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Na-k पंप , क्षार एवं क्षारीय मृदा धातु आयनों का जैविक महत्व na-k pump in hindi
क्षार एवं क्षारीय मृदा धातु आयनों का जैविक महत्व : क्षार धातुएँ जैसे Na+
, K+ तथा क्षार धातुएँ जैसे Mg+2
, Ca+2 आदि का अत्यधिक जैविक महत्व होता है।
Ca+2 आयनों का महत्व :
Ca+2 आयन कोशिकाओं के बाहर के जीव द्रव में सोडियम आयनों के साथ उपस्थित रहता हैै। एंव कोशिकाओ में होने वाली विभिन्न क्रियाओं को सुचारू रूप से चलाने के लिए आवश्यक होता है।
मनुष्य का शरीर ठोस हड्डियों के कंकाल से बनता है , हड्डीयों या अस्थियों का मुख्य घटक कैल्सियम फास्फेट होता है जिससे Ca+2 आयन उपस्थित होता है , अत: Ca की कमी से हड्डियाँ कमजोर हो जाती है।
दांतों का मुख्य घटक एपेटाइड होता है जिसमें Ca+2 आयन उपस्थित होता है।
दांतो के ऊपर पायी जाने वाली कठोर परत इनेमल का मुख्य घटक Ca+2 होता है , जो फ्लोरोपेटाइड के रूप में होता है।
पौधों के मुख्य घटक क्लोरोफिल में Mg+2 आयन उपस्थित होता है , Ca+2 आयन RBC के साथ रक्त का थक्का बनाने में भी सहायता करते है।
Na+ , K+ आयन शरीर में Na-k पंप की क्रियाविधि को संचलित करते है।
, K+ तथा क्षार धातुएँ जैसे Mg+2
, Ca+2 आदि का अत्यधिक जैविक महत्व होता है।
Ca+2 आयनों का महत्व :
Ca+2 आयन कोशिकाओं के बाहर के जीव द्रव में सोडियम आयनों के साथ उपस्थित रहता हैै। एंव कोशिकाओ में होने वाली विभिन्न क्रियाओं को सुचारू रूप से चलाने के लिए आवश्यक होता है।
मनुष्य का शरीर ठोस हड्डियों के कंकाल से बनता है , हड्डीयों या अस्थियों का मुख्य घटक कैल्सियम फास्फेट होता है जिससे Ca+2 आयन उपस्थित होता है , अत: Ca की कमी से हड्डियाँ कमजोर हो जाती है।
दांतों का मुख्य घटक एपेटाइड होता है जिसमें Ca+2 आयन उपस्थित होता है।
दांतो के ऊपर पायी जाने वाली कठोर परत इनेमल का मुख्य घटक Ca+2 होता है , जो फ्लोरोपेटाइड के रूप में होता है।
पौधों के मुख्य घटक क्लोरोफिल में Mg+2 आयन उपस्थित होता है , Ca+2 आयन RBC के साथ रक्त का थक्का बनाने में भी सहायता करते है।
Na+ , K+ आयन शरीर में Na-k पंप की क्रियाविधि को संचलित करते है।
Na-k पंप (na-k pump in hindi)
Na+ व K+ आयन मिलकर बनाते Na-k पंप है।
Na-K के द्वारा कोशिका Na+ आयनों को आंतर कोशिकिय द्रव से बाह्य द्रव में एवं K+ आयनों को बाह्य द्रव से आंतर कोशिकीय द्रव में स्थानान्तरित कर देती है।
इस प्रक्रिया में दो K+ आयन आंतर कोशिकिय द्रव में प्रवेश करते है एवं साथ ही 3 Na+ आंतर कोशिकिय द्रव से बाहय द्रव में आते है।
फलस्वरूप बाह्य कोशिका द्रव में धनायनो की अधिकता हो जाती है एवं आंतर कोशिकिय द्रव में ऋणायनों की अधिकता हो जाती है जिससे कोशिका झिल्ली के ऊपर व नीचे विभव प्रवणता उत्पन्न हो जाती है , जो तंत्रिका सिग्नल के स्थानान्तरण में सहायक होती है।
Na-k कोशिका के आकार को बनाये रखने में भी सहायक होता है , इसकी अनुपस्थिति में कोशिका फूलकर फट जाती है।
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