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किरचॉफ का वोल्टता नियम क्या है , kirchhoff voltage law in hindi , किरचोफ का धारा का नियम
पढेंगे किरचॉफ का वोल्टता नियम क्या है , kirchhoff voltage law in hindi , किरचोफ का धारा का नियम ?
किरचोफ के नियम (kirchhoff’s laws) : वैज्ञानिक किरचोफ ने विद्युत परिपथ विश्लेषण के लिए दो मूलभूत नियम दिए जो किसी भी विद्युत जाल (electrical network) में लागू होते हैं | ये नियम आवेश और ऊर्जा के संरक्षण को प्रदर्शित करते हैं | इनकी सहायता से किसी भी विन्यास (configuration) के विद्युत जाल की शाखाओं में वोल्टता अथवा धारा को ज्ञात किया जा सकता है | किरचोफ के नियम निम्नलिखित होते है –
- किरचोफ का प्रथम नियम या किरचोफ का धारा का नियम (kirchhoff’s first law or current law) : इस नियम के अनुसार किसी परिपथ की संधि अथवा नोड (node) पर कुल विद्युत धाराओं का बीजीय योग (algebraic sum) शून्य होता है |
अर्थात ∑i = 0
(संधि की तरफ पहुँचने वाली धाराओं को धनात्मक और संधि से बाहर निकलने वाली धाराओं को ऋणात्मक मानते है |)
माना कि पांच चालक किसी संधि O पर मिलते है जैसा कि चित्र में प्रदर्शित किया गया है और उन चालकों से बहने वाली धाराओं के मान क्रमशः i1 , i2 , i3 , i4 और i5 हैं | इं धाराओं में से धाराएँ i1 और i5 संधि की तरफ जा रही है इसलिए ये धनात्मक होंगी और धाराएँ i2 , i3 और i4 संधि से बाहर निकल रही है इसलिए ये ऋणात्मक होंगी | अत: किरचोफ के धारा के नियम के अनुसार –
i1 – i2 – i3 – i4 + i5 = 0
अथवा i1 + i5 = i2 + i3 +i4
इस प्रकार से संधि की तरफ जाने वाली धाराओं का योग , संधि से दूर जाने वाली धाराओं के योग के बराबर हैं | इससे यह ज्ञात होता है कि यदि किसी विद्युत परिपथ में स्थायी धारा (steady current) प्रवाहित हो रही है तो परिपथ के किसी संधि अथवा बिंदु पर आवेश का संचय (accumulation) नहीं होता है | अर्थात किरचोफ का प्रथम नियम अथवा धारा का नियम , आवेश संरक्षण के नियम के तुल्य होता है |
- किरचोफ का द्वितीय नियम अथवा किरचोफ का वोल्टता का नियम (kirchhoff’s second law or voltage law) : किरचोफ के वोल्टता नियम के अनुसार , किसी विद्युत परिपथ के बंद पाश (closed mesh) में निश्चित दिशा में चलते हुए वोल्टताओं का बीजीय योग शून्य होता है | इस नियम के लिए पाश में निर्दिष्ट धारा की दिशा में वोल्टता पतन धनात्मक और विपरीत दिशा में ऋणात्मक माना जाता है | उदाहरण स्वरूप चित्र में एक प्रतिरोधात्मक जाल प्रदर्शित किया गया है | इस पाश में प्रतिरोध R1 और R2 पर वोल्टता पतन क्रमशः v1 और v2 है जो धारा की निर्दिष्ट दिशा में ही होने से धनात्मक होंगे , बैट्री वोल्टता E1 ऋणात्मक होगी क्योंकि निर्दिष्ट धारा की दिशा में गमन करने पर ऋण ध्रुव से धन ध्रुव की तरफ वोल्टता परिवर्तन की गणना करती है , बैटरी वोल्टता E2 इसी के अनुसार धनात्मक होगी | अत: इस पाश के लिए वोल्टता नियम के अनुसार संधि A से प्रारंभ करने पर
V1 + V2 + E2 – E1 = 0
समीकरण को निम्न रूप में भी लिखा जा सकता है |
V1 + V2 = E1 – E2
अर्थात बंद पाश में वोल्टताओं के पतन का बीजीय योग उस पाश में उपस्थित विद्युत वाहक बलों के बीजीय योग के तुल्य होता है | इस रूप (समीकरण) में , किरचोफ के द्वितीय नियम को प्रयुक्त करते समय विद्युत वाहक बल के स्रोत से प्राप्त धारा यदि निर्दिष्ट दिशा में है तो वह विद्युत वाहक बल धनात्मक लिया जाता है यदि उस स्रोत से प्राप्त धारा विपरीत दिशा में हो तो वह वि.वा. बल ऋणात्मक लिया जाता है | चित्र में प्रदर्शित पाश में इस प्रकार विद्युत वाहक बल E1 धनात्मक और E2 ऋणात्मक लिया जायेगा | यदि परिपथ में केवल प्रतिरोध और विद्युत वाहक बल के स्रोत ही हो तो व्यापक रूप में समीकरण के अनुसार –
∑ v = ∑ IR = ∑ E
यह नियम ऊर्जा संरक्षण के सिद्धांत पर आधारित नियम है |
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