JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now

हिंदी माध्यम नोट्स

Categories: chemistrychemistry

धात्विक पॉरफाइरिन (metalloporphyrins) हीमोग्लोबिन और माइकोग्लोबिन की तुलना (haemoglobin and myoglobin)

(metalloporphyrins in hindi) धात्विक पॉरफाइरिन हीमोग्लोबिन और माइकोग्लोबिन की तुलना (haemoglobin and myoglobin) , दोनों में अंतर और समानता |

जैव रसायनविज्ञान : प्रत्येक जीव , चाहे वह वनस्पति जगत से सम्बद्ध हो या जन्तु जगत से , रसायन विज्ञान के साथ बहुत गहराई से जुड़ा हुआ है। हमारे जीवन के प्रत्येक कार्य के सम्पन्न होने में कही न कही , किसी न किसी प्रकार की रासायनिक क्रिया अवश्य संपन्न होती है। यहाँ तक कि जब हम सोते रहते है तब भी शरीर में विभिन्न जैविक क्रियाएं सम्पन्न होती रहती है। श्वसन , रक्त परिसंचरण , पाचन आदि कई क्रियाएँ नींद में यथावत चलती रहती है। इन सभी जैविक क्रियाओं में रासायनिक क्रियाएं संपन्न होती है।

विभिन्न जैविक क्रियाओं से सम्बद्ध रसायन विज्ञान के अध्ययन को जैव रसायन विज्ञान कहा जाता है तथा जैव रसायन की वह शाखा जिसमे विभिन्न अकार्बनिक तत्वों और उनके यौगिकों , संकुलों आदि की विभिन्न जैविक कार्यो में भूमिका का अध्ययन किया जाता है , उसे जैव अकार्बनिक रसायन विज्ञान कहा जाता है।

जैविक प्रक्रमों में आवश्यक और कम मात्रिक तत्व (essential and trace elements in biological processes)

वर्तमान में जब हम विभिन्न जैविक प्रक्रियाओं का विस्तृत अध्ययन कर चुके है तो देखते है कि विभिन्न जैविक क्रियाओं में विभिन्न धातु आयनों का कही कम मात्रा में तो कहीं अधिक मात्रा में लेकिन अत्यंत महत्वपूर्ण योगदान है। वनस्पति जगत के महत्वपूर्ण अवयव क्लोरोफिल और जन्तु जगत के महत्वपूर्ण अवयव हीमोग्लोबिन के बारे में तो बहुत पहले से ही ज्ञात था कि ये दोनों क्रमशः मैग्नीशियम और आयरन के संकुल यौगिक है। इनके अतिरिक्त विभिन्न खोजों और अनुसन्धानों से यह ज्ञात हो चुका है कि कई धातु आयन जीवन के लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण है।

हमारे शरीर की कोशिकाओं के जीवद्रव्य में वैद्युत अपघट्यों का संतुलन कुछ तत्वों के आयनों द्वारा संपन्न होता है , यह तथ्य काफी समय से ज्ञात है। कोशिकाओं के भीतर धनायनों के रूप में K+ और Mg2+ आयन रहते है जबकि कोशिकाओं के बाहरी द्रव्य में Na+ और Ca2+ आयन संतुलन बनाये रखते है।

हड्डियों और अस्थियों के प्रमुख अवयव कैल्सियम और फास्फोरस है यह तथ्य भी बहुत पहले से ज्ञात है। शरीर में आयोडीन की कमी से थायरोइड ग्रंथि की कार्यप्रणाली काफी गडबड हो जाती है , इसका कारण यह है कि थायराइड हार्मोन थायरॉक्सिन का एक प्रमुख अवयव आयोडीन भी है जैसा कि इसके निम्नलिखित सूत्र से प्रदर्शित है :

परमाणु संख्या 1 (H) से लेकर 34 (Se) तक के तत्वों में से निम्न अपवादों को छोड़कर बाकी समस्त तत्व जीवन के लिए आवश्यकतत्व है।

अपवाद : Li , Be , Al , Sc , Ti , Ga , Ge और उत्कृष्ट गैसें इनके अतिरिक्त तत्व मोलिब्डेनम और आयोडीन तत्व भी जीवन के लिए आवश्यक तत्व है। इनमे से कुछ तत्व और कुछ उच्च अणुभार वाले तत्वों की जीवन के लिए अत्यन्त कम मात्रा की आवश्यकता पडती है। ये तत्व निम्नलिखित है –

