JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now

हिंदी माध्यम नोट्स

नौकरी सुरक्षा प्रावधान क्या है | job security provisions and employment in hindi नौकरी सुरक्षा प्रावधान और रोजगार

नौकरी सुरक्षा प्रावधान और रोजगार नौकरी सुरक्षा प्रावधान क्या है | job security provisions and employment in hindi ? 

नौकरी सुरक्षा प्रावधान
औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947 में 1976 में जोड़े गए दो महत्त्वपूर्ण धाराओं अध्याय पाँच-ख, द्वारा बड़ी फर्मों (वर्तमान में 100 या अधिक नियमित श्रमिकों के आकार के साथ) को किसी भी श्रमिक की छंटनी अथवा कामबंदी, अथवा राज्य सरकार की स्वीकृति के बिना किसी भी इकाई को बंद करने की अनुमति नहीं है। विश्व में बहुत ही कम देश हैं जहाँ इस तरह के निश्चित प्रतिबन्ध हैं।

यद्यपि कि कानून का उद्देश्य अनुचित छंटनी और कामबंदी पर निगरानी रखना है यह प्रभावी रूप से नौकरी-सुरक्षा के लिए प्रावधान बन गया है क्योंकि व्यवहार में सरकार छंटनी अथवा इकाई को बंद करने की अनुमति नहीं देती है।

यह कानूनी सुरक्षोपाय कम से कम दो प्रकार से बाधा बन गया है। पहला. कानून का पालन करने वाला नियोक्ता श्रमोन्मुखी पुनर्गठन का कार्य नहीं कर सकता है (सरकार के विशेष व्यवहार के कारण), और इसके कारण उसे महँगे विकल्पों का सहारा लेना पड़ता है जो उतना ही प्रभावी नहीं भी हो सकता है। इस कानून का पालन करते हुए एक उपाय तालाबंदी करना तथा श्रमिकों को छोड़ने के लिए बाध्य करना है जो पृथक्करण भुगतान की बचत द्वारा दोहरा लाभकारी है।

‘पृथक्करण वेतन‘ छंटनी पर लागू है किंतु नौकरी छोड़ने पर नहीं । ऐसा विश्वास किया जाता है कि अनेक नियोजकों ने इस माध्यम का चयन किया और श्रमिकों को उनके उचित क्षतिपूर्ति से वंचित कर दिया। कुछ शोधकर्ताओं ने यह दिखाया है कि इस तरह के विधानों ने भी रोजगार को कम किया है।

भूमि प्रयोग कानूनः नगर भूमि (अधिकतम सीमा और विनियमन) अधिनियम, 1976 भूसंपत्ति के आकार जिसे एक कंपनी अपने स्वामित्व में रख सकती है की अधिकतम सीमा विनिर्दिष्ट करता है। अधिकतम सीमा से अधिक भूमि की कोई भी मात्रा सरकार को किमी पूर्व-विनिर्दिष्ट दर पर बेचना अनिवार्य है। चूँकि फर्म इन दरों को बाजार दर से काफी कम पाते हैं, वे इसे सरकार को नहीं बेचना चाहते हैं और वास्तव में साधन होने के बावजूद भी निधियों की कमी की समस्या से जूझते हैं। यह समस्या विशेष रूप से मुम्बई, अहमदाबाद और कलकत्ता में अनेक वस्त्र और जूट मिलों के तिए अत्यन्त गंभीर है।

 

औद्योगिक रुग्णता
 औद्योगिक रुग्णता एक दृष्टि में
बहिर्गमन विवाद के केन्द्र में औद्योगिक रुग्णता की समस्या है जिसका अभिप्राय फर्म की वित्तीय स्थिति है। रुग्ण औद्योगिक कंपनियाँ अधिनियम के 1992 के संशोधन द्वारा एक उत्पादन इकाई को रुग्ण कहा जाएगा यदि यह (क) इकाई पाँच वर्षों से पंजीकृत है, और (ख) इसका संचित घाटा इसकी निवल सम्पत्ति से अधिक है। निवल सम्पत्ति बकाया देनदारी घटा कर परिसम्पत्ति का मूल्य है।

औद्योगिक रुग्णता की प्रवृत्ति और इसकी विकरालता का अनुमान तालिका 33.1 को पढ़ कर लगाया जा सकता है। दो स्रोतों से हम रुग्णता के संबंध में आँकड़े एकत्र कर सकते हैं: भारतीय रिजर्व बैंक और बी आई एफ आर। यहाँ हम आर बी आई आँकड़ों का उल्लेख कर रहे हैं।

1980 के बाद बीस वर्षों में रुग्ण हुई लघु इकाइयों की संख्या में 13 गुणी वृद्धि हुई और रुग्ण हुई मध्यम और बृहत् इकाइयों की संख्या लगभग दोगुनी हो गई। दोनों ही प्रकार के फर्मों में यह प्रवृत्ति बढ़ रही है। किंतु इससे भी अधिक चिन्ता की बात इन इकाइयों में फंसी बैंक ऋण की राशि है। यद्यपि कि दोनों ही मामलों में ऋण की कुल राशि में वृद्धि हो रही है, प्रति इकाई आधार पर, प्रत्येक गैर लघु इकाई में 1999 की स्थिति के अनुसार 5 करोड़ रु. से अधिक की राशि अवरुद्ध थी। यह 1980 के आँकड़ों से पाँच गुणा अधिक था। इसके विपरीत, औसत रुग्ण लघु इकाई में अवरुद्ध ऋण की राशि इस अवधि के दौरान 1.40 लाख रु. के करीब पर प्रायः स्थिर रही।

यह ध्यान रखा जाए कि (1992 से पूर्व) श्रुग्णश् कंपनियों संबंधी आँकड़ों में सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयाँ सम्मिलित नहीं हैं। अतएव, सार्वजनिक क्षेत्र के बारे में कुछ अलग टिप्पणी करनी चाहिए। सी आई एस सी आर प्रतिवेदन में यह उल्लेख किया गया था कि 1989-90 में 98 सार्वजनिक क्षेत्र के केन्द्रीय उपक्रम घाटा पर चल रहे थे, इसमें प्रत्येक से औसत 20 करोड़ रु. का वार्षिक घाटा हो रहा था। 1999 में यह आँकड़ा बढ़कर 263 इकाइयों तक पहुँच गया जिनमें से प्रत्येक पर बैंक का औसत 1117.49 करोड़ रु. बकाया था। इस भारी ऋण की तुलना में निजी क्षेत्र का आँकड़ा तुच्छ प्रतीत होगा।

 रुग्णता के कारण
व्यापार की दुनिया में घाटा उठाना असामान्य नहीं है। जैसा कि हमने आरम्भ में उल्लेख किया है बाजार एक रणक्षेत्र है जहाँ फर्मे हर संभव क्षेत्र में चाहे यह उत्पाद हो, तकनीकी हो अथवा उत्पादन लागत हो एक-दूसरे से प्रतिस्पर्धा करती हैं। इसलिए कुछ फर्म अंत्तः हानि उठाएँगी और हमारी परिभाषा के अनुसार उन्हें रुग्ण कहा जाएगा।

विद्यमान शोध ने रुग्णता के अनेक कारकों की पहचान की है जो अलग-अलग उद्योगों के लिए अलग अलग हैंः (क) अन्य उत्पादों से प्रतियोगिता अथवा माँग में कमी (उदाहरणः जूट उद्योग), (ख) फर्म विशिष्ट कारक जैसे प्रौद्योगिकी का पुराना होना (उदाहरणः वस्त्र उद्योग), (ग) लघु उद्योग आरक्षण नीति, और (घ) सार्वजनिक क्षेत्र अयुक्तियुक्त्ता (उदाहरणः एन टी सी मिल, ईस्को, हिन्दुस्तान फर्टिलाइजर्स इत्यादि) और (घ) राष्ट्रीयकृत बैंकों के अगंभीर प्रथाओं ने संभवतया रुग्णता में योगदान किया।

उल्लिखित पाँच कारणों में से पहले दो कुछ-कुछ मुख्यतः आर्थिक शक्तियों द्वारा निर्धारित अन्तर्जात कारण हैं और इसलिए इन्हें मानक माना जा सकता है। दूसरी ओर अंतिम तीन कारण सरकारी नीतियों के परिणाम हैं। लम्बे समय तक सरकार की लघु उद्योग नीति में अनन्य रूप से लघु उद्योग क्षेत्र के लिए उत्पादों की लम्बी सूची आरक्षित है। किंतु इसमें एक समस्या थी, इस नीति का लाभ उठाने के लिए फर्म को अनिवार्य रूप से लघु (पूंजी राशि से) ही रहना था। इसके कारण छोटी क्षमता और पिछड़ी प्रौद्योगिकी का चयन किया गया जिससे बहुधा अक्षमता आई ।
सरकार की सार्वजनिक क्षेत्र नीति भी कई उद्योगों में अयुक्तिसंगत रही है। उदाहरणस्वरूप वस्त्र उद्योग क्षेत्र में, सरकार ने कई निजी वस्त्र मिलों (जो अत्यन्त ही पुराने थे) का राष्ट्रीयकरण किया और इन्हें सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों में बदल दिया जिसे एन टी सी मिल के नाम से जाना जाता है। किंतु बाद में इन मिलों का आधुनिकीकरण नहीं किया गया। दूसरी प्रकार की अयुक्तियुक्त्ता आर्थिक व्यवहार्यता की उपेक्षा करते हुए सामाजिक हितों की परियोजनाओं को शुरू करना है। उदाहरणस्वरूप, वायुदूत जिसे सम्प्रति ‘एलायन्स एयरश् के नाम से जाना जाता है, का सृजन स्पष्ट रूप से सामाजिक उद्देश्यों को पूरा करने के लिए किया गया था जबकि इसका आर्थिक भविष्य संदेहास्पद था।

सी आई एस सी आर प्रतिवेदन में राष्ट्रीयकृत बैंकों और मीयादी ऋणदात्री संस्थाओं की आर्थिक रूप से अलाभप्रद परियोजनाओं के वित्तपोषण की आलोचना की गई है। समिति ने परियोजना मूल्यांकन की उनकी पद्धति पर भी प्रश्न किया है।

बोध प्रश्न 2
1) एक रुग्ण इकाई की परिभाषा क्या है?
2) औद्योगिक रुग्णता की प्रवृत्ति की चर्चा कीजिए?
3) संक्षेप में रुग्णता के कुछ कारणों की चर्चा कीजिए?
4) सही के लिए (हाँ) और गलत के लिए (नहीं) लिखिए।
क) लघु औद्योगिक कंपनियाँ अधिनियम के अंतर्गत कोई भी घाटा उठा रही कंपनी रुग्ण इकाई है।
ख) रुग्ण इकाइयों की संख्या बढ़ रही है।
ग) बृहत् और मध्यम फर्मों के लिए प्रति रुग्ण इकाई बकाया बैंक ऋण की राशि में कमी आई है।
घ) औद्योगिक रुग्णता मुख्य रूप से निजी क्षेत्र की समस्या है।

बोध प्रश्न 2 उत्तर
1) शब्दावली भाग पढ़िए ।
2) रुग्ण फर्मों की संख्या की दृष्टि से लघु इकाइयों और गैर लघु इकाइयों दोनों में औद्योगिक रुग्णता बढ़ रही है। तथापि, दोनों क्षेत्रों में प्रति रुग्ण इकाई बकाया ऋण में कुछ अंतर है। विस्तृत जानकारी के लिए भाग 33.2 पढ़िए ।
3) अन्य उत्पादों से प्रतिस्पर्धा, पुरानी प्रौद्योगिकी और सरकारी नीतियाँ । भाग 33.2 पढ़िए।
(क) नहीं (ख) हाँ (ग) नहीं (घ) नहीं

 बहिर्गमन बाधाएँ
 मुद्दों की समीक्षा
औद्योगिक रुग्णता की समस्या को बहिर्गमन के साथ सम्बद्ध करने से पूर्व हमें तीन मुद्दों को अलग करना चाहिएः (क) औद्योगिक रुग्णता, (ख) रुाण इकाइयों का पुनर्गठन, और (ग) परिसमापन (अथवा बहिर्गमन)। चिकित्सीय सादृश्यता के रूप में पहला मुद्दा स्वास्थ्य के रख-रखाव, दूसरा रुग्ण होने के पश्चात् उपचार की प्रक्रिया, और तीसरा जब उपचार का लाभ नहीं होता है तब अन्त्येष्टि की तैयारी करना है। औद्योगिक रुग्णता की बढ़ती हुई प्रवृत्ति देखने के पश्चात् यह बिल्कुल स्पष्ट है कि पुनर्गठन और परिसमापन त्तकाल किए जाने की आवश्यकता क्यों है।

इस भाग में, हम परिसमापन से संबंधित कुछ मुद्दों और पुनर्गठन में कुछ कानूनी अड़चनों की चर्चा करेंगे जबकि अगले भाग में बी आई एफ आर की भूमिका की चर्चा की गई है।

 परिसमापन
हमें परिसमापन के बारे में चिन्ता क्यों करना चाहिए? इसके अनेक कारण हैं। पहला, अशोधित (अदत्त) ऋण वित्तीय संस्थाओं के लिए चालू आय घाटा और वैकल्पिक निवेश से वंचित रहने दोनों दृष्टियों से प्रत्यक्ष घाटा है। श्रमिकों को भी अपनी वर्तमान और भावी आय की दृष्टि से घाटा होता है। दूसरा, रुग्ण इकाई को दी गई कोई भी राज सहायता सरकारी राजकोष पर बोझ है। इसकी तुलना में तद्नुरूपी कल्याण लाभ (जैसे नौकरियों को बचा पाना) अत्यन्त ही कम है। तीसरा, उत्पादन इकाई के एक बार बंद हो जाने (निजी क्षेत्र की भाँति) किंतु परिसमापन नहीं होने की स्थिति में, परिसम्पत्तियों के अवमूल्यन की संभावना रहती है जिससे इसका भावी निस्तारण मूल्य भी घटता है। विशेष रूप से, संयंत्रों और मशीनों का मूल्य ह्रास तेजी से होता है, (पुराने फर्मों में हो सकता है इनका पहले ही मूल्य ह्रास हो चुका हो) और श्रमिक अपना कौशल और प्रेरणा खो सकता है। एक मात्र परिसम्पत्ति जिसका मूल्य मिल सकता है वह भूमि भवन है। अंत्तः, रुग्ण इकाइयों को राजसहायता पर चलते रहने देने का एक और गंभीर परिणाम उद्योग में अन्य फर्मों के बीच रुग्णता का प्रसार करना है। यदि हम माँग और पूर्ति वक्र की दृष्टि से एक उद्योग के बारे में विचार करते हैं, तब यह स्पष्ट है कि एक और फर्म के प्रवेश की अनुमति देने से (जो अन्यथा सन्तुलन में नहीं टिक सकती है) पूर्ति वक्र बाहर की ओर खिसकेगा जिसके परिणामस्वरूप बाजार मूल्य में गिरावट आएगी। किंतु तब यह कम मूल्य सीमान्त कुछ फर्मों को अलाभप्रद बना सकता है। इस प्रकार विरोध गाभासी रूप से रुग्ण फर्मों को प्रचालन की अनुमति देने की नीति से रुग्ण होने वाले फर्मों की संख्या बढ़ सकती है।

पुनर्गठन
ऐसा प्रतीत होता है कि जब कोई भी कारण मौजूद नहीं था, फिर भी रुग्ण कंपनियों के पुनर्गठन में समस्या रही है। अनेक बाधाएँ हैं जो पुनर्गठन के रास्ते में आती हैं। पहला किसी भी व्यापक परिवर्तन में ट्रेड यूनियन का विरोध है। दूसरे प्रकार की समस्या कानूनी पक्ष से है। श्रम और भूमि से संबंधित दो महत्त्वपूर्ण कानून हैं जिन्होंने पुनर्गठन को कठिन बना दिया है। तीसरी समस्या स्वंय सरकार और इसकी शीर्षस्थ विनियामक निकाय बी आई एफ आर की ओर से आती है जिसे बाद में स्पष्ट किया जाएगा।

 पुनर्गठन में कानूनी बाधाएँ
एक फर्म के पुनर्गठन के विभिन्न साधनों में तीन महत्त्वपूर्ण विकल्प हैंरू श्रम बल का पुनर्गठन (संख्या कम करना, पुनः प्रशिक्षण इत्यादि), प्रौद्योगिकी उन्नयन और संसाधन जुटाने के लिए बेकार पड़ी परिसम्पत्तियों जैसे भूमि की बिक्री। पहले दो विकल्पों में श्रमिक संघों के प्रतिरोध, जिससे बातचीत और आश्वस्त करके निबटा जा सकता है के अलावा दो विधान हैं जो स्पष्ट रूप से कर्मचारियों की संख्या कम करने और भूमि की बिक्री को रोकते हैं। औद्योगिक विवाद अधिनियम में नौकरी की सुरक्षा का प्रावधान होने के कारण कर्मचारियों की संख्या कम करना प्रायः असंभव है तथा नगर भूमि अधिकतम सीमा अधिनियम के कारण भूमि की बिक्री संभव नहीं है। ये दोनों विधेयक, 1976 में पारित हुए थे।

बोध प्रश्न 3
1) बहिर्गमन समस्या के संदर्भ में किन-किन मुद्दों से निबटना है, स्पष्ट कीजिए?
2) पुनर्गठन में कौन-से प्रमुख कानूनी बाधाएँ हैं?
3) रुग्ण इकाई का कार्य संचालन जारी रखने में क्या हानियाँ हो सकती हैं सैद्धान्तिक विवेचना कीजिए?
4) सही के लिए (हाँ) और गलत के लिए (नहीं) लिखिए ।
क) राजसहायता पर चल रही रुग्ण इकाई दूसरे लाभप्रद फर्म को रुग्ण कर सकती है। ( )
ख) प्रतिबन्धात्मक श्रम कानून पुनर्गठन में कोई समस्या नहीं उत्पन्न करते हैं। ( )
ग) भूमि प्रयोग कानून रुग्ण इकाइयों के लिए अप्रासंगिक है। ( )
घ) यदि एक फर्म का पुनर्गठन नहीं किया जा सकता है तो इसका त्तकाल परिसमापन कर देना चाहिए। ( )

बोध प्रश्न 3 उत्तर
1) मुख्यतः तीन मुद्दे रुग्णता, पुनर्गठन और परिसमापन ।
2) औद्योगिक विवाद अधिनियम में नौकरी-सुरक्षा उपबंध और नगर भूमि (अधिकतम सीमा और विनियमन) अधिनियम में भूमि-उपयोग कानून, दोनों 1976 में पारित हुए।
3) भाग 33.3 पढ़िए।
(क) हाँ (ख) नहीं (ग) नहीं (घ) हाँ

Sbistudy

Recent Posts

सती रासो किसकी रचना है , sati raso ke rachnakar kaun hai in hindi , सती रासो के लेखक कौन है

सती रासो के लेखक कौन है सती रासो किसकी रचना है , sati raso ke…

23 hours ago

मारवाड़ रा परगना री विगत किसकी रचना है , marwar ra pargana ri vigat ke lekhak kaun the

marwar ra pargana ri vigat ke lekhak kaun the मारवाड़ रा परगना री विगत किसकी…

23 hours ago

राजस्थान के इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों की विवेचना कीजिए sources of rajasthan history in hindi

sources of rajasthan history in hindi राजस्थान के इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों की विवेचना कीजिए…

3 days ago

गुर्जरात्रा प्रदेश राजस्थान कौनसा है , किसे कहते है ? gurjaratra pradesh in rajasthan in hindi

gurjaratra pradesh in rajasthan in hindi गुर्जरात्रा प्रदेश राजस्थान कौनसा है , किसे कहते है…

3 days ago

Weston Standard Cell in hindi वेस्टन मानक सेल क्या है इससे सेल विभव (वि.वा.बल) का मापन

वेस्टन मानक सेल क्या है इससे सेल विभव (वि.वा.बल) का मापन Weston Standard Cell in…

3 months ago

polity notes pdf in hindi for upsc prelims and mains exam , SSC , RAS political science hindi medium handwritten

get all types and chapters polity notes pdf in hindi for upsc , SSC ,…

3 months ago
All Rights ReservedView Non-AMP Version
X

Headline

You can control the ways in which we improve and personalize your experience. Please choose whether you wish to allow the following:

Privacy Settings
JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now