JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now

हिंदी माध्यम नोट्स

Class 6

Hindi social science science maths English

Class 7

Hindi social science science maths English

Class 8

Hindi social science science maths English

Class 9

Hindi social science science Maths English

Class 10

Hindi Social science science Maths English

Class 11

Hindi sociology physics physical education maths english economics geography History

chemistry business studies biology accountancy political science

Class 12

Hindi physics physical education maths english economics

chemistry business studies biology accountancy Political science History sociology

Home science Geography

English medium Notes

Class 6

Hindi social science science maths English

Class 7

Hindi social science science maths English

Class 8

Hindi social science science maths English

Class 9

Hindi social science science Maths English

Class 10

Hindi Social science science Maths English

Class 11

Hindi physics physical education maths entrepreneurship english economics

chemistry business studies biology accountancy

Class 12

Hindi physics physical education maths entrepreneurship english economics

chemistry business studies biology accountancy

Categories: indian

नचना कुठार का पार्वती मंदिर किस जिले में है , nachna kuthar temple in hindi in which district

पढ़िए नचना कुठार का पार्वती मंदिर किस जिले में है , nachna kuthar temple in hindi in which district ?

नचना-कुठार (24°30‘ उत्तर, 80°44‘ पूर्व)
नचना-कुठार मध्य प्रदेश के बुंदेलखण्ड क्षेत्र में स्थित है तथा गुप्तकालीन शिव-पार्वती मंदिर के लिए प्रसिद्ध है। यह मंदिर तत्कालीन मंदिरों की तुलना में कुछ उन्नत विशेषताएं प्रदर्शित करता है। प्रारंभिक मंदिरों की छतें सपाट एवं चैकोर हैं, जबकि इसमें थोड़ी उन्नत स्थिति परिलक्षित होती है।
पार्वती मंदिर पांचवी-छठवीं शताब्दी से संबंधित है, इसमें एक छोटा गर्भगृह है, जोकि चारों ओर से एक बड़े वर्गाकार कक्ष से घिरा है तथा आंतरिक गर्भगृह के चारों ओर का प्रदक्षिणा पथ प्रदान करता है। बाद के दिनों में ऐसे मंदिरों को जिनमें ढके हुए मार्ग थे, ‘संधार संरचना‘ कहा जाने लगा। पार्वती मंदिर में एक ऊपरी मंजिल भी है जोकि आंतरिक गर्भगृह के ऊपर है तथा द्रविड़ शैली की एक मंजिल के ऊपर दूसरी मंजिल जैसी व्यवस्था की ओर संकेत करती है।
नचना-कुठार का महादेव मंदिर संभवतः कुछ बाद के समय का है इसमें तत्कालीन वास्तुकला से कुछ भिन्नताएं भी परिलक्षित होती हैं, जैसाकि इसके गर्भगृह का कक्ष निचले तथा छोटे शंक्वाकार मीनार से घिरा हुआ है, जिसके ऊपर एक संपूर्ण गोलाभ है। देवगढ़ और भीतरगांव की मीनारों के सिर्फ अवशेष बाकी है, नचना-कुठार का महादेव मंदिर उत्तर भारतीय नागर शैली का सबसे प्राचीन मंदिर माना जाता है।

मुखलिंगम (18° उत्तर, 83.96° पूर्व)
मुखलिंगम आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम जिले में स्थित है। अपनी धार्मिक प्रतिष्ठा के कारण दक्षिण काशी के नाम से भी जाना जाने वाला यह स्थान 10वीं शताब्दी ईस्वी में उड़ीसा के पूर्वी गंगों की राजधानी भी था। यहां स्थित श्री मुखलिंगम मंदिर का निर्माण पूर्वी गंग वंश के शासक कामुर्नवा द्वितीय ने 8वीं शताब्दी में कराया था। यहां से प्रथम शताब्दी ईस्वी की सांस्कृतिक महत्व की कई वस्तुएं भी प्राप्त की गई हैं, जिससे यह अनुमान है कि प्राचीन काल से ही यह एक महत्वपूर्ण स्थल था।
मधुकेश्वर मंदिर यहां का एक अन्य उल्लेखनीय मंदिर है, जो प्रारंभिक उड़िया कला शैली में निर्मित है। मंदिर की दीवारें सुंदर चित्रों से परिपूर्ण हैं तथा इसकी शैली भी प्रशंसनीय है।
सातवाहन सिक्कों एवं रोमन प्रकार की वस्तुओं की प्राप्ति से यह स्पष्ट होता है कि मुखलिंगम ईसा का प्रारंभिक शताब्दी से ही वाणिज्यिक महत्व का एक प्रमुख केंद्र रहा होगा।

