हिंदी माध्यम नोट्स
जोधपुर लीजियन क्या है | जोधपुर लीजियन का गठन कब हुआ किसने किया नेता नाम jodhpur lizian in hindi
jodhpur lizian in hindi जोधपुर लीजियन क्या है | जोधपुर लीजियन का गठन कब हुआ किसने किया नेता नाम कहाँ बना ?
प्रश्न : जोधपुर लीजियन के बारे में जानकारी दीजिये।
उत्तर : ईस्ट इंडिया कम्पनी द्वारा जोधपुर के सवारों की अकुशलता का बहाना बनाकर जोधपुर राज्य के खर्चे पर ब्रिटिश अधिकारियों के नियंत्रण में 1935 में एरिनपुरा में जोधपुर लीजियन की स्थापना की गयी। इस सेना की भर्ती , प्रशिक्षण और कमांड ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कम्पनी के हाथों में थी।
प्रश्न : ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कम्पनी और राजपूताना की रियासतों के मध्य 1803 से 1823 के मध्य हुई संधियों के बारे में बताइए।
उत्तर : ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कंपनी और राजपूताना की रियासतों के मध्य 1803-1823 के मध्य सहायक संधियाँ हुई। इसके पीछे दोनों के स्वार्थ निम्नलिखित थे।
राजपूत शासकों के स्वार्थ निम्नलिखित थे –
- राजपूत शासकों में पारस्परिक संघर्ष और गृहकलह।
- राजस्थान की राजनिति में कष्टदायी मराठों का प्रदेश।
- सामन्तों के पारस्परिक झगडे और शासकों का दुर्बल होना।
- मुगल शक्ति का दुर्बल होना।
- पिंडारियों का आतंक और बेरहम लूट।
अत: अपनी सुरक्षा के लिए राजपूत शासकों ने कम्पनी से संधि की।
अंग्रेजों के स्वार्थ निम्नलिखित थे –
- ब्रिटिश क्षेत्र में पिंडारियो का आतंक।
- लार्ड हेस्टिंग्स की भारत में कम्पनी की सर्वश्रेष्ठता स्थापित करने की लालसा।
- राजपूताना को संरक्षण में लेने से कम्पनी के वित्तीय साधनों में वृद्धि।
अंग्रेजों के अलावा अन्य किसी यूरोपियन अथवा अमरीकन को सेवा में रखने से पहले कम्पनी की सहमती लेनी होगी। संधि का व्याख्या करने का अधिकार कम्पनी के पास रहेगा।
राजपूताना रियासतों से संधि : भारत में सहायक संधि के जन्मदाता लार्ड वेलेजलि ने राजपूताना में सर्वप्रथम अलवर , भरतपुर , जयपुर , जोधपुर के शासकों के साथ संधि करने का प्रयास किया। संधि के अनुसार –
- रियासत के वैदेशिक मामले (युद्ध , संधि , समझौते और अन्य रियासतों से सम्बन्ध कंपनी के अधीन होंगे। )
- रियासत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं किया जायेगा।
- रियासत कम्पनी की एक सहायक सेना रखेगी और उसका खर्च रियासती भूभाग से वसूला जायेगा।
- रियासत के शत्रुओं के विरुद्ध कम्पनी सुरक्षा प्रदान करेगी।
- रियासत में एक ब्रिटिश रेजिडेन्ट रहेगा , जो संधि की शर्तों को देखेगा।
- एक पक्ष के मित्र और शत्रु दुसरे पक्ष के मित्र एवं शत्रु होंगे।
ईस्ट इण्डिया कम्पनी द्वारा राजपुताना के राज्यों के साथ की गयी संधियों के वर्ष इस प्रकार है –
राज्य | सन |
अलवर | 1803 |
भरतपुर | 1803/1805 |
जयपुर | 1803/1818 |
जोधपुर | 1803/1818 |
धौलपुर | 1804 |
टोंक | 1817 |
करौली | 1817 |
कोटा | 1818 |
प्रतापगढ़ | 1818 |
बीकानेर | 1818 |
किशनगढ़ | 1818 |
बाँसवाड़ा | 1818 |
बूंदी | 1803/1818 |
उदयपुर | 1804/1818 |
डूंगरपुर | 1818 |
शाहपुरा | 1818 |
