हिंदी माध्यम नोट्स
सूक्ष्म शिक्षण क्या है , सूक्ष्म शिक्षण की परिभाषा किसे कहते है अर्थ मतलब गुण दोष micro teaching in hindi
micro teaching in hindi सूक्ष्म शिक्षण क्या है , सूक्ष्म शिक्षण की परिभाषा किसे कहते है अर्थ मतलब गुण दोष ?
सूक्ष्म शिक्षण क्या हैं ? इसके गुण-दोषों का विवेचन कीजिए।
What is Micro- teaching \ Discuss its merits and demerits.
उत्तर- शिक्षण एक जटिल प्रक्रिया है जिसमें अनेक शिक्षण कौशलों का उपयोग होता है। सूक्ष्म शिक्षण की यह अवधारणा है कि शिक्षण की इस जटिल प्रक्रिया को सरलतम प्रक्रियाओं में विभक्त किया जा सकता है और इन सरलतम प्रक्रियाओं की सहायता से एक-एक करके वांछित कौशल का विकास होता है । इस प्रकार एक बार में एक-एक करके बालों को अन्त में एक साथ जोड़ा जाता है और इस प्रकार पूर्व निर्धारित शिक्षण उद्देश्य की प्राप्ति होती है।
पैक व टकर (Pack & Tucker) के अनुसार, “सूक्ष्म शिक्षण एक व्यवस्थित प्रणाली है जिसमें शिक्षण कौशलों की सूक्ष्मता से पहचान की जाती है तथा पृष्ठ पोषण द्वारा शिक्षण कौशलों का विकास किया जाता है।‘‘
बश (Bush) के अनुसार, “सूक्ष्म शिक्षण अध्यापन शिक्षा की वह प्रविधि है,जो शिक्षक को स्पष्ट रूप से परिभाषित शिक्षण कौशलों के आधार पर निर्मित लघु पाठ को कुछ छात्रों को पढ़ाने का अवसर प्रदान करती है।”
मैक्नाइट के अनुसार, “सूक्ष्म शिक्षण वे सूक्ष्म पदीय शिक्षण परिस्थितियाँ हैं जिनका आयोजन पुराने कौशलों में सुधार एवं नवीन कौशलों के विकास के लिए किया जाता है।”
एलन (Allen) के अनुसार, “सूक्ष्म शिक्षण कक्षा आकार, पाठ की विषय वस्तु, समय तथा शिक्षण की जटिलता को कम करने वाली संक्षिप्तीकृत कला शिक्षण विधि है।‘‘
मैक कालम (Mc Collum) के अनुसार, “सूक्ष्म शिक्षण अध्यापनाभ्यास से पूर्व शिक्षक प्रशिक्षणार्थी को प्राप्त करने का अवसर प्रदान करता है। यह विधि सेवा पूर्व या सेवारत शिक्षकों को शिक्षण कौशल के विकास या सुधार करने में काम में ली जाती है।‘‘
सूक्ष्म शिक्षण के गुण-
1. सूक्ष्म शिक्षण में छात्रों की संख्या अधिकतम 10 तक होती है अतः छात्राध्यापक अपने कौशल का विकास आसानी से कर सकता है और उसके सामने कक्षा व्यवस्था, अनुशासनहीनता से सम्बन्धित समस्याएँ नहीं आती।
2. सूक्ष्म शिक्षण विधि सरल व भय रहित होती है।
3. शिक्षक इसमें अपने स्वयं के व्यवहारगत परिवर्तन पर ध्यान दे सकता है।
4. सूक्ष्म शिक्षण में तुरन्त पृष्ठ पोषण का प्रावधान होता है जिससे छात्राध्यापक को उचित शिक्षण कौशल में दक्षता प्राप्त करने में आसानी रहती है।
5. सूक्ष्म शिक्षण में लघु पाठ्यवस्तु पढ़ाई जाती है जिससे छात्राध्यापक को पढ़ाने में सरलता रहती है।
सूक्ष्म शिक्षण के दोष-
1. वर्तमान भारतीय परिस्थितियों में यह विधि अव्यवहारिक सिद्ध हुई है।
2. इस विधि से प्रशिक्षित अध्यापकों का सर्वथा अभाव है।
3. 5 से 10 छात्रों की कक्षा का अध्यापन 50 छात्रों की कक्षा से भिन्न होता है।
4. सूक्ष्म शिक्षण एक व्यय साध्य विधि है। 5. यह विधि मात्र सैद्धान्तिक बनकर गई है।
Recent Posts
सारंगपुर का युद्ध कब हुआ था ? सारंगपुर का युद्ध किसके मध्य हुआ
कुम्भा की राजनैतिक उपलकियाँ कुंमा की प्रारंभिक विजयें - महाराणा कुम्भा ने अपने शासनकाल के…
रसिक प्रिया किसकी रचना है ? rasik priya ke lekhak kaun hai ?
अध्याय- मेवाड़ का उत्कर्ष 'रसिक प्रिया' - यह कृति कुम्भा द्वारा रचित है तथा जगदेय…
मालकाना का युद्ध malkhana ka yudh kab hua tha in hindi
malkhana ka yudh kab hua tha in hindi मालकाना का युद्ध ? मालकाना के युद्ध…
कान्हड़देव तथा अलाउद्दीन खिलजी के संबंधों पर प्रकाश डालिए
राणा रतन सिंह चित्तौड़ ( 1302 ई. - 1303 ) राजस्थान के इतिहास में गुहिलवंशी…
हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ? hammir dev chauhan history in hindi explained
hammir dev chauhan history in hindi explained हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ?…
तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच हुआ द्वितीय युद्ध Tarain battle in hindi first and second
Tarain battle in hindi first and second तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच…