JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now

हिंदी माध्यम नोट्स

Categories: history

मतीरे की राड़ क्या है ? मतीरे की राड़ कब हुई थी किसे कहते है | mateere ri raad in hindi विजय कौन हुआ

मतीरे की राड़ में विजय कौन हुआ किसकी मतीरे की राड़ क्या है ? मतीरे की राड़ कब हुई थी किसे कहते है | mateere ri raad in hindi ?

 प्रश्न : मतीरे की राड़ क्या है ?

उत्तर : 1644 में नागौर राज्य की अंतिम सीमा पर स्थित एक किसान के खेत में मतीरे की बेल लगी। बेल खेत की मेढ पार करके बीकानेर राज्य की सीमा में स्थित एक किसान के खेत में चली गयी तथा वहाँ पर एक मतीरा लग गया जिस पर स्वामित्व को लेकर दोनों किसानों में झगड़ा हो गया। यह झगडा सैनिकों तक जा पहुंचा तथा दोनों तरफ के कई सैनिक मारे गए जो मतीरे की राड नाम से प्रसिद्ध हुई। उस समय अमरसिंह शाहजहाँ की सेवा में आगरा में था। जब उसे इस झगडे की जानकारी हुई तो उसने नागौर जाने के लिए बादशाह से अवकाश लेना चाहा। बीकानेर नरेश ने शाहजहाँ के बख्शी सलावत खां को सिखा दिया कि किसी भी तरह अमरसिंह को बादशाह से मत मिलने देना। जब अमरसिंह कई दिन तक बादशाह से मिलकर अवकाश नहीं मांग सका तो एक दिन उसने बख्शी से पूछे बिना बादशाह को सलाम कर लिया। इस पर बख्शी सलावतखां ने उसे गंवार कह दिया। अमर सिंह ने नाराज होकर उसी समय अपनी कटार निकाली तथा बख्शी को मार डाला। इसके बाद अमरसिंह राठौड़ ने आकर मतीरे की राड़ लड़ी।

प्रश्न : एक सांस्कृतिक स्थल के रूप में “चावण्ड” को विकसित करने में राणा प्रताप का योगदान बताइए ?

उत्तर : हल्दीघाटी युद्ध के पश्चात् राणा प्रताप ने मेवाड़ के छप्पन पर लूणा चावण्डिया को परास्त कर चावण्ड को 1585 ईस्वी में अपनी राजधानी बनाया जो राणा अमरसिंह के समय तक रही। यहीं से राणा ने युद्ध का संचालन कर मेवाड़ को मुगलों से मुक्त करवाया। नयी राजधानी को सुन्दर बनाने के लिए सुन्दर और सुदृढ़ महल , मंदिर , सैन्य और सामन्तों के आवास बनवाए। यहीं से मेवाड़ शैली का सादा और सुन्दर समन्वय कर चित्रकला की नई “चावण्ड शैली” का विकास किया। सिंहासन बत्तीसी , ज्योतिषसार , श्रीमदभागवत , दशमस्कन्ध , विश्ववल्लभ , मूर्तिमाला आदि साहित्य का यहाँ सृजन करवाया और साहित्यकारों को प्रश्रय दिया। इस प्रकार राणा प्रताप और राणा अमरसिंह के समय चावण्ड न केवल मेवाड़ की राजधानी बना बल्कि एक सांस्कृतिक केंद्र भी बन गया।

प्रश्न : मारवाड़ का एक भौगोलिक एक सांस्कृतिक स्थल के रूप में वर्णन कीजिये। 

उत्तर : राजस्थान का पश्चिमोत्तर भाग प्राचीन मरू प्रदेश कालान्तर में मारवाड़ में मारवाड़ कहलाया। प्रारंभ में गुर्जर प्रतिहार वंश का तत्पश्चात राठोड़ वंश (13 वीं सदी से) का शासन स्थापित हुआ जो जोधपुर , बीकानेर , किशनगढ़ आदि राज्यों पर राजस्थान के निर्माण तक रहा। इस वंश में राव जोधा , मालदेव , चन्द्रसेन , रायसिंह आदि अनेक पराक्रमी शासक हुए जिन्होंने अनेक दुर्गों , महलों , मंदिरों , नगरों आदि का निर्माण करवाया। मारवाड़ स्कूल की चित्रकला को पल्लवित और विकसित किया और संस्कृत एवं मारवाड़ी में विशाल साहित्य की रचना हुई। राठौड़ वीर दुर्गादास के साहस की गौरव गाथा यहाँ जनमानस में प्रचलित है।