अल्प मात्रा में आवश्यक तत्व : B , F , Si , V , Cr , Mn , Fe , Co , Ni , Cu , Zn , As , Se , Mo और I

शेष तत्व शरीर में पर्याप्त मात्रा में होते है। शरीर के संघटन में इनकी कितनी कितनी मात्रा पाई जाती है इसे सारणी में दर्शाया गया है। इन विभिन्न तत्वों की समुद्र जल में और पृथ्वी तल में कितनी मात्रा पाई जाती है इसे भी सारणी में दर्शाया गया है। इस सारणी का अवलोकन करने पर ज्ञात होता है कि फास्फोरस अपवाद को छोड़कर जो तत्व हमारे शरीर में अधिक मात्रा में विद्यमान है वे समुद्र जल में भी अधिक मात्रा में विद्यमान होते है , अत: कहा जा सकता है कि हमारे परिवार के वृक्ष की जड़े समुद्र में स्थित है।

सारणी : मानव शरीर में विद्यमान विभिन्न तत्वों के संघटन की समुद्रजल और भूतल से तुलना (कुल परमाणुओं की संख्या का प्रतिशत)

मानव शरीर का संघटन समुद्र जल का संघटन पृथ्वी तल का संघटन
तत्व-मात्रा (%) तत्व-मात्रा (%) तत्व-मात्रा (%)
H = 63%

O = 25.5%

C = 9.5%

N = 1.4%

Ca = 0.31

P = 0.22%

Cl = 0.03%

K = 0.06%

S = 0.05%

Na = 0.03%

Mg = 0.01%

अन्य < 0.1%

H = 66%

O = 33%

Cl = 0.33%

Na = 0.28%

Mg = 0.033%

S = 0.017%

Ca = 0.006%

K = 0.006%

C = 0.0014%

Br = 0.0005%

अन्य < 0.1%

O = 46.6%

Si = 27.1%

Al = 8.1%

Fe = 5.0%

Ca = 3.6%

Na = 2.8%

K = 2.6%

Mg = 2.1%

Ti = 0.46%

H = 0.22%

C = 0.19

अन्य < 0.1%

यहाँ एक बात और स्मरण रखने की है कि जिन तत्वों की शरीर को बहुत कम सांद्रता में आवश्यकता पड़ती है , उदाहरण F , Se , As यहाँ तक कि Fe ये तत्व भी यदि अधिक सांद्रता में हो जाए तो उनका प्रभाव विषैला हो जाता है और तो और यदि साधारण नमक NaCl की सांद्रता भी आवश्यकता से अधिक हो जाए तो उसका प्रभाव विषैला हो जाता है , क्योंकि उस स्थिति में विद्युत अपघट्य का संतुलन बिगड़ जाता है। इसके विपरीत , यदि किसी भी आवश्यक तत्व की मात्रा शरीर में आवश्यकता से कम हो जाए तो भी जीव की उपापचय क्रियाएं डगमगा जाती है तथा वह कमी जनित रोग का शिकार हो जाता है।

जैव रसायन में धातु आयनों का एक महत्वपूर्ण कार्य धातु एंजाइमों के रूप में है। इन धातु एंजाइमों में क्रियाशील सिरे पर धातु आयन जुड़ा रहता है जो विभिन्न जैविक क्रियाओं में अपना योगदान देता है। ये धातु एंजाइम धातु प्रोटीनों का ही एक वर्ग है जिनमे प्रोटीन संरचना के एक भाग के रूप में धात्विक परमाणु होते है। शरीर की विभिन्न क्रियाओं में विभिन्न धातु आयनों में से प्रत्येक का अपना अलग अलग कार्य होता है। यहाँ हम कुछ प्रमुख धातुओं के कार्यो का उल्लेख करेंगे।

धात्विक पॉरफाइरिन (metalloporphyrins)

धात्विक पॉरफाइरिन जीव जगत के दोनों वनस्पति और जन्तु जगत के महत्वपूर्ण यौगिक है। पौधों में पाया जाने वाला हरा पदार्थ क्लोरोफिल जो कि पौधों में प्रकाश संश्लेषण की क्रिया के लिए उत्तरदायी है , मैग्नीशियम पॉरफाइरिन है। इसी प्रकार उच्च जाति के समस्त जन्तुओ में पाए जाने वाले रक्त में लाल रंग के लिए उत्तरदायी पदार्थ हीमोग्लोबिन आयरन पॉरफाइरिन होता है।

