हिंदी माध्यम नोट्स
Names of famous Indian musicians and the instruments they play वाद्ययंत्रों से सम्बद्ध प्रसिद्ध व्यक्तित्व
वाद्ययंत्रों से सम्बद्ध प्रसिद्ध व्यक्तित्व Names of famous Indian musicians and the instruments they playin hindi
अली अकबर खानःएक महान सरोद वादक हैं (वह पखावज और तबला में भी पारंगत हैं)। वह उस्ताद अलाउद्दीन खान के बेटे हैं, और उन्होंने पांच नए रागों चंद्रनंदन,गौरी-मंजरी, लाजवंती, मिश्र-शिवरांजनी एवं हेम-हिंडोल, को ईजाद किया। उन्होंने पश्चिम में भारतीय संगीत को व्यापक रूप से लोकप्रिय बनाया। उन्होंने जापानए अमेरिका एवं कनाडा में भारतीय संगीत की शिक्षा प्रदान करने के लिए काॅलेजों की स्थापना की।
अल्ला रक्खाः उस्ताद अल्ला रक्खा, वास्तविक नाम ए.आर. कुरैशी, एक प्रसिद्ध तबला वादक थे। वह पंजाब शैली में तबला बजागे में प्रशिक्षित या माहिर थे। उन्होंने बड़े पैमाने पर अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त की। इन्होंने कुछ हिन्दी फिल्मों सबक, खानदान, मां-बाप और बेवफा में संगीत निर्देशन भी किया। वर्ष 1986 में, उन्होंने मुंबई में संगीत संस्थान की स्थापना की।
अमजद अली खानः यह महान सरोद प्रवर्तक हैं। यह हाफिज अली खान के बेटे हैं। अमजद अली खान ने 1977 में हाफिज अली खान मेमोरियल सोसायटी की स्थापना की जो भारत में संगीत कार्यक्रम आयोजित करती है। उन्होंने सरोद के परम्परागत रूप एवं शैली में परिवर्तन किया। अमीरी तोड़ी, हरिप्रिया कन्नड, जवाहर मंजिरी एवं शिवाजंलि उनके द्वारा बना, गए रागों में शामिल है।
बाबा अलाउद्दीन खानः ये एक प्रसिद्धि प्राप्त सरोद वादक हैं। बाबा अलाउद्दीन खान सेतिया घरने की कम्पोजिशन में माहिर हैं। ये नई कम्पोजिशन एवं रागों हेमंत,शभावती एवं दुर्गेशवा के जनक हैं।
बिस्मिल्लाह खानः यह एक महान शहनाई वादक हैं। उस्ताद बिस्मिल्लाह खान ने अपनी योग्यता से शहनाई पर नायाब धुनें निकालीं। उन्हें कई प्रकार के पुरस्कार प्रदान किए गए।
बुंदु खानः यह दिल्ली घराने के उत्कृष्ट सारंगी वादक हैं। बुंदु खान ने संगीत विवेक दर्पण के विभिन्न क्षेत्रों में लिखा जिसे 1934 में प्रकाशित किया गया।
चिन्ना मौलाः यह दक्षिण भारत में जागे माने नागस्वरा वादक हैं। इन्होंने श्रीरंगम में श्रद्धा नागस्वरा संगीत असरामन की स्थापना की। इस संस्था ने पेड्डा कसिम, चिन्ना कसिम, महबूब सुबानी एवं कलिशाबाई जैसे जागी-मानी हस्तियों को तैयार किया।
हरिप्रसाद चैरसियाः पंडित हरिप्रसाद चैरसिया उत्तर भारत के जागे-माने एवं प्रमुख बांसुरी वादक हैं। वे सेनिया घराने से हैं। उन्होंने बांसुरी में नवोन्मेष एवं परम्परा का नायाब समन्वय स्थापित किया और विदेश में सफलतापूर्वक भारतीय बांसुरी को लोकप्रिय बनाया। वे एकमात्र ऐसे भारतीय थे जिन्होंने वर्ष 2011 में मास्को में बोलशोई थिएटर में अपना कार्यक्रम किया।
एल. सुब्रमण्यमः यह बेहद प्रतिभावान भारतीय वायलिन वादक हैं। एल. सुब्रमण्यम अपने कर्नाटक एवं पश्चिमी शास्त्रीय संगीत के अद्भुत मेल के लिए जागे जाते हैं। इन्होंने सौ से अधिक रिकाॅर्डिंग की हैं। इन्होंने 1992 में, वार्षिक लक्ष्मी नारायण वैश्विक संगीत पर्व प्रारंभ किया जो पूरे विश्व से मशहूर कलाकारों को एक साथ लेकर आया।
