JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now

हिंदी माध्यम नोट्स

Categories: indian

कामागाटामारू कांड क्या था जानकारी दीजिये , komagata maru incident in hindi प्रकरण बताइए

फुल डिटेल में जानकारी प्राप्त कीजिये कि कामागाटामारू कांड क्या था जानकारी दीजिये , komagata maru incident in hindi प्रकरण बताइए ?

प्रश्न: कामागाटामारू प्रकरण क्या था ?
उत्तर: यह कनाड़ा में भारतीयों के प्रवेश से संबंधित विवाद था। सिंगापुर के व्यवसायी बाबा गुरूदत्त सिंह ने जापानी जहाज कामागाटामारू किराए पर लेकर 376 व्यक्तियों को बैंकुवर (कनाड़ा) ले जाने का प्रयत्न किया। कनाड़ा सरकार ने यात्रियों को उतरने की अनुमति नहीं दी। भारत सरकार ने जहाज को सीधे ही कलकत्ता आने के आदेश जारी किए जो सितम्बर, 1914 में कलकत्ता लौट आया। इनमें से 18 आदमी पुलिस मुठभेड़ में मारे गए। 202 व्यक्तियो को गिरफ्तार कर जेल में डाला गया। शेष भाग में सफल रहे। सरकार ने 1915 में गिरफ्तार आंदोलनकारियों पर लाहौर षड़यंत्र केस चलाया व गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया। इस घटना से गदर आंदोलन को नुकसान पहुंचा।

प्रश्न: ब्रिटेन में भारतीय स्व-शासन आंदोलन के विकास का निरूपण कीजिए।
उत्तर: अंतर्राष्ट्रीय सोशलिस्ट कांग्रेस में 1904 में भाषण देते हुए दादा भाई नौरोजी भारत को स्वशासन और दूसरे ब्रिटिश उपनिवेशों की तरह का दर्जा दिए जाने की मांग रखी। आयरलैंड के होमरूल आंदोलन से प्रेरणा लेकर सिर्फ भारत में ही नहीं, वरन् विदेशों में भी होमरूल लीग की स्थापना हुई। 7 जून, 1216 को टेवीस्टाक स्क्वायर लंदन में एक भारतीय होमरूल लीग की स्थापना की गई, जिसके महासचिव मेजर डी. ग्राहम पोल थे। भारत के पक्ष में व्यापक प्रचार करने के साथ-साथ ब्रिटेन में लीग की शाखाएं खोलना तथा एक स्वतंत्र राजनीतिक दल के रूप में लीग का विकास करना इसका लक्ष्य घोषित किया गया। इसके बाद भारत क्या चाहता है, इस संबंध में पर्चे छपवाकर बांटे गये ओर नियमित रूप से सभाओं का आयोजन एवं होमरूल का प्रचार किया जाने लगा। भारत के साथ-साथ ब्रिटेन में होमरूल के प्रसार में श्रीमती बेसेंट का भी महत्वपूर्ण योगदान था।
प्रश्न: गदर आंदोलन के बारे में बताइए।
उत्तर: सोहसिंह भाकना ने पोर्टलैण्ड में ‘‘हिन्दुस्तान ऐसोसिएशन ऑफ द पेसिफिक कोस्ट‘‘ की स्थापना 1913-14 में की। इसका उद्देश्य विदेशों में भारतीयों के अधिकारों की रक्षा करना व भारत की आजादी के लिए चेतना पैदा करना था। इस संस्था ने गदर नामक अखबार निकाला जिसकी प्रसिद्धि के कारण इस संस्था का नाम ही गदर पार्टी पड़ गया। इस संस्था के मुख्य सदस्य थे – लाला हरदयाल, पं. काशीराम, भाई परमानंद, करतार सिंह सराबा, रामचंद्र, हरनाम सिंह तुंडिलाट आदि।

प्रश्न: 20 अगस्त, 1917 की घोषणा भारतीय शासन का आधार था। विवेचना कीजिए।
उत्तर: भारतीयों को शासन में भाग देने, स्वशासन देने एवं उत्तरदायी शासन देने संबंधी घोषणा 20 अगस्त, 1917 को ब्रिटिश संसद में की गई। जिसके अनुसार ‘‘प्रशासन की प्रत्येक शाखा में भारतीयों को अधिकाधिक सम्बन्द्ध किया जाये और स्वशासी संस्थाओं का क्रमिक विकास किया जाये जिससे ब्रिटिश साम्राज्य अविच्छिन अंग के रूप में भारत में उत्तरदायी शासन की उत्तरोत्तर उपलब्धि हो सके।‘‘ इसे मोन्टफोर्ड योजना भी कहा जाता है। इसे 8 जुलाई, 1918 को प्रकाशित किया। इस घोषणा में पहली बार उत्तरदायी शासन शब्द का प्रयोग ब्रिटिश सरकार द्वारा किया गया।
प्रश्न: गांधी की सत्याग्रह की अवधारणा
उत्तर: सत्याग्रह का दर्शन श्सत्यश् की अवधारणा में आस्था का स्वाभाविक विकास है यह हिंसा का विकल्प है, यह सर्वाधिक शक्तिशाली और पराक्रमी का हथियार है, गांधी मानते है कि एक सत्याग्रही अपने विपक्षी के साथ एक प्रकार की आध्यात्मिक पहचान बना लेता है और उसमें यह भाव पैदा करता है कि वह स्वयं अपने को चोट पहुंचाए किन्तु वह प्रतिद्वन्द्वी को चोट नहीं पहुंचा सकता।
असत्य का विरोध
सत्याग्रह
सत्य को स्थापित करना
सत्याग्रह के दो मूलाधार हैं – प्रेम और सत्य, यह सिद्धान्त मात्र नहीं है वरन् यह कर्म का दर्शन (च्ीपसवेवचील व ि।बजपवद) है एक सत्याग्रही स्वयं पीड़ा सहकर बुरे व्यक्ति को अच्छे व्यक्ति में परिवर्तित करने का प्रयास करता है न कि बुरे व्यक्ति को पीड़ा पहुँचाने का।
सत्याग्रह की विशेषताएँ निम्नांकित है –

नकारात्मक प्रयोग – मनसा, वाचा कर्मणा दुःख नहीं पहुंचाए।
(1) यह अहिंसात्मक हाना चाहि
सकारात्मक प्रयोग – अपने विरोधी का हित साधन ।

(2) विरोधी को पीड़ा पहुँचाने की क्षमता का मुकाबला पीडा सहने की वैसी ही क्षमता से।
(3) विरोधी से घृणा नहीं वरन् उसकी सामान्य अवज्ञा करना है।
(4) बुराई से घृणा है, बुरा करने वाले से नहीं।
ऽ ‘
प्रश्न: प्रारम्भिक राष्ट्रवादियों की आर्थिक समीक्षा में आर्थिक राष्ट्रवाद प्रतिबिम्बित होता है।
उत्तर: विभिन्न संवैधानिक मुदद्े
ऽ राष्ट्रीय आन्दोलन ने अपने प्रारम्भिक चरण मे विभिन्न संवैधानिक मुद्दों एवं उनमें रूचि दिखलाना।
ऽ राष्ट्रीय आन्दोलन के प्रथम चरण में संवैधानेत्तर मुद्दे। (आर्थिक समीक्षा)
(राष्ट्रवादी आर्थिक सिद्धान्त)

