हमारी app डाउनलोड करे और फ्री में पढाई करे
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now
Download our app now हमारी app डाउनलोड करे

अन्योन्य प्रेरण की परिभाषा क्या है Mutual inductance in hindi

By   March 14, 2018
Mutual inductance in hindi अन्योन्य प्रेरण की परिभाषा क्या है : चित्रानुसार पास में रखी दो कुण्डलियों के एक कुण्डली में परिवर्तित धारा प्रवाहित करते है तो पास में रखी दूसरी कुण्डली से सम्बद्ध चुम्बकीय फ्लक्स में परिवर्तन होने इस द्वितीयक कुण्डली में प्रेरित विद्युत वाहक बल उत्पन्न हो जाता है इस घटना को अन्योन्य प्रेरण कहते है।

परिभाषा : जब कुण्डली या परिपथ में धारा परिवर्तन से इसके पास स्थित दूसरी कुण्डली या परिपथ में प्रेरण होता है तो इस घटना को अन्योन्य प्रेरण कहते है।
जिस परिपथ में परिवर्तित धारा प्रवाहित की जाती है उसको प्राथमिक परिपथ तथा जिसमे प्रेरण उत्पन्न होता है उसको द्वितीयक परिपथ कहते है।

विस्तार से व्याख्या

चित्र में दिखाएँ अनुसार एक कुण्डली A के साथ कुंजी S , बैटरी B को जोड़ते है इस प्राथमिक कुण्डली कहते है।  तथा इसके पास एक अन्य कुण्डली B को रख देते है जिसमे एक धारामापी (गैल्वेनोमीटर) लगा हुआ है जिसे चित्र में द्वितीयक कुण्डली कहा गया है।
जब कुंजी S को बंद किया जाता है तो प्राथमिक कुण्डली में धारा I प्रवाहित होने लगती है , प्रतिरोध R का मान परिवर्तित करके धारा को परिवर्तित करते है जिससे प्राथमिक कुंडली में परिवर्तित धारा प्रवाहित होने लगती है।
कुण्डली में परिवर्तित धारा प्रवाहित होने से कुण्डली से सम्बद्ध चुम्बकीय फ्लक्स के मान में परिवर्तन होता है जिससे द्वितीयक कुण्डली में प्रेरित विद्युत वाहक बल उत्पन्न हो जाता है , परिणामस्वरूप धारामापी में विक्षेप उत्पन्न हो जाता है जो यह प्रदर्शित करता है की द्वितीयक कुण्डली में भी धारा प्रवाहित हुई है।
यदि प्राथमिक कुण्डली में नियत धारा का मान प्रवाहित हो तो द्वितीयक कुण्डली में लगे धारामापी में कोई विक्षेप नहीं आयेगा।
यदि प्राथमिक कुण्डली में परिवर्तित धारा का मान बढाया जाए तो विक्षेप अधिक प्राप्त होता है।
द्वितीयक कुण्डली में उत्पन्न प्रेरित धारा की दिशा इस प्रकार होती है की यह सम्बद्ध फ्लक्स में परिवर्तन का विरोध करती है।