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मरू कोकिला किसे कहते हैं | राजस्थान की मरुभूमि की कोकिला किसे कहा जाता है maru kokila of rajasthan in hindi

maru kokila of rajasthan in hindi मरू कोकिला किसे कहते हैं | राजस्थान की किसे मरुभूमि की कोकिला कहा जाता है ?

प्रश्न: मांड गायिका गवरी देवी
उत्तर: ‘मरु कोकिला‘ के नाम से विश्व प्रसिद्ध मांड गायिका स्व. श्रीमती गवरी देवी का जन्म 14 अप्रैल, 1920 को बीकानेर के दरबारी गायक परिवार में हुआ। ठुमरी, भजन, गजल एवं लोकगीत में इन्हें महारत हासिल थी। राजस्थान की लोक गायन की मांड शैली को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने के लिए राजस्थान रत्न से सम्मानित किया गया है। इन्हें राजस्थान लोक गायन के क्षेत्रश् में सराहनीय कार्य करने एवं राजस्थान का सम्मान एवं गौरव बढ़ाने के लिए मृत्योपरान्त वर्ष 2013 14 का राजस्थान रल – 2013 प्रदान किया गया है।

प्रश्न: पंडित दुर्गा लाल 
उत्तर: पंडित दुर्गा लाल (1948-21 जनवरी, 1990): जयपुर घराने के एक प्रसिद्ध कथक नृत्यकार थे। उनका जन्म महेंद्रगढ़, राजस्थान में हुआ था। उन्हें 1989 में नृत्य नाटिका घनश्याम शीर्षक में मुख्य भूमिका निभाने के लिए जाना जाता है, जिसका संगीत पंडित रवि शंकर द्वारा रचा गया था और बर्मिघम ओपेरा कंपनी द्वारा तैयार किया गया था। भारत सरकार द्वारा 1990 में कथक प्रपत्र के क्षेत्र में उनके उपगदान के लिए उन्हें चैथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। प्रशस्ति पत्र की जरूरत, उन्हें व 1984 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार मिला था।
प्रश्न: मोहनसिंह मेहता
उत्तर: मोहनसिंह मेहता (1895-1986) देश के जाने माने शिक्षाविद, राजस्थान विश्वविद्यालय के संस्थापक कुलपति, सेवा मंदिर और विद्या भवन उदयपुर के संस्थापक, भूतपूर्व विदेश सचिव पद्मविभूषण जगत मेहता के पिता थे। मोहनसिंह मेहता का जन्म 20 अप्रैल, 1895 को भीलवाड़ा में एक प्रतिष्ठित ओसवाल जैन परिवार में हुआ था। उनकी महती सामाजिक सेवाओं के सम्मानस्वरूप उन्हें 1969 में भारत सरकार ने दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण प्रदान किया। डॉ. मोहन सिंह मेहता का निधन 25 जून सन् 1985 को उदयपुर में हुआ।
प्रश्न: घनश्यामदास बिड़ला
उत्तर: श्री घनश्यामदास बिड़ला (जन्म 1894, पिलानी, राजस्थान, भारत, मृत्यु-1983, मुंबई) भारत के अग्रणी औद्योगिक समूह बी.के. के.एम. बिड़ला समूह के संस्थापक थे, जिसकी परिसंपत्तियां 195 अरब रुपये से अधिक है। ये स्वाधीनता सेनानी भी थे तथा बिड़ला परिवार के एक प्रभावशाली सदस्य थे। वे गांधीजी के मित्र, सलाहकार, प्रशंसक एवं सहयोगी थे। भारत सरकार ने सन् 1957 में उन्हें पद्म विभूषण की उपाधि से सम्मानित किया। घनश्याम दास बिड़ला का निधन जून, 1983 ई. हुआ था। उन्होंने अपने पैत्रक स्थान पिलानी में भारत के सर्वश्रेष्ठ निजी तकनीकी संस्थान बिड़ला प्रौद्योगिकी एवं विज्ञान संस्थान, पिलानी की स्थापना की। इसके अलावा हिन्दुस्तान टाइम्स एवं हिन्दुस्तान मोटर्स (सन् 1942) की नींव डाली। कुछ अन्य उद्योगपतियों के साथ मिलकर उन्होंने सन् 1927 में ‘इण्डियन चैम्बर ऑफ कामर्स एंड इन्डस्ट्री‘ की स्थापना की। इन्होंने पूंजीपतियों से राष्ट्रीय आंदोलन का समर्थन करने एवं कांग्रेस के हाथ मजबूत करने की अपील की। इन्होंने सविनय अवज्ञा आंदोलन का समर्थन किया। इन्होंने राष्ट्रीय आंदोलन के लिए आर्थिक सहायता दी। इन्होंने सामाजिक कुरीतियों का भी विरोध किया तथा 1932 ई. में हरिजन सेवक संघ के अध्यक्ष बने।
