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रैखिक प्रोग्रामन कक्षा 12 गणित प्रश्नावली हल प्रश्न उत्तर समाधान linear programming class 12 notes in hindi pdf

By   June 18, 2023

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रैखिक प्रोग्रामन pdf download

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रैखिक प्रोग्रामन (Linear Programming) एक गणितीय तकनीक है जिसका उपयोग विभिन्न निर्माण, वित्त, प्रबंधन, विपणन और अन्य क्षेत्रों में संकल्पना और निर्धारण समस्याओं का हल निकालने के लिए किया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य एक समस्या के लिए एक आदर्श समाधान या व्यापारिक निर्धारण प्राप्त करना होता है, जिसमें संसाधनों की सीमाएं और लक्ष्यों के लिए नियमित करारों को पूरा करने के लिए योजना बनाई जाती है।

रैखिक प्रोग्रामन के साथ, एक व्यापारिक समस्या को गणितीय मॉडल में प्रस्तुत किया जाता है, जिसमें संसाधनों, सीमाओं, लक्ष्यों और नियमित करारों को समाहित किया जाता है। इसके बाद, गणितीय तकनीकों का उपयोग करके सर्वोत्तम समाधान खोजने का प्रयास किया जाता है।

रैखिक प्रोग्रामन में आमतौर पर एक लक्ष्य समाधान (Objective Function) और कई संबंधित प्रतिबंधों (Constraints) का प्रदर्शन किया जाता है। गणितीय तकनीकों का उपयोग करके, लक्ष्य समाधान को सर्वोत्तम या अधिकतम

बनाने के लिए प्रतिबंधों को पूरा करते हुए अनुकूल निर्धारण (Optimization) किया जाता है।

रैखिक प्रोग्रामन का उपयोग विभिन्न क्षेत्रों में किया जाता है, जैसे उत्पादन विनियामकता, वित्तीय नियोजन, संसाधन प्रबंधन, लाभकारी विपणन, परियोजना प्रबंधन, आपूर्ति श्रृंखला, ट्रांसपोर्टेशन व्यवस्था आदि।

Linear Programming in hindi

रैखिक प्रोग्रामन को हिंदी में “सरल प्रोग्रामन” या “रैखिक प्रोग्रामन” कहा जाता है। यह एक गणितीय तकनीक है जिसका उपयोग विभिन्न क्षेत्रों में समस्याओं के समाधान के लिए किया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य संसाधनों की सीमाएं और लक्ष्यों के लिए नियमित करार बनाकर एक समस्या के आदर्श समाधान का प्राप्त करना होता है।

रैखिक प्रोग्रामन में, एक व्यापारिक समस्या को गणितीय मॉडल में प्रस्तुत किया जाता है, जिसमें एक लक्ष्य समाधान (उदाहरण के लिए, लाभ का मान या खर्च कम करना) और नियमित करारों का प्रदर्शन किया जाता है। इसके बाद, गणितीय तकनीकों का उपयोग करके, संभावित समाधानों को खोजने का प्रयास किया जाता है जो नियमित करारों को पूरा करते हैं और लक्ष्य समाधान को सर्वोत्तम बनाते हैं।

रैखिक प्रोग्रामन का उपयोग उद्योग, वित्त, प्रबंधन, विपणन, परियोजना प्रबंधन, आपूर्ति श्रृंखला, लॉजिस्टिक्स, और अन्य क्षेत्रों में किया जाता है।

गणितीय मॉडल

गणितीय मॉडल (Mathematical Model) एक गणितीय प्रतिरूप होता है जिसका उपयोग समस्याओं को व्याख्या और हल करने के लिए किया जाता है। यह एक अंशांतरदृश्य प्रतिरूप होता है जो वास्तविकता को संकल्पना और विश्लेषण करने में सहायता करता है।

गणितीय मॉडल तकनीकी तत्वों का एक संगठित सेट होता है, जिन्हें समस्या के लिए परिभाषित किया जाता है। यह समस्या के प्रश्न को अंकीय रूप में प्रस्तुत करता है और समस्या के विभिन्न पहलुओं को मान, सीमाएं, प्रतिबंध, लक्ष्य आदि के माध्यम से प्रतिष्ठित करता है।

एक गणितीय मॉडल में, गणितीय संकेतों, आलेखिक अभिलेखों, समीकरणों, नियमित करारों, अवधारणाओं, और अन्य तत्वों का उपयोग किया जाता है। इस मॉडल में, समस्या के हल के लिए गणितीय तकनीकों का उपयोग करके अनुकूल समाधान खोजने का प्रयास किया जाता है।

गणितीय मॉडल गणितीय प्रोग्रामन, अभिकल्पना तकनीक, संख्या-पद्धति, लघुत्तमीकरण, विश्लेषण आदि के अनुप्रयोग में प्रयोग किया जाता है। इसका उपयोग संशोधन, नवीनीकरण और योजनाबद्धता की प्रक्रिया में किया जाता है जिससे उच्चतम संभावित नतीजों की प्राप्ति होती है।

लक्ष्य समाधान

लक्ष्य समाधान (Objective Solution) रैखिक प्रोग्रामन में एक महत्वपूर्ण पहलू है। यह उस समस्या के लक्ष्य को प्राप्त करने का सर्वोत्तम या अधिकतम समाधान दर्शाता है।

लक्ष्य समाधान को एक गणितीय मॉडल के माध्यम से प्रदर्शित किया जाता है, जहां एक लक्ष्य समाधान या उद्देश्य को संकेतित किया जाता है। यह लक्ष्य समाधान एक मान या परिमाण की अधिकतमीकरण या न्यूनतमीकरण हो सकती है, जैसे कि लाभ का मान अधिकतम करना या खर्च का मान न्यूनतम करना।

