JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now

हिंदी माध्यम नोट्स

Categories: Physics

चुम्बकीय शैथिल्य वक्र क्या है , निग्राहिता , धारणशीलता की परिभाषा Magnetic Hysteresis curve in hindi

Magnetic Hysteresis curve in hindi चुम्बकीय शैथिल्य वक्र क्या है  : हम अध्ययन कर चुके है की जब एक धारावाही परिनालिका में विद्युत धारा प्रवाहित करने पर उसके अन्दर एक चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न हो जाता है , माना धारावाही परिनालिका में n फेरे लिपटे हुए है तथा I धारा प्रवाहित हो रही है तो परिनालिका में अक्ष के अनुदिश चुम्बकीय क्षेत्र B = nI होगा।
परिनालिका के भीतर एक लोह चुम्बकीय पदार्थ रखते है जो की चुम्बकीय क्षेत्र के कारण चुम्बकित हो जाता है। अब धीरे धीरे धारा के मान को परिवर्तित करते है तथा दिशा परिवर्तित करते है तथा इससे चुम्बकीय क्षेत्र में परिवर्तन होता है इस परिवर्तन से चुम्बकीय तीव्रता में क्या परिवर्तन होता है इसके लिए हम ग्राफ खीचकर अध्ययन करेंगे।
चुम्बकीय क्षेत्र B तथा चुंबकीय तीव्रता H के मध्य खिंचा गया ग्राफ ही B-H वक्र या चुम्बकीय शैथिल्य वक्र कहते है।

जब धारा I का मान बढाया जाता है तो चुम्बकीय तीव्रता H का मान बढ़ता है जिससे पदार्थ में चुम्बकत्व B का मान भी बढ़ता है यह ग्राफ सीधी रेखा में न आकार कुछ टेढ़ा प्राप्त होता है जिसे चित्र में डैश लाइन (—) से प्रदर्शित किया गया है , बिन्दु a पर जाकर इसका मान अधिकतम हो जाता है।
अब धारा धीरे धीरे कम करने पर तीव्रता कम होती जाती है लेकिन लोह चुम्बकीय पदार्थ में चुम्बकत्व बना रहता है इसलिए यह कुछ बना रहता है अब चुम्बकीय क्षेत्र शून्य पर भी पदार्थ में चुम्बकन का मान कुछ मान बना रहता है इससे हमें b बिन्दु प्राप्त होता है।
अब हम दिशा को परिवर्तित कर देते है।
अब उल्टे दिशा में धारा का मान बढ़ाते है जिससे चुम्बकीय क्षेत्र का मान बढ़ता है जिससे वस्तु पर चुम्बकत्व का मान घटता जाता है , H के एक निश्चित मान के लिए चुम्बकत्व का मान शून्य हो जाता है जिसे बिन्दु c प्राप्त होता है।
अभी भी धारा का मान बढ़ाने पर भी चुम्बकीय क्षेत्र बढ़ता है जिससे पदार्थ चुम्बकित होता है बिन्दु d पर चुम्बकन का मान अधिकतम हो जाता है।
अब धारा धीरे धीरे घटाने पर चुंबकीय क्षेत्र कम होता जाता है लेकिन पदार्थ पर चुम्बकत्व का मान लगभग बना रहता है , चुम्बकीय क्षेत्र शून्य की उपस्थिति में भी पदार्थ चुम्बकित रहता है जिससे हमें e बिन्दु प्राप्त होता है।
अब धारा का मान पुन: बदलने पर धारा का मान बढ़ाने पर हमें चुम्बकीय तीव्रता के किसी मान पर पदार्थ पर शून्य चुम्बकत्व प्राप्त होता है जिससे बिन्दु f मिलता है।
अत: शैथिल्य वक्र abcdefa प्राप्त होता है।

कुछ परिभाषाएं :

निग्राहिता  : जब चुम्बकीय क्षेत्र को हटाया जाता है तथा विपरीत दिशा में बढाया जाता है तो चुम्बकीय क्षेत्र के एक निश्चित मान पर चुम्बकत्व का मान शून्य हो जाता है , चुम्बकीय क्षेत्र के इस मान को ही निग्रहिता कहते है।
धारणशीलता : चुम्बकीय क्षेत्र को पूर्ण रूप से हटाने या शून्य करने के बाद भी पदार्थ में चुम्बकत्व का गुण बना रहता है इस गुण को धारणशीलता कहते है।

Sbistudy

Recent Posts

सारंगपुर का युद्ध कब हुआ था ? सारंगपुर का युद्ध किसके मध्य हुआ

कुम्भा की राजनैतिक उपलकियाँ कुंमा की प्रारंभिक विजयें  - महाराणा कुम्भा ने अपने शासनकाल के…

4 weeks ago

रसिक प्रिया किसकी रचना है ? rasik priya ke lekhak kaun hai ?

अध्याय- मेवाड़ का उत्कर्ष 'रसिक प्रिया' - यह कृति कुम्भा द्वारा रचित है तथा जगदेय…

4 weeks ago

मालकाना का युद्ध malkhana ka yudh kab hua tha in hindi

malkhana ka yudh kab hua tha in hindi मालकाना का युद्ध ? मालकाना के युद्ध…

2 months ago

कान्हड़देव तथा अलाउद्दीन खिलजी के संबंधों पर प्रकाश डालिए

राणा रतन सिंह चित्तौड़ ( 1302 ई. - 1303 ) राजस्थान के इतिहास में गुहिलवंशी…

2 months ago

हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ? hammir dev chauhan history in hindi explained

hammir dev chauhan history in hindi explained हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ?…

2 months ago

तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच हुआ द्वितीय युद्ध Tarain battle in hindi first and second

Tarain battle in hindi first and second तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच…

2 months ago
All Rights ReservedView Non-AMP Version
X

Headline

You can control the ways in which we improve and personalize your experience. Please choose whether you wish to allow the following:

Privacy Settings
JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now