JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now

हिंदी माध्यम नोट्स

Class 6

Hindi social science science maths English

Class 7

Hindi social science science maths English

Class 8

Hindi social science science maths English

Class 9

Hindi social science science Maths English

Class 10

Hindi Social science science Maths English

Class 11

Hindi sociology physics physical education maths english economics geography History

chemistry business studies biology accountancy political science

Class 12

Hindi physics physical education maths english economics

chemistry business studies biology accountancy Political science History sociology

Home science Geography

English medium Notes

Class 6

Hindi social science science maths English

Class 7

Hindi social science science maths English

Class 8

Hindi social science science maths English

Class 9

Hindi social science science Maths English

Class 10

Hindi Social science science Maths English

Class 11

Hindi physics physical education maths entrepreneurship english economics

chemistry business studies biology accountancy

Class 12

Hindi physics physical education maths entrepreneurship english economics

chemistry business studies biology accountancy

Categories: indian

आधुनिक भारतीय चित्रकार कौन कौन है , आधुनिक चित्रकला का इतिहास pdf क्या है , modern indian painter in hindi

modern indian painter in hindi आधुनिक भारतीय चित्रकार कौन कौन है , आधुनिक चित्रकला का इतिहास pdf क्या है ?

आधुनिक चित्रशैली
भारत में चित्रकला के आधुनिक युग की शुरूआत वर्तमान शताब्दी के साथ आरंभ हुई। इतने थोड़े से समय में भारतीय चित्रकला ने जो प्रगति की उसका श्रेय वर्तमान पीढ़ी के उन सभी कलाकारों को है, जिन्होंने आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक परिस्थितियों की चिंता किए बिना अपनी साधना जारी रखी। ये कलाकार विभिन्न वर्गें से सम्बंधित हैं। आधुनिक चित्रकला के छः प्रमुख स्कूल और स्थान माने जाते हैं। ये स्थान हैं कोलकाता, मुंबई, दिल्ली, चेन्नई, हैदराबाद और जयपुर।
वस्तुतः आधुनिक चित्रकला का इतिहास बंगाल स्कूल से आरंभ होता है। यह आधुनिक चित्रकला की पृष्ठभूमि है। भारत में बंगाल स्कूल की स्थापना का श्रेय ई.बी. हैवल और अबनींद्रनाथ टैगोर को दिया जाता है। दोनों ने मिलकर खो चुके मूल्यों को पुगर्जीवित करने और अपनी स्वदेशी कला को नया कलेवर देने का प्रयास किया। हालांकि, इन्होंने एक बार फिर प्राचीन काल के विषय ही चुने गए, लेकिन भारतीय चित्रकारों को उनके गौरवशाली अतीत की याद दिलाते हुए आत्मविश्वास के साथ कुछ नया करने की प्रेरणा भी मिली।
इसके पहले उन्नीसवीं शताब्दी के अंत में यूरोपीय शैली को अपनाने वाले भारतीय चित्रकारों में मदुरै के अलाग्री नायडू और त्रावणकोर के राजा रवि वर्मा के नाम उल्लेखनीय हैं। अलाग्री नायडू को रवि वर्मा अपना गुरु मानते थे। रवि वर्मा ने अलाग्री नायडू और भारत भ्रमण पर आए थियोडोर जेन्सन से चित्रकला की शिक्षा प्राप्त की थी। उनका जन्म 1848 में और देहांत 1904 में हुआ। उन्होंने अपनी आयु के लगभग तीस वर्ष भारतीय चित्रकला की साधना में लगाए।
प्रकाशन के समुचित साधनों के अभाव में रवि वर्मा ने मुम्बई में लीथोग्राफ प्रेस खोला और अपने चित्रों को प्रकाशित कर कला जगत को अपनी कला से परिचित करवाया। उनके बाद ही चित्रकला में नए आंदोलन का सूत्रपात हुआ। नए आंदोलन के प्रवर्तक थे रामानंद चटर्जी, अ)ेर्न्दु गांगुली, अवनींद्रनाथ ठाकुर तथा नंदलाल बोस।
कुछ चित्रकार ऐसे भी हैं, जिन्होंने बंगाल स्कूल के साथ-साथ देश के सांस्कृतिक तत्वों का अपनी कला में समावेश किया और नई परंपरा का सूत्रपात किया। इनमें जैमिनी राय और अमृता शेरगिल के नाम प्रमुख हैं। इनका विचार था कि बंगाल स्कूल पाश्चात्य परंपरा पर आधारित है। कनु देसाई और रविशंकर रावल आदि ने देश प्रेम को ही अपनी साधना का मुख्य विषय बना, रखा। परंतु राष्ट्र प्रेम की यह भावना स्थायी नहीं थी, क्योंकि स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद अनेक कलाकार दूसरी दिशाओं की ओर बढ़े। इनमें सबसे प्रभावी कलाकार वे हैं, जिन्होंने देश-काल की सीमाओं को लांघकर अपनी कला को सार्वभौमिक कला का रूप दिया। सर्वप्रथम इनमें रवींद्रनाथ ठाकुर का नाम आता है। इनके चित्रों में निरपेक्षता का प्राचुर्य है। इस वग्र के चित्रकार कई हैं, लेकिन अनेक ने अपनी गिजी शैली अपना ली है। इन चित्रकारों में कंवल कृष्ण, वीरेन डे, कृष्ण खन्ना, मोहन सामंत, कुलकर्णी, हुसैन, रामकुमार, सतीश गुजराल,शांति दवे, फ्रांसिस न्यूटन सूजा, तैयब मेहता, किरण सिन्हा, पद्मसी, हरिकिशन लाल और बेन्द्रे के नाम प्रमुख हैं। रामकिंकर, हेब्बार, विनोद बिहारी मुखर्जी, चावड़ा, गादे, गायतोंडे, अजित चक्रवर्ती तथा कृष्ण रेड्डी चित्रकारों को समन्वयवादी विचारधारा का कलाकार माना जा सकता है। इनमें से कुछ पर विदेशी चित्रकला का प्रभाव भी है।

