JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now

हिंदी माध्यम नोट्स

Categories: sociology

अल्पसंख्यक किसे कहते है | अल्पसंख्यक की परिभाषा क्या है अर्थ मतलब में कौन कौन सी जाति आती है

minorities in hindi अल्पसंख्यक किसे कहते है | अल्पसंख्यक की परिभाषा क्या है अर्थ मतलब में कौन कौन सी जाति आती है ?

अल्पसंख्यक कौन हैं ? (who is minor in india)
संयुक्त राष्ट्र संघ की रिपोर्ट (1980) के मुताबिकः “विश्व की जनसंख्या का आधा हिस्सा महिलाएं हैं। दो तिहाई कार्य घंटे का काम वही करती हैं। लेकिन विश्व की आमदनी का सिर्फ दसवां हिस्सा उन्हें मिलता है और विश्व उन्हें संपत्ति में सौवें हिस्से से भी कम का स्वमित्व उन्हें प्राप्त है।‘‘
यही बात दक्षिण अफ्रीका के काले लोगों के लिए कही जा सकती है। वे बहुत मौलिक अर्थ में अल्पसंख्यक हैं। अल्पसंख्यक समूह की लुई विर्थ की इस परिभाषा को हेलन मेयर हैकर ने भी स्वीकार किया हैः ‘‘अलसंख्यक समूह ऐसा जनसमूह है जिसे उसकी शारीरिक और सांस्कृतिक विविशष्टताओं के कारण अपने समाज में अलग से चिन्हित कर दिया जाता है और इस आधार पर उनसे अलग और असमान व्यवहार किया जाता है। इसलिए यह जनसमूह स्वयं को सामूहिक भेदभाव का निशाना समझता है।‘‘ इस परिभाषा से सहमत होना हमारे लिए उपयोगी हो सकता है।

अमरिकी अश्वेतों और महिलाओं की स्थिति की तुलना के आधार पर हैकर कहते हैं कि महिलाओं का वर्गीकरण एक अल्पसंख्यक समूह के रूप में करने से कुछ लाभ हैं। इसका सबसे पहला लाभ यह है कि दोनों समूहों (अश्वेतों और स्त्रियों) में ‘‘उच्च सामाजिक दृश्यमानता‘‘ देखने को मिलती है । अश्वेतों लोगों में उनकी नस्लीय विशिष्टताओं और कुछ हद तक वेशभूषा और महिलाओं में यह उनके यौन लक्षणों और स्त्रियोचित परिधानों के रूप में प्रकट होती है। लेकिन अन्य विद्वान इस स्थापना से सहमति नहीं रखते । उदाहरण के लिए एंथनी गिडंस इस सिद्धांत के प्रतिपक्ष में कहते हैं कि यह अपने आप में विरोधाभासी होगा कि जनसंख्या के उस एक हिस्से को अल्पसंख्यक कहा जाए जो कि बहुसंख्यक हो सकता है वह कहते हैं, ‘‘कुछ विद्वानों ने कहा है कि यह धारणा संख्यात्मक होने के बजाए समाजशास्त्रीय है इसलिए अल्पसंख्यक कुछ खास परिस्थितियों में जनसंख्या के बहुसंख्यक हो सकते हैं। उदाहरण के लिए दक्षिण अफ्रीका में अपेक्षतया मुट्ठी भर गोरे लोग संख्या में अपने से कहीं ज्यादा अश्वेत लोगों पर वर्चस्व बनाए रखे हुए हैं मगर ऐसी स्थिति में उनके लिए अल्पसंख्यक शब्द का प्रयोग करना विरोधाभासी होगा। वास्तविकता यह है कि अश्वेत लोग वहां इतनी बड़ी संख्या में हैं कि उससे समाज की समग्र बनावट में बड़ा अंतर पड़ता है। इसी प्रकार पाश्चात्य जगत् में असमानताओं पर होने वाली चर्चाओं में कभी-कभी “महिला और अन्य अल्पसंख्यक” जैसा जुमला सुनने को मिलता है हालांकि महिलाएं विश्व की आधी जनसंख्या हैं । ‘अल्पसंख्यक समूह‘ शब्द का प्रयोग अगर हम सिर्फ उन लोगों के लिए करें जिनके साथ भेदभाव होता है और जो जनसंख्या का बड़ा हिस्सा नहीं हों, तो इससे हमें कम से कम भ्रम होगा।‘‘