चार पिरोल वलय परस्पर =CH- द्वारा संगलित होकर एक विशाल वलय संरचना युक्त पोर्फिल अणु बनाती है जिसे चित्र द्वारा प्रदर्शित कर सकते है। प्रतिस्थायी पोर्फिनो को पॉरफाइरिन कहते है।

हीमोग्लोबिन और माइकोग्लोबिन दोनों हीम प्रोटीन के प्रकार है। हीम एक आइरन पॉरफाइरिन संकुल है जिसकी संरचना निम्न तरह से दर्शायी जा सकती है –

माइकोग्लोबिन Mb में एक पोलीपेप्टाइड श्रृंखला होती है जो ग्लोबिन प्रोटीन है तथा एक हीम समूह होता है।

ग्लोबिन की पोलीपेप्टाइड श्रृंखला में 150-160 एमिनो अम्ल समूह होते है जिनकी वास्तविक संख्या जीव की प्रकृति पर निर्भर करती है जिसमे वे पाए जाते है।

हीमोग्लोबिन Hb में माइकोग्लोबिन जैसी चार उपइकाइयाँ होती है तथा इसका कुल अणुभार 64500 होता है। हीमोग्लोबिन की चारों इकाइयाँ समान होती है परन्तु बिल्कुल एक जैसी नहीं होती है। इसमें से दो इकाइयाँ α तथा दो β होती है। इन चारों में से किसी भी इकाई के एमिनो अम्लों का क्रम माइकोग्लोबिन जैसा नहीं होता परन्तु हीमोग्लोबिन तथा माइकोग्लोबिन इकाइयों का कुंडलित होकर तृतीयक संरचना बनाने का तरीका समान होता है। ग्लोबिन की α इकाइयों में 141 एमिनो अम्ल समूह होते है जबकि β इकाइयों में 146 एमिनों अम्ल होते है।

हीमोग्लोबिन की प्रत्येक इकाई तथा माइकोग्लोबिन की ग्लोबिन इकाइयाँ इस प्रकार से कुंडलित होती है कि उनकी पाशर्व श्रृंखला का हिस्टीडीन हीम के आइरन परमाणु के साथ एक सहसंयोजक बंध बना ले। इस प्रकार आयरन की छ: उपसहसंयोजक संख्या में से पांच की संतुष्टि हो जाती है एवं छठी ऑक्सीजन अणुओं के साथ संयुक्त होने के लिए रिक्त रहती है या जल अणु के साथ दुर्बल बंध द्वारा बंधी रहती है। इस प्रकार ऑक्सीहीमोग्लोबिन में हीम का आइरन परमाणु तल के एक ओर हिस्टीडीन से तथा तल के दूसरी ओर ऑक्सीजन अणु के साथ जुड़कर अष्टफलकीय आकार में अपनी छहों उपसहसंयोजक संख्याओं को संतुष्ट कर देता है।

हीमोग्लोबिन एवं माइकोग्लोबिन दोनों के हमारे शरीर में अत्यंत महत्वपूर्ण कार्य है। हीमोग्लोबिन एवं माइकोग्लोबिन के प्रमुख कार्य है ऑक्सीजन का परिवहन और भण्डारण , जिसे ये निम्नलिखित पदों में पूर्ण करते है –

(i) फेफड़ों में आई हुई ऑक्सीजन के साथ हीमोग्लोबिन संयुक्त होकर ऑक्सीहीमोग्लोबिन (HbO2) बनाता है।

(ii) रक्त परिसंचरण के साथ यह ऑक्सीहीमोग्लोबिन शरीर की विभिन्न कोशिकाओं में पहुँचता है।

(iii) कोशिकाओं में ऑक्सीहीमोग्लोबिन अपनी ऑक्सीजन माइकोग्लोबिन को दे देता है।

(iv) माइकोग्लोबिन में यह ऑक्सीजन सुरक्षित भण्डारण के रूप में रहती है। कोशिका की विभिन्न उपापचयी क्रियाओं के लिए जैसे जैसे ऑक्सीजन की आवश्यकता पड़ती जाती है , माइकोग्लोबिन उसे उपलब्ध कराता जाता है।

