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व्यतिकरण की परिभाषा क्या है , उदाहरण , प्रकार , सम्पोषी और विनाशी व्यतिकरण , अंतर (interference in hindi)

(what is interference in hindi) व्यतिकरण की परिभाषा क्या है , उदाहरण , प्रकार , सम्पोषी और विनाशी व्यतिकरण , अंतर : जब दो तरंगे जिनकी आवृति , तरंग दैर्ध्य और आयाम समान हो एक ही माध्यम में गति करते है और एक दूसरे पर अध्यारोपित हो जाती है तो परिणामी तरंग में तीव्रता का मान अलग अलग तरंगो की तीव्रता के योग से अलग प्राप्त होता है कुछ स्थानों पर परिणामी तीव्रता का मान अधिकतम होता है और कुछ बिन्दुओं पर तीव्रता का मान न्यूनतम अर्थात शून्य होता है , तरंगो की इस घटना को ही तरंग का व्यतिकरण कहते है।

यहाँ ध्यान देने वाली बात यह है की व्यतिकरण की घटना एक ऊर्जा संरक्षण पर आधारित घटना है अर्थात इसमें ऊर्जा का न तो निर्माण होता है और न ही इसमें ऊर्जा की हानि होती है।
चूँकि हमने ऊपर बाताया की व्यतिकरण की घटना में परिणामी तरंग में कुछ बिन्दुओ पर तीव्रता का मान अधिकतम होता है और कुछ स्थानों पर न्यूनतम होता है इस आधार पर तरंगो के व्यतिकरण को दो भागों में बाँटा गया है –
1. सम्पोषी व्यतिकरण (constructive interference) : जब दोनों तरंग आपस में समान कला में संचरित होकर एक दूसरे पर अध्यारोपित होती है तो तीव्रता का मान अधिकतम प्राप्त होता है इसे ही सम्पोषी व्यतिकरण कहते है।
अर्थात व्यतिकरण की घटना में जिन बिन्दुओं पर तीव्रता का मान अधिकतम प्राप्त होता है , उस बिन्दुओ पर होने वाली व्यतिकरण की घटना को सम्पोषी व्यतिकरण कहते है।

2. विनाशी व्यतिकरण (destructive interference) : जब दो तरंगे किसी बिंदु पर विपरीत कला में मिलकर अध्यारोपित होती है तो उस बिंदु पर तीव्रता का मान न्यूतम प्राप्त होता है अर्थात शून्य तीव्रता बिंदु प्राप्त होता है , इन बिन्दुओं पर घटित व्यतिकरण की घटना को विनाशी व्यतिकरण कहते है।
अर्थात
व्यतिकरण की घटना में जिन स्थानों पर शून्य तीव्रता प्राप्त होती है उस स्थान पर जो व्यतिकरण की घटना घटित होती है उसे विनाशी व्यतिकरण कहते है।

प्रकाश तरंगों का व्यतिकरण

जब समान आवृत्ति की दो प्रकाश तरंगें किसी माध्यम में एक ही दिशा में गमन करती है, तो उनके अध्यारोपण के फलस्वरूप प्रकाश की तीव्रता में परिवर्तन हो जाता है। इस घटना को प्रकाश का व्यतिकरण कहते है। व्यतिकरण दो प्रकार के होते है-

1 . संपोषी व्यतिकरण।

2. विनाशी व्यतिकरण।

1. संपोषी व्यतिकरण– माध्यम के जिस बन्द पर दोनों तरंगे समान कला में मिलती है, वहाँ प्रकाश की परिणामी तीव्रता अधिकतम होती हैं, इसे संपोषी व्यतिकरण कहते है।

2. विनाशी व्यतिकराण– माध्यम के जिस बिन्दु पर दोनों तरंगे विपरीत कला में मिलती है, वहाँ प्रकाश की तीव्रता न्यूनतम या शून्य होती है। इस प्रकार के व्यतिकरण को विनाशी व्यतिकरण कहते है।

प्रकाश के व्यत्तिकरण के उदाहरण

1.  जल की सतह पर फैली हुई केरोसीन तेल की परत का सूर्य के प्रकाश में रंगीन दिखाई देना।

2. साबुन के बुलबुलों का रंगीन दिखाई देना, आदि।

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