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औसत आयनिक सक्रियता गुणांक क्या है , उदाहरण mean ionic activity coefficient definition in hindi
mean ionic activity coefficient definition in hindi औसत आयनिक सक्रियता गुणांक क्या है , उदाहरण ?
सक्रियता एवं सक्रियता गुणांक (ACTIVITY AND ACTIVITY COEFFICIENT) – ठोस पदार्थ जल में घुलकर दो प्रकार के विलयन बनाते हैं—
- जो विद्युत् का चालन नहीं करते, ऐसे ठोस पदार्थ जल में आण्विक अवस्था में रहते हैं और इन्हें विद्युत अनुअपघट्य (Non-electrolytes) कहते है।
(ii) जो विद्युत् का चालन करते हैं, ऐसे ठोस पदार्थ जल में वियोजित होकर आयन बनाते हैं, और आयनिक चालकता के कारण ये विद्युत् का चालन करते हैं। ऐसे ठोस पदार्थों को विद्यत-अपघट्य (electrolytes) कहते हैं। आयनन की मात्रा के अनुसार विद्युत्-अपघट्य दुर्बल अथवा प्रबल हो सकते हैं, दुर्बल विद्युत्-अपघट्यों के आयनन का अंश (degree of ionization) काफी कम होता है जबकि प्रबल विद्युत्-अपघट्य पूर्णतः आयनिक अवस्था में होते हैं। वस्तुतः ये ठोस अवस्था में ही आयनिक होते हैं अतः कहा जा सकता है कि प्रबल विद्युत्-अपघट्य पूर्णतः आयनित तो प्रत्येक अवस्था में होते हैं, लेकिन ये समस्त आयन विचरण करने के लिए तथा विद्युत्-धारा ले जाने के लिए स्वतन्त्र नहीं होते। आयनों के इस अंश को हम सक्रिय आयन कहते हैं और उनकी मात्रा बताने वाले पद को सक्रियता (activity) कहते हैं। जिसे निम्न प्रकार से परिभाषित किया जाता है: किसी विलयन के आदर्श आचरण से विचलन को दर्शाने वाली प्रभावी सान्द्रता को सक्रियता (Activity) कहते हैं और सक्रियता तथा सान्द्रता के अनुपात को सक्रियता गणांक (Activity Coefficient) कहते हैं। अतः । a = f.c ….(5)
जहां c मोल प्रति लिटर में सान्द्रता है और सक्रियता गणांक (activity coefficient)| अतः एक सामान्य एक-एक संयोजी विद्युत्-अपघट्य के वियोजन ।
AB = A++ B के लिए
K = (aa+)(ab+) /(aab) ………………(6)
अथवा k = (CA+fA+)(CBfB) ………………..(7)
अथवा K = (CACB )/CAB (FafB)
दुर्बल विद्युत अपघट्यों की स्थिति में समीकरण (8) को द्वितीय पद इकाई हो जाता है और वह आदर्श विलयन की भांति व्यवहार करता है जिसमें समीकरण (8) का द्वितीय पद लुप्त हो जाता है और K केवल सान्द्रता पर आधारित साम्य स्थिरांक हो जाता है। इसके विपरीत प्रबल विद्युत्-अपघट्यों के लिए यह सक्रियता गणांक वाला पद इकाई नहीं होता जब तक कि विलयन अत्यन्त तनु न हो। अतः प्रबल विद्युत अपघट्यों के लिए भिन्न-भिन्न सान्द्रताओं पर सक्रियता गुणांक का मान ज्ञात करना आवश्यक होता है।। विद्यत-रासायनिक प्रयोगों में सामान्यतया सान्द्रता को मोललता (अर्थात विलायक के 1000 ग्राम में घले हए। विलेय के मोलों की संख्या) के रूप में प्रदर्शित किया जाता है। उस अवस्था में सक्रियता गणांक को के रूप में प्रदर्शित किया जाता है, अतः उस स्थिति में