यहाँ की बोली मारवाड़ी (डिंगल) कहलाती है जो राजधानी साहित्य का मुख्य आधार बनी। इस प्रकार मारवाड़ राजस्थान का एक सांस्कृतिक प्रदेश बना।

प्रश्न : कुम्भलगढ़ दुर्ग स्थापत्य और सैन्य सुरक्षा का सामंजस्य था। 

उत्तर : राजसमंद जिले में स्थित कुम्भा द्वारा निर्मित गिरी दुर्ग जिसे कुम्भा ने अपनी रानी कुम्भलदेवी की स्मृति में शिल्पी मण्डन द्वारा (1448-1458 ईस्वी) बनवाया। यह कुम्भा की युद्ध कला तथा स्थापत्य रूचि का चमत्कार कहा जा सकता है। दुर्ग में सबसे ऊँचे भाग पर शाही आवास (कटारगढ़) बनवाया। दुर्ग के अन्दर कुम्भस्वामी मन्दिर , झालीरानी और उड़ता राजकुमार (पृथ्वीराज) की छतरी स्थापत्य कला के बेजोड़ नमूने है। मामादेव कुण्ड , झालीबाब बावड़ी , अनेक राजप्रसाद , सैन्य आवास जैसे अनेक स्मारक है। इसमें 50 हजार लोगों के रहने की व्यवस्था थी। इसे मेवाड़ की आँख भी कहा जाता है। कर्नल टॉड ने इसे मेवाड़ का एस्ट्रस्कन कहा है।

प्रश्न : विजय स्तम्भ भारतीय वास्तु का एक चमत्कार है। 

उत्तर :  महाराणा कुम्भा ने मालवा (महमूद खिलजी) विजय के उपलक्ष्य में चित्तोडगढ में शिल्पी जेता , नाथा और पूंजा द्वारा (1440 ईस्वी – 1448 ईस्वी) 9 मंजिला और 122 फूट ऊँचा विजयस्तम्भ बनवाया। इसको बनाने में नीचे तथा ऊपर की चौड़ाई ली गयी है।

वह शिल्पकला की अनोखी प्रणाली है। विजय स्तम्भ का अलंकरण बहुत उत्कृष्ट है तथा बनावट बड़ी धुमधामी है। यहाँ की मूर्तियाँ बिल्कुल अकड़ी जकड़ी है। इसे भारतीय मूर्तिकला का विश्वकोष कहना चाहिए क्योंकि उनमें अनेकानेक देवी देवताओं की ही नहीं बल्कि नक्षत्र , वार , मास और ऋतुओं तक की मूर्तियाँ है। इसमें भक्ति , शौर्य , प्रेम और जीवन के प्रत्येक पहलू पर प्रकाश पड़ता है।

Sbistudy

Recent Posts

सती रासो किसकी रचना है , sati raso ke rachnakar kaun hai in hindi , सती रासो के लेखक कौन है

सती रासो के लेखक कौन है सती रासो किसकी रचना है , sati raso ke…

17 hours ago

मारवाड़ रा परगना री विगत किसकी रचना है , marwar ra pargana ri vigat ke lekhak kaun the

marwar ra pargana ri vigat ke lekhak kaun the मारवाड़ रा परगना री विगत किसकी…

18 hours ago

राजस्थान के इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों की विवेचना कीजिए sources of rajasthan history in hindi

sources of rajasthan history in hindi राजस्थान के इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों की विवेचना कीजिए…

2 days ago

गुर्जरात्रा प्रदेश राजस्थान कौनसा है , किसे कहते है ? gurjaratra pradesh in rajasthan in hindi

gurjaratra pradesh in rajasthan in hindi गुर्जरात्रा प्रदेश राजस्थान कौनसा है , किसे कहते है…

2 days ago

Weston Standard Cell in hindi वेस्टन मानक सेल क्या है इससे सेल विभव (वि.वा.बल) का मापन

वेस्टन मानक सेल क्या है इससे सेल विभव (वि.वा.बल) का मापन Weston Standard Cell in…

3 months ago

polity notes pdf in hindi for upsc prelims and mains exam , SSC , RAS political science hindi medium handwritten

get all types and chapters polity notes pdf in hindi for upsc , SSC ,…

3 months ago
All Rights ReservedView Non-AMP Version
X

Headline

You can control the ways in which we improve and personalize your experience. Please choose whether you wish to allow the following:

Privacy Settings
JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now