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मैक्सवेल का विद्युतचुम्बकीय तरंग सिद्धांत , प्रकाश का सिद्धान्त (maxwell electromagnetic wave theory in hindi)
(maxwell electromagnetic wave theory in hindi) मैक्सवेल का विद्युतचुम्बकीय तरंग सिद्धांत , प्रकाश का सिद्धान्त , प्रयोग क्या है , समझाइये , चित्र और व्याख्या कीजिये |
प्रस्तावना : मैक्स प्लांक का क्वांटम सिद्धांत हमें पढ़ा है जिसमे मैक्स प्लान्क ने ये कहा था कि प्रकाश को गति करने के लिए ईथर का उपस्थित होना आवश्यक है।
इन सन्दर्भ में स्कॉटलैंड के भौतिक वैज्ञानिक मैक्सवेल ने प्रयोग किये और अपने प्रयोगों के आधार पर अपना सिद्धांत 1865 में दिया जिसे मैक्सवेल का विद्युत चुम्बकीय सिद्धांत कहते है , जिसमे उन्होंने बताया कि प्रकाश की गति तरंग के रूप में होती है और इसे गति करने के लिए किसी माध्यम की (इथर) आवश्यकता नहीं होती है। प्रकाश की तरंगों की प्रकृति अनुप्रस्थ होती है।
मैक्सवेल के इस विद्युतचुम्बकीय तरंग सिद्धान्त के आधार पर लगभग 20 साल तक संदेह रहा तथा इसे अपनाया नहीं गया था क्यूंकि मैक्सवेल ने इस सिद्धांत को गणितीय रूप में बताया था लेकिन प्रकाश से सम्बंधित घटनाओं को प्रयोग द्वारा स्पष्ट नही किया था।
बाद में जब हर्ट्ज़ अपने प्रयोग कर रहे थे तो उन्होंने पाया कि मैक्सवेल का सिद्धांत सही था , हर्ट्ज़ ने अपने प्रयोगों में पाया कि प्रकाश तरंग में तथा रेडियो तरंग में कुछ ज्यादा अंतर नहीं था , दोनों ही एक दुसरे के समान थी इसलिए प्रकाश को तरंगों के रूप में माना और अन्य कई प्रयोग किये।
कई प्रयोगों के बाद मैक्सवेल के अनुसार प्रकाश को तरंग मानकर प्रकाश की घटनाओं जैसे परावर्तन , अपवर्तन , ध्रुवण , व्यतिकरण , विवर्तन आदि घटनाओं की व्याख्या कर दी गयी।
लेकिन दूसरी तरफ प्लांक के सिद्धांत को भी नकारा नहीं जा सकता क्यूंकि इस सिद्धांत के आधार पर भी प्रकाश की घटनाओं जैसे प्रकाश विद्युत प्रभाव तथा कॉम्पटन प्रभाव आदि की व्याख्या की गयी थी।
इसके बाद मैक्सवेल के विद्युत चुम्बकीय तरंग सिद्धांत के आधार पर ज़ेमान प्रभाव (Zeeman effect) तथा केर प्रभाव (Kerr effect) की भी व्याख्या सफलतापूर्वक कर दी गयी अत: इस बात को भी नाकारा नही जा सकता था की प्रकाश तरंग के रूप में होती है और प्रकाश अनुप्रस्थ तरंग प्रकृति का होता है।
निष्कर्ष : प्रकाश की सभी घटनाओं को किसी एक सिद्धांत के आधार पर व्याख्या संभव नहीं है इसलिए प्रकाश को द्वेत प्रकृति का माना गया।
मैक्सवेल का विद्युत चुम्बकीय तरंग सिद्धान्त (maxwell’s electromagnetic wave theory in hindi) : इस सिद्धांत के अनुसार प्रकाश तरंगे विद्युत चुम्बकीय तरंगें होती है। इन तरंगों में विद्युत और चुम्बकीय क्षेत्र दोनों साथ साथ समान कला में सरल आवर्ती रूप से परिवर्तित होते है। इन तरंगों में विद्युत क्षेत्र (E) सदिश और चुम्बकीय क्षेत्र (B) सदिश परस्पर लम्बवत होते है तथा दोनों तरंग संचरण की दिशा के भी लम्बवत होते है। इस प्रकार विद्युत चुंबकीय तरंगें अनुप्रस्थ होती है। इन तरंगों में दोनों सदिश E और B समान रूप से तरंग के अभिलाक्षणिक गुण को प्रदर्शित करते है परन्तु कुछ क्रियाओं में विद्युत क्षेत्र वेक्टर E चुंबकीय क्षेत्र सदिश (B) की तुलना में अधिक प्रभावी होता है , जैसे – फोटोग्राफिक प्लेट अथवा फिल्मों को केवल सदिश E ही प्रभावित करता है B नहीं।
विद्युत चुम्बकीय तरंगों का इतिहास (history of electromagnetic waves)
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