a = my …(9)
यहां m विलयन की मोललता है और तब समीकरण (8) का रूप निम्न हो जाता है। K = ma+ mb– /mab) (ya+yb– /yab) …………… ….(10)
समीकरण (5) व (9) के आधार पर कहा जा सकता है कि किसी विद्यत-अपघट्य की सक्रियता a = f.c = my अर्थात यदि सान्द्रता को मोल प्रति लिटर या मोलरता के रूप में बताया जाए तो सक्रियता गुणांक को द्वारा प्रदर्शित करते है और यदि सान्द्रता को मोल प्रति 1000 ग्राम विलायक या मोललता के रूप में बताया जाए तो सक्रियता गुणांक को Y द्वारा प्रदर्शित करते है। अत्यन्त तनु विलयनों के लिए तथा के मान लगभग समान हो जाते हैं।
उदाहरण 9.4.20°C पर एथेनॉल में KI के एक 0.1 Mावलयन का घनत्व 0.8014 है। सक्रियता गणांक व के अनुपात का परिकलन कीजिए।
A = f.c=my
Y/f = C (मोलरता)/ f (मोललता)
दिया गया है,c (मोलरता) = 0.1 mol/L
m (मोललता) ज्ञात करने के लिए विलयन का घनत्व d = 0.8014g/cc = 801.4 g/L अर्थात 1 लिटर विलयन का द्रव्यमान = 801.4। ग्राम
इसमें विलेय KI का द्रव्यमान = 0.1 मोल = 0.1 x (39 + 127) g = 16.6g
अतः विलयन के 1 लिटर में विलायक का द्रव्यमान = 801.4-16.6 = 784.8g
अर्थात् विलायक के 784.8g में विलेय की मात्रा = 16.6g
विलायक के 1000 g में विलेय की मात्रा या मोललता
(m) = 16.6/784.8 x 1000 = 0.1274
समीकरण (i) में cam के मान रखने पर
y/f = 0.1/0.1274 = 0.7849
औसत आयनिक सक्रियता तथा औसत आयनिक सक्रियता गुणांक (Mean Ionic Activity and Mean Activity Coefficients)
किसी भी बिलयन में केवल एक प्रकार के आयनों का होना सम्भव नहीं है। धनायनों के साथ ऋणायन और ऋणायनों के साथ धनायन अवश्य होंगे क्योंकि विलयन कुल मिलाकर विद्युत् उदासीन होता है, अतः। समीकरण (5) व (9) के अनुसार किसी एक आयन के सक्रियता गुणांक की बात करना निरर्थक प्रतीत होता है। इस कारण दो नए पदों का सृजन हुआ—औसत आयनिक सक्रियता और औसत आयनिक सक्रियता गुणांक। एक सामान्य एक-एकसंयोजी विद्युत्-अपघट्य का वियोजन निम्न प्रकार प्रदर्शित किया जाता है :
AB A++ Bमाना कि धनायनों का सक्रियता गुणांक a, व ऋणायनों का सक्रियता गुणांक व है। चूंकि अलग-अलग आयनों को प्राप्त करना असम्भव है, अतः a, व a को अलग-अलग ज्ञात करना भी सम्भव नहीं है। इसी कारण किसी विद्युत्-अपघट्य की सक्रियता (a) तथा औसत आयनिक सक्रियता [a = (a+) (a–)] पदों का सृजन हुआ जो परस्पर निम्न प्रकार से सम्बन्धित हैं :
a = (a+)(a–) = (a+)2 …………………(11)
और एक सामान्य बहुसंयोजी विद्युत्-अपघट्य
AyBy = xA’ +yB
के लिए a = (a+)x (ax)y = (a+)x+y …………………………(12)
