JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now

हिंदी माध्यम नोट्स

Class 6

Hindi social science science maths English

Class 7

Hindi social science science maths English

Class 8

Hindi social science science maths English

Class 9

Hindi social science science Maths English

Class 10

Hindi Social science science Maths English

Class 11

Hindi sociology physics physical education maths english economics geography History

chemistry business studies biology accountancy political science

Class 12

Hindi physics physical education maths english economics

chemistry business studies biology accountancy Political science History sociology

Home science Geography

English medium Notes

Class 6

Hindi social science science maths English

Class 7

Hindi social science science maths English

Class 8

Hindi social science science maths English

Class 9

Hindi social science science Maths English

Class 10

Hindi Social science science Maths English

Class 11

Hindi physics physical education maths entrepreneurship english economics

chemistry business studies biology accountancy

Class 12

Hindi physics physical education maths entrepreneurship english economics

chemistry business studies biology accountancy

बाजार संरचना क्या है | बाजार संरचना की परिभाषा किसे कहते है अर्थ मतलब Market structure in hindi

Market structure in hindi meaning definition बाजार संरचना क्या है | बाजार संरचना की परिभाषा किसे कहते है अर्थ मतलब ? 

बाजार संरचना की प्रकृति
‘‘बाजार संरचना‘‘ विशेष रूप से बाजार व्यवहार के आर्थिक विश्लेषण से संबंधित है। आर्थिक सिद्धान्त में यह मान लिया जाता है कि विचाराधीन बाजार के प्रकार द्वारा मूल्य निर्धारण और फर्म विशेष का व्यवहार महत्त्वपूर्ण रूप से प्रभावित होता है, इस प्रकार पूर्ण प्रतियोगिता, एकाधिकारी प्रतियोगिता, अल्पाधिकार और एकाधिकार की स्थितियों के बीच विभेद किया जाता है। इसके अतिरिक्त सार्वजनिक नीतिगत निर्णयों में इन्हें पर्याप्त महत्त्व दिया गया है। यदि विशेष प्रकार की बाजार संरचना के साथ कतिपय अवांछित बाजार व्यवहार स्वरूप जुड़ा हुआ है, तो कम से कम सिद्धान्त रूप में बाजार संरचना में परिवर्तन करके इस समस्या का समाधान किया जा सकता है।

 बाजार संरचना की परिभाषा
बाजार संरचना से कुछ संगठनात्मक विशेषताओं का पता चलता है जो क्रेता और विक्रेता के बीच अन्तर्संबंध स्थापित करती है। अतएव, बाजार संरचना की परिभाषा, ‘‘बाजार की आर्थिक रूप से महत्त्वपूर्ण विशेषताओं, जो बाजार में पूर्ति करने वाली फर्मों का व्यवहार प्रभावित करता है‘‘ के रूप में किया जा सकता है।

परम्परागत रूप से बाजार संरचना के तीन मुख्य आयामों की पहचान की गई है जो निम्नलिखित हैं: (क) विक्रेता केन्द्रीकरण की मात्रा, (ख) उत्पाद विभेदीकरण का विस्तार, और (ग) प्रवेश शर्तों की प्रकृति। इनमें क्रेता केन्द्रीकरण की मात्रा और एक्जिट दशाओं को भी जोड़ा जा सकता है।

क) विक्रेता केन्द्रीकरण की मात्रा: इसका अभिप्राय एक विशेष प्रकार के निर्गत का उत्पादन करने वाली फर्म की संख्या और आकार वितरण से है। इसे अधिक उचित रूप से बाजार केन्द्रीकरण के मात्रा के रूप में परिभाषित किया जाता है।
ख) उत्पाद विभेदीकरण: ऐसी स्थिति तब होती है जब बाजार में समाविष्ट समूह के अंदर अलग-अलग विक्रेताओं के उत्पादों को उपभोक्ताओं द्वारा पूर्व स्थानापन्न के रूप में स्वीकार नहीं किया जाता है। परिणामस्वरूप, वे उत्पाद की एक किस्म के लिए दूसरे की तुलना में अधिक भुगतान करने के इच्छुक रहते हैं और उन्हें किसी उत्पादक की जगह दूसरा उत्पादक बदलने के लिए प्रेरित करना कठिन होता है। उत्पाद विभेदीकरण की विशेषताओं वाले बाजार कतिपय असाधारण विशेषताएँ दशति हैं, उदाहरणार्थ, उत्पादकों का मूल्य नीति पर कुछ हद तक नियंत्रण होता है, बाजार हिस्सा के अपरिवर्तनीय होने की प्रवृत्ति रहती है, बिक्री दर के अपेक्षाकृत अधिक होने की प्रवृत्ति होती है।

