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जड़त्व आघूर्ण किसे कहते है , मात्रक , इकाई , विमा , परिभाषा , जडत्व आघूर्ण क्या है (moment of inertia in hindi)

(moment of inertia in hindi) जड़त्व आघूर्ण किसे कहते है , मात्रक , इकाई , विमा , परिभाषा , जडत्व आघूर्ण क्या है : किसी वस्तु या पिण्ड का वह गुण वह गुण जो घूर्णन गति कर रही वस्तु में घूर्णन अक्ष के सापेक्ष वस्तु की स्थिति में परिवर्तन का विरोध करता है उसे जड़त्व आघूर्ण कहते है।
जब किसी वस्तु पर घूर्णन बल आरोपित किया जाता है तो विराम अवस्था से वस्तु घूर्णन गति करना प्रारंभ कर देती है या पहले से घूर्णन गति कर रही वस्तु के विपरीत दिशा में घूर्णन बल आरोपित करने से वस्तु की घूर्णन गति रुक जाती है।
जब वस्तु की घूर्णन अक्ष के सापेक्ष अवस्था में परिवर्तन होता है तो वस्तु इस अवस्था परिवर्तन का विरोध करती है इसे ही जडत्व आघूर्ण कहा जाता है।

माना एक m द्रव्यमान की वस्तु r त्रिज्या वाले वृत्तीय पथ पर गति कर रहा है इस वृत्तीय पथ पर घूर्णन गति के अक्ष के सापेक्ष वस्तु का जड़त्व आघूर्ण का मान वस्तु के द्रव्यमान व घूर्णन अक्ष से वस्तु तक की दूरी के वर्ग के गुणनफल के बराबर होता है।
अत: वस्तु का जडत्व आघूर्ण का मान निम्न होगा –

जड़त्व आघूर्ण को I से प्रदर्शित किया जाता है तथा इसका मात्रककिलोग्राम-मीटर2‘ होता है , इसका विमीय सूत्र (विमा) [M1L2T0] होता है।
सूत्र के अनुसार जडत्व आघूर्ण को निम्न प्रकार भी परिभाषित कर सकते है –
“घूर्णन गति कर रहे पिण्ड के द्रव्यमान और पिण्ड की घूर्णन अक्ष से दूरी के वर्ग के गुणनफल को उस वस्तु का इसकी अक्ष के सापेक्ष जड़त्व आघूर्ण कहते है। ”
यदि किसी वस्तु का जडत्व आघूर्ण का मान अधिक है तो इसका अभिप्राय है कि वस्तु अपनी अवस्था में परिवर्तन का अधिक विरोध करती है इसलिए इसकी घूर्णन अवस्था में परिवर्तन करने के लिए बल आघूर्ण का मान भी अधिक आरोपित करना पड़ेगा।
माना कोई वस्तु n कणों से मिलकर बनी हुई है और इन कणों की घूर्णन अक्ष से दूरियाँ क्रमशः r2
, r3 … … …. rn है। तथा इन n कणों का द्रव्यमान का मान क्रमशः m1
, m2 , m3 … … …. mn है जैसा चित्र में दर्शाया गया है –

यह n कणों वाली वस्तु इसकी घूर्णन अक्ष के परित: चक्कर लगा रही है अर्थात वस्तु की घूर्णन गति हो रही है तो वस्तु का इन सभी कणों के कारण कुल जड़त्व आघूर्ण का मान सभी कणों के अलग अलग जडत्व आघूर्ण के योग के बराबर होता है –

किसी अक्ष के परित: जड़त्व आघूर्ण (I)

(a) n कणों के एक निकाय का किसी अक्ष के परित: जडत्व आघूर्ण इस प्रकार परिभाषित किया जाता है –
I = m1r12 + m2r22 + . . . .. . . . . + mnrn2
जडत्व आघूर्ण की SI मात्रक किग्रा.मी.2 (Kg.m2) होता है।
जड़त्व आघूर्ण की धनात्मक सदिश राशि है।
(b) एक सतत निकाय के लिए –
I = ∫r2(dm)
जहाँ dm = अल्पांश का द्रव्यमान
r = dm द्रव्यमान का घूर्णन अक्ष से लम्बवत दूरी
जडत्व आघूर्ण निम्नलिखित पर निर्भर करता है –
  • वस्तु के पदार्थ के घनत्व पर
  • वस्तु की आकृति और आकार पर
  • घूर्णन अक्ष पर
संयुक्त रूप से हम कह सकते है कि यह घूर्णन अक्ष के सापेक्ष द्रव्यमान वितरण पर निर्भर करता है।
नोट : जड़त्व आघूर्ण नहीं बदलता है यदि द्रव्यमान –
  • घूर्णन अक्ष के सामानांतर विस्थापित किया जाए
  • घूर्णन अक्ष के प्रति नियत त्रिज्या के साथ घुमाया जाए
प्रश्न : दो भारी कण जिनके द्रव्यमान m1 m2 है , रेखा AB के लम्बवत क्रमशः r1 r2 दूरियों पर स्थित है –
(a) अक्ष AB के प्रति निकाय का जडत्व आघूर्ण क्या है ?
(b)  m1 से गुजरने वाले और m1 m2 को मिलाने वाली रेखा के लम्बवत अक्ष के प्रति निकाय का जडत्व आघूर्ण क्या है ?
(c) m1 m2 से गुजरने वाले अक्ष के प्रति निकाय का जड़त्व आघूर्ण क्या है ?
(d) m1 m2 के द्रव्यमान केंद्र से गुजरने वाले और m1 m2 को मिलाने वाली रेखा लम्बवत अक्ष के प्रति निकाय का जडत्व आघूर्ण क्या है ?
उत्तर : (a)  m1 का जड़त्व आघूर्ण I1 = m1r12
m2 का जड़त्व आघूर्ण I2 = m2r22
AB के प्रति निकाय का जडत्व आघूर्ण I =  I1 + I2 = m1r12 + m2r22
(b) m1 का जड़त्व आघूर्ण I1 = 0
m2 का जड़त्व आघूर्ण I2 = m2(r1 + r2)2
AB के प्रति निकाय का जडत्व आघूर्ण I =  I1 + I2 = 0 + m2(r1 + r2)2
(c) m1 का जड़त्व आघूर्ण I1 = 0
m2 का जड़त्व आघूर्ण I2 = 0
AB के प्रति निकाय का जडत्व आघूर्ण I = 0 + 0 = 0
(d) निकाय का द्रव्यमान केंद्र rcm = m2(r1+r2/m1+m2) = द्रव्यमान केंद्र की m1 से दूरी
द्रव्यमान केंद्र की m2 से दूरी  = m1(r1+r2/m1+m2)
अत: द्रव्यमान केंद्र के परित: जड़त्व आघूर्ण = Icm = m2(r1+r2/m1+m2)  + m1(r1+r2/m1+m2)
Icm = [m1m2/m1+m2 ](r1 + r2)2
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