प्रमुख आधुनिक चित्रकार

अवनींद्रनाथ टैगोर : टैगोर आधुनिक कला के अग्रणी चित्रकार थे। अपनी कला के द्वारा इन्होंने भारतीय कला की प्राचीन व मध्ययुगीन विशेषताओं की खोज की व प्राचीन काल से कला में प्रयुक्त हो रहे मनोभावों का प्रयोग कर आधुनिक जीवन में कला का संचार किया। इनके चित्रों में दार्शनिक भाव की भी पर्याप्त झलक देखने को मिलती है। इनकी एक प्रमुख कृति ‘शाहजहां व ताज’ में चित्रकार के भावों की गहराई को रंगों व रेखाओं द्वारा भलीभांति समझा जा सकता है। टैगोर के माग्रदर्शन में कलाकारों के नए युग का सूत्रपात हुआ जिन्होंने अपने चित्रों में भारतीयता के विभिन्न स्वरूपों का चित्रण किया।
नंदलाल बोस : भारतीय चित्रकला के नए स्कूल में अनेक विशिष्ट चित्रकार थे जिनमें नंदलाल बोस प्रमुख थे। उनकी कला में पौराणिक विषय दिखाई दिए, साथ ही कलाकार की अपनी भावनाएं भी प्रदर्शित हुईं। सार्थक मौलिकता वाले ऐतिहासिक विषय फिर से उठाए गए और उन्होंने आसपास के वास्तविक जीवन को भी अपनी कलाकृतियों में उकेरा। मोटी रेखाओं और सादे रंगों के इस्तेमाल के कारण नंदलाल की कला असाधारण थी। अजंता की तरह यह भी भारतीय कला की परंपराग्त पद्धति थी। नंदलाल की श्रेष्ठ कृतियों में उमा की तपस्या, प्रणामए वसंत, शिव और पार्वती तथा गोपिनी शामिल हैं। रेखाचित्रों के साथ नंदलाल के प्रयोग सबसे अधिक सफल रहे हैं।
सारदा उकिल : पुरातन परपंराआें को अनुप्रा णित करने की कोशिश में सारदा उकिल ने भारतीय चित्रकला के लिए नए क्षितिज खोले। मानव रूप को दर्शाने के लिए वह प्राकृतिक लक्षणों के स्थान पर आदर्शवादी अवधारणाओं पर निर्भर रहे। उनकी कला की विषय वस्तु उनकी कल्पना से उपजती थी। उन्होंने रंग-योजना के ज्यादा शांतिकर और खुशनुमा मिश्रण तथा केवल काले तथा सफेद रंगों के प्रयोग की शुरूआत कर प्रचलित रंग तकनीक को भी बदल डाला। अपनी कल्पनामय रचनाओं के अतिरिक्त उन्होंने भावनात्मक पृष्ठभूमि के साथ ऐतिहासिक विषयों पर भी काम किया है। उन्होंने चित्रों की एक शृंखला में बुद्ध के जीवन की झांकी प्रस्तुत की। कला के आधुनिक स्कूल में उकिल का योगदान मौलिक, प्रभावशाली और मूल्यवान है।
मुहम्मद अब्दुर रहमान चांगताईः आधुनिक स्कूल के एक और मशहूर कलाकार मोहम्मद अब्दुर रहमान की कला में खुशनुमा रंग योजना में रोमानी विषय होते थे। साथ ही बारीक रेखाओं में नाजुक और खूबसूरत आकृतियां होती थीं। कांगड़ा कलाकृतियों के प्रभाव के साथ-साथ उनकी चित्रकला में प्राचीन फारसी ढंग की छाया स्पष्ट गजर आती थी। पर कलाकार की मौलिकता रंग संयोजन की प्रक्रिया में दिखाई देती थी, जो आंखों को बांध लेती थी, साथ ही विषयों को उपयुक्त उत्कृष्टता भी देती थी। चांगताई ने प्रयोगधर्मिता के क्षेत्र में अद्भुत सफलता हासिल की थी।
