चुम्बकीय क्षेत्र और क्षेत्र रेखाएँ , चुम्बकीय क्षेत्र तथा क्षेत्र रेखाओं के गुण , magnetic field and magnetic field lines

जब किसी चालक में विधुत धारा प्रवाहित होती है तो उसके पास चुम्बकीय सूई को ले जाने पर तो चुम्बकीय सूई विक्षेपित हो जाती है ऐसा इसलिये होता है क्योकि चालक से प्रवाहित हो रही विद्युत धारा के कारण चालक के चारो तरफ चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है। इसे विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव कहा जाता है।

चुम्बक में एक विशेष प्रकार का गुण होता है जिसके कारण वह लोहे तथा निकेल से बनी वस्तु को आकर्षित करता है। जब किसी छड़ चुम्बक को हवा में किसी धागे के सहारे लटकाया जाता है तो छड़ चुम्बक का एक सिरा उतर दिशा को तथा दूसरा सिरा दक्षिण दिशा को दर्शाता है। चुम्बक का जो सिरा उत्तर दिशा को दर्शाता है चुम्बक का उत्तरी ध्रुव कहलाता है तथा जो सिरा दक्षिण दिशा को दर्शाता है चुम्बक के उस सिरे को दक्षिण ध्रुव कहते हैं।

हैंस क्रिश्चियन ऑर्स्टेड, जो डेनमार्क के एक वैज्ञानिक थे ने चुम्बकत्व तथा विद्युत धारा के बीच के संबंध को सर्वप्रथम 1920 में खोजा था। इसी कारण उनके सम्मान में चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता का मात्रक ऑर्स्टेड रखा गया है। इसी प्रकार से यह पता चलता है की विद्युत तथा चुम्बकत्व एक दूसरे से संबंधित होते हैं।

चुम्बकीय क्षेत्र और क्षेत्र रेखाएँ (magnetic field and magnetic field lines)

चुम्बकीय क्षेत्र (Magnetic Field): किसी चुम्बक के चारों ओर का वह क्षेत्र जिसमें उसके बल का संसूचन किया जा सकता है उस चुम्बक का चुम्बकीय क्षेत्र या मैग्नेटिक फिल्ड कहलाता है। किसी विधुत चालक में विधुत धरा के प्रवाहित होने पर उसके चारो और चुम्बकीय क्षेत्र बनता है।

 

चुम्बकीय क्षेत्र में दिशा तथा परिमाण दोनों होते है जिसके कारण चुम्बकीय क्षेत्र एक सदिश राशि है।

क्षेत्र रेखाएँ : चुम्बक के चारों ओर चुम्बकीय क्षेत्र एक विशेष पैटर्न अर्थात् किसी एक दिशा में में व्यवस्थित होता है चुम्बकीय क्षेत्र का यह विशेष पैटर्न ही क्षेत्र रेखाएँ कहलाती हैं। वह रेखाएँ जिनके अनुदिश लौह चूर्ण स्वयं संरेखित होता है चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं का निरूपण करती हैं।

चुम्बकीय क्षेत्र तथा क्षेत्र रेखाओं के गुण 

चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा 

चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा वह मानी जाती है जिसके अनुदिश चुम्बकीय सूई का उत्तर ध्रुव उस क्षेत्र के भीतर गमन करता है।

परिपाटी के अनुसार चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ की दिशा चुम्बक के बाहर उत्तर ध्रुव से दक्षिण ध्रुव पर होती है। चुम्बक के भीतर चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं की दिशा दक्षिण ध्रुव से उत्तर ध्रुव की ओर होती है अत: चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ एक बंद वक्र के रूप में होती हैं।