प्रश्न: सुविज्ञ शर्मा
उत्तर: सुविज्ञ शर्मा (जन्म 28 जुलाई, 1983) एक भारतीय कलाकार, चित्रकार, फैशल डिजाइनर और उद्यमी हैं। जिन्हें अपनी मिनिएचर पेंटिंग्स (लघु-चित्रों), तंजौर पेंटिंग, फ्रेस्को कला और सजीव चित्रों के लिए जाना जाता है। भारत के प्रसिद्ध वास्तुकला धरोहर स्थानों जैसे जयपुर में सिटी पैलेस एवं जामा मस्जिद सहित अनगिनत पुनर्नवीकरण और फ्रेस्को पेंटिंग प्रोजेक्ट्स का श्रेय इनको जाता है। इन्हें प्रतिष्ठित भारत गौरव सम्मान, 2012 से सम्मानित किया गया है।
प्रश्न: समाज सेवी देवेन्द्रराज मेहता
उत्तर: जोधपर में जन्मे (1937) देवेन्द्रराज मेहता ने 1975 में भगवान महावीर विकलांग सहायता समिति की स्थापना की जिसके माध्यम से लाखों लोगो को कृत्रिम अंग लगाकर अत्यंत सराहनीय कार्य किया। श्री मेहता द्वारा सेबी के चेयरमैन एवं रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के डिप्टी गवर्नर के पद का निर्वहन किया गया। इन्हें अन्य पुरस्कारों सहित 2008 में पदमभूषण से भी सम्मानित किया जा चुका है। इन्हें ‘समाज सेवा के क्षेत्र’ में सराहनीय कार्य करने एवं राजस्थान का सम्मान एवं गौरव बढ़ाने के लिए वर्ष 2013-14 का ‘राजस्थान रत्न – 2013 प्रदान किया गया है।
प्रश्न: डॉ. नगेन्द्र सिंह
उत्तर: डूंगरपुर में जन्मे (1914-88) नागेन्द्रसिंह संयुक्त राष्ट्र संघ की असेम्बली में भारत के प्रतिनिधि और अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय हेग में दो बार मुख्य न्यायाधीश पद पर रहने वाले राजस्थान के प्रथम व्यक्ति थे। ये भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त भी रहे इन्हें 1939 कामा अवार्ड से तथा 1973 में पदमविभूषण से सम्मानित किया गया था। नागेन्द्रसिंह का निधन 1988 ई. में हालैण्ड में हआ। ये कानून के ज्ञाता थे। इन्होंने कानून के कई ग्रंथ भी लिखे। इन्हें ‘कानून एवं न्याय के क्षेत्र‘ में सराहनीय कार्य करने एवं राजस्थान का सम्मान एवं गौरव बढ़ाने के लिए मृत्योपरान्त वर्ष 2013-14 का ‘राजस्थान रत्न-2013 प्रदान किया गया है।
प्रश्न: बिशनसिंह शेखावत 
उत्तर: ग्राम खाचरियावास सीकर (शेखावाटी क्षेत्र) में जन्में और शिक्षित, अब दिवंगत, राजस्थान के एक जाने-माने अध्यापक शिक्षक-नेता, भारतीय उपराष्ट्रपति भैरोसिंह शेखावत के छोटे भाई थे जो राजकीय सेवानिवृत्ति के बाद पत्रकार-कवि कर्परा कुलिश के दैनिक समाचार-पत्र राजस्थान पत्रिका से जुडे और जिन्होंने बहुत लम्बे समय तक राजस्थान के हर बडे गांव इतिहास और उनकी वर्तमान दशा-दिशा पर टिप्पणी अपने जनप्रिय स्तम्भ ‘आओ गाँव चलें‘ में नियमित रूप से लिखी।
प्रश्न: प्रकृति एवं पर्यावरणविद् कैलाश सांखला