(v) हीमोग्लोबिन किसी अन्य एमिनो अम्ल के साथ , कोशिकाओं में उपापचयी प्रक्रियाओं में बनी हुई कार्बन डाइऑक्साइड को संयुक्त करके उसे रक्त परिसंचरण के साथ फेफड़ों में पहुंचाता है।

(vi) फेफड़ो में गैसों के आंशिक दाब में अंतर के कारण हीमोग्लोबिन से कार्बन डाइ ऑक्साइड मुक्त हो जाती है तथा उसके स्थान पर ऑक्सीजन संयुक्त हो जाती है जिससे पुनः ऑक्सीहीमोग्लोबिन बन जाता है तथा यह चक्र चलता रहता है।

Hb तथा Mb दोनों की यह विशेषता है कि ये ऑक्सीजन के साथ उच्च दाब पर संयुक्त हो जाते है लेकिन जब उपापचयी क्रियाएं संपन्न होती है तथा उत्तकों के तंत्र में कार्बन डाइऑक्साइड उत्पन्न होती जाती है तो तंत्र का pH कम हो जाता है एवं ऐसी स्थिति में ऑक्सीहीमोग्लोबिन (HbO2) तुरंत ऑक्सीजन मुक्त करके दूसरे एमिनो अम्ल के माध्यम से कार्बन डाइ ऑक्साइड के साथ संयुक्त हो जाता है। यह ऑक्सीजन मुक्त होते ही Mb के साथ संयुक्त हो जाती है तथा आवश्यकता पड़ने पर उत्तक को प्रदान कर दी जाती है।

जैसा कि हमने प्रारंभ में ही देखा था कि हीमोग्लोबिन में माइकोग्लोबिन जैसी चार इकाइयां होती है। ये चारों इकाइयाँ संयुक्त रूप से ऑक्सीजन अणु के साथ बारी बारी से जुडती रहती है। साथ ही कार्बन डाइ ऑक्साइड की अधिकता के कारण शिराओं के रक्त का pH थोडा सा कम हो जाता है। अत: भिन्न भिन्न परिस्थितियों में हीमोग्लोबिन और माइकोग्लोबिन की ऑक्सीजन के साथ संयुक्त होने की क्षमता भिन्न भिन्न होती है।

फेफड़ों में चूँकि श्वसन के साथ आई हुई ताज़ी हवा में ऑक्सीजन का दाब उच्च होता है अत: Hb-CO2 से तुरंत कार्बन डाइऑक्साइड मुक्त हो जाती है तथा ऑक्सीजन संयुक्त होकर Hb-O2 बना देती है।

इस प्रकार हम देखते है कि परिस्थितियों में थोडा सा परिवर्तन करने से हीमोग्लोबिन का ऑक्सीजन और कार्बन डाइ ऑक्साइड के साथ तुरंत बंध बन भी जाता है तथा टूट भी जाता है अर्थात Hb के आयरन परमाणु में Fe-O2 और Fe-CO2 बंध बनाने की प्रबल प्रवृति तो है लेकिन बंध दुर्बल है , इसी कारण हमारा श्वसन तंत्र सुचारू रूप से चलता रहता है।

CO , PF3 आदि गैसों को विषैला कहा जाता है तथा इन विषैली गैसों से मनुष्य की मृत्यु तक हो जाती है। इसका कारण यह है कि गैसे यदि श्वास के साथ हमारे फेफड़ो में चली जाए तो ये हीमोग्लोबिन के साथ संयुक्त हो जाती है तथा इनका बंध उदाहरण Fe-CO बंध इतना प्रबल होता है कि यह टूटता नहीं है। ऐसी स्थिति में Hb-CO ऑक्सीजन के साथ संयुक्त नहीं हो सकता। Hb-CO की सांद्रता जितनी अधिक होती जाएगी हीमोग्लोबिन की ऑक्सीजन ग्रहण करने की शक्ति उतनी ही घटती जाएगी। ऐसी स्थिति में उत्तकों में ऑक्सीजन का अभाव हो जायेगा तथा उपापचयी क्रियाएं मंद होती जाएँगी। चूँकि ये क्रियाएं ही जीवन के लिए आवश्यक क्रियाएं है अत: इनके मंद होते ही जीवन क्षीण होने लगता है तथा अंततः मनुष्य की मृत्यु हो जाती है। कुछ भारी धातुएँ तथा उनके यौगिक भी शरीर पर विषैला प्रभाव डालते है।

