हिंदी माध्यम नोट्स
Class 6
Hindi social science science maths English
Class 7
Hindi social science science maths English
Class 8
Hindi social science science maths English
Class 9
Hindi social science science Maths English
Class 10
Hindi Social science science Maths English
Class 11
Hindi sociology physics physical education maths english economics geography History
chemistry business studies biology accountancy political science
Class 12
Hindi physics physical education maths english economics
chemistry business studies biology accountancy Political science History sociology
English medium Notes
Class 6
Hindi social science science maths English
Class 7
Hindi social science science maths English
Class 8
Hindi social science science maths English
Class 9
Hindi social science science Maths English
Class 10
Hindi Social science science Maths English
Class 11
Hindi physics physical education maths entrepreneurship english economics
chemistry business studies biology accountancy
Class 12
Hindi physics physical education maths entrepreneurship english economics
chemistry business studies biology accountancy
थलमण्डल या स्थलमण्डल (lithosphere in hindi) स्थलमण्डल किसे कहते है ? परिभाषा , प्रश्न उत्तर
(lithosphere in hindi) थलमण्डल या स्थलमण्डल क्या है? (lithosphere meaning in hindi) स्थलमण्डल किसे कहते है ? परिभाषा , प्रश्न उत्तर ? विशेषता , चित्र सहित अर्थ स्पष्ट करो ? प्रकार और विस्तार :-
थलमण्डल (lithosphere) : उपापचय में वातावरण का यह उपखण्ड दो जैव कार्य करता है जो निम्नलिखित है –
1. यह थलीय और जलीय सभी जीवों के लिए आवश्यक खनिज मेटाबोलाइट्स का प्रमुख स्रोत होता है।
2. वह थलीय पेड़ पौधों के लिए आवश्यक मिट्टी के प्रमुख घटक का निर्माण करता है।
खनिज चक्र (mineral cycle) : थलमंडल संसार के पानी की तरह यह भाग भी नियमित चक्र प्रदर्शित करता है , लेकिन इसके चक्र की दर हजारो अथवा लाखों वर्षो की इकाइयों में मापी जाती है।
इस खनिज चक्र का एक भाग
I. पटल विरूपण अर्थात पृथ्वी के धरातल के उभरने से सम्बन्धित परिवर्तन है। इस पटल विरूपण क्रिया के कारण एक महाद्वीप के बहुत से भाग अथवा पूरा महाद्वीप प्रभावित हो सकता है।
इस प्रकार की क्रियात्मक गतियाँ तब होती है जब कभी जमीन का टुकड़ा नीचे से ऊपर की तरफ उठ जाता है।
लेकिन इस प्रकार के होने वाले परिवर्तन बहुत धीरे धीरे होते है। पटल विरूपण का प्रमुख उदाहरण : पहाड़ो का बनना है। सबसे छोटी और बड़ी पहाड़ की चोटियाँ , हिमालय , रोकिस , एन्डेस और एल्प्स है।
इन सभी का निर्माण लगभग 75 लाख वर्ष पूर्व हुआ था तथा अब भी हम पता चला सकते है कि इन क्षेत्रों में भूपर्पटी पूर्ण रूप से जमी नहीं है।
इस तरह से पर्वतो का ऊँचा उठना अथवा पर्वतो का बनना हमारे मौसम पर बहुत अधिक गहरा प्रभाव डालते है तथा फलस्वरूप ये उपापचय को भी प्रभावित करते है। पर्वतो की तलहटी में अधिक वर्षा होने से वह क्षेत्र अधिक उपजाऊ होता है और पर्वत से दूर के क्षेत्र में कम वर्षा के कारण कम उपजाऊ और रेगिस्तान होते है।
