JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now

हिंदी माध्यम नोट्स

Categories: sociology

आधुनिक समाज की परिभाषा क्या है | आधुनिक समाज किसे कहते है विशेषताएं modern society in hindi

modern society in hindi meaning definition आधुनिक समाज की परिभाषा क्या है | आधुनिक समाज किसे कहते है विशेषताएं  में सामाजिक परिवर्तन को परिभाषित कीजिये |

आधुनिक समाज
पार्सन्स के अनुसार समाजों के विकास की प्रक्रिया का तीसरा चरण है आधुनिक सामाजिक प्रणालियां। इस प्रकार के समाजों का उदय विकास के मध्यवर्ती चरण (जिसे समाजों का पूर्व-औद्योगिक चरण भी कहा जा सकता है) से अनेक प्रकार की सामाजिक संस्थाओं के विकास के माध्यम से हुआ। इस प्रक्रिया में प्रौद्योगिकी ने निश्चय ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। किंतु यह विकास पश्चिमी (यूरोपीय) समाज में हुई तीन प्रकार की क्रांतियों के कारण संभव हुआ। पार्सन्स के अनुसार, ये क्रांतियां मानवता के लिए पश्चिम की विशिष्ट देन हैं। यही कारण है कि पार्सन्स का यह विचार भी है कि समाज के आधुनिक चरण का विकास पूर्णतया पश्चिम के योगदान का परिणाम है और इस दिशा में पूर्व अर्थात् चीन या भारत जैसी किसी भी अन्य सभ्यता ने भूमिका नहीं निभाई।

पश्चिम (यूरोप) में परिवर्तन लाने वाली तीन क्रांतियां हैंः प) औद्योगिक क्रांति पप) फ्रांसीसी क्रांति के कारण आई लोकतांत्रिक क्रांति, और पपप) शैक्षिक क्रांति। इस पाठ्यक्रम (ई.एस.ओ.-13) के खंड 1 की इकाई 1 में फ्रासीसी क्रांति तथा औद्योगिक क्रांति के बारे में आपने पहले ही पढ़ा है। औद्योगिक क्रांति ऊर्जा के स्रोत भाप तथा बिजली के आविष्कार के फलस्वरूप आई। इससे परिवहन, व्यापार, समुद्री यात्रा द्वारा व्यापार, उत्पादन तथा बाजार-व्यवस्था में आमूल परिवर्तन हुए। मध्यवर्ती समाज में ऊर्जा के मुख्य साधन के रूप में प्राणी-शक्ति का उपयोग किया जाता था। लेकिन आधुनिक समाज में कारखाने बन गए तथा इनमें भाप और बिजली का व्यापक स्तर पर इस्तेमाल होने लगा।

उत्पादन की कारखाना प्रणाली में शहरी और औद्योगिक विकास में योगदान मिला और समाज के आर्थिक एवं सामाजिक विकास में विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी की बढ़ती हुई भूमिका विकास का स्थायी तत्व बन गई। यह क्रांति यूरोप में लोकतांत्रिक क्रांति के साथ-साथ आई और उसे मजबूत बनाने में भी सहायक सिद्ध हुई। इस संबंध में फ्रांसीसी क्रांति का विशेष योगदान रहा, जिसने समानता, विश्व बंधुत्व, स्वतंत्रता जैसे मूल्यों की स्थापना की और राजशाही की जड़ें खोदकर उसके स्थान पर निर्वाचित सरकार की लोकतांत्रिक प्रक्रिया का सूत्रपात किया। इंग्लैंड में भी सुधार आंदोलन तथा राजनीतिक आंदोलन द्वारा राजा की निरंकुश सत्ता छिन गई और शासन के अधिकार निर्वाचित जन-प्रतिनिधियों के हाथों में चले गए।

लोकतांत्रिक आंदोलन का एक क्रांतिकारी परिणाम नई सामाजिक प्रणाली के उदय के रूप में हुआ, जिसके अंतर्गत जन्म नहीं बल्कि व्यक्ति की योग्यता समाज में सम्मान और प्रतिष्ठा का आधार बन गई। औद्योगिक तथा लोकतांत्रिक क्रांतियों ने मिलकर सामाजिक परिवर्तन की नई प्रक्रिया की नींव डाली, जिससे अवसरों की उपलब्धता के विषय में लोगों को अधिक भागीदार तथा समानता मिलने लगी। किंतु यह सभी कुछ तीसरी क्रांतिकारी घटना के कारण संभव हुआ और यह है यूरोपीय समाज में शैक्षिक क्रांति।

