JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now

हिंदी माध्यम नोट्स

Categories: sociology

रहस्यवाद किसे कहते हैं | रहस्यवाद की परिभाषा क्या है रहस्यवादी का अर्थ Mysticism in hindi Mystic

Mysticism in hindi Mystic meaning in hindi definition रहस्यवाद किसे कहते हैं | रहस्यवाद की परिभाषा क्या है रहस्यवादी का अर्थ ?

परिभाषा :

रहस्यवादी (Mystic) ः जो आध्यात्मिक महत्व की चीजों से सरोकार रखता है। रहस्यवादी का जीवन जीने वाला व्यक्ति अवहेलना तथा निस्वार्थ समर्पण भाव के जरिये देवता अथवा ईश्वर के साथ एकता स्थापित करने का प्रयत्न करता है

मध्यकालीन रहस्यवाद का विकास (Growth of Medieval Mysticism)
मध्यकालीन रहस्यवाद के विकास में एक महत्वपूर्ण योगदान रामानन्द (1370-1440) ने किया था। जो कि स्वयं रामानुज के अनुयायी थे। उन्होंने जातिगत विभाजन को चुनौती दी, पारंपरिक समारोहों पर सवालिया निशान लगाये, तथा ज्ञान, समाधि अथवा योग तथा समर्पण अथवा भक्ति के हिन्दू दर्शन को स्वीकार किया। उनके अनेक अनुयायी थे जिनमें से 12 अधिक महत्वपूर्ण और प्रसिद्ध हुए जो नीची जातियों से आये थे । इन शिष्यों में, सबसे ज्यादा प्रसिद्ध कबीर हुए, जो कि एक मुसलमान जुलाहे के पुत्र थे। यह माना जाता है कि यद्यपि उन्होंने शुरुआती जीवन में ही मुस्लिम विश्वासों का त्याग कर दिया था किंतु उन्होंने इस्लाम के एक-कृतिवाद को दृढ़ता से अपनाये रखा तथा जाति-प्रथा का विरोध करते रहे। वे धर्म को व्यक्ति का निजी विषय मानते थे, तथा इसे मानव, ईश्वर तथा उसके शिक्षक अथवा गुरु के बीच का रिश्ता मानते थे। उन्होंने सूफी तथा भक्ति परंपराओं में से दोनों के तत्वों को आत्मसात किया और यह दावा किया कि अल्लाह और राम एक ही हैं। चूंकि वे आम जनता तक पहुँचने की कोशिश कर रहे थे, अतः उन्होंने बातचीत की भाषा के रूप में बोली अथवा उसके सरल मिले जुले रूप का प्रयोग किया। उन्होंने व्यक्ति के जीवन में भौतिक तथा आध्यात्मिक दोनों तरह की चीजों के महत्व पर बल दिया। उनके अनुयायियों में हिन्दू व मुसलमान दोनों शामिल थे और वे संकीर्णता से परे थे, यद्यपि संभवतः उनके हिन्दू अनुयायियों की तादात अधिक हो सकती है। कबीर के जीवन तथा कृतित्व की अधिकांश जानकारी उनके द्वारा रचित दोहों अथवा साखियों से प्राप्त हुई है। ये अनिवार्य तौर पर संगीत के सुरों में ढले भजन और गीत हैं। इस बात पर काफी विवाद हुआ है कि इनमें से कितने दोहे स्वयं कबीर ने लिखे तथा कितने उनके अनुयायियों अथवा कबीर पंथियों ने लिखे। इस तरह कबीर से संबद्ध कुछ कहावतों की वैधता पर संदेह किया जाता रहा है। यह माना जाता है कि उनमें से अनेक की रचना उनके अनुयायियों द्वारा की गई थी। ऐसा माना जाता है कि इन दोहों को, अक्सर सूफी संतों ने भी अपने समा (ेंउं) में शामिल कर लिया।