संजातीय अल्पसंख्यक
गिडंस जोर देकर कहते हैं कि समाजशास्त्र में बड़े पैमाने पर प्रयुक्त होने वाली संजातीय अल्पसंख्यकों या अल्पसंख्यक समूहों की धारणा में संख्याओं से ज्यादा कुछ और भी निहित है। मगर वह यह महसूस करते हैं कि समाजशास्त्र में जो तीन विशेषताएं अल्पसंख्यक समूहों को परिभाषित करती हैं वे महिलाओं की कसौटी में खारी नहीं उतरती हैं क्योंकि महिलाएं अफ्रीका के अश्वेत की तरह संख्या की दृष्टि से बहुसंख्यक समूह हैं। एक अल्पसंख्यक समूह की तीन विशेषताएं इस प्रकार होनी चाहिएः
प) इसके सदस्य अन्य लोगों द्वारा उनके प्रति बरते जाने वाले भेदभाव के कारण वंचित और अलाभकर स्थिति में होते हैं। यह भेदभाव तब पैदा होता है जब एक समूह के लोगों को मिलने वाले अधिकार और अवसर दूसरे समूह को नहीं दिए जाते।
पप) अल्पसंख्यक समूह के सदस्यों में सामूहिक एकता के कारण एक दूसरे से जुड़े होने की भावना होती है। पूर्वाग्रहों और भेदभाव का शिकार होने का अनुभव उनमें सामूहिक वफादारी और हितों की भावना को और मजबूत बनाता है। अल्पसंख्यक समूहों के लोग अक्सर अपने को बहुसंख्यकों से एकदम अलग लोग मानते हैं।
पपप) प्रायः अल्पसंख्यक समूह कुछ हद तक बहुसंख्यक समुदाय से भौतिक और सामाजिक रूप से अलग-अलग रहते हैं। देश के कुछ भू-भागों, शहरों या बस्तियों में उनका जमावड़ा रहता है। बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक समूह के सदस्यों के बीच अतंरजातीय विवाह नहीं होते। अल्पसंख्यक समूह के लोग अपनी सांस्कृतिक विशिष्टता बनाए रखने के लिए अंतर्विवाह (समूह के भीतर विवाह) को ही बढ़ावा देते हैं

अभ्यास 1
विभिन्न लोगों और अपने अध्ययन केन्द्र के सहपाठियों से संजातीय अल्पसंख्यकों समेत अल्पसंख्यकों से जुड़ी धारणा पर चर्चा कीजिए। इस चर्चा के परिणाम को अपनी नोटबुक में लिख लीजिए।

गिडंस विशेष रूप से इस बात पर जोर देते हैं कि समाजशास्त्र की दृष्टि से अल्पसंख्यक सिर्फ संख्या का विषय नहीं हैं। अगर हम ‘भेदभाव‘ या ‘वंचित‘ के पहले बिंद की बात करें तो निश्चय ही यह समूह के रूप में महिलाओं पर लागू होती है, भले ही उनके भीतर अंतर कितने ही गहरे हों । भेदभाव का स्वरूप और तीव्रता में काफी भिन्नता होती है. मगर यह कहना गलत नहीं होगा कि सभी समाजों में पुरुषों के मुकाबले स्त्रियां वंचित और अलाभकर स्थिति में ही रहती हैं। लेकिन सभी समाजों में महिलाओं के साथ भेदभाव नहीं बरता जाता, इसे सिद्ध करने के लिए अक्सर हमें खासी जैसे मातृवंशीय समाजों का उदाहरण दिखाया जाता है। मगर नवीनतम शोधकार्यों से यह सिद्ध हो जाता है कि खासी जैसे समाजों में भी परिवार के अंदर संपत्ति और निर्णय लेने का अधिकार पुरुष मुखिया को ही होता है। वह मुखिया पति न होकर उसका भाई होता है। इसी प्रकार सार्वजनिक कार्यक्षेत्र में भी महिलाओं का राजनीतिक ढांचों और प्रक्रियाओं में प्रतिनिधित्व घोर निराशाजनक है। दूसरे बिन्दु में कुछ रोचकता है क्योंकि महिला आंदोलन के फलस्वरूप ‘एकात्मता‘ और ‘एक दूसरे से जुड़े होने‘ की भावना आज कुछ प्रभावशाली सामाजिक वास्तविकता बन गई है। अगर ऐसा नहीं होता तो शायद यह इकाई लिखी नहीं जाती जो शायद इस तरह के परिवर्तन का ही परिणाम कहा जा सकता है। महिला आंदोलन की इस ‘एकात्मता‘ के चलते सरकारों. कानून बनाने वाली संस्थाओं, अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने किसी न किसी रूप में प्रतिक्रिया की है। उधर, विश्वविद्यालय जैसे उच्च शिक्षा संस्थानों को भी यह एहसास हो गया है कि महिला आंदोलन के । परिणामस्वरूप जो नए परिप्रेक्ष्य समाज में उभरे है उन्हें भी पाठ्यक्रमों में शामिल किया जाना चाहिए। तीसरा पहलू है भौतिक और सामाजिक पार्थक्य का। महिला आंदोलन के लिए यह मुद्दा बेहद महत्वपूर्ण रहा है।