दो क्षेत्र रेखाएँ कभी भी एक दूसरे को कही भी प्रतिच्छेद नहीं करतीं है। 

चुम्बकीय क्षेत्र की प्रबलता को क्षेत्र रेखाओं की निकटता की कोटि द्वारा दिखलाया जाता है। जहाँ पर चुम्बकीय रेखाएँ अपेक्षाकृत अधिक नजदीक होती हैं वहाँ पर चुम्बकीय क्षेत्र अधिक प्रबल होता है। चुम्बकीय क्षेत्र की रेखाएँ ध्रुवों के पास अधिक सघन होती हैं अत: एक चुम्बक ध्रुव के पास अधिक शक्तिशाली होता है।

विधुत चुम्बक या विद्युत चुम्बक 

जब किसी चालक से विधुत धारा प्रवाहित की जाती है तो उस चालक के चारो और चुम्बकीय क्षेत्र बनता है जिसके कारण वह चालक एक चुम्बक की तरह व्यवहार करने लगता है। अत: एक विद्युत धारावाही चालक को विधुत चुम्बक या विद्युत चुम्बक या इलेक्ट्रोमैगनेट कहते हैं।

किसी विद्युत धारावाही चालक के कारण चुम्बकीय क्षेत्र 

कोई भी विद्युत धारावाही चालक दो तरह के होते हैं 1.एक सीधा चालक तथा 2.वृताकार पाश वाला चालक।

सीधे चालक से विद्युत धारा प्रवाहित होने के कारण चुम्बकीय क्षेत्र

जब किसी सीधे चालक से वुधुत धरा को प्रवाहित किया जाता है तो उस चालक में चुम्बकीय प्रभाव उत्पन्न होता है। सीधे चालक में विद्युत धारा के प्रवाहित होने पर उस चालक के चारो और चुम्बकीय क्षेत्र की क्षेत्र रेखाएँ संकेन्द्री वृत्त के रूप में बनती है।

किसी चालक के चुम्बकीय क्षेत्र की क्षेत्र रेखाओं के संकेन्द्री वृत्त उस चालक के नजदीक अधिक धने होते हैं। जिसके कारण चुम्बकीय क्षेत्र की प्रबलता चालक के नजदीक अधिक होती है। चालक से दूर जाने पर चुम्बकीय क्षेत्र की क्षेत्र रेखाओं के संकेन्द्री वृत्त की प्रबलता कम होती है। अत: चालक से दूर जाने पर चुम्बकीय क्षेत्र की प्रबलता भी धटती है।

 

           सीधे चालक से विद्युत धारा के प्रावहित होने से उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र              

 सीधे चालक से विद्युत धारा के प्रावहित होने से उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र का संकेन्द्री वृत के रूप में

किसी सीधे चालक में विधुत धारा के परिणाम को बढाने पर चुम्बकीय क्षेत्र का संकेन्द्री वृतों के रूप में घनत्व भी अधिक हो जाता है अर्थात क्षेत्र रेखाओं कों बताने वाले संकेन्द्री वृत अधिक घने हो जाते हैं। विधुत धारा के परिणाम को बढाने पर चुम्बकीय क्षेत्र की प्रबलता भी बढती है।

अत: किसी तार में प्रवाहित विद्युत धारा के मान को यदि बढाया जाता है तो किसी दिये गये बिन्दु पर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र के परिमाण में भी बृद्धि हो जाती है। और किसी लोहे तथा निकल की वस्तु को विचलित करने के गुण में भी बृद्धि होती है।

निष्कर्ष 

1. किसी एक सीधे चालक से विद्युत धारा को प्रवाहित करने पर प्राप्त चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ चालक के चारों ओर संकेन्द्रित वृत्ताकार पैटर्न के रूप में होती हैं।

2. किसी चालक में विधुत धारा के मान को बढाने चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ भी बढती है।चालक के निकट चुम्बकीय क्षेत्र की प्रबलता अधिक होती है तथा चालक से दूरी घटने के साथ साथ चुम्बकीय क्षेत्र की प्रबलता उत्तरोत्तर कम होती जाती है।

3. किसी भी चालक में चुम्बकीय क्षेत्र की प्रबलता उस चालक से दूरी के व्युक्रमानुपाती होती है।