JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now

हिंदी माध्यम नोट्स

Class 6

Hindi social science science maths English

Class 7

Hindi social science science maths English

Class 8

Hindi social science science maths English

Class 9

Hindi social science science Maths English

Class 10

Hindi Social science science Maths English

Class 11

Hindi sociology physics physical education maths english economics geography History

chemistry business studies biology accountancy political science

Class 12

Hindi physics physical education maths english economics

chemistry business studies biology accountancy Political science History sociology

Home science Geography

English medium Notes

Class 6

Hindi social science science maths English

Class 7

Hindi social science science maths English

Class 8

Hindi social science science maths English

Class 9

Hindi social science science Maths English

Class 10

Hindi Social science science Maths English

Class 11

Hindi physics physical education maths entrepreneurship english economics

chemistry business studies biology accountancy

Class 12

Hindi physics physical education maths entrepreneurship english economics

chemistry business studies biology accountancy

एकाश्म स्तम्भ क्या है , मोनोलिथिक पिलर्स किसे कहते हैं , शैलकृत गुहा Monolithic Pillars in hindi

Monolithic Pillars in hindi एकाश्म स्तम्भ क्या है , मोनोलिथिक पिलर्स किसे कहते हैं , शैलकृत गुहा ?

एकाश्म-स्तम्भ (मोनोलिथिक पिलर्स) : वास्तुकला के क्षेत्र में मौर्यों की प्रमुखता ‘शिल्प स्तम्भों के निर्माण कौशल में है। ये स्तम्भ निःसंदेह रूप से अशोक कालीन मूर्तिकला के सार हैं। इन स्तम्भों को भारतीय कला मर्मज्ञों ने अशोक कालीन कला का नवगीत कहा है। वास्तव में इनके निर्माण में शिल्प का अद्भुत कौशल तो परिलक्षित होता है साथ ही इनकी कल्पना भी नितांत मौलिक है। अशोक कालीन इन पाषाण स्तम्भों की संख्या तीस बतलाई जाती है परंतु इनमें से अनेक नष्ट हो चुके हैं। दिल्ली, मेरठ, इलाहाबाद (उ.प्र.), कोसम, लौरिया अरराज (चम्पारन, बिहार), लौरिया नदनगढ़ तथा रामपुरवा (जनपद चम्पारन, बिहार) के पाषाण स्तम्भों पर अशोक के प्रथम से षष्ट्म स्तम्भ-लेख अंकित हैं।
अशोक के ये शिलास्तम्भ अथवा ‘लाट’ स्थूलाकार या पिण्डाकार लम्बे, सुडौल, चिकने ‘एकाश्म’ हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि इस प्रकार के स्वतंत्र खड़े स्तम्भों की परम्परा भारतीय वास्तुकला की समस्त शैलियों में पाई जाती हैं। बौद्धों में इन पर अभिलेख खुदवा, गए तथा शीर्ष पर पशु प्रतीक बनवाए गए। मौर्यकालीन पाषाण-स्तम्भों का निर्माण का एक ही लम्बी शिला को ‘तराश’ कर किया गया और इसमें कहीं भी जोड़ नहीं है।
शैलकृत गुहा : अशोक के शासनकाल में दक्षिण एशिया की सबसे विशिष्ट और अति महत्वपूर्ण पत्थर निर्मित वास्तु कला परंपरा भी देखने को मिलती है। बिहार में गया के निकट बाराबार और नागार्जुनी पहाड़ियों में पत्थर निर्मित वास्तु कला की अनेक शृंखलाएं परिलक्षित हैं। उनमें अभिचित्रित अनेक अभिलेखों से यह पता चलता है कि वे कुछ आजीवक संन्यासियों, संभवतः जैन धर्म के अनुयायियों को निवास हेतु दी गईं थीं। पुरातात्विक दृष्टिकोण से वे भारत में पत्थर निर्मित वास्तुकला शैली का एक प्रारंभिक उदाहरण हैं। तत्कालीन युग में बनने वाले लकड़ी और घासफूस के ढांचों का वे प्रतीक हैं। सुदामा और लोभास ऋषि गुफाएं दो प्रसिद्ध ऋषि आश्रम थे। उन गुफाओं में प्रवेश द्वार के साथ-साथ वृत्ताकार कमरे, गोलाकार छत और गोलीय कोठरियां बनीं होती थीं।
