हिंदी माध्यम नोट्स
चुंबकत्व किसे कहते हैं , चुम्बकत्व क्या है , परिभाषा , magnetism meaning in hindi , definition
magnetism meaning in hindi , definition , चुंबकत्व किसे कहते हैं , चुम्बकत्व क्या है , परिभाषा :-
चुंबकत्व एवं द्रव्य : चुम्बक की सबसे पहले खोज यूनान के मैग्नीशिया नामक स्थान पर हुई इसी स्थान के नाम पर इसका पूरा नाम मैग्नेट रखा गया। इसी को चुम्बक कहते है।
चुम्बकत्व सम्बन्धित कुछ सामान्य जानकारी :
(i) यदि किसी छड चुम्बक को स्वतंत्रता पूर्वक लटका दिया जाए तो स्थिर अवस्था में वह हमेशा उत्तर-दक्षिण दिशा में ठहरती है। जो सिरा उत्तर की ओर ठहरता है उसे उत्तरी ध्रुव कहते है तथा जो सिरा दक्षिण की ओर ठहरता है उसे दक्षिण ध्रुव कहते है।
(ii) यदि दो छड़ चुम्बक एक दूसरे के समीप स्थित हो तो समान ध्रुवों में प्रतिकर्षण व विपरीत ध्रुवो में आकर्षण बल कार्य करता है।
(iii) यदि किसी छड चुम्बक के दो या दो से अधिक टुकड़े कर दिए जाए तो भी प्रत्येक टुकड़ा एक पूर्ण चुम्बक की तरह व्यवहार करेगा अर्थात चुम्बक के उत्तरी और दक्षिणी ध्रुवो को अलग करना संभव नहीं है।
(iv) पृथ्वी एक बड़े चुम्बक की तरह कार्य करती है। पृथ्वी के चुम्बकत्व को भू-चुम्बकत्व कहते है। पृथ्वी के चुम्बक का उत्तरी ध्रुव दक्षिण की ओर दक्षिण ध्रुव उत्तर की ओर है।
छड चुम्बक में दो ध्रुव होते है। उत्तरी ध्रुव व दक्षिण ध्रुव होते है। तथा उत्तरी ध्रुव को धनात्मक व दक्षिण ध्रुव को ऋणात्मक माने जाते है।
चुम्बकीय क्षेत्र रेखा में :
(i) चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ सतत वक्र चुम्बक के बाहर ये उत्तरी ध्रुव से चलकर दक्षिणी ध्रुव पर पहुँचाते है तथा चुम्बक के भीतर ये दक्षिण ध्रुव से चलकर उत्तरी ध्रुव तक पहुंचती है।
(ii) चुम्बकीय क्षेत्र रेखा के किसी बिंदु पर खिंची गयी स्पर्श रेखा उस बिन्दु पर परिणामी चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा को व्यक्त करती है।
(iii) कोई भी दो बल रेखाएँ एक दुसरे को काटती नहीं है क्योंकि कटान बिंदु पर दो स्पर्श रेखाएं खिंची जा सकती है जो उस बिन्दु पर दो परिणामी चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा को व्यक्त करेगी जो असंभव है।
(iv) क्षेत्र के लम्बवत रखे गए तल के एकांक क्षेत्रफल से गुजरने वाली चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओ की संख्या उस बिंदु पर चुम्बकीय क्षेत्र का परिमाण बताती है।
छड़ चुम्बक का एक धारावाही परिनालिका की तरह व्यवहार :
(i) यदि छड चुम्बक एवं धारावाही परिनालिका को स्वतंत्रता पूर्वक लटका दिया जाए तो स्थिर अवस्था में दोनों ही उत्तर दक्षिण दिशा में ठहरती है।
(ii) यदि छड़ चुम्बक एवं धारावाही परिनालिका के दो टुकड़े कर दिए जाए तो प्रत्येक टुकड़ा एक पूर्ण चुम्बक की तरह व्यवहार करेगा परन्तु इनकी शक्ति क्षीण (कम) हो जाती है।
(iii) यदि छड चुम्बक एवं धारावाही परिनालिका के समीप एक चुम्बकीय सुई रख दी जाए तो वह विक्षेपित हो जाती है अर्थात घूम जाती है।
धारावाही परिनालिका की अक्ष पर किसी बिंदु पर चुम्बकीय क्षेत्र : –