कबीर के अनुयायियों में दादू (1544-1608) प्रमुख थे, जो कि स्वयं भी मुस्लिम परिवार से थे। उन्होंने विश्वासों की एकता स्थापित करने की माँग उठाते हुए महत्वपूर्ण योगदान किया और ब्राह्मण संप्रदाय की स्थापना की जिसमें ईश्वर की पूजा अनुष्ठानों व दकियानूसी रिवाजों के बगैर हुआ करती थी। एक रहस्यवादी के रूप में उन्होंने विश्व की सुन्दरता के विचार को सामने लाकर योगदान किया जिसे एक वैरागी अथवा अकान्तवासी बनकर नहीं बल्कि एक भरा पूरा जीवन जीकर तथा उसकी अनमोल देनों का आनन्द लेकर ही प्राप्त किया जा सकता है

कार्यकलाप 2
अपने कुछ मुस्लिम मित्रों से सूफी व्यवस्थाओं तथा उनके विश्वास संबंधी मान्यताओं के बारे में जानकारी प्राप्त कीजिये। उनसे यह पता कीजिये कि क्या सूफी मुसलामन नहीं हैं अथवा एक अलग किस्म के मुसलमान हैं? प्रसिद्ध सूफी कौन-कौन लोग रहे हैं? यदि संभव हो तो ऐसे स्थानों पर जाइए जहाँ उनकी जानकारी एवं अनुभवों को अपनी नोट बुक में लिखें और यदि संभव हो सके तो अध्ययन केंद्र में अपने साथियों के साथ इसकी चर्चा करें।

कबीर के समकालीन ही हम पंजाब के गुरु नानक (1469-1538) द्वारा किए गए योगदान देखते हैं। कबीर की तुलना में उनके काल तथा मूलस्थान के बारे में हमारे पास निश्चित जानकारी है । कबीर की भाँति वे भी एक एकेश्वरवादी थे और जाति-प्रथा के घोर विरोधी थे। उनके अनुयायी, सिक्ख, एक सुगठित संप्रदाय के रूप में संगठित हो गये। उनकी शिक्षाएँ व रचनाएँ तथा अनुवर्ती गुरुओं की शिक्षाएँ व रचनाएँ पाँचवे गुरु अर्जुनदेव द्वारा, सिक्खों के पवित्र ग्रंथ के रूप में संकलित की गईं, जिसे आदि-ग्रंथ कहा जाता है। सिक्खों ने एक भक्ति पंथ का प्रतिनिधित्व किया, जिसमें उनकी भक्ति को गुरूवाणी के रूप में गाया जाता था। गुरु नानक की धार्मिक कृतियों में, हम यह पाते हैं कि सूफी प्रभाव सर्वश्रेष्ठ तत्वों को उसी तरह से शामिल कर लिया गया है जिस तरह उनकी शिक्षाओं में भक्ति व सूफी प्रचलनों का प्रतिबिंबन हुआ है।

 सूफी-भक्ति अन्योन्यक्रिया (Sufi-Bhakti Interaction)
सूफी एवं भक्ति परंपराओं के बीच यह अन्योन्यक्रिया कबीर व नानक के जीवन को एक खास तरीके से महकाने के लिये हैं। हम यह पाते हैं कि कबीर, सूफियों के साथ न सिर्फ उनकी रचनाओं की रहस्यवादी प्रकृति की दृष्टि से ही बल्कि विचारों के गठन के स्तर पर भी जुड़े हुए हैं। गुलाम सर्वर लाहौरी द्वारा रचित खाजीनत अल असफिया में हम पाते हैं कि कबीर की पहचान सही अथवा गलत एक सूफी के तौर पर की गई है और उन्हें चिश्तियों से जुड़ा माना गया है। हाल के वर्षों में हालांकि विद्वानों ने तर्क पेश किया है कि यह कालक्रम की त्रुटि दर्शाता है। इन रचनाओं में यह दर्शाया गया है कि वे अनेक सूफी केन्द्रों में गये थे और यहाँ तक कि उन्होंने सूफी सन्तों के साथ वाद-विवाद भी किया था। हालांकि उनके दोहों ने जो उल्लेखनीय सम्मान का दर्जा प्राप्त किया, उसे सभी स्वीकार करते हैं। यह भी माना जाता रहा है कि गुरु नानक ने भी सूफी शिक्षकों अथवा शेखों से वाद-विवाद किया था, किन्तु विद्वानों द्वारा उनमें से मुलतान के निकट पाकपटन के शेख इब्राहम के साथ हुए एकमात्र वाद-विवाद को सही माना गया है।