उदाहरण के लिए भारत का जो भाग हिमालय के महासागर की तरफ है वह अधिक उपजाऊ है और हिमालय के उत्तरीय भागो में रेगिस्तान की श्रृंखलाएं पायी जाती है।
नोट : जलवायु का पर्वत पर प्रभाव : नमी से भरी हुई समुद्री हवाएं पर्वत की चोटी से टकराकर वर्षा उत्पन्न करती है और पर्वत की तलहटी वर्षा को समुद्र की तरफ सिमित रखती है जिसके फलस्वरूप इस ढाल में अधिक वर्षा होती है और अधिक उपजाऊ होता है लेकिन ढाल पर वर्षा नही होने के कारण वह क्षेत्र रेगिस्तान में परिवर्तित हो जाता है।
थलमंडल खनिज चक्र का दूसरा भाग
II. क्रमण कहलाता है। जिसके फलस्वरूप पृथ्वी धरातल के ऊपरी भाग नीचे चले जाते है , यह पहाड़ सामानांतर हो जाते है। ये परिवर्तन भूतकाल में वास्तविक भूगर्भिक जमीन के दबने से हुए है और कुठ जलमण्डल और वायुमण्डल की क्रियाओं से हुए है। क्रमण की प्रक्रिया जमीन के कटाव और चट्टानों का धीरे धीरे पानी में मिलने के कारण होती है। भूमि के कटाव की प्रक्रिया के कई उदाहरण है। उदाहरण : सूर्य , जल और वायु किसी भी पर्वत की छोटी पहाडियों में और पहाडियों को मैदान में बदलने का कार्य करते है। भूगर्भिक परिवर्तनों के कारण ये मैदान धीरे धीरे निचे की तरफ धंसे जा सकते है , जहाँ नदियों द्वारा लाये गए खनिज पदार्थ समुद्र में जमा हो जाते है तथा फिर किसी भी भूगर्भिक परिवर्तन से पर्वतो का निर्माण संभव हो जाता है।
क्रमण के भौतिक बल के साथ रासायनिक बल भी मुख्य महत्व रखते है –
(a) ये है जल की रासायनिक क्रिया तथा रासायनिक प्रक्रियाएँ जो मुख्य रूप से जमीन के कटाव के कारकों के साथ होती है। यह बड़े पत्थरों को छोटे कणों में तोड़ने के काम में आती है तथा छोटे कणों को रेत में तथा सूक्ष्म कणों में परिवर्तित करती है। क्रमण इस प्रकार जमीन के चट्टानीय भाग को बनाने में मुख्य भाग लेते है।
(b) जहाँ पानी चट्टानों के पास रहता है वह इनकी थोड़ी थोड़ी मात्रा को घोलकर खनिज मात्रा प्राप्त करता है। घुले हुए खनिज अक्सर आयनिक रूप में ले जाए जाते है। इसी प्रकार जब वर्षा का पानी तेजी से ऊँची जमीन से निचे की ओर बहता है तो इसमें बहुत से खनिज आ जाते है। इनसे झरने और नदियाँ बनती है जो आस पास के क्षेत्रों को सींचती है और मिट्टी के पानी की मात्रा को बढाती है। वर्षा सीधी ही मृदा के पानी को बढ़ाती है तथा मिट्टी में पानी बहुत से चट्टानों के कणों में उपस्थित खनिजो का निक्षालन करता है। इस प्रकार यह खनिज पूर्ण रूप से धरती के जीवो को उपलब्ध होता है। जीवो के मरने और सड़ने के पश्चात् उनकी देह के खनिज वापस मिट्टी में मिल जाते है। मृदा में मिले हुए खनिज फिर पुनः समुद्र में चले जाते है।
भूमण्डलीय खनिज चक्र : खनिज जो पादपो और जन्तुओ के द्वारा अवशोषित किया जाता है , वह उस पादपो और जन्तुओ के मरने के और उत्सर्जन की क्रिया से मृदा में आ जाता है। नदियाँ इन खनिजो को मिट्टी के साथ समुद्र में ले जाती है , जहाँ इनमे से कुछ खनिज तल पर इक्कठे हो जाते है। धीरे धीरे यह समुद्री तल कई कारणों से ऊपर उठ जाते है और इस प्रकार बनी हुई जमीन दुबारा खनिजो को भूमंडलीय चक्र में प्रवेश कराती है।
