हिंदी माध्यम नोट्स
लिपसेट और जैटरबर्गर का सिद्धांत क्या है | lipset and jätterberger’s theory in hindi
lipset and jätterberger’s theory in hindi लिपसेट और जैटरबर्गर का सिद्धांत क्या है ?
लिपसेट और जैटरबर्गर का सिद्धांत
लिपसेट और जैटरबर्ग का औद्योगिक समाज में गतिशीलता का सिद्धांत पर्याप्त रूप से उपर्युक्त लचीली अवस्था में समाया हुआ है। फिर भी इस बात पर गौर किया जाए कि वे इस तर्क का समर्थन नहीं करते कि गतिशीलता में औद्योगिक विकास के साथ धीरे-धीरे वृद्धि होती है। उनके अनुसार, औद्योगिक समाज में गतिशीलता दर तथा आर्थिक उन्नति के बीच कोई प्रत्यक्ष संबंध नहीं है। जब औद्योगीकरण एक निश्चित स्तर पर पहुँच जाता है तो सामाजिक गतिशीलता तुलनात्मक रूप से अधिक हो जाती है। वे अत्यधिक खुलेपन की प्रवृत्ति के परिणामस्वरूप औद्योगिक समाजों की उच्च गतिशीलता को भी नहीं मानते। इस प्रकार की उच्च गतिशीलता मुख्य रूप से इन समाजों में संरचनात्मक परिवर्तनों से होने वाले प्रभावों के कारण होती है। लिपसेट और जैटरबर्ग की मुख्य परिकल्पना यह है कि सामाजिक गतिशीलता दर औद्योगिक समाजों में अधिक मौलिक समानता दर्शाती है।
लिपसेट और जैटरबर्ग के सिद्धांत की पुनस्र्थापना
लिपसेट और जैटरबर्ग की विचारधारा को दोहराने के लिए फीदरमैन, जौंस तथा होजर ने विकसित साधनों और तकनीकों से अनुसंधान किया। उन्होंने दर्शाया कि जब सामाजिक गतिशीलता की तुलनात्मक दर पर विचार किया जाए तभी यह विचारधारा लागू होती है। अन्यथा यदि सामाजिक गतिशीलता को संपूर्ण दरों में अभिव्यक्त किया यह विचारधारा सही नहीं है।
यदि कोई व्यक्तियों या समूहों की स्पष्ट विशेषताओं द्वारा निर्धारित संपूर्ण दरों को देखें तो संपूर्ण देश की एकसमान समानता निर्धारित नहीं की जा सकती। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि ये दरें अर्थव्यवस्था, तकनीकी और परिस्थितियों की संपूर्ण रेंज द्वारा व्यापक रूप से प्रभावित होती है और ये रेंज व्यापक रूप से बदलती रहती है (गतिशीलता के संरचनात्मक संदर्भ में)।
अभ्यास 2
उद्योग से संबंधित विभिन्न व्यक्तियों से मिलिए और देखिए कि भारत के लिए लिपसेट तथा जैटरबर्ग ने किस प्रकार की कल्पना की है। अपने नोट्स की अध्ययन केंद्र के अन्य विद्यार्थियों के नोट्स से तुलना कीजिए।
गतिशीलता की तुलनात्मक दरों पर अर्थात् जब गतिशीलता पर ऐसे सभी प्रभावों की वास्तविकता के रूप में विचार किया जाए तो संपूर्ण राष्ट्रीय गतिशीलता की संभावनाएँ काफी अधिक होती हैं। इस मामले में केवल वे ही तत्व शामिल होते हैं जो दी गई संरचना के भीतर प्रतिस्पर्धा द्वारा विशिष्ट उद्देश्यों को प्राप्त करने या वंचित रहने वाले विभिन्न वर्गों के तुलनात्मक अवसरों को प्रभावित करते हैं।
अंत में रॉबर्ट एरिक्सन तथा जॉन गोल्डलहोप द्वारा नो यूरोपीय देशों में किए गए अध्ययन में भी औद्योगीकरण के लचीले सिद्धांत का खंडन किया गया है। उन्होंने पूर्वी और पश्चिमी दोनों यूरोपीय समाजों का अध्ययन किया तथा उन्हें न तो उच्च स्तरों की तरफ सामान्य तथा अनिवार्य संपूर्ण गतिशीलता के और न ही राष्ट्रों में सामाजिक गतिशीलता के प्रमाण मिले। उन्हें न तो गतिशीलता दरों में संपूर्णता या तुलनात्मक रूप से किसी सुसंगत दिशा में परिवर्तन के और न ही किसी अवधि के बाद अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पर्याप्त रूप से एकसमान होने की प्रवृत्ति के प्रमाण मिले।
सामाजिक गतिशीलता के अध्ययन की समस्याएँ
