JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now

हिंदी माध्यम नोट्स

Categories: physics

आदर्श गैस : अणुओं के ताप की व्याख्या , आदर्श गैस के ताप वर्ग माध्य मूल वेग में सम्बन्ध , दिवार पर आरोपित बल

motion of particles heated in hindi , ideal gas temperature and root mean square speed relationship आदर्श गैस : अणुओं के ताप की व्याख्या , आदर्श गैस के ताप वर्ग माध्य मूल वेग में सम्बन्ध , दिवार पर आरोपित बल :-

अणुप्रत्येक पदार्थ सूक्ष्म कणों से मिलकर बना होता है जिन्हें अणु कहते है , पदार्थ में अणु असंख्य मात्रा में पाए जाते है , स्वयं अणु भी परमाणुओं से मिलकर बना होता है।

परमाणु : पदार्थ का वह सूक्ष्मतम अविभाज्य कण जिसका स्वतंत्र अस्तित्व नहीं होता तथा रासायनिक अभिक्रिया में सक्रीय रूप से कार्य करता है , परमाणु कहलाता है।

गैस : वह पदार्थ जिसमे निम्न गुण पाए जाते है , गैस कहलाती है –

  • गैस का आकार , आकृति अनिश्चित होती है।
  • गैस का घनत्व , ठोस और द्रव की तुलना में कम होता है अर्थात ठोस और द्रव की तुलना में इसका आयतन कम होता है।
  • गैस पर दाब आरोपित कर इसे संपीडित किया जा सकता है।
  • गैस , ऊष्मा पाकर ठोस व द्रव की तुलना में अधिक प्रसारित होती है।

गैसों का अणुगति या गत्यात्मक सिद्धांत

  1. किसी गैस में गैस के असंख्य अणु पाए जाते है , जिनका द्रव्यमान समान होता है।
  2. गैस के अणुओं का मूल आयतन पात्र के आयतन की तुलना में नगण्य होता है।
  3. गैस के अणु पात्र में लगातार यादृच्छित गति करते रहते है जिसके कारण पात्र की दिवार से पूर्णत: प्रत्यास्थ टक्कर होती है अर्थात टक्कर के दौरान संवेग व गतिज ऊर्जा दोनों संरक्षित रहते है।
  4. जब गैस के अणु पात्र की दिवार से प्रत्यास्थ टक्कर करते है तो उनके संवेग में परिवर्तन होता है जो कि पात्र की दिवार को स्थानांतरित कर दिया जाता है अर्थात गैस के अणु पात्र की दिवार पर दाब डालते है।
  5. गैस के अणुओं का द्रव्यमान नगण्य व वेग अधिक होने के कारण गुरुत्वाकर्षण बल का प्रभाव नगण्य होता है।
  6. आदर्श गैस के लिए आण्विक बल का मान शून्य होता है अर्थात आदर्श गैस की स्थितिज आंतरिक ऊर्जा का मान शून्य होता है अत: आदर्श गैस के अणुओं के पास केवल गतिज आन्तरिक ऊर्जा पायी जाती है।

आदर्श गैस : वह गैस जो कि बॉयल का नियम , चार्ल्स का नियम , गैलुसाक का नियम , गैस अवस्था समीकरण , आवोगाद्रो संख्या आदि का पालन करती है , आदर्श गैस कहलाती है।

वास्तविक में प्रकृति में कोई भी गैस आदर्श गैस नहीं है , प्रायोगिक तौर पर सभी गैसों को उच्च ताप व निम्न दाब पर आदर्श गैस की तरह कार्य करने लगती है।

आदर्श गैस के अणुओं के द्वारा पात्र की दिवार पर आरोपित बल : माना किसी पात्र में आदर्श गैस के n अणु मौजूद है।

प्रत्येक अणु का द्रव्यमान m समान है।

चूँकि आदर्श गैस के अणु पात्र में लगातार यादृच्छिक गति करते रहते है जिसके कारण वे पात्र की दिवार से प्रत्यास्थ टक्कर करते है अत: आदर्श गैस के अणुओं के द्वारा पात्र की दिवार पर दाब निम्न होगा –

 P = ρC-2/3 समीकरण-1

यहाँ  P = दाब

ρ = गैस का घनत्व

C-2 = गैस का वर्ग माध्य वेग

घनत्व = द्रव्यमान/आयतन

ρ = M/V  समीकरण-2

= गैस का सम्पूर्ण द्रव्यमान/कुल आयतन

माना गैस में n अणु उपस्थित है जिनका द्रव्यमान m है अत: गैस का कुल द्रव्यमान –

M = mn  समीकरण-3

ρ = mn/V  समीकरण-4

समीकरण-4 का मान 1 में रखने पर –

P =  mnC-2/3V

आदर्श गैस के अणुओं के ताप की व्याख्या : आदर्श गैस के अणुओं के द्वारा पात्र की दिवार पर आरोपित दाब आदर्श गैस का ताप गैस गैस के वर्ग माध्य वेग के समानुपाती होता है।

P = ρC-2/3 समीकरण-1

ρ = M/V  समीकरण-2

समीकरण-2 व समीकरण-1 से –

 P = MC-2/3V

गैस के 1 मोल के लिए अत:
M = M0

 P = M0C-2/3V

PV = M0C-2/3 समीकरण-3

गैस अवस्था समीकरण से –

एक मोल के लिए (n = 1)

PV = RT  समीकरण-4

समीकरण-4 व समीकरण-3 की तुलना करने पर

RT = M0C-2/3

T = M0C-2/3R

अत:

∝ C-2

आदर्श गैस के ताप वर्ग माध्य मूल वेग में सम्बन्ध : आदर्श गैस में अणुओं के द्वारा दीवार पर आरोपित दाब –

