य था व दूसरात नोवा की अवस्था में था। इस तारे की सूर्य से उतनी ही दूरी थी जितनी आज सूर्य एवं शनि ग्रह के है। इस तारे में विस्फोट की क्रिया होती है जिससे इसकी परिक्रमा की दिशा बदल जाती है व ताश से दूर चला जाता है व युग्म तारे की स्थिति समाप्त हो जाती है। विस्फोट के समय लिटिलटन के अ अभिनव तारे (super nova) से बहुत-सा पदार्थ सभी दिशाओं में फेंका जाता है जिसका कुछ भाग द्वारा आकर्षित कर लिया जाता है। यह पदार्थ सूर्य के चारों ओर एक तश्तरी के रूप में घूमने लगा। दोन के अनुसार यह विस्फोट आण्विक प्रतिक्रिया द्वारा हुआ। लिटिलटन ने तारे द्वारा निष्कासित पदार्थ से ग्रहो उपग्रहों के निर्माण की प्रक्रिया पर प्रकाश डाला है। फेंका गया पदार्थ एक तश्तरी के आकार में सूर्य की परिक्रमा कर रहा था। कालान्तर में कुछ पदार्थ घनीभूत होकर ठोस रूप ग्रहण कर लेते हैं जो आसपास के पदाणे को आकर्षित करने लगते हैं। धीरे-धीरे इन ठोस पदार्थों का आकार बढ़ता जाता है व साथ ही परिभ्रमण वेग भी बढ़ जाता है। अत्यधिक वेग के कारण यह विखण्डित हो जाते हैं। आकर्षण के कारण उनके बीच ग्रहाणुओं की श्रृंखला रह जाती है जो पुनरू संगठित होकर छोटे-छोटे पिण्डों का निर्माण करते हैं। ये छोटे पिंदु निकट स्थित बड़े पिण्ड (ग्रह) की परिक्रमा लगाने लगते हैं। इस प्रकार ग्रहों और उपग्रहों की उत्पत्ति हुई। लिटिलटन ने बृहस्पति तथा शनि की दो विभाजित भागों की कल्पना की है। बुध, शुक्र, मंगल तथा पृथ्वी छोटे भाग हैं जिनका निर्माण बड़े ग्रहों के विभाजन की अवधि में हुआ। होयल के अनुसार सुपर नोवा का शेष भाग प्रतिक्षिप्त होकर दूर चला जाता है।
पक्ष में प्रमाण:
(1) संकल्पना का आधार सुपर नोवा है जो वर्तमान में ब्रह्माण्ड में देखे जा सकते हैं।
(2) नवतारे (छवअं) से निकला पदार्थ हल्का व भारी दोनों तरह का था अतः ग्रहों के पदार्थों का अन्तर स्पष्ट हो जाता है।
(3) ग्रहों व सूर्य के कोणीय संवेग के अन्तर को यह संकल्पना स्पष्ट कर देती है।
(4) ग्रहों में जिन तत्वों की अधिकता है उसे इस संकल्पना से भलीभांति स्पष्ट किया जा सकता है।
आपत्तियाँ:
(1) सुपर नोवा के भाग का विलीन हो जाना तर्कसंगत नहीं लगता।
(2) ग्रहों व उपग्रहों में गति की उत्पत्ति को सही ढंग से नहीं समझाया जा सकता है। आकार बढ़ने से गति कैसे बढ़ गयी स्पष्ट नहीं है।
(3) कुछ ग्रहों में उपग्रहों की संख्या अधिक क्यों है, स्पष्ट नहीं हो पाता।
(4) यह परिकल्पना वैज्ञानिक दृष्टि से प्रमाणित नहीं हो पाती है अतः अपूर्ण है।
Recent Posts
सती रासो किसकी रचना है , sati raso ke rachnakar kaun hai in hindi , सती रासो के लेखक कौन है
सती रासो के लेखक कौन है सती रासो किसकी रचना है , sati raso ke…
मारवाड़ रा परगना री विगत किसकी रचना है , marwar ra pargana ri vigat ke lekhak kaun the
marwar ra pargana ri vigat ke lekhak kaun the मारवाड़ रा परगना री विगत किसकी…
राजस्थान के इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों की विवेचना कीजिए sources of rajasthan history in hindi
sources of rajasthan history in hindi राजस्थान के इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों की विवेचना कीजिए…
गुर्जरात्रा प्रदेश राजस्थान कौनसा है , किसे कहते है ? gurjaratra pradesh in rajasthan in hindi
gurjaratra pradesh in rajasthan in hindi गुर्जरात्रा प्रदेश राजस्थान कौनसा है , किसे कहते है…
Weston Standard Cell in hindi वेस्टन मानक सेल क्या है इससे सेल विभव (वि.वा.बल) का मापन
वेस्टन मानक सेल क्या है इससे सेल विभव (वि.वा.बल) का मापन Weston Standard Cell in…
polity notes pdf in hindi for upsc prelims and mains exam , SSC , RAS political science hindi medium handwritten
get all types and chapters polity notes pdf in hindi for upsc , SSC ,…