हिंदी माध्यम नोट्स
नंदलाल बोस किस कला महाविद्यालय से संबंधित थे nandalal bose famous paintings in hindi
nandalal bose famous paintings in hindi नंदलाल बोस किस कला महाविद्यालय से संबंधित थे ?
प्रश्न: मॉर्डन स्कूल ऑफ आर्ट
उत्तर: नए निकाय वाले कलाकारों में कई तो अत्यंत विख्यात थे, जैसे नन्दलाल बस, सुरेन्द्रनाथ गांगुली, शारदा चरण उकील, हाकिम खान, के. वैंकटप्पा, असित कुमार हालदर, क्षितीन्द्रनाथ मजूमदार, अब्दुर्रहमान चगताई, मुकुल चन्द्र डे तथा अन्य। इनके हाथों भारतीय कला का स्पष्ट साहसिक स्वरूप बना।
नन्दलाल बसु: नन्दलाल बसु (जन्म 1883 ई.) गहरे आध्यात्मिक विश्वासों वाले व्यक्ति थे और उनके अंदर का कलाकार आध्यात्मिक अंतःप्रेरणाओं से बना था। उनकी कला में पौराणिक कथाओं की विषयवस्तु के माध्यम से उनकी अपनी भावनाएं व्यक्त हुई। ऐतिहासिक विषय भी उनकी मौलिकता लेकर मुखर हुए। उन्होंने अपने आसपास के सामान्य सत्य जीवन के चित्र भी बनाए। नन्दलाल की कला स्पष्ट रेखांकन और सहज-सरल रंगों के कारण बड़ी उत्कृष्ट थी। भारतीय चित्रकारी का यही परंपरागत तरीका था जो अजंता की गुफाओं में देखने को मिलता है। नन्दलाल की श्रेष्ठ कृतियों में हैंः ‘उमा की तपस्या‘, नटीर पूजा‘, ‘भगवान बुद्ध घायल बकरी को ले जाते हुए‘, ‘कृष्ण और अर्जुन‘, ‘प्रणाम‘, ‘वसंत’, ‘शिव-पार्वती’ और ‘गोपिनी‘। नन्दलाल के रेखाचित्रों के प्रयोग भी अत्यंत सफल हुए।
शारदा उकील: शारदा उकील (1890-1940) ने पुरानी परंपराओं को पुनरूज्जीवित करते हुए भारतीय चित्रकला के नए क्षितिजों की खोज का प्रयत्न किया। मानव छवि चित्रित करते समय वे प्राकृतिक आकार-प्रकार की बजाय आदर्शवादी अवधारणा पर अधिक निर्भर करते थे। कल्पना-प्रधान चित्रों के अलावा उन्होंने भावनात्मक पृष्ठभूमि में ऐतिहासिक विषयों पर भी चित्र बनाए। शारदा ने भगवान कृष्ण के जीवन के विभिन्न चित्र भी बनाए। शारदा के चित्र आधुनिक कला के क्षेत्र में उनका मौलिक, आकर्षक और मूल्यवान योगदान थे।
मुहम्मद अब्दुर्रहमान चगताई: मुहम्मद अब्दुर्रहमान चगताई (जन्म 1897) आधुनिक कला निकाय के एक और विख्यात चित्रकार थे। उनके चित्रों में रोमानी विषयों को मनोरम रंग चयन व समूहीकरण योजना से, पतली रेखाओं में नाजुक और संदुर आकृतियों से दर्शाया गया था। उनकी कला में पुरानी फारसी शैली और कांगड़ा चित्रों का प्रभाव प्रतिबिंबित होता था। लेकिन कलाकार की मौलिकता इस बात में थी कि उसने नयनाभिराम रंगसज्जा करते हुए अपने विषय को समुचित श्रेष्ठता प्रदान की। चगताई ने प्रयोगवादी शैली में भी उल्लेखनीय सफलता प्राप्त की। उनके विषयों का क्षेत्र बहुत व्यापक था। भारतीय पौराणिक कथाओं और साहित्य से उन्होंने कई रोमानी घटनाओं को विषय मान कर चित्र बनाए। चगताई की एक शानदार तस्वीर है ‘होली-नृत्य‘।
क्षितीन्द्रनाथ मजूमदार: आधुनिक कला पक्ष के एक और समकालीन कलाकार क्षितीन्द्रनाथ मजूमदार ने भारतीय विषयवस्तु के संदर्भ में, कला को नवीनता प्रदान करने में काफी सफलता मिली। महान काव्य ग्रंथों: रामायण, महाभारत की घटनाओं, महान संतों की जीवनियों और वास्तविक जीवन के आध्यात्मिक तथा भक्तिपूर्ण दृश्यों से उन्हें प्रेरणा मिली। मजूमदार के चित्रों की एक खासियत यह थी कि उन्होंने आधुनिक आकृतियों को प्राचीन पौराणिक कथाओं के चरित्रों के रूप में प्रस्तुत किया।
असितकमार हालदार: असितकुमार हालदार (जन्म 1890) ने चित्रकला के क्षेत्र में कविता को चित्ररूप देकर नवीनता का संचार किया। उनकी रंगचयन और सम्मिश्रण शैली, रेखा नियोजन का उद्देश्य, कवित्वमय कृति के सौंदर्य और समरसता को प्रस्तुत करना था। उनकी कला का एक और पहलू था सूक्ष्म आकार के सजावटी डिजाइनों का चित्रण।
रवीन्द्रनाथ ठाकुर: नए कला पक्ष के अन्य कलाकारों में रवीन्द्रनाथ ठाकुर ने अपने मौलिक ढंग से, चित्रकला में नए-नए प्रयोग करने का प्रयास किया। लेकिन उन पर पाश्चात्य प्रभाव स्पष्ट था। कवि ने पिकासो शैली का आधुनिकवाद भारतीय पृष्ठभूमि में लाने की कोशिश की जिसे उन्होंने समन्वयात्मक शैली कहा है।
प्रश्न: अवनीन्द्रनाथ ठाकुर के जीवन पर प्रकाश डालते हुए आधुनिक भारतीय चित्रकला को क्या योगदान रहा?
