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Categories: Physics

द्रव्यमान क्षति व बन्धन ऊर्जा क्या है , परिभाषा , उदाहरण , किसे कहते है (mass defect and binding energy in hindi)

(mass defect and binding energy in hindi) द्रव्यमान क्षति व बन्धन ऊर्जा क्या है , परिभाषा , उदाहरण , किसे कहते है :  यहाँ हम इन दोनों के बारे में विस्तार से अध्ययन करेंगे।
द्रव्यमान क्षति (mass defect) : सामान्यता हम कहते है कि किसी परमाणु के नाभिक में उपस्थित प्रोटॉन और न्यूट्रॉन के द्रव्यमान का योग , नाभिक के द्रव्यमान के बराबर होता है लेकिन प्रयोगों और अध्ययनों से यह पाया गया कि नाभिक का वास्तविक द्रव्यमान प्रोटॉन और न्यूट्रॉन के द्रव्यमान के योग से भिन्न होता है।
प्रोटॉन और न्यूट्रॉन के द्रव्यमान के योग और नाभिक के वास्तविक द्रव्यमान में अंतर को ही द्रव्यमान क्षति कहा जाता है।
यह पाया गया कि नाभिक का वास्तविक द्रव्यमान , प्रोटॉन और न्यूट्रॉन के अलग द्रव्यमान के योग से कम प्राप्त होता है। ऐसा इसलिए होता है क्यूंकि नाभिक के संघटन में या बनने में कुछ ऊर्जा खर्च हो जाती है जिससे नाभिक का वास्तविक द्रव्यमान कुछ कम प्राप्त होता है।
नाभिक के निर्माण में ऊर्जा खर्च होने से नाभिक के वास्तविक द्रव्यमान में आयी कमी को द्रव्यमान क्षति कहा जाता है।
द्रव्यमान क्षति को निम्न सूत्र द्वारा ज्ञात किया जाता है या प्रदर्शित किया जाता है –
द्रव्यमान क्षति =  ( न्यूट्रॉन का द्रव्यमान + प्रोटॉन का द्रव्यमान) – नाभिक का वास्तविक द्रव्यमान
यही ऊर्जा है जो नाभिक को बनाये रखती है या स्थायी रखती है , बाँधे रखती है।

बन्धन ऊर्जा (binding energy)

नाभिक की बंधन ऊर्जा वह ऊर्जा होती है जो किसी न्युक्लिओन को अन्नत तक ले जाने के लिए आवश्यक होती है।
परिभाषा : वह न्यूनतम ऊर्जा जो न्युक्लियोन को अन्नत दूरी तक अलग करने के लिए आवश्यक होती है उस न्यूनतम ऊर्जा को बन्धन ऊर्जा कहते है।
इस संकल्पना को आइन्स्टाइन के नियम द्वारा समझा जा सकता है –
E = mc2
हमनें ऊपर द्रव्यमान क्षति में देखा की नाभिक के निर्माण में कुछ द्रव्यमान की क्षति होती है , आइन्स्टाइन के नियमानुसार यह द्रव्यमान क्षति ऊर्जा के रूप में प्राप्त हो जाता है और इस ऊर्जा को बन्धन ऊर्जा कहते है , यह बंधन ऊर्जा नाभिक का स्थायित्व बनाये रखती है अर्थात नाभिक के सभी भागों को बांधे रखती है , यदि किसी भाग या न्युक्लिओन को नाभिक से अलग करना पड़े तो इस बंधन ऊर्जा के विपरीत कार्य करना पड़ता है।
अत: बन्धन ऊर्जा वह न्यूनतम ऊर्जा होती है जो किसी न्युक्लिओन को अन्नत दूरी तक अलग करने के लिए आवश्यक होती है।
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