उत्तर: जोधपुर में जन्मे (1925-1994) कैलाश सांखला ने बांघों के संरक्षण हेतु प्रयासों के कारण टाइगर मैन के नाम से प्रसित रहे। बाघ संरक्षण के लिए उन्होंने सन् 1969 ई. में प्रयास शुरू किए। इन्हीं के प्रयासों से भारतीय वन्य जीव पशु संरक्षण अधिनियम 1972 पारित हुआ। सन् 1972 में भारत सरकार ने सांखला को बाघ परियोजना का संस्थापक निदेशक नियक्त किया। उन्होंने केवलादेव, रणथम्भौर, सरिस्का तथा मरु उद्यान सहित कई अन्य अभयारण्यों का विकास करवाया। 1969 में इन्हें जवाहरलाल नेहरू फैलोशिप प्रदान की गई थी तथा 1992 में इन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया। 1992 में ये दिल्ली जूलोजिकल पाक के निदेशक रहे तथा राजस्थान में मुख्य वन्यजीव अधिकारी के रूप में कार्य किया। सांखला ने वन्य जीवों पर कई पुस्तकें लिखी हैं। जिनमें ‘दी टाइगर‘, ‘टाइगर लैण्ड‘ और ‘गार्डन्स ऑफ गाड्स‘ प्रमुख हैं। इन्हें भारत सरकार ने ‘पद्मश्री‘ से भी सम्मानित किया। इन्हें ‘टाइगर मैन‘ उपनाम से जाना जाता है। इन्हें ‘पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र‘ में सराहनीय कार्य करने एवं राजस्थान का सम्मान एवं गौरव बढ़ाने के लिए मृत्योपरान्त वर्ष 2013-14 का ‘राजस्थान रत्न-2013 प्रदान किया गया है।
प्रश्न: सारंगी वादक पंडित रामनारायण शर्मा
उत्तर: उदयपुर में जन्मे (1927) पंडित रामनारायण शर्मा ने सांरगी वादन को विश्व पटल पर उच्चतम आयाम दिलवाये। इन्हें 1976 में पदमश्री से, 1991 में पदम भूषण से तथा 2005 में पदम विभूषण से सम्मानित किया जा चुका है। इन्हें ‘वादन कला के क्षेत्र‘ में सराहनीय कार्य करने एवं राजस्थान का सम्मान एवं गौरव बढ़ाने के लिए वर्ष 2013-14 का ‘राजस्थान रत्न – 2013 प्रदान किया गया है।
प्रश्न: गीतकार एवं शायर स्व. श्री हसरत जयपुरी
उत्तर: जयपुर में जन्में (1922) स्व. श्री हसरत जयपुरी सुप्रसिद्ध गीतकार व शायर थे। राजकुमार की फिल्म बरसात के गीतों ने उन्हें रातों-रात ख्यातनाम गीतकार बना दिया। इन्हें 1966 में ‘बहारों फूल बरसाओं‘ तथा 1972 में ‘जिन्दगी एक सफर है सुहाना‘ के लिए ‘फिल्म फेयर बेस्ट लिरिक्स अवार्ड‘ प्रदान किया गया। इन्हें ‘संगीत लेखन एवं गायन के क्षेत्र‘ में सराहनीय कार्य करने एवं राजस्थान का सम्मान एवं गौरव बढ़ाने के लिए मृत्योपरान्त वर्ष 2013-14 का राजस्थान रत्न – 2013 प्रदान किया गया है।
प्रश्न: कमेन्टर जसदेव सिंह
उत्तर: जसदेव सिंह खेलकूद तथा सामान्य गतिविधियों में एक समान महारत रखने वाले श्री सिंह एकमात्र कमेन्टेर है जो गणतंत्र दिवस एवं स्वतंत्रा दिवस पर कमेन्टरी करते हैं तथा रेडियो एवं दूरदर्शन क्षेत्र में बोलते रहते हैं। उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए इन्हें 1982 में पद्मश्री तथा 2008 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। इन्हें ‘रेडियों एवं दूरदर्शन के क्षेत्र‘ में सराहनीय कार्य करने एवं राजस्थान का सम्मान एवं गौरव बढ़ाने के लिए वर्ष 2013-14 का ‘राजस्थान रत्न -2013 प्रदान किया गया है।

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