समुद्री जीव अपनी मृत्यु से भूमण्डलीय खनिज चक्र को पूर्ण करने में मदद करते है। खनिज पदार्थ बहुत से पेड़ पौधों और जीव जन्तुओ द्वारा कवच और हड्डियाँ बनाने के काम में लिए जाते है। जब ये जीव जन्तु मरते है , इनके शरीर समुद्र में धीरे धीरे डूब जाते है। इस प्रक्रिया के दौरान सभी कार्बनिक और कुछ अकार्बनिक पदार्थ घुल जाते है लेकिन बहुत से खनिज समुद्र के धरातल पर पहुँचते है। ये धीरे धीरे समुद्री फर्श के रूप में अर्थात ooze के रूप में जमा होते है। और कुछ समय के बाद पुरानी और गहरी समुद्री फर्श या ooze की परते दब कर चट्टान की स्थापना करती है। भूमण्डलीय थलमण्डल तभी पूर्ण हो जाता है जब समुद्री तल का कोई हिस्सा नए पटल विरूपण बल से प्रभावित होता है। इस प्रकार उच्च मैदान अथवा पर्वत पुनर्योजित हो जाते है तथा ऐसे भाग जो समुद्री धरातल थे , इस प्रक्रिया के दौरान ऊपर उठ कर नए मैदान के रूप में परिवर्तित हो सकते है।
थलमण्डलीय चक्र जीवो के साधारण और आवश्यक खनिजो के अतिरिक्त भी कई और खनिज उपलब्ध करता है। जीवो द्वारा अवशोषित और उपयोग किये जाने वाले में नाइट्रेट , फास्फेट , क्लोराइड , कार्बोनेट , सल्फेट और सोडियम , पोटेशियम , कैल्शियम , मैंगनीज , मैग्नीशियम , कॉपर और आयरन आदि के आयन शामिल होते है।
मृदा (soil)
इस तरह से हम देख सकते है कि थलमण्डल थलीय पेड़ पौधों के उपापचय में विशिष्ट भाग मृदा अर्थात मिट्टी बनाने में अदा करता है। यह जटिल पदार्थ पेड़ पौधों की दो प्रकार से मदद करता है।
1. यह पौधों को यांत्रिक आधार उपलब्ध करता है।
2. यह पानी और खनिज आयनों को जकड़े रखता है , जिससे थलीय पौधे अकार्बनिक खाद्य प्राप्त करते है।
नोट : मिट्टी का बनना : चट्टानों के रासायनिक और भौतिक अपघटन से ह्यूमस और रेत बनती है तथा यह दोनों तत्व मिलकर मिट्टी का निर्माण करते है।
प्राचीन पेड़ पौधों के थलीय वातावरण में आने से पूर्व पृथ्वी मृदा के बिना थी लेकिन इसके बनने की प्रक्रिया पहले से ही प्रारंभ हो गयी थी। मृदा का निर्माण पत्थरों तथा चट्टानों के टूटने , क्रमण बल द्वारा इनका छोटे छोटे कणों में बदलना और जल में धीरे धीरे घुलते रहने और जल के साथ रासायनिक क्रियाओं के द्वारा हुआ है। तैयार हुए ये सूक्ष्म कण धीरे धीरे सिल्ट की शक्ल में जल धारा के द्वारा नदियों और सागरों के किनारों पर बिछती गयी। बाद में ये सिल्ट अथवा धुल वायु के द्वारा दूर दूर थल की तरफ ले जाई गयी। इन चट्टानों के छोटे छोटे कणों से रेत का निर्माण हुआ और इनसे भी छोटे और सूक्ष्म कणों के द्वारा क्ले का निर्माण हुआ। अंत में रेत और क्ले के मिलने से मृदा का निर्माण हुआ।
मृदा का दूसरा प्रमुख भाग जीवो के द्वारा बनाया गया। पहले के थलीय जीव जिनको मृदा की आवश्यकता नहीं थी , उनके उत्सर्जित उत्पाद मृदा की परतों में मिल गए और मृत्यु के बाद शरीर भी मिट्टी में मिल गए। इन जीवो के सड़ने से कई प्रकार के जटिल रसायन बने ; ये रसायन मृदा के कार्बनिक भाग बने जिन्हें ह्यूमस कहा जाता है। ह्यूमस के रेत तथा क्ले के साथ मिट्टी का निर्माण हुआ।