ग) प्रवेश की दशाएँ: किसी विशेष बाजार में प्रवेश की दशाओं का अर्थ वह सुगमता है जिससे एक नया उत्पाद स्वयं को लाभप्रद तरीके से बाजार में स्थापित कर सकता है। एक बाजार जिसमें प्रवेश करना पूर्णतः सुगम है मूल्य, दीर्घावधि में, उत्पादन के औसत लागत से अधिक नहीं हो सकता। जहाँ प्रवेश को प्रतिबंधित करने में बाधाएँ प्रभावी हैं, अंतराल मूल्य और औसत लागत के बीच उत्पन्न हो सकता है – अंतराल की सीमा ‘‘प्रतिबंध‘‘ की सीमा को दर्शाता है।

बाजार संरचना के प्रकार

उपरोक्त विभिन्न विशेषताओं के आधार पर, हम विभिन्न बाजार संरचनाओं में भेद कर सकते हैं। आप इन बाजार संरचनाओं के संबंध में ई.ई.सी.-11 में पहले ही विस्तारपूर्वक पढ़ चुके हैं। हालाँकि, हम एक बार पुनः निम्नलिखित मुख्य बिन्दुओं पर चर्चा करेंगे:
प्) पूर्ण प्रतियोगिता: एक पूर्ण प्रतियोगी बाजार संरचना की निम्नलिखित विशेषताएँ होती हैंः

क) बाजार में बड़ी संख्या में क्रेता और विक्रेता होते हैं, इनमें से प्रत्येक का व्यक्तिगत रूप से बाजार मूल्य और उत्पाद की मात्रा पर खास प्रभाव नहीं होता है।
ख) किसी भी एक विक्रेता (अर्थात् फर्म) का उत्पाद बाजार में प्रत्येक दूसरे विक्रेता के उत्पाद के सदृश है। अतएव, क्रेता विक्रेताओं के बीच तटस्थ होता है। वह किसी भी विक्रेता से कोई भी उत्पाद खरीद सकता है।
ग) बाजार में प्रवेश करने अथवा बाजार से निकलने में कोई बाधा नहीं है। विक्रेता और क्रेता जब कभी वे चाहें बाजार में आने अथवा बाजार छोड़ने के लिए स्वतंत्र हैं।
घ) प्रत्येक क्रेता और विक्रेता को बाजार अर्थात् मूल्यों, उत्पाद की प्रकृति, लागत और माँग इत्यादि के बारे में, पूरी तथा सही जानकारी है। विज्ञापन और बिक्री खर्च कुछ भी नहीं है।
ङ) बाजार पर कोई भी कृत्रिम नियंत्रण नहीं है। उत्पादन के कारक पूरी तरह से गतिशील हैं। इस तरह की व्यवस्था में किसी भी ‘‘बिचैलिया‘‘ जैसे थोक विक्रेता, दलाल, अढ़तिया, खुदरा विक्रेता इत्यादि का अस्तित्व नहीं है। ऐसा माना जाता है कि इस तरह का कारोबार लागत रहित होता है।
च) विक्रेता और क्रेता निर्णय लेने में स्वतंत्र हैं। विक्रेताओं अथवा खरीदारों में किसी भी प्रकार की मिली भगत नहीं है।
प्प्) एकाधिकार: पूर्ण प्रतियोगी बाजार चरम स्थिति है- जोकि न्यूनाधिक काल्पनिक है। यदि इसकी मान्यताएँ सत्य नहीं हैं तो हम बाजार में अपूर्ण प्रतियोगिता की स्थिति पाते हैं। एकाधिकार एक अन्य सीमाकारी स्थिति है। बाजार की एकाधिकारी संरचना को स्पष्ट करने वाली विशेषताएँ निम्नलिखित हैं।
क) बाजार में सिर्फ एक फर्म है जो वस्तुओं की पूर्ति करती है।
ख) फर्म एक अथवा विभेदित वस्तुओं का उत्पादन करती है जिनका बाजार में कोई निकट स्थानापन्न नहीं है।
ग) बाजार में प्रवेश की अनेक बाधाएँ विद्यमान हैं।
एकाधिकारी फर्म का उत्पाद मूल्य और बाजार में उसकी मात्रा पर पूरी बाजार शक्ति होता है।

