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वंशागति का आणविक आधार कक्षा 12 जीव विज्ञान प्रश्न उत्तर पीडीएफ molecular basis of inheritance neet questions pdf download in hindi

By   June 19, 2023

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वंशागति का आणविक आधार pdf download

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वंशागति (Inheritance) आणविक आधार पर कार्य करती है। यह मतलब होता है कि वंशागति विभिन्न जीवों में आनुवंशिक विशेषताओं, गुणों, और जीनों के संचार के माध्यम से होती है। जीवजगत में वंशागति द्वारा जीवों के अद्यतन, विकास, और विविधता में बदलाव होता है।

वंशागति का आणविक आधार जीनों में स्थित होता है। जीनों के रूप में ज्ञात होने वाले आणविक संरचनात्मक इकाईयों में संग्रहीत होती हैं, जिनमें आणविक ज्ञान और धारणा समाहित होती है। ये जीनों के माध्यम से जीवों की आनुवंशिक विशेषताएं और गुणों को विरासत में बदलने और संचारित करने का कार्य करती हैं।

जीनों के आणविक आधार पर वंशागति का संचार होता है। जीनेटिक माध्यम से जीनेटिक सूत्र विरासत में आते हैं और पूर्वजों से बच्चों को पारित करते हैं। यह जीनेटिक सूत्र जीनों के नाम, स्थान, और विशेषताओं को संकेत करते हैं, और ये सूत्र जीनों की आनुवंशिकता और विशेषताओं की संचारित करते हैं। जीनों का संचार जीनेटिक मेकेनिज्म और प्रक्रियाओं के माध्यम से होता है, जिनमें जीन की प्रतिलिपि, त्रुटि संशोधन, जीन के व्यक्तित्व के रूप में व्यक्त होना, और जीन की व्यापकता का महत्वपूर्ण योगदान होता है।

वंशागति के आणविक आधार के माध्यम से, जीवों में विभिन्न आनुवंशिक विशेषताएं और गुण विकसित होते हैं, जो पूर्वजों से अगली पीढ़ियों में संचारित होते हैं। यह प्रक्रिया जीवजगत के विविधता, विकास, और प्रजाति गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

आणविक संरचनात्मक (Molecular Structural) शब्द जीनेटिक्स और जैवरसायनिक विज्ञान में उपयोग होता है। यह शब्द जीनों, प्रोटीनों, और अन्य आणविक यौगिकों के संरचना को संदर्भित करता है। यह आणविक संरचनात्मक तत्व जीनों के आकार, संरचना, और संघटन को समझने में मदद करता है, जिससे उनका कार्य और आनुवंशिक संचार संभव होता है।

आणविक संरचनात्मक जीनेटिक्स में, जीनों की मूल एकाग्रता, उनके बांध-मुक्त द्रव्यमान, मोलेक्यूलर बंधों की प्रकृति, और उनके फोल्डिंग प्रक्रिया का अध्ययन किया जाता है। यह संरचनात्मक जानकारी हमें यह समझने में मदद करती है कि एक जीन कैसे फोल्ड होता है और प्रोटीन की आकृति कैसे तय होती है।

आणविक संरचनात्मक अध्ययन से हमें पता चलता है कि जीनों की आणविक संरचना किस प्रकार उनके कार्यों को संभालती है और कैसे वे अन्य मोलेक्यूलों के साथ संघटित होते हैं। यह हमें जीनों के प्रतिबंधक, संवेदक, और अ

न्य संपर्क बिंदुओं के संदर्भ में जानकारी प्रदान करता है। इस प्रकार, आणविक संरचनात्मक अध्ययन हमें जीनेटिक प्रक्रियाओं के मूल विभाजन, प्रतिस्थापन, और संचार की समझ में मदद करता है।

त्रुटि संशोधन

त्रुटि संशोधन (Error Correction) एक प्रक्रिया है जो जीनेटिक्स में होती है और जीनों के आणविक स्तर पर त्रुटियों को संशोधित करने में मदद करती है। यह प्रक्रिया जीनों के आकार, संरचना, और विशेषताओं को सही रखने के लिए महत्वपूर्ण है।

त्रुटि संशोधन की प्रमुख विधियों में से एक है “मिसमैच रिपेयर” (Mismatch Repair)। जब जीनों के आकार में त्रुटि उत्पन्न होती है, जैसे कि बेस पेयरिंग में गलती होने के कारण या डीलीशन या इंसर्शन की प्रक्रिया में त्रुटि होने के कारण, मिसमैच रिपेयर मेकेनिज्म कार्य करता है और त्रुटि को संशोधित करता है। इस प्रक्रिया में, त्रुटि धारित जीन एक्सोन्यूक्लेआस में पहुंचती है और त्रुटि को चिह्नित करती है, जिसके बाद त्रुटि को संशोधित करने के लिए विशेष एंजाइम्स कार्य करते हैं।

त्रुटि संशोधन के अलावा, अन्य मेकेनिज्म भी हो सकते हैं जो जीनों के आणविक स्तर पर त्रुटियों को संशोधित करते हैं, जैसे कि न्यूक्लिएज एक्साइजन (Nucleotide Excision) और बेस एक्साइजन रिपेयर (Base Excision Repair)। ये संशोधन प्रक्रियाएं त्रुटि को संशोधित करने और जीनों के सामान्य कार्य को बनाए रखने में मदद करती हैं।

