JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now

हिंदी माध्यम नोट्स

संविधान के अनुसार भारत की राष्ट्रीय भाषा कौनसी है | national language of india according to indian constitution in hindi

national language of india according to indian constitution in hindi संविधान के अनुसार भारत की राष्ट्रीय भाषा कौनसी है |
भारत की आधिकारिक भाषाएं
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 343 (1) के अनुसार ‘‘संघ की राजभाषा देवनागरी लिपि के साथ हिन्दी होगी।’’ जब तक संसद अन्यथा तय न करे, सरकारी प्रयोजनों के लिए अंग्रेजी का उपयोग संविधान प्रभावी होने के 15 वर्षों के बाद अर्थात् 26 जनवरी, 1965 तक जारी रहेगा। इसका अर्थ है कि भारतीय संविधान के लागू/प्रारंभ होने के 15 वर्ष पश्चात् हिंदी राजभाषा के रूप में अंग्रजी का स्थान ले लेगी। हालांकि, संसद यह निर्धारित कर सकती है कि राजभाषा के रूप में अंग्रेजी का प्रयोग किया जाए या नहीं।
इस संविधनिक प्रावधन के जारी होने की वजह से गैर-हिंदी भाषी समुदायों द्वारा देश भर में राज-भाषा को परिवर्तित कर अंग्रेजी से हिन्दी करने के विरुद्ध विरोध प्रदर्शन किए गए।
इस विरोध के परिणामस्वरूप राजभाषा अधिनियम 1963 प्रभाव में आया। यह अधिनियम देवनागरी लिपि में हिन्दी को संघ की राजभाषा के रूप में निर्धारित करता है। अंग्रेजी को संघ की ‘सहायक राजभाषा’ की प्रस्थिति प्रदान की गयी है।
भारतीय के संविधान ने प्रत्येक भारतीय राज्य के लिए राज्य स्तर पर संचार-व्यवस्था हेतु अपनी राजभाषा चयन करने का प्रावधान निर्मित किया। संविधान की आठवीं अनुसूची में कई भाषाएँ सूचीबद्ध हैं, जिन्हें राज्यों द्वारा आधिकारिक प्रयोजन हेतु प्रयोग किया जा सकता है। प्रारंभ में आठवीं अनूसुची के अंतर्गत 14 भाषाएं चयनित की गई ये भाषाएँ थींः
ऽ असमिया ऽ बांग्ला ऽ गुजराती
ऽ हिंदी ऽ कन्नड़ ऽ कश्मीरी
ऽ मलयालम ऽ मराठी ऽ ओड़िया
ऽ पंजाबी ऽ संस्कृत ऽ तमिल
ऽ तेलुगू ऽ उर्दू

बाद में 1967 के 21वें संविधान संशोधन अधिनियम द्वारा पंद्रहवीं भाषा के रूप में सिन्धी को सम्मिलित किया गया। 71वें संशोधन अधिनियम, 1992 द्वारा तीन और भाषाओं को सम्मिलित किया गया। ये भाषाएँ कोंकणी, मणिपुरी तथा नेपालि थीं। 92वें संशोधन अधिनियम, 2003 ने चार और भाषाओं को आठवीं अनुसूची में सम्मिलित किया। ये भाषाएँ बोडो, मैथिली, डोगरी और संथाली हैं। भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची के अंतर्गत वर्तमान में कुल 22 भाषाएँ सूचीबद्ध हैं।

टिप्पणीः
ऽ भारत की कोई राष्ट्रीय भाषा नहीं है। हिन्दी राष्ट्रीय भाषा नहीं है। संविधान या कोई अधिनियम ‘राष्ट्रीय भाषा’ शब्द की व्याख्या नहीं करता।
ऽ संविधान राज्यों के लिए आधिकारिक कार्यों के संचालन हेतु राजभाषा निर्दिष्ट नहीं करता। राज्य इसे स्वयं निर्धारित कर अपनाने हेतु स्वतंत्रा है।
ऽ यह अनिवार्य नहीं है कि वह भाषा आठवीं अनुसूची में सूचीबद्ध हो, अनेक राज्यों ने ऐसी भाषा को राजभाषा के रूप में अपनाया है जो सूचीबद्ध नहीं है।
उदाहरणः
❖ त्रिपुरा . कोक्बोरोक (चीनी-तिब्बतन परिवार से संबधित)
❖ पुडुचेरी – प्रफांसीसी
❖ मिजोरम – मिजो
ऽ नागालैंड और मेघालय की राजभाषा अंग्रेजी है।
ऽ आठवी ं अनसुचूी केे अनसुार 22 अनसुूिचत भाषाआंे की सचूी मंे अग्रंजी नही है।