यूरोप में शैक्षिक क्रांति का सृजन मूलतः शिक्षा को धर्म-स्थानों से पृथक करने और उसे निरंतर धर्म-निरपेक्ष तथा सार्वजनीन रूप देने के फलस्वरूप हुआ। शिक्षा की विश्वविद्यालय प्रणाली का उदय यूरोपीय समाज के सामाजिक तथा सांस्कृतिक इतिहास की बहुत बड़ी घटना सिद्ध हुई, क्योंकि विश्वविद्यालयों में धार्मिक तथा सांप्रदायिक धारणाओं से मुक्त होकर ज्ञान की वृद्धि के लिए पठन-पाठन तथा शोध, दोनों कार्य चल सकते थे। इस व्यवस्था ने ज्ञान की प्राप्ति तथा उसके प्रसार को सांप्रदायिक नियंत्रण से मुक्त करके उसे बिना किसी भेदभाव या पक्षपात के समूचे समाज अथवा मानव-मात्र के लिए उपलब्ध करा दिया। इसी प्रकार, प्राथमिक शिक्षा को सर्वसुलभ बनाने अर्थात् समाज के सभी वर्गों एवं श्रेणियों में शिक्षा के प्रसार से पश्चिमी समाज में उच्च शिक्षा की नींव सुदृढ़ हो गई। इससे उस समाज में औद्योगिक तथा लोकतांत्रिक संस्थाएं और पुष्ट होने लगीं। पार्सन्स के मत में औद्योगिक, लोकतांत्रिक एवं शैक्षिक क्रांतियां मानवता को पश्चिमी जगत की बेजोड़ देन हैं। इन तीन क्रांतियों के प्रभाव से समाज की आधुनिक प्रणाली का उदय हुआ। इनकी मुख्य विशेषताओं में हैं प) सार्विकीय कानूनों का विकास पप) धन तथा बैंकिंग की आधुनिक संस्थाओं का विकास पपप) तर्कसंगत नौकरशाही का विकास, और पअ) लोकतांत्रिक समाज का विकास दिखें चित्र 28.2)।
चित्र 28.2ः आधुनिक समाज के लक्षण
पार्सन्स के अनुसार आधुनिक समाज में इन संस्थागत शर्तों या पूर्वपिक्षाओं का होना आवश्यक है। सार्विकीय कानून विश्व-बंधुत्व, और मानव की स्वतंत्रता के सिद्धांत पर आधारित हैं। इनसे धर्म, रंग, जन्म आदि का विचार किए बिना कानून को सभी मनुष्यों पर तर्कसंगत तथा एक-समान ढंग से लागू करना संभव हुआ है। इन सार्विकीय वैधानिक नियमों का मुख्य लक्षण है कि “मौलिक अधिकार या नागरिक अधिकार‘‘ अस्तित्व में आएँ और समाज के सभी लोगों को उपलब्ध हों। ये अधिकार सरकारी सत्ता का मनमाना प्रयोग नहीं होने देते और व्यक्ति की रक्षा करते हैं। इसी प्रकार, धन और बैंकिंग प्रणाली ने व्यापार एवं वाणिज्य को तर्कसंगत बनाया है और उसे सही अर्थों में विश्व-स्तर का स्वरूप प्रदान किया है। अब नगर या कस्बे की बाजार प्रणाली की बजाय विश्व बाजार प्रणाली की चर्चा की जाती है। इससे समाज की आर्थिक तथा औद्योगिक गतिविधियों का दायरा और व्यापक होता है। इस प्रक्रिया में तर्कसंगत नौकरशाही की भूमिका सर्वाधिक महत्वपूर्ण रही है।

तर्कसंगत नौकरशाही की अवधारणा का उल्लेख सबसे पहले मैक्स वेबर ने किया। इसका अर्थ है परीक्षा द्वारा कार्यकारी अथवा सरकारी अधिकारियों का योग्यता के आधार पर चयन, जिम्मेदारियों का निश्चित निर्धारण और कानूनी जवाबदेही। दुरुपयोग किए जाने की स्थिति में अधिकारियों के बचाव का प्रावधान भी है । समानता, सार्वजनीनता तथा न्याय के सिद्धांत पर सार्वजनिक नीति को क्रियान्वित करने के लिए तर्कसंगत नौकरशाही का होना आवश्यक है। पार्सन्स का विचार है कि आधुनिक समाज ने धन एवं बैंकिंग अथवा नौकरशाही के विकास में भले ही बहुत ऊंचाइयां छू ली हों, परन्तु लोकतंत्र के बिना उसे आधुनिक समाज नहीं कहा जा सकता।

लोकतंत्र से उसका अभिप्राय है संसदीय लोकतंत्र, जिसमें भिन्न तथा विरोधी विचारधारा वाले अनेक राजनीतिक दलों के द्वारा लोगों को समाज की राजनीतिक प्रक्रियाओं में भाग लेने की स्वतंत्रता होती है। इस प्रकार के लोकतंत्र के बिना सार्विकीय वैधानिक प्रतिमानों या तर्कसंगत नौकरशाही की संस्थाएं अपने स्वरूप में भले ही अस्तित्व में हों, किंतु उनका व्यावहारिक अस्तित्व नहीं होता। पार्सन्स की राय है कि जैसे-जैसे समाज में आधुनिकता की अन्य विशेषताएं उभरने लगती हैं, एक समय आता है, जब लोकतांत्रिक सुधार करने का दबाव बढ़ जाता है और आधुनिक सामाजिक प्रणालियों का स्वरूप अंततः लोकतांत्रिक ही है।

