JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now

हिंदी माध्यम नोट्स

Categories: Geologyindian

भूस्खलन और शमन के उपाय क्या है ? Landslides and Mitigation Measures in hindi

बताइए भूस्खलन और शमन के उपाय क्या है ? Landslides and Mitigation Measures in hindi ?
भूस्खलन और शमन के उपाय (Landslides and Mitigation Measures)
भूस्खलन हिमालय क्षेत्र में बार-बार होने वाली घटना है। लेकिन हाल ही में भारी निर्माण कार्यों और प्राकृतिक अस्थिरता ने इस समस्या को तीखा बना दिया है। भूस्खलन ढलानों पर संरचना, ढाँचे, जल प्रवाह या वनस्पति के आवरण में होने वाले क्रमिक या अकस्मात् परिवर्तनों के कारण होते हैं। ये परिवर्तन भूगर्भीय कारणों, जलवायु, घिसाव, बदलते भू-उपयोग या भूकंप के कारण आते हैं।
जनता और सार्वजनिक सुविधाओं को भूस्खलन के संपर्क में आने से बचाकर तथा भू-स्खलन पर भौतिक नियंत्रण करके उनसे पैदा विपत्तियों में महत्त्वपूर्ण कमी की जा सकती है। जिन विकास कार्यक्रमों से स्थलाकृति संसाधनों के उपयोग और धरती पर पड़ने वाले बोझ में परिवर्तन आ सकते हों उनकी इजाजत नहीं दी जानी चाहिये। भूस्खलन रोकने के लिये जो कदम उठाये जा सकते हैं, वे जल के निकास और मिट्टी के कटाव की रोकथाम से संबंधित है, जैसे बाँसों के बंध और टैरेस का निर्माण, जूट और नारियल के रेशों को जालियों का निर्माण। इनमें चट्टानों को गिरने से बचाने संबंधी उपायं भी शामिल हैं. जैसे घास उगाना, ईंट या पत्थर को दीवार बनाना और सबसे बढ़कर वनों का विनाश रोकनां और वनारोपण बढ़ाना।
भूस्खलन से निपटने के उपाय अलग-अलग क्षेत्रों के लिए अलग-अलग होने चाहिएँ। अधिक भूस्खलन संभावी क्षेत्रों में सड़क और बड़े बांध बनाने जैसे निर्माण कार्य तथा विकास कार्य पर प्रतिबंध होना चाहिए। इन क्षेत्रों में कृषि नदी घाटी तथा कम ढाल वाले क्षेत्रों तक सीमित होनी चाहिए तथा बड़ी विकास परियोजनाओं पर नियंत्रण होना चाहिए। सकारात्मक कार्य जैसे-वृहत स्तर पर वर्गीकरण को बढ़ावा, जल बहाव को कम करने के लिए बांध का निर्माण भू स्खलन के उपायों के पूरक हैं। स्थानांतरित कपि वाले उत्तर पूर्वी क्षेत्रों में सीढ़ीनुमा खेत बनाकर कृषि की जानी चाहिए।

केस अध्ययन
हाल ही में जम्मू-कश्मीर के लेह तथा उत्तराखण्ड के बागेश्वर में बाढ़ और भूस्खलन जैसी प्राकृतिक आपदाओं से सैकड़ो लोगों की जान चली गई तथा हजारों लोग बेघर हो गये। उत्तराखण्ड सरकार ने प्राकृतिक दृष्टि से संवेदनशील स्थलों पर डॉप्लर राडार लगाने का फैसला लिया। सर्वप्रथम देहरादून तथा नैनीताल जिलों में इसे लगाने से पूरे गढ़वाल और कुमाऊँ मण्डल में मौसम के बिगड़ते मिजाज पर नजर रखी जा सकती है तथा किसी भी प्रकार की प्राकृतिक आपदा से निपटने के पूर्व – इंतजाम किये जा सकते हैं।

केस अध्ययन
जापान ने मार्च 2011 में भयावह भूकंप व सूनामी को झेला है। इसी के परिणामस्वरूप 14 मार्च 2011 को फुकुशिमा-दाइची परमाणु संयंत्र से रेडियोधर्मी रिसाव की भयंकरता को भी झेला। इतनी विपदाओं का जापान निवासियों ने सहजता से सामना किया। यदि भारत में ऐसी कोई आपदा आती है तो उसका सामना करने का तरीका जापानियों के अनुभव से सीखा जा सकता है। 10 प्रमुख बातें जिन्हे हम जापानियों से सीख सकते हैं
ऽ शान्ति- आपदा के बाद प्रसारित किसी भी मीडिया में छाती पीटते और पछाड़े मारते जापानी नहीं दिखे, उनका दुःख कुछ कम न था पर जनहित के लिए उन्होंने उसे अपने चेहरे पर नहीं आने दिया।
ऽ गरिमा- पानी और राशन के लिये लोग अनुशासित कतारबद्ध खड़े रहे। किसी ने भी अनर्गल प्रलाप और अभद्रता नहीं की। जापानियों का धैर्य प्रशंसनीय है।
ऽ कौशल-छोटे मकान अपनी नींव से उखड़ गये और बड़े भवन लचक गए पर धराशायी नहीं हुए। यदि भवनों के निर्माण में कमियाँ होती तो और अधिक नुकसान हो सकता था।
ऽ निःस्व्रार्थता- जनता ने केवल आवश्यक मात्रा में वस्तुएँ खरीदी या जुटाईं। इस तरह सभी को जरूरत का सामान मिल गया और कालाबाजारी नहीं हुई।
ऽ व्यवस्था- दुकानें , लटी गईं, सड़कों पर ओवरटेकिंग या जाम नहीं लगे। सभी ने एक-दूसरे की जरूरत समझी।
ऽ त्याग- विकिरण या मृत्यु के खतरे की परवाह किये बिना पचास कामगारों ने न्यूक्लियर रिएक्टर में भरे पानी को वापस समुद्र में पम्प किया। उनके स्वास्थ्य को होने वाली स्थाई क्षति की प्रतिपूर्ति कैसे होगी?
ऽ सहदयता- भोजनालयों ने दाम घटा दिये। जिन ।ज्ड पर कोई पहरेदार नहीं था वे भी सुरक्षित रहे। जो सम्पन्न थे उन्होंने वंचितों के हितों का ध्यान रखा।
ऽ प्रशिक्षण- बच्चों से लेकर बूढों तक सभी जानते थे कि भूकंप व सूनामी के आने पर क्या करना है। उन्होंने वही किया भी।
ऽ मीडिया- मीडिया ने अपने प्रसारण में उल्लेखनीय संयम और नियंत्रण दिखाया। बेहूदगी से चिल्लाते रिपोर्टर नहीं दिखे। सिर्फ और सिर्फ पुष्ट खबरों को ही दिखाया गया। राजनीतिज्ञों ने विरोधियों पर कीचड़ उछालने में अपना समय नष्ट नहीं किया।
ऽ अंतःकरण- एक शॉपिंग सेन्टर में बिजली गुल हो जाने पर सभी ग्राहकों ने सामान वापस शैल्फ में रख दिए और चुपचाप बाहर निकल गये।

