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अनादर्श विलयन क्या है , धनात्मक विचलन और ऋणात्मक विचलन उदाहरण (non ideal solution in hindi in chemistry)

(non ideal solution in hindi in chemistry) अनादर्श विलयन क्या है , धनात्मक विचलन और ऋणात्मक विचलन उदाहरण : इससे पहले की हम यह पढ़े कि अनादर्श विलयन किसे कहते है , हमें यह पता होना चाहिए कि राउल्ट का नियम क्या होता है ? , जब हम इस नियम को अच्छी तरह से समझ जायेंगे हमें यह पता चल जायेगा कि अनादर्श विलयन क्या होता है और इसे किस तरह परिभाषित कर सकते है।
राउल्ट का नियम : फ्रांस के महान रसायन वैज्ञानिक ‘फ्रेंकोइस मार्टे राउल्ट’ ने 1986 में किसी द्रव विलयन के लिए इसके अवयवों के लिए वाष्प दाब और उनके मोल अंश के मध्य एक सम्बन्ध स्थापित किया जिसे राउल्ट का नियम कहते है।
विलयन का कुल वाष्पदाब इसके अवयवो द्वारा अलग अलग वाष्पदाब के योग के बराबर होता है।
माना कोई विलयन दो अवयवो से मिलकर बना है हम इन दोनों अवयवो को A तथा B नाम देते है , इनके लिए राउल्ट नियम के अनुसार कुल वाष्प दाब का मान निम्न सूत्र द्वारा व्यक्त किया जाता है –
P = PA0 XA + PB0 XB
यहाँ P = विलयन का कुल वाष्प दाब
XA = अवयव A के मोल अंश या मोल भिन्न
XB = अवयव B के मोल भिन्न
PA0 = शुद्ध अवस्था में A अवयव का वाष्प दाब
XB = शुद्ध अवस्था में B अवयव का वाष्प दाब

अनादर्श विलयन

वह विलयन जो किसी ताप या सांद्रता पर राउल्ट के नियम की पालना नहीं करता है उसे अनादर्श विलयन कहते है।
जब कोई विलयन दो अवयवो से मिलकर बना होता है तो दोनों अवयवों का आयतन का योग यदि विलयन के आयतन से भिन्न होता है तो ऐसे विलयन को अनादर्श विलयन कहते है , अर्थात जब अवयव A का आयतन और B का आयतन का योग किया जाता है और फिर विलयन का कुल आयतन मापा जाता है इनमें अंतर पाया जाता है इसलिए यह अनादर्श विलयन कहलाता है।
जब कोई विलयन बनाने के लिए अवयवो को मिलाया जाता है तो इनके मिलाने से ऊष्मा नियत नहीं रहती है , इस क्रिया में या तो ऊष्मा का अवशोषण होगा या ऊष्मा का उत्सर्जन होगा अर्थात अनादर्श विलयन बनने में एन्थैल्पी परिवर्तन शून्य नहीं रहता है।
विलयन के कणों के मध्य पाया जाने वाला बल , अवयवो के कणों के मध्य पाए जाने वाले बल से भिन्न होता है अर्थात A-A कणों के मध्य तथा B-B के मध्य पाया जाने वाला बल का मान A-B के मध्य पाए जाने वाले बल से अलग होता है , इसलिए इसे अनादर्श विलयन कहते है।

अनादर्श विलयन के प्रकार

यह दो प्रकार का होता है –
1. धनात्मक विचलन प्रदर्शित करने वाले विलयन
2. ऋणात्मक विचलन प्रदर्शित करने वाले अनादर्श विलयन
1. धनात्मक विचलन प्रदर्शित करने वाले विलयन (Positive Deviation from Raoult’s Law)
जब किसी विलयन के लिए वाष्प दाब का मान राउल्ट के नियम द्वारा निर्धारित किये गये वाष्प दाब से भी अधिक होता है तो ऐसे विलयन को धनात्मक विचलन प्रदर्शित करने वाला अनादर्श विलयन कहते है।
ऐसे विलयन में विलयन के कणों के मध्य पाया जाने वाला बल , अवयव के कणों के मध्य पाए जाने वाले बल से भी अधिक होता है अर्थात A-A तथा B-B के मध्य पाया जाने वाला आकर्षण बल का मान A-B के मध्य पाए जाने वाले आकर्षण बल से कम होता है अर्थात A-B कणों के मध्य आकर्षण बल अधिक प्रबल होता है।
इसमें अवयव A तथा B के कुल आयतन का मान विलयन के कुल आयतन से कम होता है। अर्थात विलयन का आयतन अवयवो के कुल आयतन से भी अधिक होता है।
इस प्रकार के विलयन में जब अवयवो को आपस में मिलाया जाता है तो इस क्रिया में ऊष्मा का अवशोषण होता है अर्थात इस प्रकार के विलयन में एन्थैल्पी परिवर्तन धनात्मक होता है।
उदाहरण : एथेनॉल तथा एसीटोन का विलयन।
2. ऋणात्मक विचलन प्रदर्शित करने वाले अनादर्श विलयन (Negative Deviation from Raoult’s Law)
वह विलयन जिसके लिए वाष्प दाब का मान , राउल्ट द्वारा निर्धारित वाष्प दाब से कम होता है तो ऐसे विलयन को ऋणात्मक विचलन प्रदर्शित करने वाले अनादर्श विलयन कहते है।
ऐसे विलयन में विलयन के कणों के मध्य पाया जाने वाला आकर्षण बल का मान अवयवी कणों के मध्य पाए जाने वाले आकर्षण बल से कम होता है , अर्थात A-B के मध्य आकर्षण बल , A-A तथा B-B के मध्य आकर्षण बल से कम होता है।
इसमें विलयन का कुल आयतन , अवयवो के अलग अलग आयतन के योग से कम होता है।
विलयन बनाने के लिए जब अवयवों को आपस में मिलाया जाता है तो इस क्रिया में ऊर्जा का उत्सर्जन होता है अर्थात इस प्रकार के विलयन बनाने में एन्थैल्पी परिवर्तन ऋणात्मक होता है।
उदाहरण : एसीटोन तथा एनिलिन का विलयन।
जल व HCl का विलयन।
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