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एनएमआर स्पेक्ट्रोस्कोपी की परिभाषा क्या है , nmr spectroscopy in hindi

एनएमआर स्पेक्ट्रोस्कोपी की परिभाषा क्या है NMR spectroscopy in hindi  :

क्षेत्र (region) : रेडियो तरंग (radio waves)

जिस प्रकार परमाणु में नाभिक के चारों ओर electron गति करते है उसी प्रकार कई नाभिक भी चक्रण करते है जिनके चक्रण कोणीय संवेग का मान (h/2π) √I(I+1) के बराबर होता है। यहाँ I = नाभिक चक्रण क्वांटम संख्या।

नाभिक के लिए I के कई प्रकार के मान होते है।  जो नाभिक में उपस्थित न्यूक्लिऑन (प्रोटोन + न्यूट्रोन) की संख्या पर निर्भर करते है।

नाभिक में उपस्थित प्रत्येक proton व न्यूट्रॉन चक्रण करता है एवं I इन समस्त चक्रणों का परिणामी मान होता है।

NMR सक्रीय होने के लिए आवश्यक शर्त :

वे नाभिक जिनके लिए नाभिकीय चक्रण क्वांटम संख्या का मान शून्य से अधिक (I > 0 ) होता है।  NMR स्पेक्ट्रा देते है अर्थात NMR सक्रीय होते है।

NMR spectro scopy सिद्धांत

वे नाभिक जिनके लिए I > 0 होता है , उनमें नाभिकीय चक्रण से उत्पन्न कुछ चुम्बकीय आघूर्ण होता है।

चुम्बकीय आघूर्ण युक्त नाभिक एक छोटे चुम्बक की भांति व्यवहार करता है एवं अपने अक्ष पर चक्रण करता है।

जब नाभिक को बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र में रखा जाता है तो वह रेडियो आवृति क्षेत्र में निश्चित आवृति पर अन्योन्य क्रिया करता है , फलस्वरूप नाभिक के बाह्य चुंबकीय क्षेत्र के सापेक्ष दो प्रकार के अभिविन्यास हो जाते है।

1. बाह्य चुंबकीय क्षेत्र के साथ संरेखण

2. बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र के विरुद्ध चुम्बकीय क्षेत्र

बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र की उपस्थिति में proton रेडियों तरंग क्षेत्र की विकिरणों से ऊर्जा अवशोषित कर निम्न वाली स्थाई अवस्था से उच्च ऊर्जा वाली अस्थाई अवस्था में संक्रमण कर जाता है एवं कुछ उर्जा मुक्त कर उच्च ऊर्जा स्तर से पुन: निम्न ऊर्जा स्तर में आ जाता है।

एक ऊर्जा स्तर से दूसरे ऊर्जा स्तर में प्रोटोन के स्थानान्तरण को फ्लिपिंग (flipping) कहते है।

ऊर्जा अवस्थाओं के मध्य संक्रमण हेतु आवश्यक ऊर्जा E = hv होती है जो रेडियो तरंग क्षेत्र की विद्युत चुंबकीय विकिरणों द्वारा प्राप्त होती है।

एनएमआर स्पेक्ट्रोस्कोपी से सम्बंधित points

1. किसी यौगिक के अणु में जितने प्रकार के proton होते है , NMR स्पेक्ट्रम में उतने ही प्रकार के सिग्नल प्राप्त होते है।
2. एनएमआर स्पेक्ट्रम में प्राप्त सिग्नल की स्थिति प्रोटोन के इलेक्ट्रॉनिक वातावरण पर निर्भर करता है।
3. किसी NMR signal का 1 से अधिक शिखरों में विपाटन निकटवर्ती proton की संख्या को दर्शाता है।
4. यदि निकटवर्ती परमाणु का समतुल्य प्रोटोन उपस्थित हो तो दोनों के प्रभाव से एनएमआर सिग्नल i(n+1) शिखरों में विपाटित हो जाता है।
यदि निकटवर्ती परमाणुओं पर अतुल्य proton उपस्थित हो तो NMR signal का विपाटन (n+1)(m+1) शिखरों में हो जाता है।
यहाँ n व m निकटवर्ती परमाणुओं पर उपस्थित भिन्न भिन्न proton की संख्या है।
Sbistudy

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