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अंतर्राष्ट्रीय बाल वर्ष क्या है | International Children’s Year in hindi 1989 का संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन

International Children’s Year in hindi अंतर्राष्ट्रीय बाल वर्ष क्या है 1989 का संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन किसे कहते है ?

अंतर्राष्ट्रीय बाल वर्ष
संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा ने 1979 को अंतर्राष्ट्रीय बाल वर्ष घोषित किया । इसमें प्रत्येक देश को अपने बच्चों की दशा की समीक्षा करने तथा बच्चों के पूरे सामथ्र्य को विकसित करने के लिए अपने कार्यक्रमों के नवीकरण तथा तेज करने का अवसर दिया गया है। इसका लक्ष्य प्रत्येक सरकार को अपने कार्यकलापों का विस्तार करने के लिए प्रेरित करना था जिससे अनेकानेक बच्चों को प्रभावित करने वाली प्रतिकूल दशाओं पर काबू पाया जा सके।
बाल वर्ष ने सरकार, निजी संगठनों तथा लोगों को उन बच्चों के लिए बहुत कुछ करने के लिए प्रोत्साहित किया जिन्हें विशेष सहायता की आवश्यकता थी। इस प्रकार बाल वर्ष ने बच्चों के अधिकारों को जीवंत वास्तविकता प्रदान करने के लिए व्यावहारिक कार्यकलापों के अवसर प्रदान किए।

1989 का संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन
20 नवंबर 1989 को अंगीकृत संयुक्त राष्ट्र बाल अधिकार समागम के बाल अधिकारों पर 20वीं शताब्दी का सबसे व्यापक तथा महत्त्वपूर्ण समझौता अपनाया गया।

इसमें बच्चों की सुरक्षा के लिए सर्वसम्मत मानक निश्चित किए गए हैं तथा प्रत्येक देश के बच्चों के यथार्थवादी तथा निरापद भविष्य को सुरक्षित करने के लिए विकास कार्यक्रमों तथा नीतियों की महत्त्वपूर्ण रूपरेखा दी गई है। समागम में 18 वर्ष से कम आयु के व्यक्ति को तब तक बालक माना गया है, जब तक कि वह बालकों पर लागू होने वाले कानून के अंतर्गत इससे पहले वयस्कता प्राप्त नहीं कर लेता।

इस सम्मेलन में 1959 के बाल अधिकारों की घोषणा में निर्धारित सभी अधिकार शामिल हैं। इसमें ऐसे अनेकों अधिकार भी शामिल हैं जिन्हें पूर्ववर्ती घोषणा में शामिल नहीं किया गया था। इन नए अधिकारों में से कुछ नीचे दिए गए हैं रू
प) बच्चा जिसमें अपने विचार स्वयं बनाने की क्षमता है, उसे ऐसे विषयों पर इन विचारों को स्वतंत्र रूप से व्यक्त करने का अधिकार है जो उसे प्रभावित करते हैं। बच्चे की आयु तथा परिपक्वता के अनुसार बच्चे के विचारों को उचित महत्त्व दिया जाएगा। बच्चे को प्रभावित करने वाली किसी भी बात पर उसे न्यायिक या प्रशासनिक कार्रवाइयों में अपनी बात कहने का अवसर प्रदान किया जाएगा।
पप) अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार जिसमें सभी प्रकार के विचार तथा कानून लेने, प्राप्त करने तथा प्रदान करने की स्वतंत्रता शामिल है।
पपप) विचार अन्तःकरण एवं धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार।
पअ) सभा करने तथा शांतिपूर्ण संगठन के लिए स्वतंत्रता का अधिकार।
अ) अवैध रूप से विदेश में भेजने तथा वहाँ से न लौटने देने के विरुद्ध सुरक्षा प्रदान करने का अधिकार।

इस सम्मेलन में निश्चित किए गए अधिकारों को मोटे तौर पर उत्तरजीविता, सुरक्षा तथा विकास नामक शीर्षकों में वर्गीकृत किया जा सकता है। उत्तरजीविता अधिकारों में अंतर्निहित है कि बच्चों को निरोध्य रोगों से बचाया जाना चाहिए। सुरक्षा अधिकार इस बात का संकेत करता है कि प्रत्येक बच्चे को शारीरिक, मानसिक तथा यौन शोषण से बचाया जाना चाहिए। विकास में पर्याप्त पोषण, प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल तथा प्रारंभिक शिक्षा के अधिकार शामिल हैं।

यह सम्मेलन एक प्रकार से विशिष्ट है क्योंकि अंतर्राष्ट्रीय कानून में पहली बार किसी समझौते में बच्चों के अधिकार निर्दिष्ट किए गए हैं जिसे मानने के लिए वे राष्ट्र बाध्य हैं जो उनका अनुमोदन करते हैं। इस अर्थ में भी विशिष्ट है कि समागम में जो दायित्त्व हाथ में लिए गए थे उन्हें प्राप्त करने में राष्ट्रों ने कितनी प्रगति की है, इसकी जाँच करने के लिए एक निर्वाचित कमेटी होगी।

सोचिए और करिए 2
पाठांश 17.6.1, 17.6.2 और 17.6.3 को पुनः ध्यानपूर्वक पढ़िए। अपने प्रतिदिन के अनुभवों के आधार पर यह जाँचिए कि हमारे समाज में किस. हद तक बच्चों के अधिकारों को लागू किया जाता है। आपके अनुसार समाज में बच्चों के अधिकारों को पूरी तरह न अपनाने के मुख्य कारण क्या हैं। इस विषय पर सोचिए और दो पृष्ठ की एक टिप्पणी तैयार कीजिए। यदि संभव हो तो अपने परामर्शदाता और अन्य विद्यार्थियों के साथ इस पर चर्चा कीजिए।

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