बाक्स 4.01
आंदोलनकर्ता और विद्वान सिद्धांतकार, दोनों ही इस वास्तविकता को गहराई से जानते हैं कि महिलाएं पुरुषों से उस तरह अलग नहीं होतीं जिस तरह कुछ अल्पसंख्यक समाज में अलग होते हैं । असल में परिवार में स्त्री और पुरुष अक्सर गहरे भवनात्मक संबंधों में बंधे होते हैं । गिडंस का यह तर्क अकाट्य है कि महिलाएं किसी कस्बे, शहर या गांव के अलग-थलग हिस्सों में अलग से नहीं रहती। कई अल्पसंख्यक समुदाय इस तरह से रहते है तो कई नहीं रहते। इसलिए इसे किसी अल्पसंख्यक समाज को परिभाषित करने वाली विशेषता के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए।

मगर यहां यह बात कही जा रही है कि महत्वपूर्ण अंतर के बावजूद संजातीय समूह और महिलाएं दोनों निर्णय करने के मामले में हाशिये पर हैं। वे कम शक्तिशाली, कम दृश्यमान हैं और अक्सर उन्हें पूर्वाग्रहों का शिकार होना पड़ता है। इसलिए महिलाओं को एक अल्पसंख्यक समूह के रूप में देखना उनकी अलाभकर स्थिति को मान्य बनाने की दिशा में एक कदम होगा।

बोध प्रश्न 1
1) संजातीय अल्पसंख्यकों के बारे में पांच पंक्तियां लिखिए।
2) सामाजिक-लिंग और जातीय भेद क्या हैं? पांच पंक्तियों में बताइएः

बोध प्रश्न 1 उत्तर
1) जातीय अल्पसंख्यक असल में अल्पसंख्यक जन समूह हैं जिनकी अनेक विशेषताएं हैं।
प) इनके सदस्य भेदभावों का शिकार होने के कारण अलाभकर स्थिति में रहते हैं, पप) अल्पसंख्यक समूदाय के सदस्यों में सामूहिक एकात्मकता की भावना होती है पपप) वे बहुसंख्यक समुदाय से सामाजिक रूप से पृथक होते हैं।
2) महिलाओं और जातीय समूहों दोनों में उच्च दृश्यमानता दिखाई देती है। वे भिन्न दिखाई देते हैं और भिन्न तरीके से आचरण करते हैं। प्राकृतिक और सामाजिक भेद कम स्पष्ट होते जाते हैं। प्राकृतिक भेदों को अभिन्न और अकाट्य माना जाता है। मगर यह स्पष्ट है कि सामाजिक-लिंग एक प्राकृतिक (जैविक) अवस्था नहीं है बल्कि यह सांस्कृतिक है।

इकाई 4 स्तरीकरणः सामाजिक लिंग (जेंडर) सोच और जातीयता से जुड़े आयाम
इकाई की रूपरेखा
उद्देश्य
प्रस्तावना
सामाजिक लिंग और जातीयता.
अल्पसंख्यक कौन हैं
संजातीय अल्पसंख्यक
असमानता और अंतर
क्रम पंरपरा और अंतर
सामाजिक लिंग और संजातीय अंतर
जातीयता और स्तरीकरण
राष्ट्रवाद और जातीयता
जातीय समूहों की प्रकृति
जातीयता और परिवार
सामाजिक लिंग और स्तरीकरण
सामाजिक लिंग की असामनताएं
पितृसत्ता और सामाजिक लिंग सोच
जातीयता और सांस्कृतिक वंचना
सारांश
शब्दावली
कुछ उपयोगी पुस्तकें
बोध प्रश्नों के उत्तर

