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Limitations of van der Waals Equation in hindi | वन डर वाल्स समीकरण की सीमाएं क्या है वान डर वाल्स
रसायन विज्ञान में Limitations of van der Waals Equation in hindi | वन डर वाल्स समीकरण की सीमाएं क्या है वान डर वाल्स अथवा वांडर वाल्स के बारे में जानकारी लीजिये |
वाण्डर बाल्स समीकरण की सीमाएं (Limitations of van der Waals’ Equation)
गैसों के अनेक गुणों को स्पष्ट करने के लिए वाण्डर वाल्स समीकरण बहुत उपयोगी है, फिर भी इसकी कुछ सीमाएं हैं जहां पर यह प्रायोगिक तथ्यों का स्पष्टीकरण नहीं दे पाती। इसकी प्रमुख सीमाएं निम्न हैं
- क्रान्तिक ताप से कम ताप पर जो समतापी वक्र हैं उनमें द्रवीकरण के समय वाला वक्र लहरदार होता है जबकि वास्तविक गैसों के लिए यह सीधी क्षैतिज रेखा के रूप में होता है।
- वाण्डर वाल्स समीकरण के अनुसार समस्त गैसों के लिए का मान स्थिर (8 = 2.67) होना चाहिए जबकि वास्तव में ऐसा नहीं होता। अधिकांश गैसों के लिए इसका मान 3 से 4 के मध्य पाया जाता है।
- वाण्डर वाल्स समीकरण के अनुसार समस्त गैसों के लिए का मान 3 होना चाहिए, किन्तु यह भी सही नहीं है। आर्गन के लिए Y का मान 41 होता है, हाइड्रोजन के लिए यही मान 2.80 होता है तो कार्बन डाइऑक्साइड के लिए 1.86 होता है।
- वाण्डर वाल्स समीकरण के प्रायोगिक मानों से विचलन का प्रमुख कारण है इनके स्थिरांक व b। वास्तव में ये सही अर्थों में स्थिरांक हैं नहीं है, क्योंकि किसी समीकरण का कोई स्थिरांक ताप व दाब से प्रभावित नहीं होता जबकि a व b दोनों ही ताप तथा दाब से प्रभावित होते हैं। उदाहरण के लिए, कार्बन डाइ-ऑक्साइड के लिए 0°C से 100°C के बीच यदि b को स्थिर मानें तो a का मान 20% बढ़ जाता है और यदि a को स्थिर मानें तो b का मान पांच गुना बढ़ जाता है, दाब बढ़ने के साथ भी b का मान कम हो जाता है। अतः सही परिणाम प्राप्त करने के लिए ताप व दाब के विभिन्न मानों के लिए a तथा b के भिन्न-भिन्न मान लेने चाहिए।
- समानीत अवस्था समीकरण तथा संगत अवस्थाओं का नियम (REDUCED EQUATION OF STATE AND LAW OF CORRESPONDING STATES) .. हमने देखा कि अणुओं का वास्तविक आयतन तथा उनके अन्तराण्विक आकर्षण बल के कारण वास्तविक “सा का आचरण आदर्श गैसों से भिन्न होता है। वाण्डर वाल्स समीकरण में उपर्युक्त बातों का ध्यान रखते हुए सुधार किया गया और वास्तविक गैसों के आचरण की व्याख्या की गयी। किन्तु इस समीकरण के दो राक ‘a’ तथा ‘b’ ऐसे हैं जो गैस की प्रकृति पर निर्भर करते हैं. अत: इस समीकरण को समान रूप से । पर लागू नहीं किया जा सकता। सन् 1881 में वाण्डर वाल्स ने बताया कि यदि उनके समीकरण जात ताप, दाब व आयतन (Reduced temperature, pressure and volume) के रूप में व्यक्त यिता वह एक ऐसी सामान्य समीकरण (general equation) बन जायेगी जिसे सभी गैसो पर को समानीत ताप, दाव किया जाये तो वह एक समान रूप से लागू किया जा सकता है।
