आईपीएम को परिभाषित करें या पूरा नाम क्या है ? ipm full form in hindi in biology or agriculture ?
उत्तर : IPM का पूरा नाम = Integrated pest management होता है जिसे हिंदी में समाकलित पीड़क-प्रबंधन (IPM) या एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन या एकीकृत कीट प्रबंधन कहा जाता है |
जब विभिन्न प्रकार के कीटों के नियंत्रण आदि से सम्बन्धित कार्य किया जाता है जिससे प्रकृति को भी हानि अत्यधिक कम मात्रा में हो और वे किट मानव के जीवन को भी प्रभावित न करे तो इसे एकीकृत कीट प्रबंधन कहा जा सकता है |
अतिरिक्त संकल्पनाएँ
IPM में उपरोक्त सभी तरीके उपयुक्त समुच्चयों में इन उद्देश्यों को सामने रखते हुए इस्तेमाल किए जाते हैं कि आर्थिक व्यवहार्यता बनी रहे और पारितंत्र में विघटन कम-से-कम हो। इस विषय में एक महत्वपूर्ण बात को ध्यान में रखना चाहिए – कोई तरीका, अथवा तरीकों का एक समुच्चय जो एक प्रकार के पीड़क के संदर्भ में और किसी एक खास पर्यावरणपरक परिस्थितियों में भली भांति कार्य करता है, हो सकता है कि अन्य प्रकार के पीड़कों के लिए अथवा अन्य परिस्थितियों में उसका कोई महत्व न हो।
सस्य नियंत्रण की विधियाँ, जैसे कि फसल की सघनता परिवर्तन, वास्तव में पर्यावरण में परिवर्तन लाकर काम कर सकता है। सभी तरीकों में दो बातों का ध्यान रखना जरूरी है क्योंकि ये निर्धारित करते हैं कि विभिन्न पीड़क-श्रेणियों के लिए भिन्न-भिन्न तरीके प्रयुक्त किए जाते हैं। ये पीड़क प्रतिरोध और नियंत्रण की विशिष्टता की संकल्पनाओं पर आधारित होते हैं।
पीड़क-प्रतिरोध – किसी एक नियंत्रणकारी तरीके को अपनाने से और उसी पर पूरी तरह से निर्भर होने से, तथा अन्य सभी तरीकों को बहिष्कार करने से, अंतत: नियंत्रण का प्रभाव कम हो जाता है, क्योंकि लक्ष्य पीड़क उस तरीके के लिए प्रतिरोध उत्पन्न कर लेता है।
नियंत्रण की चयनशीलता : वह नियंत्रण तरीका, जो केवल लक्ष्य पीड़क-स्पीशीज पर प्रभाव डालता है तथा अन्य अलक्ष्य स्पीशीजों को क्षति नहीं पहुँचाता, चयनात्मक अथवा विशिष्ट होता है। उसे क्रियान्वित करने की विधि को चयनशीलता प्राप्त करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है, और जंतु-पीड़कों के प्रबंधन के लिए आवश्यक है। आदर्शतरू वह नियंत्रण-तरीका लागू करना चाहिए ताकि पीड़क को छोड़कर किसी अन्य जीव पर प्रभाव न डाले, क्योंकि जो तरीका जंतुओं पर जैसे कि नेमैटोडों, कीटों और विशेष रूप से नियततापी जंतुओं पर प्रभाव डालता है, उसमें मानवों पर सीधे ही प्रभाव डालने की बहुत संभावना होती है।
इस प्रकार, जंतु-पीड़कों और रोगजनकों की सभी श्रेणियों के प्रबंधन के लिए, आदर्श तकनीक केवल लक्ष्य पीड़क को ही प्रभावित करेगी, और अन्य सभी जीवों को अक्षत छोड़ देगी।
सारांश
इस इकाई में आपने जाना कि