 P = ρC-2/3 समीकरण-1

ρ = M/V  समीकरण-2

समीकरण 2 व समीकरण-1 से –
P = MC-2/3 V
गैस के 0 मोल के लिए अत:
M = M0

 P = M0C-2/3V

 PV = M0C-2/3 समीकरण-3

गैस अवस्था समीकरण से –

एक मोल के लिए (n = 1)

PV = RT  समीकरण-4

समीकरण-3 का मान समीकरण-3 में रखने पर –

RT = M0C-2/3

C-2 = 3RT /M0 समीकरण-5
गैस का वर्ग माध्य मूल वेग –
Crms = √C-2 समीकरण-6
समीकरण-5 का मान समीकरण-6 में रखने पर –
Crms = √(3RT /M0)
अत:
Crms √T
अर्थात आदर्श गैस का वेग माध्य मूल वेग परम ताप के वेग मूल के समानुपाती होता है।

स्वतंत्रता की कोटियाँ

कोई अणु या परमाणु जितनी दिशाओ में स्वतंत्र रूप से गति कर सकता है , उन दिशाओ की संख्या का कुल योग स्वतन्त्रता की कोटि कहलाते है।
उदाहरण :
  • किसी छड के अन्दर डाला गया वृत्ताकार वलय या छल्ला छड की लम्बाई के अनुदिश गति करने के लिए स्वतन्त्र होता है , उसकी स्वतंत्रता की कोटि 1 होगी।
  • कैरम बोर्ड में कोटियो की गति द्विविमीय गति का उदाहरण है अर्थात इसकी स्वतंत्रता की कोटि दो होती है।
  • मुक्त आकाश में उड़ता हुआ पक्षी दिन दिशाओ में स्वतंत्र रूप से गति करने के लिए स्वतंत्र होता है अत: उसकी स्वतंत्रता की कोटियां तीन होगी।
स्वतंत्रता की कोटियाँ तीन प्रकार की होती है –
1. स्थानान्तरण या रेखीय गति के कारण स्वतंत्रता की कोटि – सामान्य ताप
2. घूर्णन गति के कारण स्वतंत्रता की कोटि – संरचना , सामान्य ताप
3. कम्पन्न गति के कारण स्वतंत्रता की कोटि – संरचना , सामान्य ताप
1. स्थानान्तरण या रेखीय गति के कारण स्वतंत्रता की कोटि : स्थानांतरण या रेखीय गति के कारण उत्पन्न कोटियों को स्थानान्तरण या रेखीय गति के कोटियाँ कहा जाता है।
स्थानान्तरण गति के कारण स्वतंत्रता की कोटियाँ तीन होती है।
स्थानान्तरण गति के कारण स्वतंत्रता की कोटियाँ सामान्य ताप पर पायी जाती है।
2. घूर्णन गति के कारण स्वतंत्रता की कोटि : स्वतंत्रता की ये कोटियाँ अणु या परमाणु की घूर्णन गति के कारण उत्पन्न होती है।
घूर्णन गति के कारण स्वतंत्रता की कोटियो की संख्या अणु की संरचना पर निर्भर करती है।
घूर्णन गति के कारण स्वतंत्रता की कोटियाँ सामान्य ताप पर पायी जाती है।
3. कम्पन्न गति के कारण स्वतंत्रता की कोटियाँ : ये कोटियाँ अणु या परमाणु की कम्पन्न गति के कारण उत्पन्न होती है।
ये कोटियाँ भी अणु की संरचना पर निर्भर करती है।
कम्पन्न गति के कारण उत्पन्न कोटियाँ उच्च ताप पर निर्भर करती है।
एक परमाणु या अणु की औसत कुल ऊर्जा KT/2
यहाँ K = वोल्टजमैन नियतांक = R/N
यहाँ R = गैस स्थिरांक
N = आवोगाद्रो संख्या
T = ताप
यदि स्वतंत्रता की कोटियाँ f हो तो = fKT/2
1 मोल अणु या परमाणु की औसत कुल ऊर्जा = fKTN/2
चूँकि K = R/N
कुल ऊर्जा = fRT/2
Sbistudy

Recent Posts

सारंगपुर का युद्ध कब हुआ था ? सारंगपुर का युद्ध किसके मध्य हुआ

कुम्भा की राजनैतिक उपलकियाँ कुंमा की प्रारंभिक विजयें  - महाराणा कुम्भा ने अपने शासनकाल के…

4 weeks ago

रसिक प्रिया किसकी रचना है ? rasik priya ke lekhak kaun hai ?

अध्याय- मेवाड़ का उत्कर्ष 'रसिक प्रिया' - यह कृति कुम्भा द्वारा रचित है तथा जगदेय…

4 weeks ago

मालकाना का युद्ध malkhana ka yudh kab hua tha in hindi

malkhana ka yudh kab hua tha in hindi मालकाना का युद्ध ? मालकाना के युद्ध…

2 months ago

कान्हड़देव तथा अलाउद्दीन खिलजी के संबंधों पर प्रकाश डालिए

राणा रतन सिंह चित्तौड़ ( 1302 ई. - 1303 ) राजस्थान के इतिहास में गुहिलवंशी…

2 months ago

हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ? hammir dev chauhan history in hindi explained

hammir dev chauhan history in hindi explained हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ?…

3 months ago

तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच हुआ द्वितीय युद्ध Tarain battle in hindi first and second

Tarain battle in hindi first and second तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच…

3 months ago
All Rights ReservedView Non-AMP Version
X

Headline

You can control the ways in which we improve and personalize your experience. Please choose whether you wish to allow the following:

Privacy Settings
JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now