क्षितिंद्रनाथ मजूमदार : आधुनिक स्कूल के एक अन्य कलाकार के रूप में उन्होंने भारतीय विषयों के संदर्भ में कला को नया रूप देने में काफी सफलता हासिल की थी। महाकाव्यों के उपाख्यानों, महान संतों के जीवन और वास्तविक जिंदगी के आध्यात्मिक और उपासना संबंधी दृश्य उनके लिए प्रेरणा के स्रोत थे। उनका रंग संयोजन भी आकर्षक होता था। मजूमदार की चित्रकला की उल्लेखनीय बात परंपराग्त पौराणिक विषयों की आकृतियों के रूप में आधुनिक आकृतियों का चित्रण थी।
ए.के. हलधर : कला के क्षेत्र में काव्यात्मक लय पर काम करते हुए इन्होंने इस क्षेत्र में नवीनता पैदा की। इन्होंने रंग संयोजन और रेखाओं की गतिशीलता में काव्यात्मक संरचना की खूबसूरती और सामंजस्य को दर्शाने की कोशिश की। अत्यंत सूक्ष्मता से रंगे गए उच्च गुणवत्ता के आलंकारिक रूप उनकी कला के एक अन्य पहलू को दर्शाते थे।
जैमिनी रॉय : बुनियादी रूप से यूरोपीय ढंग के तैल-चित्रां के चित्रकार जैमिनी भारतीय नजरिए से कला का अध्ययन करने के लिए गांव की तरफ लौटे। पूरी तरह से देशज सामग्री के साथ काम करते हुए वह लोक कला की परंपरा से अत्यधिक प्रभावित हुए। उन्होंने अपने रंगों और रूप निर्माण के साथ लोक शैलियों का इस्तेमाल करते हुए कला की दुनिया में एक नया आंदोलन छेड़ दिया। उन्होंने भित्ति-चित्रों, लघु-चित्रों और व्यक्ति-चित्रों की श्रेष्ठ कृतियां बनाईं।
एमण्एफ. हुसैन (मुहम्मद फिदा)ः पंढ़रपुर (महाराष्ट्र) में जन्मे हुसैन का परिवार जब इंदौर पहुंचा तो उन्होंने स्कूल जागा शुरू किया, पर पढ़ाई की ओर उनका ध्यान नहीं था। 18 वर्ष की आयु में तैल-रंगों में बने व्यक्तिचित्र के लिए इंदौर की एक प्रदर्शनी में उन्हें स्वर्ण पदक दिया गया। इस पर उन्होंने बंबई के जे.जे. स्कूल ऑफ आर्टस में दाखिला लिया और होर्डिंग्स पर सिनेमा के विशालकाय पोस्टर बनाने शुरू कर दिए। तभी उन्होंने चित्रकला को अपना व्यवसाय बनाने का गिर्णय लिया। साथ ही विशिष्ट प्रणेता और प्रवर्तक अमृता शेरगिल के चित्रों से अत्यंत प्रेरित और प्रभावित भी हुए। उन्होंने रजा और सैजा के साथ मिल कर कलाकारों का प्रगतिशील समूह (1948) बनाया। अपनी पहली एकल प्रदर्शनी बंबई (1950) में लगाई। इस प्रदर्शनी के एक चित्र को पेरिस के ‘सैलोन डि माई’ में लगाया गया। उनके चित्र जिंदगी की हलचल के प्रतीक बन गए। उन्होंने एक प्रतीकात्मक फिल्म थ्रू दि आइज ऑफ ए पेंटर (1966) बनाई, जिसे बर्लिन फिल्मोत्सव में गोल्डन बियर पुरस्कार मिला। चित्रकला की अपनी महाभारत और रामायण शृंखला के लिए उन्होंने प्राचीन भारत का अध्ययन किया। आज उन्हें भारत का अग्रणी चित्रकार माना जाता है। उनके प्रकृति चित्र भारतीयता से सराबोर होते हैं। उनका बाद का काम निरूढ़ है, बेहद प्रतीक रूप में है और अमूर्त प्रकृति का है पर उनमें से प्रत्येक भारतीय लोकाचार पर खरा उतरता है।
शेरगिल, अमृताः अपने चित्र कनवरसेशन के लिए वह ग्रैंड सैलोन की एसोसिएट चुनी गईं। वह इस सम्मान को पाने वाली सबसे कम उम्र की कलकार तथा प्रथम एशियाई थीं। उनके सबसे बेहतरीन चित्रों में शामिल हैं सीस्टा, हिलसाइड, एलिफेंट्स बादिंग इन ग्रीन पूल तथा दि न्यूड्स।

