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नेटिव मैरिज एक्ट किसने पारित किया , नेटिव मैरिज एक्ट कब लाया गया native marriage act hindi

native marriage act hindi नेटिव मैरिज एक्ट किसने पारित किया , नेटिव मैरिज एक्ट कब लाया गया ?

प्रश्न: बाल विवाह निषेध कानून
उत्तर: मालाबारी एवं शारदा के प्रयासों से बालविवाह निषेध कानून बनाए गए। जैसे – नेटिव मैरिज एक्ट (Native Marriage Act) (1872) 12 वर्ष की कन्या के विवाह पर रोक। बाद में तिलक ने इसका विरोध किया। बड़ौदा सरकार द्वारा The Infant Marriage Prevation Act (1931) लागू किया गया।

प्रश्न: पुनर्जागरण का स्थापत्य एवं मूर्तिकला के क्षेत्र में योगदान की चर्चा कीजिए।
उत्तर: मध्यकाल की कला पर धर्म का प्रभाव था। कला का उद्देश्य धर्म का प्रचार-प्रसार करना था। मध्ययुग की कला काल्पनिक थी। (यहाँ तक कि रंगों के मिश्रण पर भी चर्च का अधिकार था)। रैनेसा काल की कला प्राकृतिक सौन्दर्य पर आधारित थी। रैनेसा कला मध्यकालीन नियमों व परम्पराओं के बंधन के विरूद्ध विद्रोह था।
पुनर्जागरण कालीन स्थापत्य कला: मध्ययुग की स्थापत्य कला को गोथिक (Gothic) शैली कहा जाता है। जिस पर धर्म का प्रभाव था। रैनेसाकालीन कला को ‘ग्रीको-रोमन शैली‘ कहा जाता है। इस नई शैली की विशेषताएं थी- यूनानी, अरबी व रोमन शैलियों का समन्वय तथा गोल मेहराबों का प्रयोग।
ग्रीको रोमन शैली की विशेषताएं निम्नलिखित हैं-
(1) इस शैली में सज्जा, शृंगार व डिजाइन पर अधिक बल दिया गया।
(2) पत्थर के अतिरिक्त लकड़ी का अत्यधिक प्रयोग हुआ।
(3) क्लासिकल पद्धति पर आधारित खिड़की, दरवाजे, पैनेज आदि का निर्माण किया गया।
(4) नुकीले मेहराब के स्थान पर गोल मेहराबों का निर्माण हुआ।
(5) इस शैली में मेहराब, गुबंद व स्तम्भों के निर्माण पर अधिक बल दिया गया।
इटली के धनी परिवारों ने नवीन शैली को संरक्षण दिया। ऐसे लोगों में फ्लोरेन्स के शासक लोरेन्जो दे मेदिचजी का ना विशेष प्रसिद्ध है। उसने एक विशाल तथा सुन्दर उद्यान बनवाया तथा उच्च कोटि की मूर्तियों का संग्रह किया। फिलियो बनेलस्की रैनेसा स्थापत्य कला का प्रथम प्रवर्तक था। इसने फ्लोरेंस में सेन्टामारिया कैथेडल (चर्ची का गजट तथा पैथ पैलेस का डिजाइन तैयार किया। रोम में सेन्ट पीटर चर्च रैनेसाकालीन स्थापत्य कला का बेहतरीन उदाहरण है। इस चर्च के निर्माण के प्रमुख वस्तुकार ब्रामान्ते, माइकल एंजलो, राफेल, पेलेडियो आदि थे।
सेंट पीटर पहला पोप माना जाता है इसी ने रोम में प्रथम चर्च का निर्माण किया। प्रथम संत के नाम पर (प्रथम पोप को समर्पित) पर सेन्ट पीटर्स चर्च बनाया गया। पोप जूलियस द्वितीय ने निर्णय लिया कि पुराना सेन्ट पीटर्स चर्च ध्वस्त कर नया भव्य एवं विशाल चर्च बनाया जाए। फिर वर्तमान सेन्ट पीटर्स चर्च अस्तित्व में आया। 