समानीत ताप, दाब व आयतन क्रान्तिक ताप, दाब व आयतन से निम्न प्रकार सम्बन्धित होते है
Tr = T/TC PR = p/PC VR = V/Vc
जहां Tr.Pr,व Vr, क्रमशः समानीत ताप, समानीत दाब व समानीत आयतन हैं, इन्हें (पाई) π व ɸ (फाई) द्वारा भी प्रदर्शित किया जाता है, अतः
T = Tc ɸ; P =Pc π; V =Vc ɸ
ताप, दाब व आयतन के इन मानों को वाण्डर वाल्स समीकरण (23) में रखने पर,
(ΠpC + a / ɸ2 V2C ) (ɸ VC – b) = R ɸ TC . ….(46)
समीकरण (35), (36) व (37) से क्रमशः VC. PC व TC के मान समीकरण (46) में रखने पर,
( π a/ 27b2 + a/ ɸ29b2) (ɸ3b – b) = R ɸ 8a/27Rb
अथवा (πa/27b2 + 3 x a/3 x 9b2 ɸ2) (3b – ɸ – b ) = 8a R ɸ /27Rb अथवा a/27b2 (π + 3/ ɸ2)b (3 ɸ – 1 ) = 8a ɸ/27b
अथवा a/27b (π + 3/ ɸ2) (3 ɸ – 1) = a/27b 8 ɸ
(π + 3/ ɸ2) (3 ɸ – 1) = 8 ɸ …(47)
उपर्युक्त समीकरण में ‘a’ व ‘b’ जैसे स्थिरांक नहीं हैं जो गैस की प्रकृति पर निर्भर करते हों अतः इस समीकरण को किसी भी पदार्थ पर लागू किया जा सकता है। समानीत ताप, दाब व आयतन के रूप में व्यक्त की गयी इस समीकरण को ही अवस्था की समानीत समीकरण (Reduced equation of state) कहते हैं। समस्त गैसों के समानीत ताप व समानीत दाब के मान यदि एक जैसे हों, तो उनका आदर्श व्यवहार से विचलन भी एक ही जैसा होता है, इसे संगत अवस्था का नियम (Law of corresponding states) कहते हैं। यदि किन्हीं दो गैसों के समानीत ताप व समानीत दाब के मान समान हों तो उनका समानीत आयतन भी समान ही होगा, ऐसी स्थिति में कहा जाता है कि गैसें समानीत अवस्था (Corresponding states) में हैं। गाँ तथा जेन सू (Gouq & Jen Su) ने 1946 में कई गैसों व पदार्थों के समानीत संपीड्यता व्यंजक (Reduced Compressibility factor) Z, व समानीत दाब P, के मध्य ग्राफ खींचे। ये ग्राफ दर्शाते हैं कि सभी पदार्थ एक ही जैसे वक्र देते हैं अर्थात् सभी पदार्थ एक ही जैसी संगत अवस्था में उपस्थित है। निम्न चित्र 3.14 में एथेन, मेथेन, नाइट्रोजन व प्रोपेन के वक्र दर्शाये गये हैं। हम देखते हैं कि सभी के बिन्द उसी वक्र के ऊपर हैं अर्थात् अवस्था की समानीत समीकरण (47) एक ऐसी समीकरण है जिसे एक सामान्य समीकरण (general equation) कह सकते हैं और जो सभी गसो पर समान रूप से लागू की जा सकती है।
उदाहरण 3.12.400c पर 0.107 dm3 आयतन में सीमित एक मोल कार्बन डाइ-ऑक्साइड गैस का की सहायता से ज्ञात करो। गैस के क्रान्तिक स्थिरांक Vc = 0.0957 dm3, Tc= 304 K व Pc = 73.0 atm.
हल : समानीत अवस्था समीकरण से
(π +3/ ɸ2) (3 ɸ – 1) = 8 ɸ
अतः π = 8/ ɸ / (3 ɸ – 1) – 3/ ɸ2
π = 8 (T /TC)/ 3 (V/VC) – 1 – 3/ (V / VC)2
T = 40 + 273 = 313 K, Tc = 304 K, V = 0.107dm3
VC = 0.0957 dm3
उपर्युक्त समीकरण में मान रखने पर,
Π = 8(313/304)/ 3(0.107/0.0957) -1 – 3/ (0.107/0.0957)2
Π = 8 x1.03/ 3x 1.1 – 1 – 3/(1.1)2 = 3.58 – 2.48 = 1.1 atm
π = pr= P/ Pc p = π x Pc
उत्तर अतः दाब P = 1.1 x 73.0 = 80 atm उत्तर
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