मुल्तान (30°11‘ उत्तर, 71°28‘ पूर्व)
वर्तमान में मुल्तान पाकिस्तान का एक प्रांत है। मुल्तान का प्रारंभिक इतिहास रहस्यपूर्ण है एवं मिथक धारणाओं पर आधारित है। यद्यपि अधिकांश इतिहासकारों का मानना है कि मुल्तान ही मालि-उस्तान है, जिस पर सिकंदर ने अपने एशिया अभियान में आक्रमण किया था तथा विजय प्राप्त की थी। यद्यपि अपने इस आक्रमण में स्थानीय लोगों ने सिकंदर का भयंकर प्रतिरोध किया था तथा सिकंदर घायल भी हो गया था।
चीनी यात्री ह्वेनसांग ने इस नगर की यात्रा की थी तथा इसे पांच मील में विस्तृत नगर बताया था। उसके अनुसार इस नगर में घनी आबादी थी तथा यहां एक सूर्य मंदिर भी था। सातवीं शताब्दी से मुल्तान हिन्दू शाही वंश के अधीन आ गया। धार इसी वंश का प्रसिद्ध शासक था। 712 ई. में मुहम्मद बिन कासिम ने यहां आक्रमण किया तथा सिंध के साथ मुल्तान को भी जीत लिया था। इसके बाद यह विभिन्न मुस्लिम आक्रांताओं के हाथों में जाता रहा। महमूद गजनवी ने यहां के प्रसिद्ध सूर्य मंदिर को नष्ट कर दिया एवं मुहम्मद गौरी के समय से यह दिल्ली सल्तनत का हिस्सा बन गया। गियासुद्दीन तुगलक इसी सुल्तान का राज्यपाल था, जो आगे चलकर दिल्ली सल्तनत का शासक बना।
मुगलों के अधीन, 250 वर्षों तक मुल्तान में शांति एवं समृद्धि बनी रही। यह एक समृद्ध नगर के रूप में विकसित हुआ तथा उत्तर-पश्चिमी प्रांत का मुख्यालय बना।
आगे चलकर मुल्तान रणजीत सिंह द्वारा शासित सिख साम्राज्य में सम्मिलित हो गया तथा फिर यह ब्रिटिश भारत का हिस्सा बन गया। भारत की स्वतंत्रता के उपरांत यह पाकिस्तान में सम्मिलित हो गया तथा एक प्रांत बन गया।

मुंबई (18°58‘ उत्तर, 72°49‘ पूर्व)
मुंबई, जो आधुनिक महाराष्ट्र प्रांत की राजधानी है, भारत का एक समृद्ध एवं आधुनिक महानगर भी है। किसी समय सात द्वीपों के एक समूह में सम्मिलित मुंबई, कुछ समय पूर्व तक बंबई के नाम से जाना जाता था।
आधुनिक मुंबई का उद्भव 1661 ई. में तब हुआ, जब पुर्तगाल के शासक की बहन कैथरीन ऑफ ब्रगैन्जा का विवाह, इंग्लैण्ड के युवराज चाल्र्स द्वितीय से हुआ। इस विवाह में पुर्तगाल ने मुंबई अंग्रेजों को दहेज में दे दिया। 1668 में चाल्र्स द्वितीय ने इसे ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी को बेच दिया।
मुंबई गेटवे ऑफ इंडिया के लिए प्रसिद्ध है, जिसका निर्माण 1911 में जार्ज पंचम की भारत यात्रा के उपलक्ष्य में किया गया था। आधिकारिक तौर पर इसे 1924 में खोला गया। प्रिंस ऑफ वेल्स संग्रहालय, विक्टोरिया एवं अल्बर्ट संग्रहालय, नरीमन प्वाइंट, मरीन ड्राइव एवं जूहू बीच यहां के प्रमुख पर्यटक स्थल हैं।
मुंबई में कई धार्मिक केंद्र भी हैं। जैसे-महालक्ष्मी मंदिर, हाजी अली की दरगाह एवं आदिनाथ को समर्पित जैन मंदिर इत्यादि।
मुंबई को भारत की वाणिज्यिक राजधानी कहा जाता है।