स्तूपः अशोक के शासनकाल के पहले भी भारत में स्तूप जैसी चीजें ज्ञात थीं। मूलरूप से वैदिक आर्यों ने ईंटों और साधारण मिट्टी से उनका निर्माण किया था। मौर्य काल के पहले इस तरह के स्तूपों के उदाहरण नहीं मिलते हैं। अशोक के शासन काल में बुद्ध के शरीर को ध्यान में रखकर स्मृति चिन्हों का निर्माण किया गया और यही स्तूप पूजा के साधन बने। बौद्ध कला और धर्म में स्तूप को भगवान बुद्ध के स्मृति चिन्ह के रूप में स्वीकार किया गया। स्तूप अंदर से कच्ची ईंटों से तथा बाहरी खोल पक्की ईंटों से बनाये गये और फिर उनमें हल्का प्लास्टर चढ़ाया गया। स्तूप को ऊपर से लकड़ी अथवा पत्थर की छतरी से सुसज्जित किया गया और प्रदक्षिणा के लिए चारों ओर लकड़ी का माग्र भी बनाया गया। यद्यपि स्तूप निर्माण का संबंध बौद्ध धर्म से जोड़ा जाता है किंतु इसकी परम्परा प्रायः वैदिक काल में आरम्भ हो गई थी क्योंकि ऋगवेद में ‘स्तूप’ शब्द दो बार आया है। शुक्ल युजुर्वेद तथा शतपथ ब्राह्मण में समाधि के ऊपर मिट्टी का ऊंचा-टीला बनाने के स्पष्ट उल्लेख हैं। ऐसे मिट्टी के टीले (समाधि) महापुरुषों की मृत्यु के पश्चात् ‘भस्म अवशेषों’ को भूमि के नीचे गाड़कर निर्मित किए जाते थे। बौद्ध साहित्य में स्तूप शब्द का प्रयोग ‘मृतदेह के भस्मावशेषों’ के ऊपर निर्मित समाधि के अर्थ में हुआ है। कालान्तर में स्तूप शब्द बुद्ध तथा उनके प्रमुख अनुयायियों के जीवन की किसी घटना विशेष से संबंधित स्थान उस स्मृति को जीवित रखने के उद्देश्य से स्मारक रूप में निर्मित किए जागे लगे। बौद्ध परम्परा के अनुसार सम्राट अशोक ने प्राचीन स्तूपों से बुद्ध की ‘शरीर-धातु’ निकलवा कर उसके ऊपर 84,000 स्तूपों का निर्माण करवाया था, परंतु यह कथन स्पष्टतः अतिरंजित प्रतीत होता है। चीनी यात्री द्वेनसांग ने तक्षशिला, श्रीनगर, थानेश्वर, मथुरा, कौशाम्बी, श्रावस्ती, कपिलवस्तु, कुशीनगर, वाराणसी (सारनाथ), वैशाली एवं गया आदि विभिन्न स्थानों पर अशोक द्वारा निर्मित स्तूप देखे थे।
मौर्यकालीन स्तूपों में अशोक द्वारा निर्मित अधिकांश स्तूप नष्टप्राय हो चुके हैं। इनमें सारनाथ का ‘धर्मराजिका स्तूप’, भरहुत, सांची तथा बोधगया के स्तूप, मूलतः, अशोक द्वारा निर्मित माने जाते हैं। सारनाथ के धर्मराजिका स्तूप का भग्नावशेष अशोक स्तम्भ के समीप ही विद्यमान है जिसके चारों ओर ‘मनौती स्तूप’ निर्मित है। सारनाथ का ईंटों का बना गोलाकार मौर्यकालीन स्तूप लगभग 60 फुट व्यास का रहा होगा और यह स्तूप एक-दूसरे के ऊपर क्रमशः छः बार आच्छादित किया गया था।
मौर्यकालीन लोक कला (Folk Art)
मौर्ययुगीन कलाकारों ने तत्कालीन सामाजिक एवं धार्मिक जीवन से संबंधित ऐसे महत्वपूर्ण लोकप्रिय शिल्प का भी सृजन किया है जिसके अंतग्रत विशालकाय ‘यक्ष-यक्षिणी’ प्रस्तर मूर्तियां, मृण्मूर्तियां मनके एवं मृतपात्र विशेष रूप से उत्तरी काले-चमकीले मृतपात्र उल्लेखनीय हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि मौर्यकाल में मूर्ति शिल्प का समुचित विकास हुआ था जिनमें विशालकाय यक्ष-यक्षिणी पाषाण मूर्तियां कलात्मक दृष्टि से महत्वपूर्ण मानी जाती हैं। सम्भवतः यक्षों की मूर्तियां मथुरा से शिशुपालगढ़ (ओडीशा) वाराणसी से विदिशा एवं पाटलिपुत्र से शूरपारक तक के विस्तृत क्षेत्र में पाई गई है।
मथुरा के अतिरिक्त पटना से प्राप्त दो पक्ष प्रतिमाएं, राजघाट से प्राप्त ‘त्रिमुख यक्ष’ प्रतिमा तथा विदिशा, पद्मावती (ग्वालियर, मध्य प्रदेश), शिशुपालगढ़ (ओडीशा) तथा कुरुक्षेत्र (हरियाणा) से प्राप्त यक्ष-मूर्तियां परखम मूर्ति से साम्य रखती हैं। इसी प्रकार यक्षिणी की मूर्तियों में महरौली, पटना नगर के दीदारगंज से प्राप्त ‘चामर-गहिणी यक्षी की प्रतिमा’ तथा बेसनगर की यक्षी विशेष उल्लेखनीय हैं। ये यक्ष तथा यक्षी मूर्तियां ‘लोक धर्म’ की प्रमुख आधार थीं तथा इन्हें सर्वत्र देवी.देवताओं के रूप में पूजा करने की परम्परा थी।
उत्खननों में अहिच्छत्र, मथुरा, हस्तिनापुर, अतिरंजी खेड़ा, कौशाम्बी, भीटा, शृंगवेरपुर, राजघाट, बुलंदीबाग, कुभ्रहार (पटना) एवं बसाढ़ आदि से मृण्मूर्तियां प्राप्त हुई हैं, जिनमें पशु-पक्षी के अतिरिक्त मानव-मूर्तियां भी सम्मिलित हैं। इन मानव-मूर्तियों में से कतिपय सांचे में ढालकर निर्मित की गई थीं। इन विभिन्न प्रकार की मृण्मूर्तियों से लोक कला एवं लोक जीवन पर विशेष प्रभाव दृष्टिगोचर होता है।
मृण्मूर्तियों की भांति मनके भी मौर्यकाल के महत्वपूर्ण अंश माने जाते हैं। कौशाम्बी, शृंगवेरपुर, राजघाट, वैशाली, कुम्रहार एवं चम्पा आदि पुरास्थलों के उत्खनन में मौर्यकालीन स्तर से गोमेद, रेखांकित करकेतन, तामडा प्रस्तर तथा मिट्टी के बने मनके प्राप्त हुए हैं। इनका आकार षड्ज, पंचभुजाकार, चतुरस्त्र, वृत्ताकार एवं बेलनाकार है तथा ये अधिक लोकप्रिय है तथा तत्कालीन समाज की रुचि के परिचायक हैं। इनमें से अधिकांश मनके कलात्मक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं।
मौर्ययुगीन लोककला का मूल्यांकनः प्राचीन भारतीय इतिहास में मौर्यों का इतिहास बेहद महत्वपूर्ण रहा है। चंद्रगुप्त ने जिस बड़े