अंग्रेजों की शोषणकारी इन नीतियों का राष्ट्रवादियों के सुझाव
आर्थिक नीतियां प्रतिकूल प्रभाव (किस प्रकार की नीति
लायी जानी चाहिए) आधुनिक
उद्योगों का विकास किया जाये।
भारतीय उद्योगों का पतन,
गरीबी, बेरोजगारी,
आधुनिक उद्योगों का सीमित विकास,
शिल्प का पतन
ऽ राष्ट्रीय आन्दोलन ने प्रारम्भिक चरण में संवैधानिक व संवैधानेत्तर दोनों मुददों में रूचि दिखलायी।
आर्थिक समीक्षा से
ऽ ब्रिटिश शासन के वास्तविक स्वरूप (अर्थात् साम्राज्यवादी व औपनिवेशिक, शोषणकारी) सामने आना।
ऽ ब्रिटिश शासन के नैतिक आधार पर प्रहार पड़ा।
ऽ भारतीय हितों व ब्रिटिश हितों के बीच संघर्ष को बल मिला।
ऽ उपनिवेशवाद विरोधी चेतना को बल।
ऽ राष्ट्रीय (राष्ट्र की) आर्थिक दशा के प्रति लोगों का जागरण।
ऽ अन्ततः उपरोक्त दशा के प्रति लोगों का जागरण।
ऽ अतः उपरोक्त से राजनीतिक संघर्षों को प्रेरणा व राजनीतिक निष्क्रियता को राजनीतिक सक्रियता में परिवर्तित करने में भूमिका।
प्रश्न: प्रारम्भिक भारतीय राष्ट्रीय नेतृत्व के कार्य आर्थिक राष्ट्रीयता को किस प्रकार प्रदर्शित करते हैं ?
उत्तर: प्रारम्भिक भारतीय राष्ट्रीय ‘नेतृत्व ने अंग्रेजी शासन द्वारा किये जा रहे भारत के आर्थिक शोषण से जनता को अवगत करा कर आर्थिक राष्ट्रीयता की भावना जगाने का प्रयत्न किया था। उन्होंने अपने कार्यों से, जब सम्पूर्ण भारत के लोग आपस म राष्ट्रीयता के सूत्र में नहीं बंध पाये थे, तब यह बात बता कर कि अंग्रेजी शासन के आर्थिक शोषण से न सिर्फ एक या कोई विशेष प्रदेश ही प्रभावित हो रहा है, बल्कि सम्पूर्ण देश ही दरिद्रता के गर्त में डूबता जा रहा है, राष्ट्रीयता के एक सूत्र म सम्पूर्ण देशवासियों को पिरोने का प्रयास किया था और बहुत हद तक इसमें सफल भी रहे थे।
दादाभाई नौरोजी ने अपने निबंध ‘‘पॉवर्टी एण्ड अनब्रिटिश रूल इन इंडिया‘‘ में स्पष्ट रूप से ब्रिटिश शासन के दौरान भारत की आर्थिक दुर्व्यवस्था पर प्रकाश डाला तथा धन के बहिर्गमन के सिद्धान्त (क्तंपद व िॅमंसजी ज्ीमवतल) का सर्वप्रथम प्रतिपादन किया। इस निबन्ध में नौरोजी ने यह बताया था कि किस तरह अंग्रेजी शासन भारत से धन निकाल कर इंग्लैण्ड पहुंचा रहा है और ऐसी नीतियां बना रहा हैं, जिससे भारत की कृषि, हस्तशिल्प, उद्योग-व्यापार एवं ग्रामीण समाज तहस-नहस हो रहा है। उन्होंने बताया था कि अंग्रेजों की नीति के कारण भारतीय उद्योग इस कदर खत्म हो रहे हैं कि भारत में उद्योगों पर आश्रितों का प्रतिशत 18 से घट कर 8 हो गया है।
रमेश चन्द्र दत्त ने अपनी पुस्तक ‘ब्रिटिश भारत का आर्थिक इतिहास‘ में नौरोजी के विचारों का समर्थन करते हुए भारत में अंग्रेजी उपनिवेशवाद के काल को तीन आर्थिक काल खण्डों में बांट कर यह दिखाया कि किस तरह भारत का शोषण कर अंग्रेजों ने अपने देश का औद्योगीकरण किया। अंग्रेजी शासन द्वारा भारत का आर्थिक शोषण किये जाने के उपर्युक्त विचारों को नौरोजी एवं दत्त के अलावा फिरोजशाह मेहता, गोखले, तिलक, सुरेन्द्र नाथ बनर्जी एवं रानाडे जैसे राष्ट्रीय नेताओं ने जनमानस में पहुंचाया और देश की जनता में अंग्रेजी शासन के विरुद्ध जनमत बनाने का प्रारम्भिक कार्य किया।
प्रश्न: उग्रवादी दल के उदय के कारण एवं उसके स्वरूप की विवेचना कीजिए।
उत्तर: बीसवीं शताब्दी के प्रारम्भिक चरण में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में एक नये और तरूण दल का प्रादुर्भाव हुआ, जो पुराने नेताओं के आदर्श तथा ढंगों का कड़ा आलोचक था। वे चाहते थे कि कांग्रेस का लक्ष्य स्वराज्य होना चाहिए, जिसे वे आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता से प्राप्त करें। यही दल उग्रवादी दल कहलाया। भारतीय राजनीति में उग्रवाद के कारणों में सरकार द्वारा कांग्रेस की मांगों की उपेक्षा एक प्रमुख कारण रहा है। 1892 ई. के भारतीय परिषद् अधिनियम द्वारा जो भी सुधार किये गये थे, वे अपर्याप्त एवं निराशाजनक ही थे। उदारवादी प्रतिवर्ष सुधार संबंधी मांगों का प्रस्ताव रखते रहे। लेकिन सरकार ने कांग्रेस के अनुरोध की ओर कोई ध्यान नहीं दिया। फलस्वरूप, नवयुवकों का एक ऐसा दल उठ खड़ा । हुआ, जिसने वैधानिक एवं क्रांतिकारी मांगों को अपनाना श्रेष्ठकर समझा। ब्रिटिश सरकार की दमनकारी नीति ने भी उग्रवाद के उदय में प्रमुख भूमिका निभायी।
भारत की बिगड़ती हुई आर्थिक स्थिति ने भारतीय राष्ट्रीय प्रक्रिया में उग्रवाद के उदय में विशेष योगदान किया। 1896-97 और 1899-1900 के भीषण अकाल और महाराष्ट्र में प्लेग से लाखों लोग मारे गये। सरकारी सहायता कार्य अत्यधिक अपर्याप्त, धीमा और असहानुभूतिपूर्ण था।
विदेशों में हुई घटनाओं का तरूण लोगों पर अत्यधिक प्रभाव पड़ा। भारतीयों के साथ अंग्रेजी उपनिवेशों में, विशेषकर दक्षिण अफ्रीका में हुए दुर्व्यवहार से अंग्रेज विरोधी भावनाएं जाग उठीं। इसके अतिरिक्त इस पर आयरलैंड, ईरान, मिस्र, तुर्की और रूस के राष्ट्रवादी आन्दोलन का भी प्रभाव पड़ा। भारतीय राजनीति में उग्रवाद के कारणों में कर्जन की प्रतिक्रियावादी नीतियां भी प्रमुख रहीं। सम्भवतः कर्जन का सबसे निन्दनीय कार्य बंगाल को दो भागों में विभाजित करना था (1905)। अतः इसके विरोध में भारत के राष्ट्रीय आन्दोलन में उग्रवादी आन्दोलन का मार्ग प्रशस्त हो गया।
उग्रवादी राष्ट्रवादियों ने ‘स्वराज्य‘ की प्रतिष्ठा स्थापित की, जिसका अर्थ विदेशी नियत्रंण से पूर्ण स्वतत्रंता था, ताकि अपने राष्ट्र की नीतियों तथा प्रबंध में पूर्णतया स्वतंत्रता हो। उग्रवादी दल अहिंसात्मक प्रतिरोध, सामूहिक आन्दोलन, आत्मबलिदान, दृढनिश्चय आदि में विश्वास करते थे। ये स्वदेशी तत्वों को महत्ता देते थे। उग्रवादियों ने विदेशी माल का बहिष्कार कर राष्ट्रीय शिक्षा पर बल दिया।