मर्शिदाबाद (24.18° उत्तर, 88.27° पूर्व)
भागीरथी नदी के तट पर स्थित मुर्शिदाबाद, स्वतंत्र बंगाल राज्य की राजधानी था। इसका नामकरण स्वतंत्र बंगाल के संस्थापक एवं बंगाल के नवाब मुर्शिद कुली खां के नाम पर किया गया। मुर्शिदाबाद भारतीय इतिहास की उन घटनाओं से संबंधित है, जिन्होंने इसे गहराई से प्रभावित किया। 23 जून, 1757 को मुर्शिदाबाद के निकट प्लासी के युद्ध में राबर्ट क्लाइव ने बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला को पराजित कर अंग्रेजों के लिए भारत के द्वार खोल दिए।
हजारद्वारी महल यहां आकर्षण का मुख्य केंद्र है। इसका निर्माण 1837 में किया गया था। इसके सामने महान इमामबाड़ा है। नमक हराम ड्योढ़ी वह स्थान है, जहां सिराजुद्दौला का कत्ल किया गया था। कटरा गेट मस्जिद में मुर्शीद कुली खान को दफनाया गया था। बारानगर में रानी भवानी द्वारा बनवाया गया मंदिर 18वीं शताब्दी में बंगाल में निर्मित सुंदर मंदिरों में से एक है। बेहरामपुर के समीप कासिम बाजार 18वीं तथा 19वीं शताब्दी में एक व्यस्त अंग्रेजी नदीय बंदरगाह था।
यह क्षेत्र दस्तकारी एवं वस्त्रों की दृष्टि से अत्यंत समृद्ध है एवं अपने सिल्क के लिए प्रसिद्ध है। खगड़ा एवं बेहरामपुर का कांसा एवं धातुओं से निर्मित वस्तुएं अत्यंत प्रसिद्ध हैं। मुर्शिदाबाद की हाथी दांत की नक्काशी, बंगाल की हस्त कला की शान है। वर्तमान समय में मुर्शिदाबाद एक छोटा जिला मुख्यालय है, जबकि ऐसा कहा जाता है कि बंगाल के नवाब के समय मुर्शिदाबाद अपनी भव्यता में लंदन की बराबरी करता था।

मुजिरिस (9.97° उत्तर, 76.28° पूर्व)
वर्तमान समय में केरल में स्थित मुजिरस को कोडुंगालूर या क्रगानूर के नाम से जाना जाता है। प्राचीन विश्व में यह पूर्व का एक अत्यंत महत्वपूर्ण व्यापारिक केंद्र था, जहां मिर्च, इलायची एवं दालचीनी जैसी मंहगी वस्तुओं का व्यापार होता था। प्रथम शताब्दी ईस्वी में यहां से अदन (दक्षिण यमन) के लिए सीधा व्यापारिक मार्ग था। पेरूमलों के उपरांत मुजिरिस पर चेरों ने अधिकार कर लिया तथा इसे महत्वपूर्ण सामुद्रिक व्यापारिक केंद्र के रूप में विकसित किया। प्रथम शताब्दी ईस्वी तक, पूरे संसार में मुजिरिस अपनी समृद्धि एवं व्यापार के लिए प्रसिद्ध हो चुका था।
प्लिनी एवं टालेमी ने अपने विवरणों में मुजिरिस को मालाबार तट का एक प्रमुख बंदरगाह बताया है। सेंट टामस संभवतः 52 ईस्वी में भारत आया था तथा चेर राजा ने उसका स्वागत किया था। जब यरूशलम में यहूदियों के मंदिर को नष्ट कर दिया गया तो बहुत से यहूदी यहां आकर बस गए। यहूदी मिथक कथाओं में सोलोमन राजा के जलपोतों का उल्लेख है, जो मालाबार तट से व्यापार करते थे। 345 ईस्वी में, एक सीरियाई व्यापारी कैना थॉमस यहां 400 सीरियाई परिवार लेकर आया। यूनानी स्रोतों के अनुसार, रोमनों ने यहां आगस्टस का एक मंदिर भी बनवाया था।
10वीं शताब्दी के अंत तक बंदरगाह में समुद्री कीचड़ के जमा हो जाने के कारण मुजिरिस का महत्व कम होने लगा। इसके बाद धीरे-धीरे मुजिरिस का स्थान कालीकट ने ले लिया। जबकि क्विलोन चीन से आने वाले जहाजों के लिए केंद्र के रूप में विकसित हुआ।

