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उत्प्रेरण का आधुनिक सिद्धांत क्या है , Modern theory of Catalysis in hindi मॉडर्न उत्प्रेरक सिद्धान्त
रसायन विज्ञान के अन्दर उत्प्रेरण का आधुनिक सिद्धांत क्या है , Modern theory of Catalysis in hindi मॉडर्न उत्प्रेरक सिद्धान्त ?
उत्प्रेरण का आधुनिक सिद्धान्त (Modern theory of Catalysis)
इस सिद्धान्त के अनुसार विषमांगी उत्प्रेरण की प्रक्रिया उत्प्रेरक की सतह द्वारा अधिशोषण के कारण सम्पन्न होती है। इस कारण इसे सतह उत्प्रेरण (surface catalysis) भी कहा जाता है। सतह उत्प्रेरण प्रमुख रूप से दो बातों के कारण होता है-(1) उठोरक की सतह पर मुक्त संयोजकताओं का होना, व (ii) क्रियाकारक का इन मुक्त संयोजकताओं के साथ जुड़कर रासायनिक अधिशोषण सम्पन्न करना। सतह उत्प्रेरण की क्रियाविधि मुख्य रूप से निम्न पदों में सम्पन्न होती है :
- क्रियाकारक (द्रव या गैस) के अणु ठोस उत्प्रेरक की सतह की तरफ विसरित होते हैं। ।
(ii) उत्प्रेरक की सतह के चारों ओर की सभी मुक्त संयोजकताओं पर क्रियाकारक के अणु एक आणविक सतह में अधिशोषित हो जाते हैं।
- क्रियाकारक के अणु उठोरक अणुओं के साथ क्रिया करके मध्यवर्ती सक्रियित संकुल बनाते हैं।
(iv) ये मध्यवर्ती सक्रियित संकुल विघटित होकर उत्पाद बनाते हैं और उत्प्रेरक को मुक्त कर देते हैं।
- उत्पाद के अणु उत्प्रेरक की सतह से विशोषण (desorption) द्वारा दूर हो जाते हैं जिससे मुक्त संयोजकताओं वाली उठोरक की सतह अन्य क्रियाकारी अणुओं को अधिशोषित करने के लिए। तैयार हो जाती है।
सतह उत्प्रेरण अभिक्रियाएं किस प्रकार सम्पन्न होती हैं, इसको समझाने के लिए हम ऐल्कीनों की हाइडोजनीकरण की क्रिया का अध्ययन करेंगे। उत्प्रेरक निकिल चूर्ण की उपस्थिति में एथीन के हाइड्रोजनीकरण द्वारा एथेन का निर्माण निम्न प्रकार से सम्पन्न होता है
अभिक्रिया में निकिल को महीन चूर्ण के रूप में लेने का कारण यह ह कि देने का कारण यह है कि उससे केमीसॉर्पशन करने क लिए उपलब्ध केन्द्रों की संख्या अधिक हो जाएगी। उदाहरणार्थ. निम्न दोनों स्थितिया में निकिल की मात्रा समान है लेकिन अधिक मुक्त केन्द्र उपलब्ध होने के कारण स्थिति (b) का उत्प्रेरक अधिक होती है
सतह की रासायनिक प्रकृति से किसी सतह उत्प्रेरण वाली रासायनिक अभिक्रिया की दिशा का निर्धारण होता है। अतः किसी ऐल्कोहॉल की निकिल, पैलेडियम, प्लेटिनम, आदि उत्प्रेरक की उपस्थिति में तो विहाइड्रोजनीकरण (dehydrogenation) होता है, लेकिन ऐलुमिना की उपस्थिति में उसका निर्जलीकरण (dehydration) हो जाता है। अर्थात्
CH3CH2OH – CH3CHO + H2
CH3CH2OH Alumina→ CH2 = CH2 + H2O
इस अन्तर की व्याख्या इनकी क्रियाविधि द्वारा आसानी से की जा सकती है :
- निकिल धातु का हाइड्रोजन परमाणुओं के प्रति प्रबल आकर्षण होता है। अतः निकिल धातु की सतह पर एथेनॉल के हाइड्रोजन परमाणु आकर्षित होते हैं और निम्न प्रकार से उसका विहाइड्रोजनीकरण हो जाता