शास्त्रीय भाषा का दर्जा
भारत सरकार ने वर्ष 2004 में घोषित किया कि जो भाषाएं कुछ निश्चित आवश्यकताओं को पूरा करेंगी उन्हें ‘‘भारत की शास्त्राीय भाषा’’ की प्रस्थिति प्रदान की जाएगी।

मापदंड
भाषाओं को ‘‘शास्त्राीय भाषाओं’’ में वर्गीकृत करने हेतु उनकी पात्राता का निर्धारण करने के लिए निम्नलिखित मापदण्ड निर्धारित किए गएः
1. इनके प्रारंभिक ग्रंथों तथा अभिलिखित इतिहास की प्राचीनता 1500-2000 वर्षों से भी अधिक की अवधि की होनी चाहिए।
2. प्राचीन साहित्य/ग्रन्थों का एक समूह जो वक्ताओं की पीढ़ियों द्वारा अमूल्य विरासत माना जाता है
3. साहित्यिक परंपरा मूलभूत हो और किसी अन्य भाषिक से उधार ली हुई न हो
4. शास्त्राीय भाषा और इसके परवर्ती रूपों तथा उसकी उप-शाखाओं में अनिरंतरता हो सकती है जिसका कारण
5. शास्त्राीय भाषा और उसके साहित्य का आधुनिक के अपेक्षा भिन्न रूप का होना हैं।
अभी तक निम्नलिखित भाषाओं को शास्त्राीय भाषा घोषित या निर्धारित किया गया हैः
ऽ वर्ष 2004 में तमिल
ऽ वर्ष 2005 में संस्कृत
ऽ वर्ष 2008 में तेलुगू
ऽ वर्ष 2008 में कन्नड़
ऽ वर्ष 2013 में मलयालम
ऽ वर्ष 2014 में ओड़िया
पालि को शास्त्राीय भाषा के रूप में सम्मिलित न करने के लिए सरकार की आलोचना होती रही है क्योंकि विशेषज्ञ तर्क देते हैं कि यह उल्लिखित सभी मापदण्डों को पूरा करती है।

लाभ
भारत सरकार द्वारा स्वीकृत प्रस्ताव यह बताता है कि ‘‘शास्त्राीय भाषा’’ के रूप में निर्धारित भाषा को निम्नलिखित लाभ प्राप्त होंगेः
ऽ शास्त्राीय भाषाओं के प्रतिष्ठित विद्वानों के लिए दो प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार वार्षिक रूप से प्रदान किए जाएंगे।
ऽ ‘शास्त्राीय भाषाओं में अध्ययनों के लिए उत्कृष्टता केंद्र’ की स्थापना की जाएगी।
ऽ विश्वविद्यालय अनुदान आयोग से निवेदन किया जाएगा कि कम-से-कम केन्द्रीय विश्वविद्यालयों में शास्त्रीय भाषा का व्यावसायिक अध्यापन कराने हेतु शास्त्राीय भाषा के प्रतिष्ठित विद्वानों के लिए निश्चित पदों का सृजन किया जाना चाहिए।