पार्सन्स के अनुसार समय की दृष्टि से ऐतिहासिक अंतर अथवा असमानता भले ही रहे, फिर भी . सामाजिक परिवर्तन की विकासात्मक प्रक्रिया तो समाज की आधुनिक प्रणाली का लक्ष्य प्राप्त करने की दिशा में आगे बढ़ती रहेगी। सभी समाजों को “विकासात्मक सार्विकीय तत्वों‘‘ के संस्थागत होने की प्रक्रिया से गुजरना होगा और समय के साथ-साथ इन समाजों में सार्विकीय वैधानिक प्रतिमानों, धन एवं बैंकिंग प्रणाली, तर्कसंगत नौकरशाही और अंततः लोकतंत्र की स्थापना होगी। आइए, अब इकाई के अंत में बोध प्रश्न 3 को पूरा कर लें।

बोध प्रश्न 3
प) विकासात्मक सार्विकीय तत्वों से क्या अभिप्राय है? अपना उत्तर छः पंक्तियों में लिखिए।
पप) आधुनिक समाजों के विकास में तीन प्रकार की क्रांतियों की मुख्य भूमिका रही। चार पंक्तियों में इन क्रांतियों का परिचय दीजिए।
पपप) आधुनिक सामाजिक प्रणाली के पार्सन्स द्वारा बताए गए मुख्य अभिलक्षणों का उल्लेख कीजिए। अपना उत्तर चार पंक्तियों में दीजिए।

बोध प्रश्न 3 उत्तर
प) प्रत्येक सामाजिक प्रणाली की अपनी विशिष्ट ऐतिहासिक विशेषताएं होती हैं। किंतु इस विशिष्टता के बावजूद लंबी अवधि के संदर्भ में उस पर विचार करने पर विकास के कुछ सामान्य निर्देश दिखाई देते हैं जिनसे होकर सभी सामाजिक प्रणालियां गुजरती हैं। समाजों के विकास के इसी निर्देश तथा इस ऐतिहाकिक प्रक्रिया के स्वरूप को ही पार्सन्स ने विकासात्मक सार्विकीय तत्व कहा है।
पप) आधुनिक समाजों के विकास में जिन तीन प्रकार की क्रांतियों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है,वे हैंः प) औद्योगिक क्रांति, पप) फ्रांसीसी क्रांति के नेतृत्व में हुई लोकतांत्रिक क्रांति, और पपप) शैक्षिक क्रांति ।
पपप) आधुनिक सामाजिक प्रणाली के मुख्य अभिलक्षण इस प्रकार हैंः क) सार्विकीय कानूनों का विकास, ख) धन तथा बैंकिंग की आधुनिक संस्थाओं का विकास, ग) तर्कसंगत नौकरशाही का विकास, और घ) लोकतांत्रिक समाज का विकास

Sbistudy

Recent Posts

सती रासो किसकी रचना है , sati raso ke rachnakar kaun hai in hindi , सती रासो के लेखक कौन है

सती रासो के लेखक कौन है सती रासो किसकी रचना है , sati raso ke…

23 hours ago

मारवाड़ रा परगना री विगत किसकी रचना है , marwar ra pargana ri vigat ke lekhak kaun the

marwar ra pargana ri vigat ke lekhak kaun the मारवाड़ रा परगना री विगत किसकी…

23 hours ago

राजस्थान के इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों की विवेचना कीजिए sources of rajasthan history in hindi

sources of rajasthan history in hindi राजस्थान के इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों की विवेचना कीजिए…

3 days ago

गुर्जरात्रा प्रदेश राजस्थान कौनसा है , किसे कहते है ? gurjaratra pradesh in rajasthan in hindi

gurjaratra pradesh in rajasthan in hindi गुर्जरात्रा प्रदेश राजस्थान कौनसा है , किसे कहते है…

3 days ago

Weston Standard Cell in hindi वेस्टन मानक सेल क्या है इससे सेल विभव (वि.वा.बल) का मापन

वेस्टन मानक सेल क्या है इससे सेल विभव (वि.वा.बल) का मापन Weston Standard Cell in…

3 months ago

polity notes pdf in hindi for upsc prelims and mains exam , SSC , RAS political science hindi medium handwritten

get all types and chapters polity notes pdf in hindi for upsc , SSC ,…

3 months ago
All Rights ReservedView Non-AMP Version
X

Headline

You can control the ways in which we improve and personalize your experience. Please choose whether you wish to allow the following:

Privacy Settings
JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now