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आवर्त सारणी : मेण्डलीफ की आवर्ती सारणी , आधुनिक आवर्त सारणी , डॉबेराइनर का त्रिक नियम
तत्वों का वर्गीकरण : तत्वों को व्यवस्थित क्रम में रखने के लिए वैज्ञानिको द्वारा समय समय पर प्रयास किये गए है।
1. डॉबेराइनर का त्रिक नियम : इस नियमानुसार समान गुणों वाले तत्वों के तीन तीन समूह के लिए गए , इसमें देखा गया कि पहले और तीसरे तत्वों के परमाणु भार का औसत , मध्य वाले तत्वों के परमाणु भार के लगभग बराबर होता है।
उदाहरण :
Li7 | Na23 | K39 |
(7 + 39)/2 = 46/2
46/2 = 23
2. न्यूलैंड्स का अष्टक नियम : न्यूलैण्ड्स ने तत्वों को परमाणु भार के बढ़ते हुए क्रम में रखा तथा एक नियम बनाया , जिसके अनुसार यदि तत्वों को परमाणु भार के बढ़ते हुए क्रम में रखा जाए तो प्रथम तत्व और आठवें तत्व के गुण उसी प्रकार से समान होते है जिस प्रकार संगीत का पहला स्वर , 8 वें स्वर के समान होता है।
उदाहरण :
Li सा | Be रे | B गा | C मा | N पा | O धा | F नि |
Na सा | Mg रे | Al गा | Si मा | P पा | S धा | Cl नि |
3. लोथर मेयर का आयतन वक्र
लोथर मेयर ने परमाणु आयतन और परमाणु भार के मध्य ग्राफ खिंचा , इस ग्राफ में देखा गया कि समान गुण वाले तत्व ग्राफ में निश्चित स्थान पर आते है।
4. मेंडलीफ का आवर्त नियम
मेण्डलीफ ने तत्वों को परमाणु भार के बढ़ते क्रम में रखा और एक नियम बनाया जिसे मेण्डलीफ का आवर्त नियम कहते है।
इस नियमानुसार तत्वों के भौतिक और रासायनिक गुण उनके परमाणु भार के आवर्ती फलन होते है , अर्थात यदि तत्वों को परमाणु भार के बढ़ते क्रम में रखा जाए तो एक निश्चित क्रम के बाद समान गुण वाले तत्वों की पुनरावृति होती है।
मेण्डलीफ की आवर्ती सारणी का प्रारूप
मेण्डलीफ की आवर्त सारणी में 7 क्षैतिज पंक्तियाँ है जिन्हें आवर्त कहते है और 9 ऊर्ध्वाधर खाने होते है जिन्हें वर्ग कहते है।
वर्गों की कुल संख्या 9 होती है , ये 1 से 8 तक तथा शून्य में विभाजित होते है।
एल से लेकर सात तक के वर्गों को दो उपवर्गों में बांटा गया है।
ये उपवर्ग A व B होते है –
वर्ग | उपवर्ग (A , B) |
I | I A I B |
II | II A II B |
III | III A III B |
IV | IV A IV B |
V | V A V B |
VI | VI A VI B |
VII | VII A VII B |
आठवाँ वर्ग तीन उपवर्गों से मिलकर बना होता है।
आवर्तो की कुल संख्या 7 होती है।
आवर्त | तत्वों की संख्या | आवर्त का नाम |
I | 2 | अतिलघु आवर्त |
II | 8 | लघु आवर्त |
III | 8 | लघु आवर्त |
IV | 18 | दीर्घ आवर्त |
V | 18 | दीर्घ आवर्त |
VI | 32 | अतिदीर्घ आवर्त |
VII | अपूर्ण | अपूर्ण |
मेण्डलीफ की आवर्त विशेषताएँ
- तत्वों को व्यवस्थित क्रम में रखने से समान गुण वाले तत्वों की पुनरावृति हुई।
- कुछ तत्वों का सही परमाणु भार ज्ञात करने में सहायता मिली।
- नए तत्वों की खोज की प्रेरणा मिली।
- तत्वों की संयोजकता ज्ञात करने में सहायता मिली।
मेण्डलीफ की आवर्त सारणी की कमियां
- हाइड्रोजन की स्थिति अनिश्चित है।
- कुछ तत्वों को परमाणु भार के बढ़ते हुए क्रम में नहीं रखा गया जैसे कोबाल्ट , निकेल , टेल्युरियम और आयोडीन आदि।
- समस्थानिको को कोई स्थान नहीं दिया गया।
- दुर्बल मृदा तत्वों की आवर्त सारणी में स्थिति अधिक स्पष्ट नहीं है।
दीर्घ या आधुनिक आवर्त सारणी
यह सारणी हेनरी मोजले द्वारा बनायीं गयी।
मोजले ने तत्वों को परमाणु क्रमांक के बढ़ते क्रम में रखा और एक नियम बनाया जिसे दीर्घ आवर्त नियम या आधुनिक आवर्त नियम कहते है।
इस नियम के अनुसार तत्वों के भौतिक और रासायनिक गुण उनके परमाणु क्रमांक के आवर्ती फलन होते है अर्थात यदि तत्वों को परमाणु क्रमांक के बढ़ते हुए क्रम में रखा जाए तो निश्चित क्रम के बाद समान गुण वाले तत्वों की पुनरावृति होती है।
आवर्त : दीर्घ आवर्त सारणी में 7 क्षैतिज पंक्तियाँ होती है जिन्हें आवर्त कहते है।
आवर्त में भरे जाने वाले उपकोश और तत्वों की संख्या :-
आवर्त | भरे जाने वाले उपकोश | तत्वों की संख्या |
1 (I) | 1S | 2 |
2 (II) | 2S , 2P | 8 |
3 (III) | 3S , 3P | 8 |
4 (IV) | 4S , 3d , 4P | 18 |
5 (V) | 5S , 4d , 5P | 18 |
6 (VI) | 6S , 5d , 6p , 4f | 32 |
7 (VII) | 7s , 6d , 7p , 5f | अपूर्ण |
वर्ग : आधुनिक आवर्त सारणी में 18 उर्ध्वाधर खाने होते है , जिन्हें वर्ग कहते है।
आधुनिक आवर्त सारणी में इन्हें 1 से लेकर 18 तक के अंक दिए गए है।
दीर्घ आवर्त सारणी की उपयोगिता
- निश्चित क्रम के बाद बाह्य इलेक्ट्रॉनिक विन्यास समान रहता है अत: एक वर्ग के तत्वों के गुण लगभग समान होते है।
- मेंडलीफ की आवर्त सारणी की तुलना में यह आवर्त सारणी याद करने और लिखने में आसान है।
- बोरोन [B] से एस्टाटिन [At] तक खिंची गयी सीढ़ीनुमा रेखा धातु और अधातुओं को पृथक करती है।
- f खण्ड के तत्वों की स्थिति अधिक स्पष्ट है।
- मेंडलीफ की आवर्त सारणी की तुलना में इस आवर्त सारणी में एक वर्ग के दोनों उपवर्गों को अलग कर दिया गया , क्यूंकि दोनों के गुण भिन्न थे।
दीर्घ आवर्त सारणी की कमियाँ
- दीर्घ आवर्त सारणी में भी हाइड्रोजन की स्थिति स्पष्ट नहीं है।
- f खण्ड के तत्वों को मूल आवर्त सारणी में स्थान न देकर अलग से नीचे स्थान दिया गया है।
- लगभग समान गुण वाले तत्वों को पृथक पृथक वर्गों में रखा गया है , उदाहरण : Cu , मर्करी आदि।
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