मृदा का जिव जन्तुओ के पोषक बनने का सबसे प्रमुख और महत्वपूर्ण कारण यह है कि यह उन्हें निर्जलीकरण के खतरे से बचाती है। कुछ मृदा जातियाँ जमीन के ऊपर लम्बे समय तक रह सकती है जो कि अपने को सूखे मौसम से बचाने की अनुकूलता रखती है।
बालू मिट्टी में जीवन कम सफल होता है , जबकि क्ले और ह्यूमस में बनी मिट्टी में अति सफल रहता है। यहाँ मिट्टी में जल और कार्बनिक पदार्थ की मात्रा ही जीवन का प्रमुख और महत्वपूर्ण आधार है। ह्यूमस का दूसरा बराबर प्रमुख कार्य कई जीवो अर्थात पेड़ पौधों और जिव जन्तुओ को भोजन प्रदान करना है जो किसी दूसरी चीज को नहीं खा सकते है। जीवाणु , फफूंद और एल्गी मृदा में उपस्थित जटिलतम यौगिकों को कम जटिल पदार्थो में बदल कर अन्य जीवों के आधार के रूप में पूर्ती करते रहते है। मृदा में नाइट्रोजन चक्र इन्ही क्रियाओं द्वारा बना रहता है।
मृदा की ऊपरी सतह अथवा पर्त को सर्वोच्च परत कहते है। छोटे पेड़ पौधों की जड़े पूर्ण रूप से सर्वोच्च मृदा परत में गडी रहती है। बड़े पेड़ पौधे अपनी जड़े पास वाली परतो में भेजते है , जिसे अधोमृदा परत कहा जाता है। सर्वोच्च मृदा परत में अधोमृदा परत की तुलना में क्ले की प्रतिशतता अधिक होती है।
मृदा की रासायनिक कीमत इसमें पाए गए पानी और खनिज संपदा के ऊपर निर्भर रहती है। मृदा के कण पानी की पतली परतों द्वारा ढके हुए होते है। पानी में घुले हुए खनिज आयन के रूप में होते है। आदमी संरक्षण तरीको से मृदा में कई खादे मिला सकता है तथा फसल के क्रमवास खेती वाले प्रोग्राम को अपना सकता है।
Recent Posts
नियत वेग से गतिशील बिन्दुवत आवेश का विद्युत क्षेत्र ELECTRIC FIELD OF A POINT CHARGE MOVING WITH CONSTANT VELOCITY in hindi
ELECTRIC FIELD OF A POINT CHARGE MOVING WITH CONSTANT VELOCITY in hindi नियत वेग से…
four potential in hindi 4-potential electrodynamics चतुर्विम विभव किसे कहते हैं
चतुर्विम विभव (Four-Potential) हम जानते हैं कि एक निर्देश तंत्र में विद्युत क्षेत्र इसके सापेक्ष…
Relativistic Electrodynamics in hindi आपेक्षिकीय विद्युतगतिकी नोट्स क्या है परिभाषा
आपेक्षिकीय विद्युतगतिकी नोट्स क्या है परिभाषा Relativistic Electrodynamics in hindi ? अध्याय : आपेक्षिकीय विद्युतगतिकी…
pair production in hindi formula definition युग्म उत्पादन किसे कहते हैं परिभाषा सूत्र क्या है लिखिए
युग्म उत्पादन किसे कहते हैं परिभाषा सूत्र क्या है लिखिए pair production in hindi formula…
THRESHOLD REACTION ENERGY in hindi देहली अभिक्रिया ऊर्जा किसे कहते हैं सूत्र क्या है परिभाषा
देहली अभिक्रिया ऊर्जा किसे कहते हैं सूत्र क्या है परिभाषा THRESHOLD REACTION ENERGY in hindi…
elastic collision of two particles in hindi definition formula दो कणों की अप्रत्यास्थ टक्कर क्या है
दो कणों की अप्रत्यास्थ टक्कर क्या है elastic collision of two particles in hindi definition…