मेडल का तृतीय नियम , स्वतंत्र अपव्यूहन का नियम, & अपवाद

law of independent assortment in hindi  मेडल का तृतीय नियम & अपवाद :-

 स्वतंत्र अपव्यूहन का नियम:-

एक लक्षण की वंशानुगति दूसरे लक्षण की वंशानुगति से प्रभावित नहीं होती है एक पीढी से दूसरी पीढी में लक्षणों की वंशानुगति स्वतंत्र रूप से होती है। इसे स्वतंत्र अपव्यहून का नियम कहते है। इसे द्विसंकर संकरण प्रयोग द्वारा समझाया जा सकता है।

 अपवाद:-

 (linkage):-

किसी गुणसूत्र पर पास-पास जीन आपस में मिलकर एक सहलग्न वर्ग बनाते है जो एक पीढी से दूसरी पीढी में साथ-साथजाते है इसे सहलग्नता कहते है।

मार्गन एवं इसके शिष्यों ने फल मक्खी पर प्रयोग ज्ण्भ्ण् किये। पीला शरीर व सफेद आँख वाली मक्खी का संक्रमण भूरे शरीर एवं लाल आँख वाली मक्खी से कराया तथा थ्.2 पीढी प्राप्त की। तथा पाया कि अनुपात मेण्डलीय अनुपात से मिला था।

उन्होने पाया कि जनकीय अनुपात मेण्डलीय अनुपात से अधिक था इसका कारण उनमें जीन विनियम की का कम होगा तथा सहलबंनता का अधिक होना अजनकीय जीवो ने सहलवनता कम थी एवं जीन विनिमय की दर अधिक पाई गई दो जीनो के मध्य दूरी जितनी कम होगी सहलग्नता अधिक होगी।

 क्रोमोसोमवाद:-मेण्डल के नियमों की पुनः खोज:-

1. कार्ल काॅरेन्स जर्मनी

2. इरिक बाॅन शेमाँक अस्थिया

3. हूगो डि ब्रीज हाॅलैण्ड

मेण्डल के नियम अज्ञात रखने के कारण:-

1 संचार साधनों का अभाव

2 गणितीय आधारित गणनाओं को न मानना

3 कारको की भौतिक उपस्थिति सिद्ध नहीं कर सका तथा यह भी नहीं बता सका कि कारक किस पदार्थ के बने होते है।

4 मेण्डल के नियम व खोज अपने समय से बहुत आगे थी