नागपट्टिनम (10.77° उत्तर, 79.83° पूर्व)
नागपट्टिनम जो कि एक तटीय शहर है, प्राचीन काल में नेगापट्टिनम के नाम से जाना जाता था। यहां एक बंदरगाह भी है। यह तमिलनाडु के पूर्वी-मध्य भाग में स्थित है। प्राचीन काल में यहां से रोम एवं यूनान को व्यापार किया जाता था। आगे चलकर पहले यह पुर्तगाली तथा फिर डच उपनिवेश बन गया। यद्यपि जब मद्रास का विकास हो गया, जो इसके उत्तर में लगभग 250 मील (400 किमी.) की दूरी पर स्थित है, तब इसका महत्व कम होने लगा। नवंबर 1781 ई. में नागपट्टिनम पर अंग्रेजों ने अधिकार कर लिया।

नागार्जुनकोंडा(16°31‘ उत्तर, 79°14‘ पर्व)
वर्तमान समय में आंधप्रदेश का गुंटूर जिला ही नागार्जुनकोंडा था। यह भारत में बौद्ध धर्म का एक प्रमुख स्थल है। प्राचीनकाल में इसे श्री पर्वत के नाम से जाना जाता था। यद्यपि वर्तमान समय में इसका अधिकांश हिस्सा नागार्जुन सागर बांध में डूब गया है। इस झील के मध्य में स्थित पहाड़ियों के शीर्ष पर मठों एवं चैत्यों का निर्माण किया गया था। इस पहाड़ी का शीर्ष भाग ही नागार्जुनकोंडा के नाम से जाना जाता था, जोकि झील के मध्य से ऊपर उठती है।
इस स्थान का यह नाम एक बौद्ध भिक्षु नागार्जुन के नाम पर पड़ा, जो बौद्ध धर्म की महायान शाखा से संबंधित थे। नागार्जुन ने ही शून्यवाद का प्रतिपादन किया था। ये लगभग दूसरी ईसा के आसपास थे।
प्रारंभ में इस स्थान को विजयपुर के नाम से जाना जाता था। इसकी खोज 1926 में हुई थी। इसके पश्चात यहां किए गए पुरातात्विक उत्खननों से यहां स्तूप, विहारों, चैत्यों एवं मंडपों के प्रमाण पाए गए हैं। यहां से संगमरमर में नक्काशी के कुछ अत्यंत सुंदर नमूने भी प्राप्त हुए हैं। कुछ नक्काशियों में बुद्ध के जीवन को भी संजीदगी से चित्रित किया गया है।
तृतीय शताब्दी ईस्वी में इक्ष्वाकुओं ने नागार्जुनकोंडा को अपनी कलात्मक गतिविधियों का केंद्र बनाया। इन्होंने वास्तुकला एवं स्थापत्य कला को प्रोत्साहित किया। यहां के उत्खनन से प्रारंभिक वास्तुकला एवं स्मारक स्तंभों के कुछ सुंदर नमूने प्राप्त हुए हैं।
नागार्जुनकोंडा नवपाषाणकाल एवं मध्यपाषाण काल का भी साक्षी है।

Sbistudy

Recent Posts

four potential in hindi 4-potential electrodynamics चतुर्विम विभव किसे कहते हैं

चतुर्विम विभव (Four-Potential) हम जानते हैं कि एक निर्देश तंत्र में विद्युत क्षेत्र इसके सापेक्ष…

2 days ago

Relativistic Electrodynamics in hindi आपेक्षिकीय विद्युतगतिकी नोट्स क्या है परिभाषा

आपेक्षिकीय विद्युतगतिकी नोट्स क्या है परिभाषा Relativistic Electrodynamics in hindi ? अध्याय : आपेक्षिकीय विद्युतगतिकी…

4 days ago

pair production in hindi formula definition युग्म उत्पादन किसे कहते हैं परिभाषा सूत्र क्या है लिखिए

युग्म उत्पादन किसे कहते हैं परिभाषा सूत्र क्या है लिखिए pair production in hindi formula…

6 days ago

THRESHOLD REACTION ENERGY in hindi देहली अभिक्रिया ऊर्जा किसे कहते हैं सूत्र क्या है परिभाषा

देहली अभिक्रिया ऊर्जा किसे कहते हैं सूत्र क्या है परिभाषा THRESHOLD REACTION ENERGY in hindi…

6 days ago

elastic collision of two particles in hindi definition formula दो कणों की अप्रत्यास्थ टक्कर क्या है

दो कणों की अप्रत्यास्थ टक्कर क्या है elastic collision of two particles in hindi definition…

6 days ago
All Rights ReservedView Non-AMP Version
X

Headline

You can control the ways in which we improve and personalize your experience. Please choose whether you wish to allow the following:

Privacy Settings
JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now