Sbistudy

Recent Posts

four potential in hindi 4-potential electrodynamics चतुर्विम विभव किसे कहते हैं

चतुर्विम विभव (Four-Potential) हम जानते हैं कि एक निर्देश तंत्र में विद्युत क्षेत्र इसके सापेक्ष…

2 days ago

Relativistic Electrodynamics in hindi आपेक्षिकीय विद्युतगतिकी नोट्स क्या है परिभाषा

आपेक्षिकीय विद्युतगतिकी नोट्स क्या है परिभाषा Relativistic Electrodynamics in hindi ? अध्याय : आपेक्षिकीय विद्युतगतिकी…

4 days ago

pair production in hindi formula definition युग्म उत्पादन किसे कहते हैं परिभाषा सूत्र क्या है लिखिए

युग्म उत्पादन किसे कहते हैं परिभाषा सूत्र क्या है लिखिए pair production in hindi formula…

6 days ago

THRESHOLD REACTION ENERGY in hindi देहली अभिक्रिया ऊर्जा किसे कहते हैं सूत्र क्या है परिभाषा

देहली अभिक्रिया ऊर्जा किसे कहते हैं सूत्र क्या है परिभाषा THRESHOLD REACTION ENERGY in hindi…

6 days ago

elastic collision of two particles in hindi definition formula दो कणों की अप्रत्यास्थ टक्कर क्या है

दो कणों की अप्रत्यास्थ टक्कर क्या है elastic collision of two particles in hindi definition…

6 days ago
All Rights ReservedView Non-AMP Version
X

Headline

You can control the ways in which we improve and personalize your experience. Please choose whether you wish to allow the following:

Privacy Settings
JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now