प्प्प्) एकाधिकारी प्रतियोगिता: एकाधिकार और पूर्ण प्रतियोगिता बाजार संरचना की चरम सीमाएँ हैं। इनके बीच, एकाधिकार अथवा प्रतियोगिता की मात्रा अथवा कुछ अन्य विशेषताओं में परिवर्तन पर निर्भर कतिपय महत्त्वपूर्ण स्वरूप हैं। एकाधिकारवादी प्रतियोगिता इनमें से एक है।

इस बाजार संरचना में, फर्मों की संख्या प्रतिस्पर्धी दशाओं के सृजन के लिए पर्याप्त है किंतु साथ ही उनके उत्पाद सदृश नहीं हैं, हालाँकि प्रत्येक का निकट स्थानापन्न है जो उन्हें कुछ एकाधिकारी शक्ति प्रदान करता है। इस प्रकार इस प्रणाली के अन्तर्गत एकाधिकार और प्रतियोगिता साथ-साथ रहते हैं। यह उत्पाद विभेदीकरण ही है जो इस बाजार संरचना को पूर्ण प्रतियोगिता से अलग करता है।

प्ट) अल्पाधिकार और अन्य बाजार संरचना: अल्पाधिकारी बाजार में अनेक विक्रेता होते हैं जो पर्याप्त रूप से छोटे होते हैं ताकि किसी भी एक विक्रेता की कार्रवाइयों का उसके प्रतिद्वंदियों पर पता चलने योग्य प्रभाव पड़े। अल्पाधिकार के सीमाकारी मामले को द्वयाधिकार कहा जाता है जब बाजार में सिर्फ दो विक्रेता सक्रिय रहते हैं। ऐसी स्थिति में जब विक्रेता का उत्पाद सजातीय होता है हम इसे ‘‘शुद्ध अल्पाधिकार‘‘ कहते हैं किंतु जब उत्पाद अलग-अलग होते हैं इसे ‘‘विभेदीकृत अल्पाधिकार‘‘ कहते हैं। मुख्य विशेषता जो अल्पाधिकार को अन्य बाजार संरचना से अलग करती है, विक्रेताओं के निर्णयों की परस्पर अन्तर्निभरता को मान्यता प्रदान करना है।

 बाजार संरचना और मूल्य निर्धारण नीति
एक फर्म की मूल्य निर्धारण नीति, सिद्धान्ततः, बाजार संरचना जिसमें वह कार्यसंचालन करता है, की
प्रकृति द्वारा प्रभावित होता है।

हम पहले ही विभिन्न बाजार संरचनाओं में भेद कर चुके हैं। अब हम विभिन्न बाजार संरचनाओं में मूल्य निर्धारण निर्णय किस प्रकार लिए जाते हैं, के बारे में संक्षेप में पढ़ेंगे। विस्तृत विवरण के लिए कृपया ई ई सी -11 देखिए ।

क) एक ओर पूर्ण प्रतियोगी बाजार संरचना है, जिसमें बड़ी संख्या में फर्म विद्यमान हैं, वे सभी सजातीय उत्पाद का उत्पादन कर रही हैं। इस प्रकार की बाजार संरचना में किसी एक फर्म का बाजार पूर्ति अथवा बाजार माँग पर कोई प्रभाव नहीं होता है। परिणामस्वरूप, पूर्ण प्रतियोगी फर्म का उस मूल्य पर कोई नियंत्रण नहीं होता है जिस पर वह अपना उत्पाद बाजार में बेचेगी। बाजार मूल्य का निर्धारण उद्योग की माँग और उद्योग की पूर्ति पर निर्भर करता है। वह मूल्य जिस पर उद्योग की माँग और उद्योग की पूर्ति बराबर हो जाती है उसे संतुलन मूल्य कहते हैं।