हालांकि अधिकांश मोर्चों पर सूफी रहस्यवादियों तथा हिन्दू संतों के बीच संपर्क से सम्बन्धित दस्तावेज विरोधाभास से भरे हुए हैं। हालांकि सूफियों तथा संतों के बीच परस्पर अदलाबदली का सबसे अधिक संतोषजनक क्षेत्र जिस पर विचार किया जा सकता है उनकी कविताओं तथा भक्ति गीतों की कथावस्तुओं में देखा जा सकता है, खासतौर पर भक्त, ईश्वर तथा शिक्षक की बीच पाये जाने वाले ‘प्रेम के रिश्ते‘ की तरफ दोनों परंपराओं के रुख में जो कि दोनों परंपराओं का केंद्र बिन्दु है। इस तरह, दोनों परंपराओं में हम देखते हैं कि भक्त के दर्द तथा दुखों का दैवीय शक्तियों के साथ उसका साझा रिश्ता रहा था। यह दुख जिसे हमने पूर्व में विरह का नाम दिया है, जो कि व्यक्ति का ईश्वर को प्रेमी के रूप में देखता है कबीर की रचनाओं में भी देखने को मिलता है। विद्वान भक्ति के इस विरह की तुलना सूफियों के इश्क से करते हैं जिसकी अभिव्यक्ति विरह के माध्यम से नहीं बल्कि दर्द के जरिये हुई है। यह एक ऐसे अनुभव की ओर ले जाता है, जिसे आतिश कहा जाता है, जो कि अग्नि अथवा विरह में अपनी आत्मा को जला डालने के अनुभव से मिलता-जुलता है। (अनुभाग 24.3.1) देखें। कबीर के दोहों में प्रेम, विरह तथा दुख के भावों को सूफी कविताओं में भी प्रकट किया गया है। कबीर की निगुर्ण भक्ति तथा सूफी परंपरा, दोनों ही इस विचार को सामने रखती हैं, कि ईश्वर तथा भक्त के बगैर कोई भक्ति संभव ही नहीं है। दरअसल भक्ति परंपरा के एक अन्य क्षेत्र में भी सूफी प्रभाव देखा जा सकता है। यह भक्ति संतों के बारे में लिखी गई जीवनियों के संदर्भ में है। यहाँ लिखने की शैली में सूफी परंपरा का प्रभाव दिखाई देता है। संतों के जीवन सम्बन्धी इन जीवनियों को लिखने की परंपरा 15वीं शताब्दी तथा उससे भी पहले से सूफी परंपरा में मौजूद थी।

 

 

 सारांश
इस इकाई में हमने भक्ति तथा सूफीवाद पर चर्चा की। शुरू में हमने भक्ति परंपरा की जाँच दक्षिण में (जहाँ से यह शुरू हुई) तथा बाद में उत्तर में (जहाँ इसका प्रसार हुआ) की। फिर हमने सूफी परंपरा पर ध्यान केन्द्रित किया और बताया कि सूफीवाद क्या है और भारत में इसके प्रसार की व्याख्या की । अंत में हमने मध्यकालीन रहस्यवाद के विकास, सूफी-भक्ति अन्योन्यक्रिया तथा भक्ति-सूफी शिक्षाओं को शामिल करते हुए सूफीवाद तथा भक्ति के बीच तुलना की।