सामाजिक गतिशीलता की सर्वाधिक मौलिक जानकारी के बाद हमने प्रचलित तथा सामाजिक गतिशीलता के अधिक उन्नत निष्कर्षों से परिचित होने का भी प्रयास किया है। सामाजिक गतिशीलता की संकल्पना और इसके रूपों पर हमारी जानकारी का निष्कर्ष निकालने से पूर्व आवश्यक है कि इसके अध्ययन में आने वाली कम से कम बुनियादी समस्याओं का संकेत किया जाए।
एंटोनी गिड्डस का अनुकरण करते हुए हम संभावित समस्याओं की निम्नलिखित सूची बना सकते है-
1) समयोपरांत कार्यों की प्रकृति बदल जाती है और यह हमेशा स्पष्ट नहीं होता कि एक जैसे व्यवसायों को वास्तव में कभी किसी रूप में माना जाता है। उदाहरण के तौर पर, यह स्पष्ट नहीं है कि नीलपोश कार्य से सफेदपोश कार्य की गतिशीलता हमेशा उच्च गतिशीलता ही हो। हो सकता है कि नीलपोश निपुण श्रमिक सामान्यतः सफेदपोश कार्य करने वाले अधिकांश व्यक्तियों से अच्छी आर्थिक स्थिति में हों।
2) अंत-पारंपरिक गतिशीलता के अध्ययन में यह निर्णय करना कठिन है कि किस बिंदु पर तुलनात्मक व्यवसायों की तुलना की जाए। उदाहरण के तौर पर, हो सकता है कि पिता अपने व्यवसाय के मध्य में हो जबकि उसकी संतान अपना कार्य-जीवन आरंभ कर रही हो। अभिभावक और बच्चे हो सकता है एक-साथ गतिशील हों तथा यह भी कि एक ही दिशा में या (उससे कम) भिन्न दिशाओं में। अब समस्या आती है कि उनके कार्यों की आरंभ में या अंत में किए रूप में तुलना की जाए।
फिर भी, इन समस्याओं का कुछ सीमा तक समाधान किया जा सकता है। जब यह स्पष्ट हो जाता है कि किसी एक अध्ययन में शामिल कार्य के सम्मान और प्रकृति में समयोपरांत संपूर्ण परिवर्तन आ जाता है तो हम व्यावसायिक श्रेणियों का वर्गीकरण करते समय इस बात का ध्यान रख सकते हैं। उपर्युक्त दूसरी समस्या भी आँकड़ों का ध्यान रखकर दूर की जा सकती है। यह अभिभावकों और बच्चों के संबंधित व्यवसायों की आरंभ और अंत में तुलना करके किया जा सकता है।
बोध प्रश्न 3
1) संक्षेप में लिपसेट तथा जैटरबर्ग के सिद्धांत का दस पंक्तियों में वर्णन कीजिए।
2) सामाजिक गतिशीलता के अध्ययन में आने वाली दो समस्याओं का पाँच पंक्तियों में वर्णन कीजिए।
बोध प्रश्न 3
1) लिपसेट तथा जैटरबर्ग के अनुसार, औद्योगिक समाज तथा गतिशीलता दरों में कोई प्रत्यक्ष संबंध नहीं होता। फिर भी जब औद्योगीकरण एक निश्चित स्तर पर पहुँच जाता है तो सामाजिक गतिशीलता अपेक्षाकृत उच्च हो जाती है। वे औद्योगिक समाजों की उच्च गतिशीलता को अधिक खुलेपन का परिणाम नहीं मानते अपितु इसे संरचनात्मक परिवर्तनों का परिणाम अनुभव करते हैं।
2) सामाजिक गतिशीलता के अध्ययन की दो समस्याएँ है-
क) समयोपरांत कार्यों की प्रकृति में परिवर्तन हो जाता है।
ख) अंतःपारंपरिक गतिशीलता के अध्ययनों में व्यवसायों की तुलनाओं का निर्धारण करना कठिन होता है।
सारांश
औद्योगीकरण के लचीले सिद्धांत पर सामाजिक गतिशीलता का आधुनिक विश्लेषण करते समय अनिवार्य रूप से संवाद किया जाता है। औद्योगीकरण का लचीला सिद्धांत बताता है कि एक अवधि के बाद सभी औद्योगिक समाज खुलेपन की एक जैसी विशेषताओं को अपनाते हैं। इस तरह, सामाजिक गतिशीलता दर और रूपों में भी एक समानता की प्रवृत्ति होती है।
लिपसेट, बैंडिक्स और जैटरबर्ग के सामाजिक गतिशीलता का अध्ययन बताता है कि औद्योगिक समाजों में गतिशीलता दरों में बुनियादी समानताएँ होती हैं। वे यह भी बताते हैं कि औद्योगिक समाजों की उच्च गतिशीलता का इनके खुलेपन पर कम प्रभाव पड़ता है। इसके अतिरिक्त, वे उच्च गतिशीलता को इन समाजों के संरचनात्मक परिवर्तन का परिणाम मानते हैं।