उद्देश्य
नवीनतम अध्ययनों से सिद्ध हो गया है कि सामाजिक स्तरीकरण में सामाजिक लिग सोच (जेंडर) और जातीयता के मुद्दों की महत्वपूर्ण और निर्णायक भूमिका है। इस इकाई को पढ़ लेने के बाद आपः
ऽ सामाजिक लिंग और जातीयता की परिभाषा दे सकेंगे और इन दोनों से जुड़े मुद्दों के सामाजिक स्तरीकरण के निहितार्थो को यह समझा सकेंगे,
ऽ भारत जैसे बहुविध समाज में सामाजिक लिंग (जेंडर) और जातीयता के बुनियादी मुद्दों को समझा सकेंगे,
ऽ असमान सामाजिक लिंग संबंधों का सामाजिक स्तरीकरण में महत्व समझ पाएंगे
ऽ यह जान सकेंगे कि जातीय अल्पसंख्यक सांस्कृतिक दृष्टि से बहुसंख्यके से किस तरह से भिन्न हैं, और
ऽ यह समझ पाएंगे कि वर्तमान में जातीय पहचान किस तरह भारत में क्षेत्रीय स्वायत्तता के लिए हो रहे आंदलनों का चरित्र बन गई है।

प्रस्तावना
इस इकाई में स्तरीकरण के संदर्भ में सामाजिक लिंग सोच और जातीयता से जुड़े नये मुद्दों को समझने का प्रयास किया गया है। एक तरह से इन्हें नया कहना सही भी है और गलत भी। यह सही इस अर्थ में है कि ये मुद्दे वर्तमान समय के विशेष सरोकार हैं। इन्होंने स्तरीकरण के प्रचलित सिद्धातें की इस तरह से पूछताछ की है जैसी अभी तक नही हुई थी। मगर वहीं यह गलत इसलिए है कि जातीयता और सामाजिक लिंग सोच (जेंडर) सभी जगह स्तरीकरण व्यवस्था में गुंथे हुए थे लेकिन इन पर कभी ध्यान नहीं दिया गया। यह एक अति महत्वपूर्ण बात है कि जब कभी सामाजिक आंदोलनों ने प्रश्न उठाए हैं समाजशास्त्र को समय-समय पर अपनी तमाम अवधारणाओं और श्रेणियों की पुनर्समीक्षा करने के लिए बाध्य होना पड़ा है। इससे पहले कि उन प्रश्नों पर गौर करें जो सामाजिक लिंग सोच और जातीयता ने उठाए हैं, हम संक्षेप में कुछ बिंदुओं पर रोशनी डालेंगे जो स्तरीकरण के संबंध में दोनों की चर्चा के लिए प्रासंगिक हैं।

 सामाजिक लिंग सोच और जातीयता
रद्दों को ले रहे हैं जो सामाजिक लिंग और जातीयता के बीच समान रूप इकाई के इस भाग में हम तीन से पाए जाते हैं।

Sbistudy

Recent Posts

मालकाना का युद्ध malkhana ka yudh kab hua tha in hindi

malkhana ka yudh kab hua tha in hindi मालकाना का युद्ध ? मालकाना के युद्ध…

4 weeks ago

कान्हड़देव तथा अलाउद्दीन खिलजी के संबंधों पर प्रकाश डालिए

राणा रतन सिंह चित्तौड़ ( 1302 ई. - 1303 ) राजस्थान के इतिहास में गुहिलवंशी…

4 weeks ago

हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ? hammir dev chauhan history in hindi explained

hammir dev chauhan history in hindi explained हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ?…

4 weeks ago

तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच हुआ द्वितीय युद्ध Tarain battle in hindi first and second

Tarain battle in hindi first and second तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच…

4 weeks ago

चौहानों की उत्पत्ति कैसे हुई थी ? chahamana dynasty ki utpatti kahan se hui in hindi

chahamana dynasty ki utpatti kahan se hui in hindi चौहानों की उत्पत्ति कैसे हुई थी…

1 month ago

भारत पर पहला तुर्क आक्रमण किसने किया कब हुआ first turk invaders who attacked india in hindi

first turk invaders who attacked india in hindi भारत पर पहला तुर्क आक्रमण किसने किया…

1 month ago
All Rights ReservedView Non-AMP Version
X

Headline

You can control the ways in which we improve and personalize your experience. Please choose whether you wish to allow the following:

Privacy Settings
JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now