राष्ट्रीय अनुवाद मिशन (National Translation Mission)
राष्ट्रीय अनुवाद मिशन (एन.टी.एम.) भारतीय भाषाओं में बौ(िक ग्रंथों को छात्रों और शिक्षाविदों के लिए सुलभ बनाकर उच्च शिक्षा को सुसाध्य करने हेतु भारत सरकार की योजना है। एन.टी.एम. का लक्ष्य अनुवाद के माध्यम से संविधान की आठवीं अनुसूची में सूचीबद्ध सभी भारतीय भाषाओं में ज्ञान का प्रसार करना है।
अनुवादकों के अभिमुखीकरण, प्रकाशकों को अनुवादों के प्रकाशन हेतु प्रोत्साहित करने, किसी विशिष्ट भारतीय भाषा से, किसी विशिष्ट भारतीय भाषा में और अन्य भारतीय भाषाओं में परस्पर अनुवादों के डाटाबेसों का प्रबंध करने और भारत में अनुवाद को उद्योग के रूप में स्थापित करने के लिए सूचना का समाशोधन गृह बनाने के प्रयासों का एक मिशन निर्मित किया गया है। अपेक्षा है कि, यह अनुवाद के माध्यम से नई पारिभाषिक शब्दावलियाँ और संवाद शैलियाँ विकसित कर भाषाओं के आधुनिकीकरण को सुसाध्य करेगा।
ग्रन्थों का अनुवाद, अनुवाद को उद्योग के रूप में स्थापित करने की ओर यह पहला कदम है। ज्ञान का प्रसार करने का प्रयोजन रखने वाली सम्पूर्ण पठन सामग्री एन.टी.एम. के लिए ज्ञान ग्रंथों के कोष का निर्माण करती है। वर्तमान में, एन.टी.एम. उच्च शिक्षा से संबंधित सम्पूर्ण शिक्षण सामग्री का 22 भारतीय भाषाओं में अनुवाद करने में संलग्न है।
एन.टी.एम. का लक्ष्य अधिकतर अंग्रेजी में ही उपलब्ध उच्च शिक्षा के ग्रंथों का भारतीय भाषाओं में अनुवाद कर ज्ञान का विशाल निकाय स्थापित करना है। अपेक्षा है कि यह प्रक्रिया अंततः एक समावेशी ज्ञान समाज के गठन का मार्ग प्रशस्त करेगी।

मिशन के उद्देश्य
ऽ विभिन्न क्षेत्रों में अनुवादकों का प्रमाणीकरण एवं प्रशिक्षण।
ऽ डाटाबेसों का उत्पादन और रख-रखाव।
ऽ अनुवादकों के शिक्षा कार्यक्रमों के अंतर्गत लघु-अवधि अभिमुखीकरण पाठ्यक्रमों को संचालित करना।
ऽ अंग्रेजी और भारतीय भाषाओं के बीच मशीनीकृत अनुवाद को प्रोत्साहन।
ऽ अनुवाद उपकरणों, जैसे. शब्दकोशों और पर्याय शब्दकोश का विकास।
ऽ प्राकृतिक भाषाओं के संसाधन और अनुवाद संबंधी शोध परियोजनाओं के लिए अध्येतावृत्तियों ;थ्मससवूेीपचेद्ध और अनुदानों ;ळतंदजेद्ध का प्रस्ताव करना।
ऽ अनुवादों हेतु पुस्तकों का मंचन, क्षेत्रीय अनुवाद महोत्सव, चर्चाएँ, पुस्तक प्रदर्शनियाँ इत्यादि आयोजित कर अनुवादकों को प्रोत्साहन प्रदान करना।

Sbistudy

Recent Posts

सती रासो किसकी रचना है , sati raso ke rachnakar kaun hai in hindi , सती रासो के लेखक कौन है

सती रासो के लेखक कौन है सती रासो किसकी रचना है , sati raso ke…

15 hours ago

मारवाड़ रा परगना री विगत किसकी रचना है , marwar ra pargana ri vigat ke lekhak kaun the

marwar ra pargana ri vigat ke lekhak kaun the मारवाड़ रा परगना री विगत किसकी…

15 hours ago

राजस्थान के इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों की विवेचना कीजिए sources of rajasthan history in hindi

sources of rajasthan history in hindi राजस्थान के इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों की विवेचना कीजिए…

2 days ago

गुर्जरात्रा प्रदेश राजस्थान कौनसा है , किसे कहते है ? gurjaratra pradesh in rajasthan in hindi

gurjaratra pradesh in rajasthan in hindi गुर्जरात्रा प्रदेश राजस्थान कौनसा है , किसे कहते है…

2 days ago

Weston Standard Cell in hindi वेस्टन मानक सेल क्या है इससे सेल विभव (वि.वा.बल) का मापन

वेस्टन मानक सेल क्या है इससे सेल विभव (वि.वा.बल) का मापन Weston Standard Cell in…

3 months ago

polity notes pdf in hindi for upsc prelims and mains exam , SSC , RAS political science hindi medium handwritten

get all types and chapters polity notes pdf in hindi for upsc , SSC ,…

3 months ago
All Rights ReservedView Non-AMP Version
X

Headline

You can control the ways in which we improve and personalize your experience. Please choose whether you wish to allow the following:

Privacy Settings
JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now