शब्दावली

बोधात्मक (Eestatic) ः जिसमें व्यक्ति आनन्द महसूस करता है तथा स्वयं को बिल्कुल एकांतवास की ओर भी ले जा सकता है।
संत जीवनी संग्रह (Hagiography) ः संतों के जीवन पर लिखी रचनाओं से संबंधित ।
अवतार (Incarnation) ः इसका अर्थ है किसी आध्यात्मिक धारणा का ठोस या साक्षात स्वरूप। माना जाता है कि विष्णु के दस अवतार थे जिनमें से प्रत्येक सामाजिक संकट की घड़ी में प्रकट हुए। कृष्ण इन अवतारों में से एक थे। वारह, मोहिनी, परशुराम, भी इन अवतारों में शामिल हैं।
इष्टदेव (Ishta Deva) ः एक निजी ईश्वर जिसकी भक्तगणों द्वारा मोक्ष प्राप्त करने के लिये आराधना की जाती है।
लिंगम (Lingam) ः यह शिव की मूर्ति का प्रतीक है जिसे हम मंदिरों में देखते हैं। शिव लिंग बहुत छोटा बनाया जाता है और किसी धातु के आवरण में जड़कर लिंगायतों द्वारा गले में पहना जाता है।
बहुईश्वरवादी (Polytheistic) ः अनिवार्य रूप से एक से अधिक ईश्वर पर विश्वास करने से संबंधित
अमरत्व (Salvation) ः इसके मायने हैं अपनी आत्मा अथवा विश्वास को बचाकर रखते हुए ताकि व्यक्ति अपने पापों का प्रायश्चित करने के बाद मोक्ष को प्राप्त करके स्वर्ग में चला जाये। यह एक ऐसी धार्मिक मान्यता है जो कि ईसाई धर्म में भी प्रचलित है।
निस्वार्थ (Selfless) ः अपने बारे में सोचे बिना किसी कार्य को करना। अतः ‘‘निस्वार्थ भक्ति‘‘ एक ऐसी भक्ति होगी जिसमें व्यक्ति केवल ईश्वर का ध्यान करेगा तथा अपने आप को भुला देगा और यह परवाह नहीं करेगा कि उसे इस भक्ति से क्या हासिल होगा।
सूफी (Sufi) ः रहस्यवादी संत जो कि इस्लामी परंपरा में उभर कर सामने आये।
समम्वयवाद (Syncreticism) ः विभिन्न विचारधाराओं अथवा पंथों अथवा विश्वासों का विलय।
विश्वास (Tenets) ः किसी धर्म की बुनियादी प्रस्थापनाएं या धार्मिक सिद्धांत।

 कुछ उपयोगी पुस्तकें
दीवान आर, 1993, दि रिलीजन ऑफ लव, इन द संडे टाइम ऑफ इंडिया, 21 नवम्बर, 1993
एलिएड मिर्सिया, 1987, द एन्साइक्लोपीडिया ऑफ रिलीजनय खण्ड-2, मैकमिलन पब्लिशिंग कम्पनी, न्यूयार्कः 130-33
फारूकी, आजाद, आई.एच.य 1984, सूफीवाद एवं भक्तिः, अभिनव पब्लिकेशन्स।
मुजीब, एम.य 1967, द इण्डियन मुस्लिम्स, जॉर्ज ऐलन एंड अनविन लि.ः लंदन, पृ. 113-167 तथा 283-315
रामानुजम, ए.के., 1973, स्पीकिंग ऑफ शिवा, पैंगविन बुक्सः मिडिलसैक्स पृ. 19-55
जेन्हर आर.सी, 1962, हिन्दू धर्म, आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस, लंदन अध्याय 6

 

Sbistudy

Recent Posts

मालकाना का युद्ध malkhana ka yudh kab hua tha in hindi

malkhana ka yudh kab hua tha in hindi मालकाना का युद्ध ? मालकाना के युद्ध…

4 weeks ago

कान्हड़देव तथा अलाउद्दीन खिलजी के संबंधों पर प्रकाश डालिए

राणा रतन सिंह चित्तौड़ ( 1302 ई. - 1303 ) राजस्थान के इतिहास में गुहिलवंशी…

4 weeks ago

हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ? hammir dev chauhan history in hindi explained

hammir dev chauhan history in hindi explained हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ?…

4 weeks ago

तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच हुआ द्वितीय युद्ध Tarain battle in hindi first and second

Tarain battle in hindi first and second तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच…

4 weeks ago

चौहानों की उत्पत्ति कैसे हुई थी ? chahamana dynasty ki utpatti kahan se hui in hindi

chahamana dynasty ki utpatti kahan se hui in hindi चौहानों की उत्पत्ति कैसे हुई थी…

1 month ago

भारत पर पहला तुर्क आक्रमण किसने किया कब हुआ first turk invaders who attacked india in hindi

first turk invaders who attacked india in hindi भारत पर पहला तुर्क आक्रमण किसने किया…

1 month ago
All Rights ReservedView Non-AMP Version
X

Headline

You can control the ways in which we improve and personalize your experience. Please choose whether you wish to allow the following:

Privacy Settings
JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now