उत्तर: मॉडर्न स्कूल ऑफ आर्टिस्ट प्रणेता हैवेल के एक साथी ‘अवनीन्द्रनाथ ठाकुर‘ थे। उनके दो काम थे-प्राचीन और मध्ययुग की कला के श्रेष्ठतम पहलुओं को फिर खोज निकालना और कला का आधुनिक परिस्थितियों में पुनरोदय करना। उन्होंने भारतीय कला को विदेशी दासता से मुक्त करा एक नवीन मार्ग प्रदान किया। अवनीन्द्र-नाथ का जन्म 1817 ई. में ठाकुर (टैगोर) परिवार में हुआ था। उनके दादा यूरोपीय शैली के कलाकार थे। उनके चित्रों की विषयवस्तु प्राकृतिक
दृश्य थे। इटली के एक कलाकार ‘गिलहार्दी‘ ने उन्हें आकृति रेखाचित्र और आदमकद रेखाचित्र बनाना सिखाया। एक अंग्रेज उन्होंने तैलछवि चित्र बनाने, और नार्वे के कलाकार से पानी में घुले रंगों से चित्र बनाने की तकनीक सीखी। उन्हें चित्रकारी सिखाने वाले विदेशी थे फिर भी अवनीन्द्रनाथ को देश की पुरानी चित्रकला की आंतरिक और भावनात्मक विषयवस्तु को समझने की प्रेरणा मिली। उन्होंने सुंदर चित्रों में कृष्ण लीला को दर्शाया। 20वीं शताब्दी के प्रारंभिक वर्षों में अपने जीवन के ऐसे समय में वे कलकत्ता में गवर्नमेंट स्कूल ऑफ आर्ट के तत्कालीन प्रिंसिपल हैवेल के संपर्क में आए। इन दोनों के संयुक्त प्रयासों से भारतीय कला का आधुनिक दौर शुरू हुआ। उदाहरण के लिए उनका प्रसिद्ध चित्र ‘शाहजहां का ताज को देखना‘, रेखा और रंगों में, कलाकार के मन की गहराइयों में छिपे भावों की अभिव्यक्ति है। अवनीन्द्रनाथ की अन्य अद्भुत कृतियों में थी, ‘बुद्ध और सुजाता‘, ‘कमल के पत्ते पर अनुकण‘ और ‘वन साम्राज्ञी‘।
Recent Posts
सती रासो किसकी रचना है , sati raso ke rachnakar kaun hai in hindi , सती रासो के लेखक कौन है
सती रासो के लेखक कौन है सती रासो किसकी रचना है , sati raso ke…
मारवाड़ रा परगना री विगत किसकी रचना है , marwar ra pargana ri vigat ke lekhak kaun the
marwar ra pargana ri vigat ke lekhak kaun the मारवाड़ रा परगना री विगत किसकी…
राजस्थान के इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों की विवेचना कीजिए sources of rajasthan history in hindi
sources of rajasthan history in hindi राजस्थान के इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों की विवेचना कीजिए…
गुर्जरात्रा प्रदेश राजस्थान कौनसा है , किसे कहते है ? gurjaratra pradesh in rajasthan in hindi
gurjaratra pradesh in rajasthan in hindi गुर्जरात्रा प्रदेश राजस्थान कौनसा है , किसे कहते है…
Weston Standard Cell in hindi वेस्टन मानक सेल क्या है इससे सेल विभव (वि.वा.बल) का मापन
वेस्टन मानक सेल क्या है इससे सेल विभव (वि.वा.बल) का मापन Weston Standard Cell in…
polity notes pdf in hindi for upsc prelims and mains exam , SSC , RAS political science hindi medium handwritten
get all types and chapters polity notes pdf in hindi for upsc , SSC ,…