18 अप्रैल, 1506 को नये सेन्ट पीटर्स चर्च की नींव रखी गयी। माइकेल एंजलो नाराज होकर रोम छोड़कर चला गया। तत्पश्चात् यह काम ब्रामान्ते को सौंपा गया। नामान्ते ने पुराने चर्च को तोड़ने के लिए 2500 मजदूर लगाये अतः उसका नाम रूईनान्ते पड़ गया। नामान्ते की मृत्यु के बाद एंजलो को तथा उसकी मृत्यु के बार राफेल व पेलिडियो को यह कार्य सौंपा गया। फ्रांस के सम्राट फ्रांसिस प्रथम व स्पेन के शासक फिलिप द्वितीय ने भी रैनेसा कला को संरक्षण दिया। हाइडलबर्ग का किला, पेरिस का लूब्रे प्रासाद, लन्दन का सेंट पॉल चर्च, स्पेन का इस्कोरियल प्रासाद और इंग्लैण्ड में व्हाइट हॉल भवन (इमारतें) रैनेसा शैली से प्रभावित हैं। डच वास्तुकार शलूटर का नाम विशेष उल्लेखनीय है। उसके द्वारा निर्मित ‘वेल ऑफ मासेज‘ तथा बग्रॅण्डी के शासकों की समाधियों पर उत्कीर्ण, मूर्तियाँ, कला की दृष्टि से अनुपम मानी जाती हैं। इंग्लैण्ड में 1669 ई. में इनिगोजाइन्स ने ‘ह्वाइट हॉल‘ में जिस दावत-घर का निर्माण करवाया, वह आश्चर्यजनक कृति मानी जाती है। इसी प्रकार लंदन में क्रिस्टोफर की देखरेख में निर्मित ‘संत पाल का गिरजा‘ भी एक भव्य कृति है।
वास्तुविद: वास्तुशिल्प के क्षेत्र में पुनर्जागरण ने ‘वास्तुविद‘ (आर्किटेक्ट) के रूप में एक नये कलावन्त को जन्म दिया। उसका काम था – भवनों का डिजाइन तैयार करना। वास्तविक निर्माण कार्य अन्य कारीगर लोग करते थे।
पुनर्जागरण कालीन मूर्तिकला: मूर्तिकला की दृष्टि से एक नई शैली का विकास हुआ जिसे बरोक (Barouque) शैली कहा जाता है। इसके अंतर्गत जीसस व अन्य संतों की मूर्तियाँ व चित्र स्थापित किये गये। इस काल में लोरेंजो गिर्ती, दोनोतेल्लो और माइकल एंजेलो जैसे महान् मूर्तिकार हुए।
दोनोतल्लो रैनेसा काल की मूर्तिकला का प्रथम प्रवर्तक था। उसकी प्रमुख कृतियों में ‘सेन्ट मार्क‘ (St. Mark) व ‘इरेज्मो डा नारनी‘ (Erajmo Da Narni) हैं। सेन्ट मार्क की यह आदमकद मूर्ति वेनिस के एक चर्च के लिए बनाई गई। नारनी कांसे में ढली घोडे पर सवार एक योद्धा की मूर्ति है। इसे गेटामेलाता (Gettamelata) भी कहा जाता है। इस मूर्ति को रोमन साम्राज्य के पतन के पश्चात् कांसे में ढली मूर्ति माना जाता है।
लोरेन्जो गिबर्टी (Lorengo Ghiberti) एक महान मूर्तिकार था। इसने फ्लोरेन्स के चर्च के प्रमुख प्रवेश द्वार पर नक्काशी कर ओल्ड टेस्टामेण्ट में वर्णित दृश्यों का अंकन किया। इसने फ्लोरेंस के गिरजाघर के लिए कांसे के दरवाजे बनाये। जिनकी प्रशंसा करते हुए एंजेलो ने कहा कि ‘‘ये स्वर्ग में रखे जाने योग्य है।‘‘
माइकल ऐंजलो ने लगभग 400 मूर्तियां बनाई। प्रमुख कृतियों में बाउण्ड स्लेव मोजेज, डेविड तथा पीएता (Pieta) हैं। बाउण्ड स्लेव मोजेज में एक दास को बेड़ियों में जकड़े दिखाया गया है। डेविड बाईबिल की कथा में गोलियाथ (Goliath) के युद्ध का नायक है। पिएता में माँ मेरी को अपने मृत पुत्र जीसस को अपनी गोद में लिए दिखाया गया है। जिसका निर्माण रोम में किया गया था और उसे सेंट पीटर के गिरजाघर के मुख्य द्वार पर रखा गया। अन्य प्रसिद्ध मूर्ति यहूदियों के पैगम्बर मूसा की है।

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