त्रुटि संशोधन में विभिन्न एंजाइम्स और प्रोटीन्स कार्य करते हैं, जो त्रुटि संशोधन पथ में शामिल होते हैं और त्रुटि को पहचानते हैं, इसे संशोधित करते हैं, और आणविक संरचना को सुधारते हैं। ये प्रोटीन्स संशोधन पथ को संचालित करते हैं और त्रुटि संशोधन की प्रक्रिया को पूरा करते हैं, जो जीनेटिक त्रुटियों को संशोधित करके उन्हें स्थायी बनाती हैं।

जीन के व्यक्तित्व

जीन के व्यक्तित्व (Genetic Variation) एक महत्वपूर्ण विषय है जो जीनेटिक्स और जीवविज्ञान में प्रमुख रूप से विचार किया जाता है। यह व्यक्तित्व जीनों के बीच विभिन्न संगठनिक और संघटक परिवर्तनों को संदर्भित करता है जो एक जीन के रूप में मौजूद हो सकते हैं।

जीन के व्यक्तित्व में कई प्रकार के परिवर्तन हो सकते हैं, जैसे कि एकल नुक्लियोटाइड परिवर्तन (Single nucleotide polymorphism, SNP), जो एक या अधिक नुक्लियोटाइड बेस परिवर्तन को संकेत करता है। अन्य व्यक्तित्व के प्रकार में शामिल हो सकते हैं इंसर्शन (Insertion), डीलीशन (Deletion), डुप्लीकेशन (Duplication), इन्सर्शन-डीलीशन (Indel), और उपयोग रिकंड (Copy number variations)।

जीन के व्यक्तित्व के परिणामस्वरूप, एक जीन में प्रत्येक व्यक्ति या प्रजाति में अलग-अलग विशेषताएं हो सकती हैं। यह विशेषताएं शारीरिक, रोगप्रतिरोधी, मनोवैज्ञानिक, और अन्य विशेषताओं के रूप में प्रकट हो सकती हैं। जीन के व्यक्तित्व का महत्वपूर्ण अंश है कि यह जीवजगत में प्रजातियों की विविधता और विकास को संभव बनाता है।

जीन के व्यक्तित्व के पीछे कई कारक हो सकते हैं, जैसे कि म्यूटेशन (Mutation), जीनोम का अद्यतन (Genome evolution), जनसंख्या गतिशीलता (Population dynamics), और यौगिक आपसी कार्रवाई (Gene interactions)। इन सभी कारकों के संयोग से जीन के व्यक्तित्व में विविधता उत्पन्न होती है और प्राकृतिक संरचना और विकास को संभव बनाती है।

जीनेटिक प्रक्रिया

जीनेटिक प्रक्रिया जीवों में जीनों के आपसी प्रभाव और उनके प्रगति में होने वाले परिवर्तनों को संदर्भित करती है। यह प्रक्रियाएं जीनों के वितरण, प्रतिस्थापन, और विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। यहां कुछ महत्वपूर्ण जीनेटिक प्रक्रियाएं हैं:

1. जीन अवलोकन (Gene Expression): जीन अवलोकन एक प्रक्रिया है जिसमें एक जीन की जीनेटिक सूचना अप्रोटीन (protein) उत्पन्न करने के लिए प्रगति करती है। इसमें जीन का डीएनए भूचाल (transcription) और प्रोटीन निर्माण (translation) शामिल होते हैं। जीन अवलोकन के माध्यम से, जीनों का विभाजन, विशिष्टता और संचालन संभव होता है।

2. जीनेटिक मूल्यांकन (Genetic Mapping): जीनेटिक मूल्यांकन एक प्रक्रिया है जिसमें जीनों के स्थान का निर्धारण किया जाता है। यह प्रक्रिया विभिन्न जीनों और उनके विशेषताओं के बीच संबंधों को समझने में मदद करती है। जीनेटिक मूल्यांकन के माध्यम से, जीनों की स्थानिक विशेषताओं, प्रभाव और विविधता का पता लगाया जा सकता है।

3. म्यूटेशन (Mutation): म्यूटेशन एक प्रक्रिया है जिसमें जीनों में बदलाव होता है। यह बदलाव आकार, स्थान, या संरचना में हो सकता है और उन्हें नई विशेषताओं को जन्म देता है। म्यूटेशन नये जीनेटिक वैश्विकी (Genetic Variation) को उत्पन्न करती है और प्राकृतिक चयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

4. जीन अद्यतन (Genome Editing): जीन अद्यतन एक प्रक्रिया है जिसमें जीनों में संशोधन किया जाता है ताकि विशेषताएं परिवर्तित की जा सकें। यह मानव द्वारा संशोधित किए गए क्रिस्पर-कैसे9 (CRISPR-Cas9) जैसे मानव-निर्मित नकली जीनों का उपयोग करके किया जा सकता है। जीन अद्यतन के माध्यम से, विज्ञानियों को जीनों में सुधार करने और नये गुणों को प्राप्त करने का अवसर मिलता है।

ये थे कुछ मुख्य जीनेटिक प्रक्रियाएं जो जीवों में जीनों के प्रगति और विविधता को संदर्भित करती हैं। इन प्रक्रियाओं के माध्यम से, जीनेटिक संरचना और विकास को समझने में मदद मिलती है और वैज्ञानिकों को जीनों के विशेषताओं और उनके प्रभाव को समझने और आधुनिक जीवविज्ञान के क्षेत्र में प्रगति करने का अवसर प्राप्त होता है।