उदाहरण : आर्सेनिक ऑक्साइड , बेरियम कार्बोनेट , लैड , मर्करी , कैडमियम आदि। ये धातु और उनके यौगिक प्रोटीन , एमिनो अम्ल , एंजाइम आदि के साथ संयोग करके उनकी क्रियाशीलता को नष्ट कर देते है।

हीमोग्लोबिन और माइकोग्लोबिन की तुलना (comparison of haemoglobin and myoglobin)

  1. दोनों ही हीम प्रोटीन है।
  2. दोनों में ग्लोबिल इकाइयों का कुंडलित होकर तृतीयक संरचना बनाने का तरीका समान होता है।
  3. माइकोग्लोबिन में 150-160 एमिनो अम्ल समूहयुक्त एक पोली पेप्टाइड श्रृंखला – ग्लोबिन प्रोटीन तथा एक ही हीम समूह होता है जबकि हीमोग्लोबिन में ग्लोबिल प्रोटीन की चार इकाइयाँ होती है , जिनमे से दो एल्फा इकाइयों में 141 एमिनो अम्ल समूह होते है। इन चारों में किसी का भी क्रम माइकोग्लोबिन जैसा नहीं होता।
  4. हीमोग्लोबिन रक्त वाहिकाओं के रक्त में होता है जो शरीर में ऑक्सीजन और कार्बन डाइ ऑक्साइड के परिवहन का कार्य करता है , जबकि माइकोग्लोबिन कोशिका उत्तकों में विद्यमान रक्त में होता है , जो वही रहता है।
  5. हीमोग्लोबिन ऑक्सीजन के साथ संयुक्त होकर ऑक्सी हीमोग्लोबिन बनाता है जो बड़ी आसानी से ऑक्सीजन को मुक्त करके पुनः हीमोग्लोबिन बन जाता है , अर्थात HbO2 बंध दुर्बल होता है। इसके विपरीत माइकोग्लोबिन ऑक्सीजन के साथ अधिक प्रबल बन्ध बनाता है तथा उसे केवल तब मुक्त करता है , जब कोशिका में ऑक्सीजन की अत्यधिक कमी हो जाए।
  6. हीमोग्लोबिन शरीर में ऑक्सीजन की नियमित सप्लाई करता है जबकि माइकोग्लोबिन ऑक्सीजन के भंडार के रूप में रहता है तथा कुछ केवल आपातकाल में ही ऑक्सीजन उपलब्ध कराता है।
Sbistudy

Recent Posts

सती रासो किसकी रचना है , sati raso ke rachnakar kaun hai in hindi , सती रासो के लेखक कौन है

सती रासो के लेखक कौन है सती रासो किसकी रचना है , sati raso ke…

1 day ago

मारवाड़ रा परगना री विगत किसकी रचना है , marwar ra pargana ri vigat ke lekhak kaun the

marwar ra pargana ri vigat ke lekhak kaun the मारवाड़ रा परगना री विगत किसकी…

1 day ago

राजस्थान के इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों की विवेचना कीजिए sources of rajasthan history in hindi

sources of rajasthan history in hindi राजस्थान के इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों की विवेचना कीजिए…

3 days ago

गुर्जरात्रा प्रदेश राजस्थान कौनसा है , किसे कहते है ? gurjaratra pradesh in rajasthan in hindi

gurjaratra pradesh in rajasthan in hindi गुर्जरात्रा प्रदेश राजस्थान कौनसा है , किसे कहते है…

3 days ago

Weston Standard Cell in hindi वेस्टन मानक सेल क्या है इससे सेल विभव (वि.वा.बल) का मापन

वेस्टन मानक सेल क्या है इससे सेल विभव (वि.वा.बल) का मापन Weston Standard Cell in…

3 months ago

polity notes pdf in hindi for upsc prelims and mains exam , SSC , RAS political science hindi medium handwritten

get all types and chapters polity notes pdf in hindi for upsc , SSC ,…

3 months ago
All Rights ReservedView Non-AMP Version
X

Headline

You can control the ways in which we improve and personalize your experience. Please choose whether you wish to allow the following:

Privacy Settings
JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now