Sbistudy

Recent Posts

four potential in hindi 4-potential electrodynamics चतुर्विम विभव किसे कहते हैं

चतुर्विम विभव (Four-Potential) हम जानते हैं कि एक निर्देश तंत्र में विद्युत क्षेत्र इसके सापेक्ष…

2 days ago

Relativistic Electrodynamics in hindi आपेक्षिकीय विद्युतगतिकी नोट्स क्या है परिभाषा

आपेक्षिकीय विद्युतगतिकी नोट्स क्या है परिभाषा Relativistic Electrodynamics in hindi ? अध्याय : आपेक्षिकीय विद्युतगतिकी…

4 days ago

pair production in hindi formula definition युग्म उत्पादन किसे कहते हैं परिभाषा सूत्र क्या है लिखिए

युग्म उत्पादन किसे कहते हैं परिभाषा सूत्र क्या है लिखिए pair production in hindi formula…

6 days ago

THRESHOLD REACTION ENERGY in hindi देहली अभिक्रिया ऊर्जा किसे कहते हैं सूत्र क्या है परिभाषा

देहली अभिक्रिया ऊर्जा किसे कहते हैं सूत्र क्या है परिभाषा THRESHOLD REACTION ENERGY in hindi…

6 days ago

elastic collision of two particles in hindi definition formula दो कणों की अप्रत्यास्थ टक्कर क्या है

दो कणों की अप्रत्यास्थ टक्कर क्या है elastic collision of two particles in hindi definition…

6 days ago
All Rights ReservedView Non-AMP Version
X

Headline

You can control the ways in which we improve and personalize your experience. Please choose whether you wish to allow the following:

Privacy Settings
JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now