फीदरमैन, जॉन्स और हाउजर बताते हैं कि यदि सामाजिक गतिशीलता की तुलनात्मक दरों पर विचार किया जाता है तो औद्योगिक समाजों में गतिशीलता प्रवृत्ति की समानता भी उसी के अनुरूप होगी।
एरिक्सन और गोल्डहोप ने अपने अध्ययनों के माध्यम से दर्शाया है कि विभिन्न समाजों में गतिशीलता की कोई एक जैसी प्रवृत्ति नहीं होती।
सामाजिक गतिशीलता के अध्ययनों में इसके साथ जुड़ी समस्याओं का भी ध्यान रखा जाना चाहिए। कार्य स्थिति के द्वारा निर्धारित की गई विशेष सामाजिक स्थिति अपरिवर्तनीय नहीं है क्योंकि समयोपरांत व्यवसाय से जुड़े मान बदलते रहते हैं। अतः गैर-पारंपरिक गतिशीलता का अध्ययन करते समय इस बात का सावधानी से निर्णय करना चाहिए कि अभिभावकों और बच्चों के व्यवसायों की किस बिंदु पर तुलना की जाए।
शब्दावली
प्रतियोगात्मक गतिशीलता: यह गतिशीलता खुली प्रतियोगिता के माध्यम से पैदा होती है।
सम-स्तर गतिशीलता: इसका अर्थ है समाज में हैसियत या स्थिति में परिवर्तन होना। इसमें आवश्यक नहीं कि स्तर में परिवर्तन हो।
प्रायोजित गतिशीलता: इस तरह की गतिशीलता ऊपर की तरफ होती है जो ‘प्रायोजक‘ अथवा किसी ऊँचे व्यक्ति या वर्ग के द्वारा व्यक्तिगत को आमंत्रित किया जाता है।
परिवर्तित पारस्परिक गतिशीलता: यह गतिशीलता विभिन्न पीढ़ियों के प्रयासों से उत्पन्न होती है।
अंतःपारंपरिक गतिशीलता: इस प्रकार की गतिशीलता दो या इससे अधिक पीढ़ियों के दौरान पैदा हो जाती है।
कुछ उपयोगी पुस्तकें
अमेरिकन व्यावसायिक संरचना,
ब्लौ, पी.एम तथा ओ.डी. डंकन (1967), विले: न्यूयॉर्क
निरंतर परिवर्तन: औद्योगिक समाजों में वर्ग
गतिशीलता का एक अध्ययन
एरिक्सन, आर तथा जे.एच.गोल्डथ्रोप (1987) क्लैरंडोन प्रेस, ऑक्सफोर्ड
ब्रिटेन: समाजशास्त्र, गिड्डन्स, ए (1989), पॉलिटी प्रेस
औद्योगिक समाजों में सामाजिक गतिशीलता, लिपसेट, एस.एम तथा आर. बैंडिक्स (1959)
बेरकेली: कैलिफोर्निया प्रैस विश्वविद्यालय सामाजिक और सांस्कृतिक गतिशीलता, सोरोकिन पी.ए (1927), जनरल: फ्री प्रेस
Recent Posts
सती रासो किसकी रचना है , sati raso ke rachnakar kaun hai in hindi , सती रासो के लेखक कौन है
सती रासो के लेखक कौन है सती रासो किसकी रचना है , sati raso ke…
मारवाड़ रा परगना री विगत किसकी रचना है , marwar ra pargana ri vigat ke lekhak kaun the
marwar ra pargana ri vigat ke lekhak kaun the मारवाड़ रा परगना री विगत किसकी…
राजस्थान के इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों की विवेचना कीजिए sources of rajasthan history in hindi
sources of rajasthan history in hindi राजस्थान के इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों की विवेचना कीजिए…
गुर्जरात्रा प्रदेश राजस्थान कौनसा है , किसे कहते है ? gurjaratra pradesh in rajasthan in hindi
gurjaratra pradesh in rajasthan in hindi गुर्जरात्रा प्रदेश राजस्थान कौनसा है , किसे कहते है…
Weston Standard Cell in hindi वेस्टन मानक सेल क्या है इससे सेल विभव (वि.वा.बल) का मापन
वेस्टन मानक सेल क्या है इससे सेल विभव (वि.वा.बल) का मापन Weston Standard Cell in…
polity notes pdf in hindi for upsc prelims and mains exam , SSC , RAS political science hindi medium handwritten
get all types and chapters polity notes pdf in hindi for upsc , SSC ,…