ऊर्जा समविभाजन का नियम (law of equipartition of energy in hindi)

(law of equipartition of energy in hindi) ऊर्जा समविभाजन का नियम : जैसा कि हम सब जानते है कि कोई भी एक परमाणु आकाश में स्वतंत्र गति करने अर्थात तीनों अक्षों X , Y और Z के अनुरूप गति करने के लिए स्वतंत्र होता है , चूँकि हमें यह भी पता है कि गति करने के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है , परमाणु को यह ऊर्जा कहा से मिलती है ?

परमाणु को यह ऊर्जा उससे अपने सम्बंधित अणु से मिलती है।
ऊर्जा समविभाजन का नियम यह बताता है कि प्रत्येक गति अर्थात चाहे यह स्थानांतरित हो , चाहे घूर्णन गति हो या कम्पन्न गति हो , के लिए परमाणु को ऊर्जा का वितरण किस प्रकार से होता है।
ऊर्जा समविभाजन का नियम के अनुसार ” एक अणु की कुल ऊर्जा अलग अलग स्वतंत्रता की कोटि में समान रूप से विभाजित हो जाती है “
उदाहरण के लिए जैसे मान लीजिये किसी अणु 500 इकाई ऊर्जा विद्यमान है , और स्वतंत्रता की कोटि 5 है (इसमें स्थानांनतरित , घूर्णन व कम्पन्न सब शामिल है ) , तो अणु प्रत्येक गति के लिए 100 इकाई ऊर्जा आवंटित करता है।
प्रति अणु प्रति स्वतंत्रता की कोटि के अनुसार ऊर्जा का मान kT/2 होता है।
यहाँ k = बोल्ट्जमान नियतांक है तथा T = परम ताप का मान है।
माना किसी अणु की स्वतंत्रता की कोटि f है तो उस अणु की कुल ऊर्जा का मान fkT/2 होगा।
चूँकि आदर्श गैस के अणुओं की स्वतंत्रता की कोटि तीन होती है अत: ऊपर ज्ञात किये सूत्र fkT/2 में f= 3 रखने पर हमें आदर्श गैस अणु की औसत स्थानान्तरीय गतिज ऊर्जा का मान 3kT/2 होता है।