नाभिकीय दुर्घटनाएँ और शमन के उपाय
(Nuclear Accidents and Mitigation Measures)
नाभिकीय दुर्घटना उपायों में वे सभी कार्य आते हैं जो विकास कार्यकलापों के कारण पैदा हो सकने वाले संभावी पर्यावरणीय दुष्परिणामों को कम करते हैं, उनसे बचाव करते हैं या उन्हें दूर करते हैं। शमन उपायों का उद्देश्य परियोजना के लाभों को अधिक से अधिक बढ़ाना है और उसके करण हो सकने वालं अवांछनीय संप्रभावों को न्यूनतम करना है।
ऽ क्षतिपूर्ति उपाय– इसके द्वारा अपरिहार्य हानिकर संप्रभावों को क्षतिपूर्ति की जाती है। कुछ क्षतिपूर्ति इस प्रकार हैः
 हानिग्रस्त संसाधनों की पुनः पूर्ति।
 विस्थापितों का पुनर्वास।
 प्रभावित व्यक्ति को हर्जाना दिया जाना ।
ऽ सुधारात्मक उपाय– इन्हें हानिकर संप्रभावों के स्वीकार्य स्तर तक कम करने के लिये अपनाया जाता है।
– प्रदूषण नियंत्रण युक्तियों को लगाना।
– बहिःप्रवाह उपचार संयंत्र का निर्माण करना।
 परिचालकों को प्रशिक्षण देना।
 कंट्रोल रूप में पर्याप्त यंत्र व्यवस्था।
 आपातकाल प्रतिक्रिया प्रशिक्षण व्यवस्था।
 विकिरण सहायता हेतु सरकारी संस्था की स्थापना।
 स्वास्थ्य विभाग के पास विकिरण चिकित्सा पर संदर्भ सामग्री की उपलब्धता।
ऽ रोकथाम उपायों का उपयोग करना- कुछ संभावित हानिकर संप्रभावों को कम करने अथवा न होने देने के लिए पहले से कुछ रोकथाम उपाय किए जा सकते है। उदाहरणार्थ-
 स्वास्थ्य शिक्षा कार्यक्रम चलानाः
 धन जागरुकता कार्यक्रम चलाना
नाभिकीय अपशिष्ट पदार्थों का ठीक से निपटान करना जिससे स्वास्थ्य व पर्यावरण को खतरा न हो। इस संबंध में अंतर्राष्ट्रीय
स्तर के ‘बेसेल समझौते‘ को 1992 से लागू किया गया। इसका मुख्य उद्देश्य खतरनाक अपशिष्टों का उत्पादन कम से कम करना, खतरनाक अपशिष्ट का निपटान उसके उत्पादन स्रोत के निकटतम स्थान पर करना आदि है।

Sbistudy

Recent Posts

मालकाना का युद्ध malkhana ka yudh kab hua tha in hindi

malkhana ka yudh kab hua tha in hindi मालकाना का युद्ध ? मालकाना के युद्ध…

4 weeks ago

कान्हड़देव तथा अलाउद्दीन खिलजी के संबंधों पर प्रकाश डालिए

राणा रतन सिंह चित्तौड़ ( 1302 ई. - 1303 ) राजस्थान के इतिहास में गुहिलवंशी…

4 weeks ago

हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ? hammir dev chauhan history in hindi explained

hammir dev chauhan history in hindi explained हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ?…

4 weeks ago

तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच हुआ द्वितीय युद्ध Tarain battle in hindi first and second

Tarain battle in hindi first and second तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच…

4 weeks ago

चौहानों की उत्पत्ति कैसे हुई थी ? chahamana dynasty ki utpatti kahan se hui in hindi

chahamana dynasty ki utpatti kahan se hui in hindi चौहानों की उत्पत्ति कैसे हुई थी…

1 month ago

भारत पर पहला तुर्क आक्रमण किसने किया कब हुआ first turk invaders who attacked india in hindi

first turk invaders who attacked india in hindi भारत पर पहला तुर्क आक्रमण किसने किया…

1 month ago
All Rights ReservedView Non-AMP Version
X

Headline

You can control the ways in which we improve and personalize your experience. Please choose whether you wish to allow the following:

Privacy Settings
JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now