ऽ एक प्रभावी पीड़क प्रबंधन निर्णय लेने में कुछ महत्वपूर्ण चरणों में ये शामिल हैं – पीड़क की पहचान, पीड़क समष्टि का निर्धारण, क्षति और आर्थिक नुकसान, नियंत्रण तरीके और उनकी पारस्परिक क्रिया, तथा पर्यावरणपरक एवं कानूनी प्रतिबंध।
ऽ पीड़क-प्रबंधन -निर्णय लेते समय ET (आर्थिक आरंभन सीमा) सबसे महत्वपूर्ण अभिसूचक है। अधिकांश निर्णय-नियमों को इन चार श्रेणियों में से किसी एक के अंतर्गत रखा जा सकता है – कोई आरंभन सीमा नहीं, नाममात्र आरंभन सीमा, सरल आरंभन सीमा और व्यापक आरंभन सीमा।
ऽ किसी भी IPM तंत्र के मूलभूत संघटक हैं रणनीतियाँ और तरीके। रणनीति सफल क्रिया की वह योजना है जो फसल-उत्पादन के उद्देश्यों पर आधारित है, और तरीके पीड़क-नियंत्रण के लिए उपलब्ध विधियाँ हैं।
ऽ प्रमुख नियंत्रण-तरीके, जो प्च्ड प्रोग्राम के संघटक हैं, ये हैं रू पीड़क में हेर फेर, पौधे में हेर-फेर और पर्यावरण में हेर-फेर ।
अंत में कुछ प्रश्न
1) आरेख के जरिए पीड़क-प्रबंधन-निर्णय के लिए सूचनाओं की महत्वपूर्ण किस्मों को बताइए।
2) IPM की पाँच प्रमुख रणनीतियों पर टिप्पणी लिखिए।
3) बताइए कि ET (आर्थिक आरंभन सीमा) किस प्रकार निर्णय लेने के तंत्र में महत्वपूर्ण योगदान प्रदान करती है?
प्रस्तावना
इकाई 5 में समाकलित पीड़क-प्रबंधन (IPM) के विभिन्न लक्षणों और संकल्पनाओं का अध्ययन करने के पश्चात् आप अब पीड़क-प्रबंधन में निर्णय लेने, प्च्ड की प्रमुख रणनीतियों और तरीकों का अध्ययन करेंगे। एक प्रभावी प्रबंधन में कोई निर्णय लेने के लिए यह देखना पड़ता है कि कौन-सी रणनीति अनुकूल रहेगी और उस स्थिति में कौन-सा तरीका उपयुक्त रहेगा।
प्च्ड के आरंभिक दिनों से ही, किसी भी IPM – तंत्र के दो मूलभूत घटकों का वर्णन करने के लिए श्रणनीतिश् और श्युक्ति अथवा तरीकाश् शीर्षकों का प्रयोग किया जाता रहा है। प्च्ड में श्तरीकाश् का अर्थ है विधियाँ जो पीड़क-प्रबंधन के लिए उपलब्ध होती हैं, और रणनीतियों का अर्थ है वे विभिन्न कुशलताएं जिनके जरिए तरीकों को प्रयुक्त किया जाता है। प्च्ड कुशलता का लक्ष्य होता हैरू प्रभावी प्रबंधन और उससे न केवल पीड़कों का प्रभाव कम होता है अथवा समाप्त हो जाता है, बल्कि पर्यावरण की सुव्यवस्था और सामाजिक कल्याण भी कायम बना रहता है।
उद्देश्य
इस इकाई का अध्ययन करने के बाद आप इस योग्य हो जाएँगे कि –
ऽ कोई निर्णय लेने से पहले उन विभिन्न चरणों की सूची बना सकें और उनका वर्णन कर सकें जिनके द्वारा अपेक्षित सूचना प्राप्त की जाती है,
ऽ निर्णय लेने के नियमों को बनाने के लिए आरंभन सीमाओं (thresold) की चार श्रेणियों की चर्चा कर सकेंय पीड़क-प्रबंधन में इस्तेमाल होने वाली पाँच प्रमुख रणनीतियों की सूची बनाकर उनका वर्णन कर सकें,
ऽ पीड़क जीवों को प्रभावित करने के लिए विभिन्न उपागमों की व्याख्या कर सकें, और
ऽ विभिन्न पीड़क-श्रेणियों के लिए भिन्न-भिन्न तरीकों के प्रयुक्त करने और उन्हें पहचानने पर विशेष जोर दे सकें।