(mineral resources in hindi) खनिज सम्पदा किसे कहते है , परिभाषा क्या है ? नाम लिस्ट लिखिए , संरक्षण आवश्यकता ?
खनिज सम्पदा (mineral resources) : पृथ्वी की विभिन्न परतें अनेकों प्रकार की चट्टानों से निर्मित है। मुख्य रूप से तीन प्रकार की चट्टानें पाई जाती है। पृथ्वी का आरम्भिक निर्माण सबसे प्राचीन आग्नेय चट्टानों से हुआ , तदुपरान्त तलछटीय चट्टानों की उत्पत्ति हुई थी। कालांतर में पृथ्वी पर भौगोलिक परिवर्तन होने के कारण इन दोनों चट्टानों के उलटफेर होने से तीसरे प्रकार की रूपांतरित चट्टानों बनी है। वास्तव में ये सभी चट्टानें अनेकों प्रकार के खनिज पदार्थों के मिश्रण से निर्मित हुई है।
स्वर्ण , लौह , चाँदी , तांबा , जिंक , एल्युमिनियम आदि अनेकों धातु : सिलिका , लाल तथा सफ़ेद पत्थर , संगमरमर आदि अनेकों गृह निर्माण सामग्री , कोयला , पत्थर का कोयला , मिट्टी का तेल , पेट्रोलियम आदि अनेकों ईंधन (ऊर्जा) पदार्थ , फास्फेट , जिप्सम , नाइट्रेटस आदि अनेकों उर्वरक और सैकड़ों अन्य औद्योगिक , कृषि तथा बागवानी के लिए आवश्यक पदार्थ एवं पोषक तत्व भी खनिज सम्पदा के रूप में चट्टानों से प्राप्त किये जाते है। भारत में पाए जाने वाली मुख्य खनिज सम्पदाओं को निम्नलिखित सारणी में दर्शाया गया है –
खनिज या अयस्क | भविष्य के लिए अनुमानित सुरक्षित खनिज की मात्रा | खनन की वर्तमान दर |
1. लोह अयस्क | 10.661 | 40.0 |
2. लाइमस्टोन | 19.00 | 21.0 |
3. बोक्साईट | 190.00 | 0.5 |
4. मैंगनीज | 180 | 1.7 |
5. क्रोमाइट | 14 | 0.3 |
भारतवर्ष में अनेकों राज्य खनिज संपदा से परिपूर्ण है लेकिन बिहार , राजस्थान , हिमाचल प्रदेश , पश्चिम बंगाल , मध्यप्रदेश , दिल्ली , उड़ीसा , कर्नाटक , आसाम , गुजरात , केरल आदि राज्य विशेषकर महत्वपूर्ण है।
राजस्थान में जिंक , तांबा , एल्युमिनियम के अलावा सिलिका , अभ्रक , लाल एवं सफ़ेद पत्थर और संगमरमर की अनेकों खाने है।
आसाम , गुजरात , कच्छ का रन तथा मुंबई का तटवर्ती क्षेत्र पेट्रोलियम का भरपूर उत्पादन कर रहे है।
भारतवर्ष में हालाँकि सोने का उत्पादन दक्षिण अफ्रीका की तुलना में अति संक्षिप्त है लेकिन कर्नाटक राज्य की कोल्हापुर खाने पर्याप्त मात्रा में सोना तथा हीरों का उत्पादन करती है।
हिमाचल प्रदेश एवं अन्य हिमालय पर्वत श्रृंखला के तलहटी क्षेत्रों में फास्फेट , जिप्सम आदि भूमि उर्वरकों का खनन किया जाता है। उपरोक्त विवरण से स्पष्ट है कि मानव सहित सभी जीवधारियों के लिए परम आवश्यक पोषक तत्वों के अतिरिक्त ऊर्जा एवं अन्य आर्थिक आवश्यकताओं की पूर्ति पृथ्वी के विशाल खनिज भंडारों से होती है। लेकिन इन भण्डारों की क्षमता असिमित नहीं है तथा जिस गति से मानव अपने सुख साधन बढाने के लिए इन खानों से खनिज पदार्थ निकाल रहा है , उससे निकट भविष्य में इन प्राकृतिक भण्डारो के समाप्त होने का गंभीर संकट उत्पन्न हो गया है। प्राकृतिक रूप से खनिज पदार्थो का उपयोग करने के उपरान्त विभिन्न जीवधारी इन्हें वापस फिर मूल भंडार में डालकर खनिज चक्र पूरा करते रहते है लेकिन खनिज चक्र अत्यधिक मन्दिम गति से चलते है एवं एक चक्र पूरा होने में हजारों लाखो वर्ष का समय लग जाता है।
खनिज संपदा का संरक्षण (conservation of mineral resources)
उपरोक्त विवरण से स्पष्ट है कि खनिज चक्रों की मन्दिम गति के अनुपात में आधुनिक खनन प्रक्रिया अत्यधिक द्रुत गति से चल रही है। परिणामस्वरूप खनिज भंडार प्रत्येक दिन घटते जा रहे है। तथा निकट भविष्य में अनेकों खनिज भंडार बिल्कुल समाप्त हो जायेंगे। इस विषम परिस्थिति की कल्पना कितनी भयावह है लेकिन यथार्थ में वस्तु स्थिति यही है। इस स्थिति से उत्पन्न संकट से बचने के लिए हमें खनिज पदार्थो के अंधाधुंध खनन को प्रतिबंधित करके प्राकृतिक खनिज चक्रीय क्षमताओं के अनुरूप प्रबंधिकरण करना होगा। हालाँकि भारत सरकार ने खनिज पदार्थो के खनन पर कुछ प्रतिबंधात्मक उपाय किये है , लेकिन ये उपाय पूर्णतया पर्याप्त नहीं है। अत: सम्पूर्ण खनिज पदार्थो के भण्डारो और उनके चक्रों की जानकारी के अनुरूप खनन उद्योग को योजनाबद्ध करना अतिआवश्यक है। खनिज भण्डारों का संरक्षणपूर्ण सदुपयोग मानव कल्याण के लिए आज की बड़ी आवश्यकता है।