रैखिक प्रोग्रामन में, लक्ष्य समाधान को गणितीय तकनीकों का उपयोग करके खोजा जाता है। इसमें संभावित समाधानों का सूची तैयार की जाती है और संबंधित प्रतिबंधों को पूरा करने के लिए सर्वोत्तम समाधान का चयन किया जाता है। इस प्रक्रिया में गणितीय तकनीकों का उपयोग करके समस्या के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए मान या परिमाण को सुधारा जाता है।

लक्ष्य समाधान की प्राप्ति से, व्यावसायिक निर्धारणों में उन्नति की जा सकती है, वित्तीय नियोजन की क्षमता में सुधार हो सकता है, संसाधन प्रबंधन में बचत की जा सकती है, और विपणन रणनीतियों में सुधार हो सकता है। इसके अलावा, लक्ष्य समाधान सामाजिक, आर्थिक और तकनीकी समस्याओं के समाधान में मददगार साबित हो सकता है।

विपणन रणनीति

विपणन रणनीति (Marketing Strategy) उत्पादों और सेवाओं के विपणन के लिए निर्धारित योजना या कार्रवाई का एक माध्यम होती है। यह विपणन के लक्ष्यों और संदेश के साथ संगठित क्रियाओं का समन्वय करने का तरीका है जो उत्पाद या सेवा को बाजार में प्रभावी रूप से प्रदर्शित करने के लिए अपनाया जाता है।

विपणन रणनीति एक व्यापार की संगठित योजना होती है जिसमें विभिन्न कारोबारी पहलुओं को सम्मिलित किया जाता है। इसमें निम्नलिखित महत्वपूर्ण तत्व शामिल हो सकते हैं:

1. लक्ष्य: विपणन रणनीति का पहला कदम है लक्ष्य निर्धारित करना। यह व्यापार के उद्देश्यों और विपणन के परिणामों को स्पष्ट करता है।

2. लक्षित बाजार और निर्धारित दरबार: विपणन रणनीति में यह महत्वपूर्ण है कि कंपनी किस बाजार में उपस्थित होगी और किस विशेष दरबार को निश्चित करेगी।

3. उत्पाद और मूल्य निर्धारण: यह विपणन रणनीति में उत्पादों और सेवाओं के विकास, प्रदर्शन और मूल्य निर्धारण के विविध पहलुओं को संगठित करता है।

4. प्रचार और प्रचारण: इसमें विज्ञापन, सार्वजनिक संचार, निजी प्रचार और ब्रांडिंग जैसी क्रियाएं शामिल हो सकती हैं जो उत्पाद या सेवा की प्रचार को संभव बनाती हैं।

5. विपणन संगठन और रूटीन: विपणन रणनीति में विपणन कार्यों का आयोजन और प्रबंधन शामिल होता है, जो कंपनी के विपणन गतिविधियों को संचालित करता है।

विपणन रणनीति का उद्देश्य बाजार में एक प्रतिस्पर्धात्मक अवसर बनाना है, ग्राहकों को प्राप्त करना और उन्हें रखना, और उत्पाद या सेवा की अच्छी बिक्री और प्रदर्शन को सुनिश्चित करना होता है।

संबंधित प्रतिबंध

एक विपणन रणनीति के तहत, कई प्रतिबंधों का सामना किया जाना पड़ता है जो व्यापार और विपणन के प्रक्रिया में उत्पन्न हो सकते हैं। कुछ महत्वपूर्ण संबंधित प्रतिबंधों में शामिल हो सकते हैं:

1. विपणन बजट: विपणन रणनीति के लिए विपणन बजट की उपलब्धता एक महत्वपूर्ण प्रतिबंध हो सकती है। सीमित वित्तीय संसाधनों के कारण, संगठन को विपणन कार्यों को प्रयोग करने और उच्च प्रदर्शन के लिए पर्याप्त धन उपलब्ध कराने में समस्या हो सकती है।

2. प्रतिस्पर्धा: बाजार में प्रतिस्पर्धा भी एक महत्वपूर्ण प्रतिबंध हो सकती है। अन्य कंपनियों या उत्पादों के विपरीत, उत्पाद या सेवा का अभावी प्रदर्शन या अधिक मूल्य उपभोगकर्ताओं को अपने द्वारा चयनित करने से रोक सकता है।

3. कानूनी और नियामक प्रतिबंध: व्यापार और विपणन के क्षेत्र में कानूनी और नियामक प्रतिबंधों का सामना किया जाना पड़ सकता है। यह उत्पाद या सेवा के विपणन, पैकेजिंग, मूल्य निर्धारण, विज्ञापन, उत्पाद सुरक्षा, लेनदेन और प्रतिस्पर्धा के क्षेत्र में विभिन्न नियमों और विधियों के अवतरण को संभव बना सकते हैं।

4. प्रचार और संचार: कुछ विपणन प्रतिबंध प्रचार और संचार के क्षेत्र में हो सकते हैं। विपणन मैसेज को सही निर्देशन, स्पष्टता और प्रभाव के साथ पहुंचाने के लिए उचित प्रचार योजनाएं और माध्यमों की आवश्यकता होती है। प्रतिबंध उठाने वाली किसी गलत संदेश, अवैध या उच्चाधिकारिक दावा, या प्रतिबंधित प्रचार माध्यमों का उपयोग करने से रोक सकता है।

यहां दिए गए प्रतिबंधों के अलावा भी कई अन्य प्रतिबंध हो सकते हैं जैसे कि विपणन कार्यक्रमों की कम ज्ञान, आंतरिक आपातकालीन परिस्थितियाँ, विपणन संचालन की अभावता, उत्पाद या सेवा की गुणवत्ता और प्रदर्शन में कमी, और बाजार में विपणन की कमी या अधिकता।