- ऐलुमिना की सतह पर ऑक्साइड समूहों के साथ-साथ कुछ हाइड्रॉक्साइड समूह भी होते हैं। ऐलुमिना की सतह के विन्यास को निम्न प्रकार से मान सकते हैं :
एथेनॉल के अणुओं के ऑक्सीजन परमाणु ऐलुमिना के हाइड्रोजन परमाणुओं की ओर आकर्षित होते हैं, अतः उनका उत्प्रेरक की सतह पर निम्न प्रकार से अधिशोषण होगा और एथेनॉल का निर्जलीकरण हो जाएगा जैसा कि निम्न चित्र में प्रदर्शित है :
उपर्यत समस्त चित्रों से यह भी स्पष्ट होता है कि किसी उठोरक की सतह पर क्रियाकारक के अण किस प्रकार से अधिशोषित होते हैं। उदाहरण 8.3. HI के समांगी विघटन के लिए सक्रियण ऊर्जा का मान 45 kcal/mol है, जबकि प्लेटिनम उठोरक पर इस विघटन की सक्रियण ऊर्जा का मान 14 kcal/mol है। यदि अन्य सारे कारक समान हों तो बताइए कि 727°C पर उठोरकीय तथा अनुटोरकीय अभिक्रिया के वेग स्थिरांक के अनपात का मान क्या होगा?
हल : आहीनियस समीकरण के अनुसार, log kc= log A- EC/ 2.303 RT …………..(i)
Log k = log A – Ea/ 2.303 RT …………………….(ii)
ने समीकरण (i) में से समीकरण (ii) को घटाने पर,
log kc/k = 1/ 2.303 RT (Ea –Ec)
सारे मान रखने पर,
log kc/k = 1x (45-14kcal mo1′) /2.303 (1.987×10-3 kcal/mol-1K-1) 1000 K
= 6.7744
Kc/k antilog 6.7744 = 5.948 x 106
स्मरण रखने योग्य महत्वपूर्ण बिन्दु
- उतारक ऐसा पदार्थ जिसकी उपस्थिति से अभिक्रिया का वेग परिवर्तित हो जाता हो और जो अभिक्रिया में। भाग भी लेते हों, लेकिन उनमें कोई स्थायी परिवर्तन न हो।
- समाग उतोरण-जब क्रियाकारकों व उत्प्रेरक की भौतिक अवस्था इस प्रकार की हो कि वे सब एक ही प्रावस्था (phase) का निर्माण करते हों।
- विषमांग उतोरण-जब क्रियाकारकों तथा उत्प्रेरक की भौतिक अवस्था भिन्न-भिन्न हो जिससे वे भिन्न-भिन्न प्रावस्थाएं बनाते हैं।
- अम्ल-क्षार उत्प्रेरण-किसी अम्ल या क्षार का उठोरक के रूप में कार्य करना : (i) एक सामान्य अम्ल उत्प्रेरण अभिक्रिया,
S+ HA = SH’ +A P+ H3O dx/dt = k1 [S][HA]
P+HA dx/dt = k1k2 [S][HA]
- विशिष्ट अम्ल उत्प्रेरण k2 <<k-1, dx/dt = k[S][H
- सामान्य क्षार उत्प्रेरण , S + BOH = SOH + B’ – P+ OH
K2>>k-1 dx/dt k[S][BOH]
- विशिष्ट क्षार उत्प्रेरण , k2<<k-1 = k[S]|OH ]
एन्जाइम उत्प्रेरण, E+S = Es→P+E, dx/dt = v = k2[E][S]/ Km+ [S]
- उत्प्रेरण के सिद्धान्त-1) मध्यवर्ती यौगिक सिद्धान्त (i) S+c = SC + P+C
वेग समीकरणें-(अ) जब k1>>k2 तब dx/dt = k1/k-1 x k2[S][C]
(ब) जब K– 1< < k2 तब = dx/dt = k1[S][C]
(ii) S+ C = SC P+c तब dx/dt = K[S][C]
(iii) S+C = sc -P+C तब = K[S][C]
7. उतारण का आधुनिक सिद्धान्त उत्प्रेरक की सतह पर विद्यमान मक्त संयोजकताओं पर क्रिया कारको का अधिशोषित होकर क्रिया करके उत्पाद बनाना और फिर सतह से मुक्त हो जाना।
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