Sbistudy

Recent Posts

सती रासो किसकी रचना है , sati raso ke rachnakar kaun hai in hindi , सती रासो के लेखक कौन है

सती रासो के लेखक कौन है सती रासो किसकी रचना है , sati raso ke…

21 hours ago

मारवाड़ रा परगना री विगत किसकी रचना है , marwar ra pargana ri vigat ke lekhak kaun the

marwar ra pargana ri vigat ke lekhak kaun the मारवाड़ रा परगना री विगत किसकी…

21 hours ago

राजस्थान के इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों की विवेचना कीजिए sources of rajasthan history in hindi

sources of rajasthan history in hindi राजस्थान के इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों की विवेचना कीजिए…

3 days ago

गुर्जरात्रा प्रदेश राजस्थान कौनसा है , किसे कहते है ? gurjaratra pradesh in rajasthan in hindi

gurjaratra pradesh in rajasthan in hindi गुर्जरात्रा प्रदेश राजस्थान कौनसा है , किसे कहते है…

3 days ago

Weston Standard Cell in hindi वेस्टन मानक सेल क्या है इससे सेल विभव (वि.वा.बल) का मापन

वेस्टन मानक सेल क्या है इससे सेल विभव (वि.वा.बल) का मापन Weston Standard Cell in…

3 months ago

polity notes pdf in hindi for upsc prelims and mains exam , SSC , RAS political science hindi medium handwritten

get all types and chapters polity notes pdf in hindi for upsc , SSC ,…

3 months ago
All Rights ReservedView Non-AMP Version
X

Headline

You can control the ways in which we improve and personalize your experience. Please choose whether you wish to allow the following:

Privacy Settings
JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now