माना परिनालिका की त्रिज्या व लम्बाई 2l है इसमें एकांक लम्बाई में फेरों की संख्या n है। परिनालिका के मध्य बिंदु O से अक्ष पर r दूरी पर स्थित बिंदु P पर चुम्बकीय क्षेत्र का मान ज्ञात करना है अत: O से x दूरी पर dx चौड़ाई का एक अल्पांश लिया। अल्पांश से बिंदु P की दूरी (r-x) होगी।
B = u02m/4πr3
अत: धारावाही परिनालिका एवं दण्ड चुम्बक के कारण अक्ष पर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र समान है।
दंड चुम्बक का चुम्बकीय आघूर्ण : छड (दंड) चुम्बक में N व S ध्रुवों के बीच की दूरी dl है।
N ध्रुव का चुम्बकीय आवेश (ध्रुव शक्ति) +qm व S ध्रुव का चुम्बकीय आवेश (ध्रुव शक्ति) -qm है।
किसी एक ध्रुव के चुम्बकीय आवेश का परिमाण तथा दोनों ध्रुवों के बीच की दूरी के गुणनफल को चुम्बकीय आघूर्ण कहते है।
m = +qm2l
चुम्बकीय क्षेत्र में चुम्बक सुई को घूर्णन कराकर चुम्बकीय क्षेत्र B का यथार्थ (सही) मान ज्ञात करना : चुम्बकीय क्षेत्र V का सही मान ज्ञात करने के लिए एक चुम्बकीय सुई जिसका चुम्बकीय आघूर्ण m तथा जड़त्व आघूर्ण I है को दोलन कराया जाता है। माना दोलनकाल T है।
चुम्बकीय सुई के चुम्बकीय क्षेत्र में घूर्णन के कारण इस पर लगने वाला बल
प्रत्यानयन बल T = -mBsinθ
चुम्बकीय क्षेत्र B = 4π2I/mT2
चुम्बकीय क्षेत्र में चुम्बकीय द्विध्रुव को घुमाने पर द्विध्रुव की स्थितिज ऊर्जा : यदि किसी चुम्बकीय द्विध्रुव को चुंबकीय क्षेत्र dθ कोण से घुमाया जाए तो
किया गया कार्य = बल आघूर्ण x कोणीय विस्थापन
dW = T.dθ समीकरण-1
चूँकि T = mBsinθ
अत: dW = mBsinθ.dθ
W = ∫ mBsinθ.dθ
W = mB(-cosθ)
U = – m.B
चुम्बकत्व एवं गाउस का नियम : विद्युत द्विध्रुव के दोनों आवेशों को अलग करना संभव है जबकि चुम्बकीय द्विध्रुव के दोनों ध्रुवों को अलग करना संभव नहीं है अत: किसी छड चुम्बक के लिए परिणामी चुम्बकीय आवेश या ध्रुव शक्ति शून्य होगी।
अत: गाउस के नियम अनुसार किसी बंद पृष्ठ से निर्गत चुम्बकीय फ्लक्स का मान सदैव शून्य रहता है।
Θ = 0
Recent Posts
सारंगपुर का युद्ध कब हुआ था ? सारंगपुर का युद्ध किसके मध्य हुआ
कुम्भा की राजनैतिक उपलकियाँ कुंमा की प्रारंभिक विजयें - महाराणा कुम्भा ने अपने शासनकाल के…
रसिक प्रिया किसकी रचना है ? rasik priya ke lekhak kaun hai ?
अध्याय- मेवाड़ का उत्कर्ष 'रसिक प्रिया' - यह कृति कुम्भा द्वारा रचित है तथा जगदेय…
मालकाना का युद्ध malkhana ka yudh kab hua tha in hindi
malkhana ka yudh kab hua tha in hindi मालकाना का युद्ध ? मालकाना के युद्ध…
कान्हड़देव तथा अलाउद्दीन खिलजी के संबंधों पर प्रकाश डालिए
राणा रतन सिंह चित्तौड़ ( 1302 ई. - 1303 ) राजस्थान के इतिहास में गुहिलवंशी…
हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ? hammir dev chauhan history in hindi explained
hammir dev chauhan history in hindi explained हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ?…
तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच हुआ द्वितीय युद्ध Tarain battle in hindi first and second
Tarain battle in hindi first and second तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच…