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लेंस की परिभाषा , क्या है , प्रकार , उत्तल लेन्स , अवतल लैंस lens in hindi
(lens in hindi ) लेंस की परिभाषा , क्या है : दो वक्र पृष्ठों या एक वक्र तथा दूसरा समतल पृष्ठ से मिलकर लेंस का निर्माण होता है तथा दोनों पृष्ठों के बीच में कांच आदि पारदर्शी माध्यम भरा रहता है या विधमान रहता है।
लेंस में ये वक्र पृष्ठ किसी भी प्रकार की हो सकती है जैसे गोलीय , परवलयाकार या बेलनाकार। लेकिन हम सामान्यतया गोलीय लेंस की बात करते है या उपयोग में लाते है।
अर्थात जब कोई हमें लेंस के बारे में बताये तो सामान्यत हम उसे गोलीय लेंस ही समझकर चलते है।
चूँकि हम बात कर चुके है की लेंस का निर्माण दो पृष्ठों से मिलकर होता है तथा मध्य में पारदर्शी माध्यम भरा रहता है अतः हम यह भी स्पष्ट रूप से कह सकते है की दोनों पृष्ठों से प्रकाश का अपवर्तन होता है।
जिस तरफ से प्रकाश लेंस में आपतित होता है या प्रवेश करता है उसे लेंस का प्रथम पृष्ठ कहते है तथा दोनों पृष्ठों से अपवर्तन के बाद प्रकाश लेंस से जिस पृष्ठ से बाहर निकलता है उस पृष्ठ को द्वितीय पृष्ठ कहते है।
लेन्स में उपयुक्त होने वाले दोनों पृष्ठों की प्रकृति के आधार पर लैंस को दो भागो में बांटा गया है
1. उत्तल लेंस (convex lens)
2. अवतल लेंस (concave lens )
1. उत्तल लेंस (convex lens)
वे लेन्स जो दिखने में किनारों पर पतले तथा मध्य में मोटे होते है इन्हें उत्तल लैंस कहते है , अर्थात ये दो उभरी हुई पृष्ठों से मिलकर बने होते है। ये आपतित प्रकाश को इक्कठा करता है अर्थात अभिसारित करते है इसलिए इन्हें अभिसारी लेंस भी कहते है।
2. अवतल लेंस (concave lens )
इन लेन्स को जब देखा जाता है तो ये किनारों से मोटे होते है तथा मध्य से मध्य होते है इन्हें अवतल लैंस कहते है , अर्थात ये दो दबी हुई या धंसी हुई पृष्ठों से मिलकर बने होते है। इन लेंस पर जब प्रकाश को आपतित किया जाता है तो ये प्रकाश को फैला देते है अर्थात अपसारित करते है इसलिए इन्हें अपसारी लेंस कहते है।
लेंस से सम्बन्धित परिभाषा
यहाँ हम लेंसों से संबंधित कुछ परिभाषाओ का अध्ययन करते है।
1. प्रकाशिक केन्द्र (optical centre ) : जब किसी प्रकाश को लेंस पर इस प्रकार आपतित किया जाए की अपवर्तित किरण आपतित किरण के समानांतर निकले। अर्थात आपतित किरण और निर्गत किरण समान्तर हो जाए तो प्रकाश मुख्य अक्ष पर जहाँ काटता है उसे लेंस का प्रकाशिक केंद्र कहते है।
2. मुख्य फोकस (principal focus) : मुख्य अक्ष पर स्थित बिन्दु जिससे चलने वाली प्रकाश की किरण अपवर्तन के बाद समान्तर हो जाती है या प्रतीत होती है , उसे प्राथमिक मुख्य फोकस कहते है।
तथा
मुख्य अक्ष के समान्तर आने वाली प्रकाश की किरण अपवर्तन के बाद जिस बिन्दु पर मिलती है या मिलती हुई प्रतीत होती है उस बिन्दु क द्वितीयक मुख्य फोकस कहते है।
3. फोकस दूरी (focal length) : लेंस के प्रकाशिक केंद्र तथा मुख्य फोकस बिन्दु के मध्य की दूरी को लेंस की फोकस दूरी कहते है। उत्तल लैंस के लिए फोकस दूरी धनात्मक तथा अवतल लेन्स के लिए ऋणात्मक ली जाती है।
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