प्रत्येक फर्म अपना निर्गत संतुलन मूल्य पर बेच सकती है, अर्थात् एक फर्म का माँग वक्र पूर्ण लोचदार होता है।

दूसरे शब्दों में, पूर्ण प्रतियोगी फर्म प्रचलित-मूल्य स्वीकार करने वाली होती है। उद्योग मूल्य निर्धारित करता है; प्रत्येक फर्म द्वारा इसे स्वीकार किया जाता है।

प्रचलित मूल्य स्वीकार करने वाली फर्म का मूल्य पर कोई नियंत्रण नहीं होता है, किंतु यह निर्गत का स्तर जो यह बेचना चाहेगा के बारे में निर्णय कर सकती है। अर्थात् प्रत्येक फर्म को सिर्फ निर्गत के स्तर और न कि मूल्य के बारे में निर्णय लेना है।

ख) कोई भी बाजार जो पूर्ण नहीं है को अपूर्ण बाजार की श्रेणी में रखा जाता है, जैसे, एकाधिकार,
द्वयाधिकार, अल्पाधिकार, एकाधिकारी प्रतियोगिता। अपूर्ण बाजार संरचना में, प्रत्येक फर्म को मूल्य, जिस पर उसे अपना उत्पाद बेचना चाहिए, के संबंध में कुछ मात्रा में स्वतंत्रता होती है। प्रत्येक फर्म को अधोमुखी तिरछे वक्र का सामना करना पड़ता है, अर्थात् यह कम मूल्य पर अधिक बेच सकता है और अधिक मूल्य पर कम। इसे मूल्य निर्धारण निर्णय इस तरह से लेना होगा जो इसके लिए संगठनात्मक लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायक हो।

बोध प्रश्न 2
1) आप बाजार से क्या समझते हैं?
2) ‘‘बाजार संरचना‘‘ की परिभाषा कीजिए?
3) पूर्ण प्रतियोगी बाजार और अपूर्ण प्रतियोगी बाजारों में अंतर बताइए?

Sbistudy

Recent Posts

four potential in hindi 4-potential electrodynamics चतुर्विम विभव किसे कहते हैं

चतुर्विम विभव (Four-Potential) हम जानते हैं कि एक निर्देश तंत्र में विद्युत क्षेत्र इसके सापेक्ष…

2 days ago

Relativistic Electrodynamics in hindi आपेक्षिकीय विद्युतगतिकी नोट्स क्या है परिभाषा

आपेक्षिकीय विद्युतगतिकी नोट्स क्या है परिभाषा Relativistic Electrodynamics in hindi ? अध्याय : आपेक्षिकीय विद्युतगतिकी…

4 days ago

pair production in hindi formula definition युग्म उत्पादन किसे कहते हैं परिभाषा सूत्र क्या है लिखिए

युग्म उत्पादन किसे कहते हैं परिभाषा सूत्र क्या है लिखिए pair production in hindi formula…

6 days ago

THRESHOLD REACTION ENERGY in hindi देहली अभिक्रिया ऊर्जा किसे कहते हैं सूत्र क्या है परिभाषा

देहली अभिक्रिया ऊर्जा किसे कहते हैं सूत्र क्या है परिभाषा THRESHOLD REACTION ENERGY in hindi…

6 days ago

elastic collision of two particles in hindi definition formula दो कणों की अप्रत्यास्थ टक्कर क्या है

दो कणों की अप्रत्यास्थ टक्कर क्या है elastic collision of two particles in hindi definition…

6 days ago
All Rights ReservedView Non-AMP Version
X

Headline

You can control the ways in which we improve and personalize your experience. Please choose whether you wish to allow the following:

Privacy Settings
JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now