जैसलमेर | 1818 |
सिरोही | 1823 |
झालावाड | 1838 |
प्रश्न : अलवर और झालावाड रियासतों के साथ ईस्ट इण्डिया कम्पनी की सन्धियों की विवेचना कीजिये।
उत्तर : अलवर राज्य के साथ संधि : 1803 ईस्वीं में वेलेजली ने मराठों के विरुद्ध बड़ा अभियान चलाने का निर्णय लिया। इस कार्य को सफल बनाने के लिए उसने राजपूताने के राज्यों से संधि करने का दायित्व जनरल लेक पर छोड़ा। लेक ने राजपूताना के राज्यों को सिंधिया के विरुद्ध सहायता देने की गारंटी दी लेकिन राजपूताने के राज्य अंग्रेजों से संधि करने में हिचकिचाते रहे। इस पर अंग्रेजों ने राजपूत राज्यों को मराठों , विशेषकर दौलतराव सिंधिया के विरुद्ध भड़काने के योजनाबद्ध प्रयास किए। इसी षड्यंत्र का शिकार होकर अलवर राज्य ने 14 नवम्बर 1803 को जनरल लेक के साथ रक्षात्मक और आक्रामक संधि कर ली।
झालावाड राज्य की स्थापना : 1 अगस्त 1838 ईस्वीं में कोटा का अंग भंग हुआ तथा झाला के उत्तराधिकारियों के लिए एक स्वतंत्र राज्य झालावाड की स्थापना हुई। झालावाड़ राज्य के अस्तित्व में आने से राजपूताना के राज्यों की संख्या बढ़कर 19 हो गयी। झालावाड़ राज्य भी अंतिम रूप से 1838 में अंग्रेजों के साथ संधि में बंध गया।
परिणाम : उपरोक्त संधियों से राजपूताना में ब्रिटिश आधिपत्य स्थापित हुआ। जिसके दूरगामी परिणाम निकले।
नकारात्मक पक्ष : इन सिंधियों से राजपूत शासकों के भोग विलास में वृद्धि , सामन्तों की पद-मर्यादा पर प्रहार , कृषकों और जनसाधारण का अत्यधिक शोषण हुआ। जगह जगह जनविद्रोह , कृषक विद्रोह और सामन्ती विद्रोह होने लगे। चिकित्सा स्वास्थ्य , औद्योगिकरण आदि में रूचि न देखाने से राजस्थान पिछड़ा रहा।
सकारात्मक पक्ष : ब्रिटिश आधिपत्य से राजस्थान में आधुनिक न्याय प्रणाली और शिक्षा व्यवस्था (सिर्फ शासकों के लिए) प्रशासनिक विकास हुआ। समाज में प्रचलित कुरीतियों जैसे – सती प्रथा , कन्या वध , बाल विवाह , डाकिन प्रथा आदि का उन्मूलन होने लगा।
Recent Posts
सारंगपुर का युद्ध कब हुआ था ? सारंगपुर का युद्ध किसके मध्य हुआ
कुम्भा की राजनैतिक उपलकियाँ कुंमा की प्रारंभिक विजयें - महाराणा कुम्भा ने अपने शासनकाल के…
रसिक प्रिया किसकी रचना है ? rasik priya ke lekhak kaun hai ?
अध्याय- मेवाड़ का उत्कर्ष 'रसिक प्रिया' - यह कृति कुम्भा द्वारा रचित है तथा जगदेय…
मालकाना का युद्ध malkhana ka yudh kab hua tha in hindi
malkhana ka yudh kab hua tha in hindi मालकाना का युद्ध ? मालकाना के युद्ध…
कान्हड़देव तथा अलाउद्दीन खिलजी के संबंधों पर प्रकाश डालिए
राणा रतन सिंह चित्तौड़ ( 1302 ई. - 1303 ) राजस्थान के इतिहास में गुहिलवंशी…
हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ? hammir dev chauhan history in hindi explained
hammir dev chauhan history in hindi explained हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ?…
तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच हुआ द्वितीय युद्ध Tarain battle in hindi first and second
Tarain battle in hindi first and second तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच…