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महिलाओं से संबंधित मुद्दे क्या है | महिलाओं से संबंधित समस्याएं | आधुनिक काल में महिलाओं की स्थिति
issues related to women in hindi महिलाओं से संबंधित मुद्दे क्या है | महिलाओं से संबंधित समस्याएं | आधुनिक काल में महिलाओं की स्थिति ?
महिलाओं संबंधी मुद्दे: चुनौतियाँ और प्रतिक्रियाएँ
भारत में पिछले दो दशकों में महिलाओं संबंधी मुद्दों को लेकर सरकारी और गैर-सरकारी दोनों स्तरों पर काफी जागरूकता आई है। इनमें सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण है-महिलाओं के स्वजागरूकता आंदोलन का उद्भव जिसने हाल ही के वर्षों में महिलाओं संबंधी मुद्दों पर सरकार की योजनाओं और नीतियों को बहुत अधिक प्रभावित किया है। महिला आन्दोलनों पर हम ई. एस. ओ.- 12 के खंड 7 में चर्चा करेंगे।
प) स्वतंत्रता पूर्व काल महिलाओं से संबंधित मुद्दे
ब्रिटिश काल के दौरान हमारे राष्ट्रीय नेता महिलाओं के अधिकारों के लिए संघर्ष को स्वतंत्रता आंदोलन का एक अभिन्न हिस्सा मानते थे। यह उल्लेखनीय है कि इस काल में राष्ट्रीय आंदोलन और सुधारों के परिणामस्वरूप महिलाओं के काफी संगठन उभरकर सामने आए। भारतीय महिला संघ (1917), भारतीय महिला राष्ट्रीय परिषद् (1926), अखिल भारतीय महिला सम्मेलन (1926) आदि द्वारा महिलाओं का आंदोलन आगे बढ़ रहा था।
पप) स्वतंत्रताप्राप्ति पश्चात महिलाओं से संबंधित मुद्दे
हमारे देश का संविधान कराची कांग्रेस के मौलिक अधिकार प्रस्ताव में स्वीकृति महिलाओं की समानता के मूल सिद्धांत का अनुसरण करता है। अनुच्छेद 15 (3) का प्रावधान राज्य को बच्चों व महिलाओं के लिए विशेष प्रावधान बनाने के अधिकार प्रदान करता है। 1950 के दशक में कानूनी सुधारों में हिंदू महिलाओं को विवाह, उत्तराधिकार और अभिभावक के और अधिक अधिकार देने का प्रयास किया गया। महिलाओं की विकास संबंधी नीतियों में मुख्य जोर उनकी शिक्षा, स्वास्थ्य और कल्याण की व्यवस्था पर था।
पपप) महिलाओं संबंधी समकालीन मुद्दे
1970 के दशक में महिलाओं संबंधी मुद्दे प्रखर रूप में उभर कर सामने आए हैं। संयुक्त राष्ट्रसंघ की आम सभा में महिलाओं के विरुद्ध भेदभाव के निराकरण (1967) की घोषणा और तत्पश्चात् संयुक्त राष्ट्रसंघ द्वारा अपने सदस्य-राज्यों से अपने-अपने देश में महिलाओं की प्रस्थिति पर रिपोर्ट प्रस्तुत करने का अनुरोध किया गया। इसके परिणामस्वरूप भारत में महिलाओं की प्रस्थिति का अध्ययन करने के लिए एक समिति गठित की गई जिसने 1974 में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की। संयुक्त राष्ट्र कार्रवाई 1975 आह्वान की प्रतिक्रिया और सी.एस.डब्ल्यू.आई. (CSWI) रिपोर्ट के आधार पर भारत सरकार ने महिलाओं के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना का प्रारूप तैयार किया। योजना के अंतर्गत विशेष रूप से समाज के कमजोर वर्गों के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य, कल्याण और रोजगार के क्षेत्रों में ठोस कार्रवाई करने की जरूरत को प्रथम स्थान दिया गया। सी.एस.डब्ल्यू.आई. (CSWI) के अतिरिक्त भारत में महिलाओं की प्रस्थिति को ऊँचा उठाने के लिए ठोस कार्रवाई सुझावों के हेतु भारत सरकार ने कई समितियाँ व आयोग गठित किए। इसमें से कुछ महत्त्वपूर्ण हैं स्वरोजगार महिला संबंधी राष्ट्रीय आयोग 1988, राष्ट्रीय महिला परिप्रेक्ष्य योजना 1988-2000, राष्ट्रीय महिला आयोग 1991 आदि। समितियों व आयोगों की सिफारिशों के आधार पर और हाल ही के वर्षों में विभिन्न महिला संगठनों और महिला कल्याण की माँगों को सामने रखते हुए भारत सरकार द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में भिन्न-भिन्न ठोस कार्रवाई की गई।
पअ) बुनियादी विधान
क) विवाह: भारत सरकार के सभी सरकारी कर्मचारियों के बहु-विवाह करने पर प्रतिबंध है। इस्लाम धर्म के अतिरिक्त सभी धर्मों में एकल-विवाह को स्वीकृति प्रदान है।
ख) विवाह की आयु: विशेष विवाह अधिनियम के अंतर्गत विवाह की न्यूनतम आयु लड़के के लिए 21 वर्ष और लड़की के लिए 18 वर्ष निर्धारित की गई है।
ग) दहेज: दहेज प्रतिषेध अधिनियम के अंतर्गत अब न्यायालय को यह अधिकार प्राप्त है कि वह अपनी जानकारी या किसी मान्यताप्राप्त कल्याण संगठन द्वारा दहेज के कारण हुई हत्या की शिकायत पर कार्यवाही कर सकता है। भारतीय साक्ष्य अधिनियम में भी सुधार किया गया जिसके अंतर्गत सामान्य परिस्थितियों के अतिरिक्त यदि दहेज की माँग की जाती है या विवाह के सात वर्षों के अंदर वधू की मृत्यु हो जाती है तो प्रमाण प्रस्तुत करने का दायित्व पति और उसके परिवार का है। इस मुद्दे से प्रभावशाली ढंग से निपटने के लिए कुछ महत्त्वपूर्ण शहरी केंद्रों में दहेज विरोधी कक्ष भी बनाए गए हैं।
घ) सती: सती (निषेध) अधिनियम आयोग 1987 ने सती प्रथा को गैर-कानूनी घोषित किया।
ड.) बलात्कार और महिलाओं का अश्लील चित्रण: जाँच और मुकदमे के दौरान बलात्कार के शिकार लोगों को प्रचार से सुरक्षा प्रदान करने के लिए दंड कानून अधिनियम में भी सुधार किए गए। सहमति के तत्त्व को हटाने के लिए बलात्कार की परिभाषा में भी परिवर्तन किया गया। इस अपराध के लिए दंड को भी बढ़ा दिया गया। महिलाओं का अश्लील चित्रण (निषेध) अधिनियम प्रतिबंध लगाता है, महिलाओं की आकृति, रूप, शरीर या शरीर के किसी भाग के ऐसे चित्रण पर जिससे महिलाओं का अश्लील चित्रण हो या उनको कलुषित किया जाता हो या जो समाज की नैतिकता या नैतिक मूल्यों को बिगाड़ता हो, भ्रष्ट और क्षतिग्रस्त करता हो। (एन. पी. पी. डब्ल्यू. 1988)
च) लिंग-निर्धारण जाँच: हाल ही के वर्षों में लिंग-निर्धारण जाँच के विरुद्ध काफी आंदोलन हुए। यहाँ यह बताना महत्त्वपूर्ण है कि महाराष्ट्र में प्रसव-पूर्व लिंग-निर्धारण जाँच को अवैध घोषित किया गया है। छ) कार्य: समान पारिश्रमिक अधिनियम, 1973 के अनुसार समाज या समकक्ष कार्य करने वाले पुरुष व महिलाओं को भुगतान राशि बराबर दी जाती है। अधिनियम में भर्ती के समय या उसके पश्चात् लिंग के आधार पर पक्षपात की भी मनाही है।
कोष्ठक 1
कार्यरत महिलाओं के लिए प्रसूति लाभ
प्रसूति लाभ अधिनियम के अंतर्गत फैक्टरियों, कारखानों, खानों, बागानों, सरकारी और अर्ध-सरकारी संस्थाओं में काम करने वाली गर्भवती महिलाओं को 4) महीने का प्रसूति अवकाश और गर्भपात के लिए 45 दिन का अवकाश प्रदान किया जाता है। इसमें कामकाजी महिलाओं के बच्चों की देखभाल के लिए शिशु-केंद्रों का भी प्रावधान है।
न्यूनतम वेतन अधिनियम के अंतर्गत मजदूरी की न्यूनतम दरों को नियत करने संबंधी विधि प्रदान की गई है। इसमें कर्मचारियों की मूलभूत न्यूनतम आवश्यकताओं पर ध्यान दिया जाना चाहिए।
अ) महिलाओं के लिए रोजगार कार्यक्रम
गरीब महिलाओं के लिए आय कमाने के भी विविध कार्यक्रम चलाए गए हैं। एकीकृत ग्राम विकास कार्यक्रम ने एक लक्ष्य निर्धारित किया है। इसके अंतर्गत इस कार्यक्रम के कुल लाभार्थियों में 30 प्रतिशत लाभार्थी महिलाएँ होंगी। ग्रामीण क्षेत्रों से महिलाओं और बाल विकास (DWCR।) कार्यक्रम का उद्देश्य ग्रामीण महिलाओं को रोजगार प्रदान करना है। राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार कार्यक्रम (NREP) भूमिहीन ग्रामीण रोजगार गारंटी कार्यक्रम के अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्रों में मजदूरी प्रदान की जाती है। स्व-रोजगार के लिए ग्रामीण युवा प्रशिक्षण कार्यक्रम के अंतर्गत ग्रामीण युवकों को आय प्रदान करने वाले रोजगार के लिए प्रशिक्षण दिया जाता है। पहाड़ी व सूखा-प्रवण क्षेत्रों के लिए विशेष कार्यक्रम हैं। (अधिक जानकारी के लिए इस पाठ्यक्रम के खंड 3 की इकाई 8, 9, 10 और 11 देखें।) इन कार्यक्रमों में महिलाओं पर यथोचित ध्यान दिया जाता है। इसके अलावा, राज्य सरकारों ने भी स्वयं सहायता समूहों आदि के माध्यम से महिलाओं के बीच रोजगार हेतु अनेक कार्यक्रम चलाए हैं।
बोध प्रश्न 4
सही उत्तर पर टिक ( ) का निशान लगाइए।
1) निम्नलिखित में से भारतीय संविधान का कौन-सा अनुच्छेद सरकार को महिलाओं के लिए विशेष प्रावधान बनाने में अधिकार देता है:
क) अनुच्छेद 370 ( )
ख) अनुच्छेद 356 ( )
ग) अनुच्छेद 10 ( )
घ) अनुच्छेद 15 ( )
2) प्रसूति लाभ अधिनियम के अधीन गर्भवती महिलाएँ प्रसूति अवकाश ले सकती हैं:
क) 45 दिन का ( )
ख) 75 दिन का ( )
ग) 135 दिन का ( )
घ) 90 दिन का ( )
3) एकीकृत ग्राम विकास कार्यक्रम (IRDP) के अंतर्गत महिला लाभार्थियों को लाभ पहुँचाने के लिए एक लक्ष्य निश्चित किया गया है। यह लक्ष्य है:
क) 50 प्रतिशत ( )
ख) 60 प्रतिशत ( )
ग) 25 प्रतिशत ( )
घ) 30 प्रतिशत ( )
बोध प्रश्न 4 उत्तर
1) घ
2) ग
3) घ
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