माना कि विलयन में AxBy की मोलल सान्द्रता m है तो उस स्थिति में a = my, अतः समीकरण (12) का रूप निम्न हो जाएगा :
A = (xmy+)x (ymy-)y
अथवा a = xx.yy.mx+y .yx+.yy–
अथवा a = xx.yy(my+)x+y ………… …(13)
जहां y+ औसत मोलल आयनिक सक्रियता गुणांक (Mean molal activity coefficient) है और (Y+)x + y = (Y+)x (Y–)y ………………………(14)
अतः यदि हम प्रयोगों द्वारा सक्रियता गणांक a का मान ज्ञात कर लें तो समीकरण (13) व (14) का सहायता से औसत मोलल आयनिक सक्रियता गणांक को परिकलित किया जा सकता है। x तथा y के मान विद्युत्-अपघट्य की प्रकृति पर निर्भर करते हैं। उदाहरणार्थ, KCI के लिए x = 1 तथाy= 1, उस स्थिति में समीकरण (13) का रूप निम्न होगा :
a = (my+)2 ……………..(15)
इसी प्रकार K2So4 के लिए x = 2 और y = 1. अतः इस स्थिति में समीकरण (18) का रूप निम्न हो। जाएगा
A = 22.11(my+)2+1 = 4m3y3+………… ….(16)
इस प्रकार इन समीकरणों की सहायता से किसी भी विद्युत्-अपघट्य के लिए औसत मोलल आयनिक सक्रियता गुणांक को परिकलित किया जा सकता है। कुछ प्रमुख लवणों के मानों को निम्न सारणी में दर्शाया गया है :
सारणी 9.2. 25°C पर कुछ प्रमुख विद्युत्-अपघट्यों के जलीय विलयनों के लिए औसत मोलल आयनिक सक्रियता गुणांक (Y+) के मान
मोललता | HCI | KCI | NaCI | CaCI2 | ZnCI2 | H2SO4 | ZnSO4 | KOH |
0.001 0.005 0.01 0.05 0.10 0.50 1.00 2.00 3.00 | 0.666 0.930 0.906 0.833 0.798 0.769 0.811 1.010 1.310 | 0.966 0.927 0.902 0.816 0.770 0.652 0.607 0.577 0.572 | 0.966 0.928 0.903 0.821 0.778 0.679 0.656 0.655 0.719 | 0.888 0.789 0.732 0.584 0.524 0.510 0.752 1.554 3.384 | 0.831 0.767 0.708 0.556 0.502 0.376 0.325 – – | – 0.643 0.545 0.341 0.266 0.155 0.131 0.125 0.142 | 0.734 0.477 0.387 0.202 0.148 0.063 0.044 0.035 0.041 | 0.989 0.954 0.920 0.822 0.789 0.750 0.760 – 1.062
|
उपर्युक्त सारणी से स्पष्ट है कि कम सान्द्रता पर औसत मोलल सक्रियता गुणांक का मान इकाई के करीब ही है अर्थात् उच्च सान्द्रता पर इन विलयनों का व्यवहार आदर्श व्यवहार से विचलित होता है। सान्द्रता बढ़ने के साथ सक्रियता गुणांक का मान घटता जा रहा है और एक न्यूनतम मान के बाद वह पुनः बढ़ना प्रारम्भ करता है और कुछ स्थितियों में यह मान एक से अधिक हो जाता है अर्थात् उन स्थितियों में सक्रियता का मान मोललता से भी अधिक हो जाता है। कुछ प्रबल विद्युत्-अपघट्यों के लिए सक्रियता गुणांक तथा जिंक सल्फेट मोललता के वर्गमूल के मध्य खींचा गया वक्र चित्र 9.6 में दर्शाया गया है। सारणी 9.2 से यह भी प्रदर्शित होता है कि HCl, KCI, NaCl, आदि मोललता जैसे विद्युत्-अपघट्यों के लिए समान सान्द्रताओं पर सक्रियता गुणांक का मान लगभग समान है।
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