‘मंडोलिन’ श्रीनिवासः उपालप्पु श्रीनिवास ने कर्नाटक संगीत में सबसे पहले मंडोलिन वाद्य यंत्र का इस्तेमाल किया। उन्हें मात्र 29 वर्ष की आयु में पद्मश्री प्राप्त हुआ। वे एल. सुब्रमण्यम के साथ अपने जैज. फ्यूजन काॅन्सर्ट और गजल गायक हरिहरन के साथ अपने कार्यक्रम के लिए प्रसिद्ध हैं।
एन. राजमः एन. राजम दक्षिण भारत के वायलिन वादक हैं जिन्होंने हिंदुस्तानी संगीत में कार्य किया। उन्होंने पूरे विश्व में अपने कार्यक्रम किए।
पालघाट मणिअय्यरः मणिअय्यर (जो पालघाट से थे) एक प्रसिद्ध मंृदगम विद्वान थे। उन्होंने अपनी संगीत यात्रा 12 वर्ष की अल्पायु में 1924 में शुरू की। उन्होंने संगीत के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किया।
पन्नालाल घोषः अमूल्य ज्योति घोष या पन्नालाल घोष एक प्रसिद्ध बांसुरी वादक हैं। यह तीन प्रकार की बांसुरी विभिन्न सप्तकों हेतु प्रयोग कर सकते हैं। इन्होंने ‘आॅल इ.िडया रेडियो’ के लिए नेशनल आॅर्केस्ट्रा के कम्पोजर के रूप में काम किया।
रवि शंकरः रविशंकर सितार के महान वादक रहे हैं। अपनी सृजनात्मकता एवं अद्वितीयता के लिए उन्हें पूरे विश्वभर में प्रशंसा प्राप्त हुई। उन्होंने कई पुरस्कार प्राप्त किए और फिल्मों के लिए संगीत निर्देशन किया जिसमें गांधी जैसी फिल्म शामिल है। उन्होंने नाथभैरव, पंचम से गारा, कामेश्वरी, परमेश्वरी एवं गणेशवरी रागों की कम्पोजिशन की।
टी.एच. विनयाकरमः थेटाकुडी हरिहरा विनयाकरम एक घाटम वादक हैं। ये अपनी रिद्म की गहरे ज्ञान के लिए जागे जाते हैं। वह ‘शक्ति’ समूह के सदस्य थे। वे पहले ऐसे दक्षिण भारतीय कलाकार हैं जिन्हें ‘मिकी हार्ट प्लेनेट ड्रम’ विश्व के बेहतरीन म्युजिक एलबम के लिए वर्ष 1991 में ग्रैमी पुरस्कार प्राप्त हुआ।
विलायत खानः यह इटावा घराने से सम्बद्ध हैं और एक प्रसिद्ध सितार वादक हैं। इन्होंने एक नए किस्म की सितार वादन शैली प्रस्तुत की जिसे विलायत खानी बाज (यह दुर्लभ एवं मुश्किल गायकी या पूरी तरह गायन शैली) के नाम से पुकारा गया।
जाकिर हुसैनः उस्ताद जाकिर हुसैन, तबला उस्ताद अल्ला रक्खा के बेटे, अंतरराष्ट्रीय रूप से ख्याति प्राप्त तबला वादक हैं। 1987 में, उन्होंने अपना प्रथम ‘मैंकिग म्युजिक’ नामक एलबम प्रस्तुत किया। ये अपने आप में पहला पूर्वी-पश्चिमी फ्यूजन का बेहतरीन एलबम था।
Recent Posts
मालकाना का युद्ध malkhana ka yudh kab hua tha in hindi
malkhana ka yudh kab hua tha in hindi मालकाना का युद्ध ? मालकाना के युद्ध…
कान्हड़देव तथा अलाउद्दीन खिलजी के संबंधों पर प्रकाश डालिए
राणा रतन सिंह चित्तौड़ ( 1302 ई. - 1303 ) राजस्थान के इतिहास में गुहिलवंशी…
हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ? hammir dev chauhan history in hindi explained
hammir dev chauhan history in hindi explained हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ?…
तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच हुआ द्वितीय युद्ध Tarain battle in hindi first and second
Tarain battle in hindi first and second तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच…
चौहानों की उत्पत्ति कैसे हुई थी ? chahamana dynasty ki utpatti kahan se hui in hindi
chahamana dynasty ki utpatti kahan se hui in hindi चौहानों की उत्पत्ति कैसे हुई थी…
भारत पर पहला तुर्क आक्रमण किसने किया कब हुआ first turk invaders who attacked india in hindi
first turk invaders who attacked india in hindi भारत पर पहला तुर्क आक्रमण किसने किया…